प्रकृति की सुंदरता से क्या तात्पर्य है? - prakrti kee sundarata se kya taatpary hai?

विषयसूची

  • 1 मानव की प्रकृति क्या है?
  • 2 प्रकृती हमारी मित्र हैं इस विषय पर अपने विचार 10 15 वाक्यों में लिखिए?
  • 3 मानव प्रकृति के साथ क्यों खिलवाड़ करने लगा?
  • 4 प्राकृतिक सुंदरता क्या होती है?
  • 5 प्रकृति का मानवीकरण से क्या तात्पर्य है इसके कोई दो उदाहरण लिखिए?
  • 6 मनुष्य की प्राकृतिक प्रवृत्ति क्या है?
  • 7 प्रकृति मनुष्य को क्या संदेश देती है?
  • 8 प्रकृति में प्रत्यय क्या है?

मानव की प्रकृति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमानव प्रकृति की एक अनिवार्य धारणा – “मानव प्रकृति उन गुणों का समूह है जो मानव होने के लिए अलग से आवश्यक और संयुक्त रूप से पर्याप्त हैं।” इन गुणों को भी आमतौर पर मनुष्य के विशिष्ट के रूप में माना जाता है । वे मनुष्यों के लिए भी आंतरिक हैं और उनके सार के लिए अंतर्निहित हैं।

प्रकृती हमारी मित्र हैं इस विषय पर अपने विचार 10 15 वाक्यों में लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंहर तरह से प्रकृति मानव का पोषण करती आई हैं. तथा यह अनंत काल से मानव की सहचरी रही हैं. मगर मनुष्य ने अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति के साथ मित्रता के नाते को फिर से धूमिल कर दिया हैं. प्रकृति की सुंदरता को समाप्त कर इसके साथ दासी जैसा व्यवहार करना आरम्भ कर दिया हैं. कुदरत ने मानव के लिए पृथ्वी की सुंदर रचना की हैं.

23 प्रकृति का सुंदर कैसे है अपने शब्दों में लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति ही एक ऐसा साधन है जो मनुष्य को खुश रखती है। स्वस्थ एवं सुखी जीवन जीने के लिए प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण उपलब्ध कराती है, इसलिए मैं उसके अस्तित्व को खत्म नहीं होने दूँगी। अपने स्वार्थ की पूर्ति करने वाले लोगों को मैं प्रकृति को नुकसान पहुँचाने से रोकने की हर संभव कोशिश करूँगी।

प्रकृति के मानवीकरण से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंवास्तव में, पर्यावरण से प्राप्त संसाधन ही संभावनाओं को जन्म देते हैं। मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भू-दृश्य की रचना करती हैं, जिनकी छाप प्राकृतिक वातावरण पर सर्वत्र दिखाई पड़ती है। इस तरह प्रकृति का मानवीकरण होने लगता है।

मानव प्रकृति के साथ क्यों खिलवाड़ करने लगा?

इसे सुनेंरोकेंमनुष्य जब से धरती पर आया है, तब से वह उसके चेहरे को बदलता रहा है। खेतीबाड़ी के आने से पहले ही उसने जंगल को बदलना शुरू कर दिया था और जानवरों को गायब करने लगा था, लेकिन पिछले 150 साल में तो उसने धरती को बड़ी तेजी से बदला है। तेजी से बढ़ती आबादी और तकनीक ने उसकी पूरी प्रकृति को ही तोड़-मरोड़ दिया है।

प्राकृतिक सुंदरता क्या होती है?

इसे सुनेंरोकेंसूर्योदय की लालिमा, आसमान का नीलापन, बादलों की सफेदी और रात के समय आकाश में टिमटिमाते तारें सुंदरता का बोध कराते हों। परन्तु विज्ञान में प्रकृति की सुंदरता का आशय “प्रकृति का एक रूप में पाया जाना या एक समान बने रहना” से होता है।

23 प्रकृति संरक्षण के लिए हमें क्या कदम उठाने होंगे?

