झारखण्ड में विद्रोह (Revolt in Jharkhand)
अंग्रेजों के विरुद्ध झारखण्ड में विद्रोह (Revolt in Jharkhand) (1765-1857 ई.)
Show अन्य कारण
ढाल विद्रोह (1767-77 ई.)
चुआर विद्रोह (1769-1805 ई.)
चेरो विद्रोह (1770-1771 ई.)
भोगता विद्रोह (1770-1771 ई.)
चुआर विद्रोह (1772-1773 ई.)
पड़हिया/पहाडि़या विद्रोह (1769-1805 ई.)
तमाड़ विद्रोह (1782-1821 ई.)
तिलका विद्रोह (1784-1785 ई.)
तिलका माँझी से संबंधित प्रमुख तथ्य
विद्रोह का महत्त्व
हो विद्रोह (1820-1821 ई.)
चेरो विद्रोह (1800-1819 ई.)
कोल विद्रोह (1831-1832 ई.)
(i) कोल विद्रोह, (ii) भूमिज विद्रोह और (iii) संथाल विद्रोह।
कोल विद्रोह के कारण
अन्य तत्कालीन कारण-
कोल विद्रोह के परिणाम
कोल विद्रोह के अन्य प्रमुख तथ्य
भूमिज विद्रोह (1832-1833 ई.)
संथाल विद्रोह (1855-1856 ई.)
हुल क्रांति के अन्य कई कारण-
निम्नलिखित घोषणाएँ:
संथाल विद्रोह के मुख्य तथ्य
सरदारी विद्रोह (1831-1832 ई.)
सरदारी आंदोलन तीन चरणों में संपन्न हुआ-
भूमि आंदोलन (1858-1881 ई.)
पूराने मूल्यों की पुर्नस्थापना का आंदोलन (1881-1890 ई.)
सफाहोड़ आंदोलन (1831-1832 ई.)
खरवार या खेखाड़ आंदोलन (1874 ई.)
मुण्डा उलगुलान/बिरसा आंदोलन (1899-1900 ई.)
आंदोलन उद्भव के कारण
बिरसा मुण्डा आंदोलन के परिणाम
बिरसा मुण्डा का जीवन
बिरसा मुंडा से संबंधित प्रमुख तथ्य
विद्रोह के कारण
विद्रोह का महत्त्व
बंधुआ मजदूरी (बेठ बेगारी) पर प्रतिबंध
ताना भगत आंदोलन (1914 ई.)
जतरा भगत के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-
ताना आंदोलन के प्रमुख तथ्य
हरि बाबा आंदोलन (1931 ई.)
आदिवासियों के विद्रोह का क्या नाम था?मुंडा आदिवासीयों ने 18वीं सदी से लेकर 20वीं सदी तक कई बार अंग्रेजी सरकार और भारतीय शासकों, जमींदारों के खिलाफ विद्रोह किये। बिरसा मुंडा के नेतृत्व में 19वीं सदी के आखिरी दशक में किया गया मुंडा विद्रोह उन्नीसवीं सदी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जनजातीय आंदोलनों में से एक है। इसे उलगुलान(महान हलचल) नाम से भी जाना जाता है।
झारखंड का प्रथम जनजातीय विद्रोह कौन सा था?ढाल विद्रोह -
यह झारखण्ड राज्य का पहला जनजाति विद्रोह है जिसकी शुरुआत वर्ष 1767 में हुआ। ढाल विद्रोह का नेतृत्व ढालभूम के राजा जगन्नाथ ढाल ने किया।
झारखंड में सर्वप्रथम विद्रोह कहाँ हुआ था?आरम्भ Begining Of 1857 Revolt In Jharkhand- झारखंड में सिपाही विद्रोह का आरंभ तत्कालीन संताल परगना जिला के रोहिणी गाँव में हुआ था। यह स्थान आज देवघर जिला के जसीडीह के निकट अजय नदी के किनारे स्थित है। इसकी 12 जून 1857 को 5वीं देशी अनियमित घुड़सवार सेना के कुछ जवानों ने किया था।
झारखंड में कुल कितने विद्रोह हुए थे?अंग्रेजों के समय झारखंड क्षेत्र में कुल 13 विद्रोह हुए जिनमें से कुछ प्रमुख विद्रोहों का उल्लेख किया गया है।
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