कुंडली में धन योग कैसे देखे? - kundalee mein dhan yog kaise dekhe?

ज्योतिष: कुंडली में ऐसे बनता है धन योग, जानिए कब होगी आपके ऊपर धन वर्षा

पं. मनोज कुमार द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य, नई दिल्ली Published by: रुस्तम राणा Updated Tue, 17 Aug 2021 07:10 AM IST

सार

लक्ष्मी योग-लग्नेश बली हो और नवमेश उच्च या स्वराशि में होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो यह योग होता है। अथवा लग्नेश एवं नवमेश की युति या परस्पर स्थान परिवर्तन हो तो भी यह योग होता है।

कुंडली में धन योग कैसे देखे? - kundalee mein dhan yog kaise dekhe?

कुंडली में धन योग - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

धन के बिना जीवनयापन करना दूभर है। यदि आपकी कुंडली में धनकारक योग हैं तो योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशाओं में धन की प्राप्ति कराते हैं। आप अपनी कुंडली को सामने रखकर यहां अंकित धनकारक योगों को खोजिए, यदि ये हैं और योगकारक ग्रहों की दशा भी आ रही है तो आपको धनलाभ अवश्य होगा। धनकारक योग इस प्रकार हैं-

  1. लक्ष्मी योग-लग्नेश बली हो और नवमेश उच्च या स्वराशि में होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो यह योग होता है। अथवा लग्नेश एवं नवमेश की युति या परस्पर स्थान परिवर्तन हो तो भी यह योग होता है। अथवा नवमेश एवं शुक्र ग्रह उच्च या स्वराशि का होकर केन्द या त्रिकोण में स्थित हो तो यह योग होता है। यदि यह योग कुंडली में हो तो जातक योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में धन एवं सभी भौतिक सुख साधनों को पाता है।
  2. महाधन योग-दशमेश एवं एकादशेश की युति दसवें भाव में हो तो यह योग होता है। यदि यह योग कुंडली में हो तो जातक योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में धन एवं सभी भौतिक सुख साधनों को पाता है।
  3. धनमालिका योग-दूसरे भाव से लगातर सूर्यादि सातों ग्रह सातों राशि में स्थित हों तो यह योग होता है। यह योग जातक को धनी बनाता है।
  4. अति धनलाभ योग-लग्नेश दूसरे स्थित हो, धनेश ग्याहरवें स्थित हो और एकादशेश लग्न में स्थित हो तो जातक कम प्रयासों में आसानी से बहुत धन अर्जित करता है।
  5. बहु धनलाभ योग-लग्नेश दूसरे भाव में और द्वितीयेश लग्न में स्थित हो या ये दोनों ग्रह शुभ भाव में एक साथ बैठे हों तो जातक बहुत धन अर्जित करता है।
  6. आजीवन धनलाभ योग-एक से अधिक ग्रह दूसरे भाव में स्थित हों और द्वितीयेश एवं गुरु बली हो या उच्च या स्वराशि में हो तो जातक जीवनपर्यन्त धनअर्जित करता रहता है।
  7. धन प्राप्ति योग-द्वितीयेश एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो तो जातक बहुत धन कमाता है।
  8. विष्णु योग-नवमेश, दशमेश और नवांश कुण्डली का नवमेश दूसरे भाव में स्थित हो तो यह योग जातक को बहुत धन अर्जित कराता है।
  9. वासुमति योग-गुरु, शुक्र, बुध व चन्द्र लग्न से तीसरे, छठे, दसवें एवं एकादश भाव में स्थित हों तो जातक अत्यधिक धनी होता है।
  10. धनयोग-यदि चन्द्र व मंगल की युति शुभराशि में हो तो जातक बहुत धन कमाता है।
  11. शुभकर्तरी योग-शुभग्रह दूसरे एवं बारहवें स्थित हों तो जातक बहुत धन पाकर प्रसन्नता सहित अनेक तरह के भोग भोगता है।

    
यदि आपकी कुंडली में एक या एक से अधिक योग स्थित हों तो ये योगकारक ग्रहों की दशा में धनी बनाते हैं और सभी भौतिक सुख-साधनों को उपलब्ध कराकर धनलाभ कराते हैं। 

कुंडली में धन भाव कौन सा होता है?

उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि जन्म कुंडली में द्वितीय भाव को धन भाव कहा जाता है। इस भाव में जो भी राशि हो, उसके स्वामी ग्रह को धनेश या धन का मालिक कहा जाता है।

कुंडली में धन योग कब बनता है?

जन्म कुंडली में अगर दूसरे भाव पर केन्द्र त्रिकोण के स्वामी ग्रह स्थित हों, शुभ ग्रह स्थित हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो इस कारण व्यक्ति की कुण्डली में अच्छा धन योग बनता है. जन्म कुण्डली के दूसरे भाव पर अष्टम में शनि की मित्र दृष्टि आ रही हो और तो जातक को पैतृक संपत्ति से धन योग की अच्छी प्राप्ति होती है.

कौन सा ग्रह धनवान बनाता है?

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी जन्मपत्री मे बुध कन्या या मिथुन राशि में पांचवें घर में और मंगल एवं चन्द्रमा ग्यारहवें घर में होता है उनकी कुण्डली में धन योग बनता है। ऐसे व्यक्ति धनवान होते हैं।

लक्ष्मी नारायण योग क्या होता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लक्ष्मी नारायण योग कुंडली में स्थित बुध और शुक्र ग्रह की युति से बनता है। बुध को बुद्धि-विवेक और हास्य का कारक माना जाता है। वहीं शुक्र सौंदर्य, भोग विलास के कारक हैं। इन दोनों ग्रहों की युति जातक को रोमांटिक और कलात्मक प्रवृत्ति का बनाता है।