निबंध 1 (300 शब्द)

  • पानी का सीमित उपयोग Ad.
  • बिजली का सीमित उपयोग प्रकृति के संरक्षण के लिए बिजली के उपयोग को भी सीमित करना आवश्यक है।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और सब्जियां उगाकर
  • प्रस्तावना
  • पानी की खपत कम करके
  • बिजली का उपयोग कम करके
  • कागज़ का सीमित उपयोग करके
  • नई कृषि पद्धतियों का उपयोग करें

प्रकृति से हमें क्या लाभ होता है?

प्रकृति निस्वार्थ जिना सिखाती है– प्रकृति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह अपनी चीजों का उपभोग स्वयं नहीं करती।

  • मौसम सिखाते है जीवन के अलग अलग रुप — प्रकृति हमें कई महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है।
  • प्रकृति से जुड़े सेहत के लाभ–प्रकृति माँ की तरह की होती है जो हमें कभी नुकसान नहीं पहुँचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करती है।
  • प्रकृति का मानवीकरण से क्या तात्पर्य है इसके कोई दो उदाहरण लिखिए?

    इसे सुनेंरोकेंमानव को स्वतंत्र कारक बताया गया है। प्रत्येक स्थान पर संभावनाएँ हैं और मानव इन संभावनाओं का स्वामी है। सांस्कृतिक और तकनीकी ज्ञान प्रकृति का उपयोग करने में सक्षम है। नार्वे के ट्रांडहीम में रहने वाली कैरी का उदाहरण ।

    मनुष्य की प्राकृतिक प्रवृत्ति क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंजैसे अग्नि की मौलिक प्रकृति जलाना, बर्फ की प्रवृति ठंडक प्रदान करना है। उसी तरह आत्मा की मौलिक प्रकृति परमात्मा के प्रति प्रेम है। आत्मा का परमात्मा से मिलन ही उसकी मौलिकता है। निष्काम भाव से परमात्मा के प्रति प्रेम ही मनुष्य का धर्म है।

    मानव प्रकृति के बारे में आपके क्या विचार है?

    इसे सुनेंरोकेंप्रकृति और मनुष्य के बीच बहुत गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं। इतना ही नहीं, मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा गुरु नहीं है।

    प्रकृति का मानवीकरण क्या है?

    प्रकृति मनुष्य को क्या संदेश देती है?

    इसे सुनेंरोकेंAnswer: Explanation: प्रकृति हमें निष्काम भाव से सेवा करने का संदेश देती है। जैसे सूर्य बिना किसी लाभ के अपनी ऊर्जा समस्त प्राणी जगत को देता है और सम्पूर्ण प्राणी जगत उसकी निष्काम भाव से सेवा का अनुसरण करते है और इस क्रम को आगे ले जाते है।

    प्रकृति में प्रत्यय क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंइसमें क्त, क्तवतु, क्त्वा, ल्यप् , तुमुन्, शतृ, शानच्, क्तिन्, तव्यत्, अनीयर् आदि प्रत्यय आते हैं।

    सुंदरता क्या है ?

    सुंदरता क्या है? यक्ष और महाशिवरात्रि 2016 के अवसर पर ईशा योग केंद्र में ठहरने के दौरान मशहूर फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने सुंदरता, डिजाइन, फैशन और योग पर चर्चा के लिए सद्‌गुरु से मुलाकात की।

    ArticleNov 12, 2021

    सुंदरता सहजता है

    सुंदरता का अर्थ

    सब्ससाची मुखर्जी: सुंदरता के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, मगर मैंने हमेशा यह महसूस किया है कि सुंदरता वास्तव में खुद को स्वीकार करने और आपकी सहजता से उभरती है। जिस पल आप खुद को लेकर सहज होते हैं, आप सुंदर महसूस करते हैं। स्टाइल वह है जब एक पांच फुट एक इंच की महिला किसी पार्टी में हील न पहनकर फ्लैट सैंडल पहने। मेरे ख्याल से जब आप खुद को स्वीकार करते हैं, तो आपका आत्मविश्वास दूसरे लोगों को आपकी ओर आकृष्ट करता है। शायद असली सुंदरता यही है। 

    पुरुषों की सुंदरता या पुरुषों के लिए सुंदरता की परिभाषा क्या है?

