जीवन में बाधाएं आने पर मनुष्य परिश्रम न करें तो क्या होगा? - jeevan mein baadhaen aane par manushy parishram na karen to kya hoga?

जीवन में बाधाएं आने पर मनुष्य परिश्रम न करें तो क्या होगा? - jeevan mein baadhaen aane par manushy parishram na karen to kya hoga?

April 23, 2018 Unseen Passages 54,502 Views

निम्नलिखित गद्यांश को पढकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

परिश्रम ऐसी साधना है जिसके द्वारा मनुष्य महान कार्य कर सकता है| परिश्रमी मनुष्य संसार में क्या नहीं कर सकता? वह पर्वत की चोटियों पर चढ़ सकता है, दुरूह- से दुरूह रेगिस्तानों को पार कर सकता है, कठिनाइयों को झेल सकता है और कठिन से कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करके उन्हें अपने जीवन के अनुरूप बना सकता है| जिस व्यक्ति में परिश्रम का गुण है, जिसमें पुरुषार्थ की प्रवित्ति है, वह अपने जीवन में कदापि दुःख और निराशा आँधियों से भयभीत नहीं होता| व्यक्ति के जीवन के साथ पारिवारिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन में भी परिश्रम का महत्व है| परिश्रम के बिना व्यक्ति समाज तथा राष्ट्र का जीवन खोखला ही रह जाता है| परिश्रम से जीवन में गतिशीलता आती है| यह गतिशीलता ही जीवन का वास्तविक चिन्ह होती है|निश्चेष्ट जीवन व्यतीत करने वालों की असफलता और अपयश के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होता| गति के अभाव में जीवन की स्तिथि घाट के पत्थर जैसी होती है| जबकि मनुष्य के जीवन में पग-पग पर बाधाएं अपना जाल बिछा बैठी होती है| उसी समय यदि मनुष्य परिश्रम न करे तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकेगा|

1. उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

प्रश्न (क) परिश्रम के बिना क्या खोखला रह जाता है?

  1. व्यक्ति का जीवन
  2. राष्ट्र का जीवन
  3. व्यक्ति समाज और राष्ट्र का जीवन

प्रश्न (ख) निश्चेष्ट जीवन व्यतीत करने वालों को क्या प्राप्त नहीं होता?

  1. असफलता और अपयश
  2. सफलता और यश
  3. इनमें से कोई नहीं

प्रश्न (ग) जीवन का वास्तविक चिन्ह क्या है?

  1. परिश्रम का महत्व
  2. श्रम
  3. समाज का महत्व

प्रश्न (घ) जीवन में सफलता के लिए हमे अंदर से किसके रूप में पानी मिलता है?

  1. इच्छा शक्ति के रूप में
  2. परिश्रम के रूप में
  3. परिश्रम और बाधाओं के रूप में
  4. सफलता के रूप में

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो|
(क) लेखक ने परिश्रम को क्या माना है?
(ख) ‘मृत्यु’तथा ‘यश’ शब्दों के विलोम शब्द गद्यांश से छांटकर लिखिए|
(ग) यदि मनुष्य परिश्रम न करे तो क्या होगा?

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो|
(क) एक छात्र के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है? बताइए कैसे? (मूल्यपरक प्रश्न)
(ख) पुरुषार्थ की प्रवृत्ति वाला मनुष्य क्या कर सकता है?

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कर्म और भाग्य कभी-कभी इसलिए साथ नहीं दे पाते हैं, क्योंकि राह में किसी और का भी रोड़ा आ जाता है। अधिक परिश्रम करने के बावजूद किसी भी प्रकार का कोई शुभ परिणाम या मनचाहा परिणाम नहीं निकल पाता है। ऐसे में 4 में से किसी एक तरह की बाधा हो सकती है या चारों- 1. ग्रह बाधा, 2. गृह बाधा, 3. पितृ बाधा और 4. देव बाधा। हम यहां चारों तरह की बाधाओं के कारण और निवारण बताएंगे।  

ग्रह से ज्यादा प्रभाव गृह का होता है अर्थात ग्रह-नक्षत्र से ज्यादा घर के वास्तु का प्रभाव होता है। यदि दोनों सही हैं तो फिर पितृ बाधा पर विचार किया जा सकता है। यदि यें तीनों भी सही हैं और फिर भी कर्म असफल हो रहा है, तो अंत में देव बाधा मानी जा सकती है। आओ जानते हैं उक्त बाधाओं के कारण और निवारण...

अगले पन्ने पर पहली बाधा...

सिर्फ इच्छा करने मात्र से ही हमें सफलता नहीं मिलती बल्कि सफलता पाने के लिए अपने भीतर आत्मविश्वास को जगाना होता है और साथ ही दृढ़ संकल्पित होने की भी आवश्यकता होती है। दृढ़ संकल्प में अद्भुत शक्ति होती है, जिसकी मदद से हम अपने जीवन में न सिर्फ सफलता बल्कि चिंताओं से भी मुक्ति पा सकते हैं।
ईश्वर ने मनुष्य का निर्माण ही कुछ इस प्रकार से किया है कि उसके सामने जब तक भागने का एक भी उपाय शेष रहता है, तब तक वह कष्ट पाने की अपेक्षा भागने के लिए ही लालायित रहता है। ऐसे व्यक्ति को विजय तभी प्राप्त हो सकती है, जब वह अपने दिल में दृढ़ संकल्प कर ले कि मनोवांछित चीज हासिल कर के रहूंगा।

जूलियस सीजर के बारे में कहा जाता है कि वह नेपोलियन की तरह अंतिम निर्णय लेने में माहिर था। युद्ध के समय वह तमाम दुविधाओं एवं विकल्पों को ही नष्ट कर दिया करता था। जब भागने का कोई मार्ग खुला न हो तो मनुष्य के लिए डटकर मुकाबला करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं होता है। इस स्थिति में योद्धा असहनीय कष्ट और कठिनाइयों को सहन करते हुए भी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता है।

यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली बाधाओं पर विजय प्राप्त करने का निश्चय कर लेता है तो उसके भीतर एक आंतरिक महाशक्ति का उदय होता है। दृढ़ संकल्प में असीम शक्ति होती है जो व्यक्ति को किसी भी प्रकार की बाधाओं से जूझने में सक्षम बनाती है।

जब कोई व्यक्ति आत्मा से प्रतिज्ञा करता है कि वह लक्ष्य प्राप्ति में सफल होकर रहेगा, तो उसके अंदर की तमाम शक्तियां आश्चर्यजनक रूप से उजागर होने लगती हैं। जब उसकी आत्मा लक्ष्य पर अटल रहती है, तब उसकी सभी योग्यताएं उसकी मदद करने में जुट जाती हैं और परिणामस्वरूप वह साधारण से असाधारण बन जाता है।

अटूट संकल्प में वह शक्ति है जो कितनी भी बाधाएं क्यों न आ जाए, वह उन पर निरंतर विजय प्राप्त करता हुआ आगे बढ़ता चला जाएगा। ऐसे दृढ़ संकल्पित व्यक्ति के लिए पीछे हटने की कोई गुंजाइश ही नहीं होती है। अत: हमें चाहिए कि हम विजयी होने का दृढ़ संकल्प करें, जो भी कार्य करें वह पूरा मन लगाकर करें। दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास द्वारा किए गए कार्य में असीम उत्साह होता है, इससे हमारी मानसिक योग्यताओं का भरपूर विकास होता है, हमारी कार्यक्षमता कई गुणा बढ़ जाती है।

यदि हम अपने उद्देश्य को पूरा करने का दृढ़ निश्चय कर चुके हैं, यदि हमने यह निर्णय कर लिया है कि चाहे जो कुछ भी हो, हम अपने उद्देश्य से विमुख नहीं होंगे। आधे मन से नहीं बल्कि पूरे मन से श्रम एवं प्रयास करेंगे तो हमें हमारे प्रगति-पथ से विचलित करने की शक्ति दुनिया के किसी भी पदार्थ अथवा मनुष्य में नहीं है।

जो व्यक्ति संपूर्ण श्रद्धा से, दृढ़ संकल्प से, अटूट निष्ठा के साथ अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु जुट जाता है, उसके संकल्प से ही उसकी तमाम शक्तियां संगठित होकर उसके कार्य में नियोजित हो जाती हैं। ऐसा व्यक्ति कभी पीठ नहीं दिखाता, वह आगे और आगे बढ़ता जाता है, उसका हर कदम प्रगति की ओर अग्रसर होता रहता है।

शेक्सपियर का कथन है- ‘साहस और आत्मविश्वास से अवसर की पहचान होती है’। यदि हम एक कोने में बैठकर जीवन गुजारने लगें तो यह बेहतरीन 'टॉनिक' हमें कोई लाभ पहुंचा नहीं सकेगा। हमें हर रात सोने से पूर्व तथा प्रात: कार्य आरंभ करने से पहले दृढ़ संकल्प लेना चाहिए- ‘मैं यह कर सकता हूं और कर के रहूंगा’।

हमें उपरोक्त वाक्य को अपना आदर्श बना लेना चाहिए तथा इस विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए कि कुछ भी हमारी पहुंच से बाहर नहीं है। यदि आप सफलता के इच्छुक हैं तो अपने आप से वादा करें, प्रण करें, प्रतिज्ञा करें कि मनचाही सफलता के लिए आप कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, अपने श्रम एवं प्रयास में कोई कमी नहीं आने देंगे।

अपने निर्णय पर हम जितना भरोसा करेंगे, उसी अनुपात में हमें सफलता भी प्राप्त होगी। यदि हमारा संकल्प विजय का संकल्प है तो हमारी सफलता निश्चित है।

Iv जीवन में बाधाएं आने पर मनुष्य परिश्रम न करें तो क्या होगा?

गति के अभाव में जीवन की स्थिति घाट के पत्थर जैसी होती है . जबकि मनुष्य के जीवन में पग -पग पर बाधाएं अपना जाल बिछा बैठी होती है . उसी समय यदि मनुष्य परिश्रम न करें तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकेगा .

परिश्रम के बिना क्या खोखला रह जाता है * क व्यक्ति लोग व पुरुषार्थ ख लोग ग व्यक्ति समाज व राष्ट्र घ सभी विकल्प सही है?

परिश्रम के बिना व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र का जीवन खोखला ही रह जाता है। परिश्रम एक साधना है जिसकी सहायता से मनुष्य अपने जीवन में जो चाहे प्राप्त कर सकता है। परिश्रम से कोई कार्य असंभव नह है। परिश्रमी मनुष्य पर्वत की चोटियों पर चढ़ सकता है, बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को झेल सकता है।

लेखक ने परिश्रम को क्या माना है *?

Answer: लेखक के अनुसार धूल में लिपटा किसान आज भी अभिजात वर्ग की उपेक्षा का पात्र है। किसान उसकी उपेक्षा सहनकर मिट्टी से प्यार करता है और अपने परिश्रम से अन्न पैदा करता है। यह उसके परिश्रमी होने का प्रमाण है।

परिश्रम को क्या माना गया है?

जीवन में सफलता पुरुषार्थ से ही प्राप्त होती है। कहा भी है- उद्योगी पुरुष सिंह को लक्ष्मी वरण करती है। जो भाग्यवादी हैं, उन्हें कुछ नहीं मिलता।