जिस शब्द अथवा शब्द समूह जिसके द्वारा किसी कार्य के होने अथवा करने का बोध हो, क्रिया कहलाती है । जैसे- Show 🔸गुड़िया नाच रही है । इसमें नाच रही है, पी रहा है, जा रहा है, लाओ, कर रही है , शब्द कार्य व्यापार का बोध करा रहे हैं । अथवा इनसे किसी कार्य के होने का बोध हो रहा है। अतः यह क्रियाएं हैं । Kriya in Hindiक्रिया की परिभाषा – ( kriya ki paribhasha)वे शब्द, जिनके द्वारा किसी कार्य का करना या होना पाया जाता है ,उन्हें क्रिया पद कहते हैं । संस्कृत में क्रिया रूप को धातु कहते हैं । हिंदी में उन्हीं के साथ “ना” लग जाता है । जैसे- 🔸लिख + ना = लिखना धातु – क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है । क्रिया के प्रकार या भेद ( kriya ke bhed)कर्म ,प्रयोग तथा संरचना के आधार पर क्रिया के विभिन्न भेद किए जाते हैं – (1) कर्म के आधार पर :-कर्म के आधार पर क्रिया के मुख्यतः दो भेद किए जाते हैं – (१) अकर्मक क्रिया –वे क्रियाएँ जिनके साथ कर्म प्रयुक्त नहीं होता तथा क्रिया का प्रभाव वाक्य के प्रयुक्त कर्त्ता पर पड़ता है ,उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं । जैसे- 🔸कुत्ता भौकता है । (२) सकर्मक क्रिया –वे क्रियाएँ, जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्त्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है । अर्थात् वाक्य में क्रिया के साथ कर्म भी प्रयुक्त हो, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं । जैसे- 🔸भूपेंद्र दूध पी रहा है । सकर्मक क्रिया के दो उपभेद किए जाते हैं – 🔸दुष्यंत भोजन कर रहा है । (ब) द्विकर्मक क्रिया :- जब वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त हो तो उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं । जैसे- अध्यापक जी छात्रों को भूगोल पढ़ा रहे हैं । इस वाक्य में ‘पढ़ा रहे हैं’ क्रिया के साथ ‘छात्रों’ एवं ‘भूगोल’ दो कर्म प्रयुक्त हुए हैं । अतः “पढ़ा रहे हैं” द्विकर्मक क्रिया है । (2) प्रयोग तथा संरचना के आधार पर :-वाक्य में क्रियाओं का प्रयोग कहाँ किया जा रहा है, किस रूप में किया जा रहा है, इसके आधार पर भी क्रिया के निम्न भेद होते हैं – (१) सामान्य क्रिया –जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया का प्रयोग हुआ हो ,उसे सामान्य क्रिया कहते हैं । जैसे – महेंद्र जाता है । संतोष आई । (२) संयुक्त क्रिया –जो क्रिया दो या दो से अधिक भिन्नार्थक क्रियाओं के मेल से बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं । जैसे- (३) प्रेरणार्थक क्रिया –वे क्रियाएँ, जिन्हें कर्त्ता स्वयं न करके दूसरों को क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है ,उन क्रियाओं को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं । जैसे- 🔸दुष्यंत हेमंत से पत्र लिखवाता है । (४) पूर्वकालिक क्रिया –जब किसी वाक्य में दो क्रियाएँ प्रयुक्त हुई हों तथा उनमें से एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले संपन्न हुई हो तो पहले संपन्न होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है । जैसे- 🔸धर्मेंद्र पढ़कर सो गया । यहाँ सोने से पूर्व पढ़ने का कार्य हो गया । अतः ‘पढ़कर’ क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाएगी । (५) नामधातु क्रिया –वे क्रियापद ,जो संज्ञा ,सर्वनाम, विशेषण आदि से बनते हैं ,उन्हें नामधातु क्रिया कहते हैं । जैसे- रंगना, लजाना, अपनाना, गरमाना, चमकाना, गुदगुदाना । (६) कृदन्त क्रिया –वे क्रियापद जो क्रिया शब्दों के साथ प्रत्यय लगने पर बनते हैं, उन्हें कृदन्त क्रियापद कहते हैं । जैसे- 🔸चल से चलना , चलता ,चलकर (७) सजातीय क्रिया –वे क्रियाएँ, जहाँ कर्म तथा क्रिया दोनों एक ही धातु से बनकर साथ प्रयुक्त होती है । जैसे- 🔸भारत में लड़ाई लड़ी । (८) सहायक क्रिया –किसी भी वाक्य में मूल क्रिया की सहायता करने वाले पद को सहायक क्रिया कहते हैं । जैसे- 🔸अरविंद पड़ता है । उपयुक्त वाक्यों में ‘हैं’ तथा ‘दी है’ सहायक क्रियाएँ हैं । (3) काल के अनुसार –जिस काल में कोई क्रिया होती है, उस काल के नाम के आधार पर क्रिया का नाम भी रख देते हैं । अतः काल के अनुसार क्रिया तीन प्रकार की होती है – काम वाले शब्द कौन कौन से हैं?10 कामवाले शब्द नीचे दिए गए हैं।. बर्तन धोना।. कपड़े धोना ।. पानी भरना।. घर के कमरों से जाले निकालना।. घर के कमरों की साफ सफाई करना।. घर के रसोई घर की सफाई करना।. खाना बनाना।. सब्जियां धोना।. काम करने वाले शब्द को क्या कहते है?वाक्य में प्रयोग - खाना, सोना, चलना इत्यादि क्रिया शब्द हैं ।
वाक्य में क्रिया का क्या महत्व है?व्याकरण में कोई भी वाक्य क्रिया के बिना पूरा नहीं होता है।
प्रत्येक भाषा के वाक्य में क्रिया का बहुत महत्त्व होता है। प्रत्येक वाक्य क्रिया से ही पूरा होता है। क्रिया किसी कार्य के करने या होने को दर्शाती है। क्रिया हमें समय सीमा के बारे में संकेत देती है।
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