    सब्यसाची: मेरे ख्याल से वह भी सहजता और आराम है। देखिए, आज की दुनिया में हम सब के साथ क्या होता है। मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं। मैं योग नहीं करता और काम के दबाव के कारण शरीर के साथ भी बहुत नाइंसाफी करता हूं। मैं ध्यानलिंग में बैठा हुआ था, जब तक कि घंटी नहीं बजी। एक लंबे समय के बाद मैंने खुद के साथ पंद्रह मिनट बिताए थे। मेरे ख्याल से हममें से ज्यादातर लोग सुंदर इसलिए नहीं महसूस करते क्योंकि हम खुद की नहीं सुनते। यही वजह है कि हम हमेशा अच्छा महसूस करने के लिए कपड़ों, ब्रांड, फैशन को सुरक्षा कवच की तरह इस्तेमाल करते हैं। हम यह तक नहीं जानते कि हम पर उनका कोई असर भी पड़ रहा है या नहीं। इसके उल्टा, समय के साथ वह हमसे हमारा आत्मविश्वास छीन लेता है। इसलिए मेरे ख्याल से चाहे पुरुष हो या स्त्री, सुंदरता सहजता से शुरू होती है।

    ब्रह्माण्ड की हर चीज़ में सुंदरता है

    संचालक: सद्‌गुरु, आपके अनुसार सुंदरता क्या है?

    सद्‌गुरु: अगर कोई सुंदरता का पारखी हो, तो उसके लिए हर ऐसी चीज - चाहे वह मशीन हो, चींटी, कोई कीट, मनुष्य, कपड़े या इमारतें - जिसमें भी कम से कम संघर्ष हो सुंदर है। मैं बचपन से ही हर तरह के जीव पर काफी ध्यान देता था, इसमें बहुत समय बिताता था। मैंने पाया कि रंग, ज्यामिति और कार्यकलाप की विविधता में एक नन्हे से कीड़े की बनावट भी बहुत शानदार होती है। आप किसी भी जीव को देखें, तो आप पाएंगे कि प्रकृति और क्रमिक विकास ने कितनी सुंदरता से उसका रूप संवारा है। न सिर्फ सूर्योदय या सूर्यास्त जैसी कोई बड़ी चीज, बल्कि छोटे से छोटे जीवों की बनावट भी बहुत सुंदर होती है।

    अगर आप अंदाजा लगाते हैं कि कोई कीट अपने आकार और ऊर्जा की तुलना में कितना क्रियाकलाप करता है, तो यह साफ हो जाता है कि वह ज्यामितीय दृष्टि से संपूर्ण है और न्यूनतम संघर्ष और टकराव के साथ काम कर रहा है। अच्छी बनावट वाली हर चीज मुझे रोमांचित करती है – चाहे वह मशीन हो, इमारत हो, या कोई कीड़ा, पशु या मनुष्य। जहां तक इंसानों की बात है, तो जब वे आनंदित और उत्साहित होते हैं, तो हर किसी का चेहरा सुंदर लगता है। शरीर को सुंदर रखने में थोड़ी मेहनत लगती है। बहुत से लोग धरती के आकार के हो रहे हैं। जब मैं बड़ा हो रहा था, तो लगभग हम सभी लोग दुबले-पतले थे क्योंकि हम शारीरिक रूप से काफी सक्रिय होते थे। आजकल स्कूली बच्चे काफी हद तक मोटे हैं।

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    सुंदरता की तकनीकी परिभाषा

    इसका मतलब यह नहीं है कि गोल-मटोल व्यक्ति सुंदर नहीं है। आप हर चीज में सुंदरता देख सकते हैं। लेकिन जब हम तकनीकी रूप से सुंदरता की बात करते हैं, तो मेरे ख्याल से इसका मतलब ज्यामितिय रूप से सटीक होना है। जब कोई प्रणाली कम से कम संघर्ष के साथ काम करती है, तो उसके काम करने का तरीका सुंदर होता है। यह बात हर चीज पर लागू होती है। उदाहरण के लिए ध्यानलिंग का गुंबद ज्यामितिय सटीकता के कारण खड़ा है, उसमें लगी सामग्री की मजबूती के कारण नहीं। यही चीज आश्रम की दूसरी इमारतों के साथ भी है, आदियोगी आलयम गोलाई में मुड़े हुए बीम के साथ बनाया गया है। हम हमेशा हर इमारत को ज्यामितिय दृष्टि से सटीक बनाना चाहते हैं ताकि हमें कम सामग्री की जरूरत पड़े।

    विकास की प्रक्रिया में हमेशा ज्यामिति पर ध्यान दिया गया है। धरती अपनी धुरी पर इसलिए है क्योंकि उसने एक तरह की ज्यामितिय संपूर्णता पा ली है। अगर वह जरा भी अपनी कक्षा से बाहर चली जाए, तो फिर वापस नहीं आ सकती। पूरा ब्रह्मांड ज्यामितिय रूप से संपूर्ण है। जब मैं किसी पेड़, बादल, पुरुष, स्त्री, या किसी भी चीज की ओर देखता हूं, तो मुझे सबसे पहले ज्यामिति दिखती है, बाकी सब कुछ गौण होता है। अस्तित्व का कोई भी रूप, जो किसी तरह का ज्यामितिय तालमेल नहीं प्राप्त कर पाता, वह अधिक दिन नहीं टिकेगा, चाहे वह कुछ भी हो। पूरी योगिक प्रणाली का मकसद आपके शरीर को ब्रह्मांडीय ज्यामिति के तालमेल में लाना है, ताकि अगर आप दो दिन तक यहां बैठे रहें, तो भी कोई समस्या न हो क्योंकि आप शरीर की ज्यामिति को समझ चुके हैं।

    संचालक: यह दिलचस्प है कि आप दोनों ने अपने उत्तरों में सौंदर्य को एक अलग श्रेणी के रूप में नहीं देखा। बहुत सारे लोग मानते हैं कि उपयोगी चीज और सुंदर चीज किसी न किसी रूप में अलग हैं। निश्चित रूप से जब सब्यसाची, आप सहजता की बात करते हैं, तो आप उपयोगिता को सुंदरता के रूप में देखते हैं। और सद्गुरु, आप ज्यादा मूलभूत रूप में उपयोगिता की ही बात करते हैं। क्या अकुशलता, अयोग्यता सुंदर हो सकती है? मैं किसी फूल जैसी चीज के बारे में सोच रही हूं, जिसकी उपयोगिता पौधे को छोड़कर किसी और के लिए नहीं है। मगर देखने वाले के लिए वह असाधारण रूप से सुंदर है - क्योंकि उसमें तालमेल और ज्यामिति है। क्या आप यही कह रहे हैं?

    सद्गुरु: फूल इतनी नाजुक चीज है, मगर जब तक उसका मकसद पूरा नहीं होता, वह तब तक खिला रहता है। वह इतना नाजुक और कमजोर होता है, कि ज्यामितिय तालमेल के बिना बने रहना उसके लिए संभव नहीं होता। वास्तव में प्रकृति में सब कुछ ज्यामितिय तालमेल में है, क्योंकि प्राकृतिक शक्तियां ज्यामितिय रूप से सटीक होती हैं।