कथेतर गद्य से क्या आशय है - kathetar gady se kya aashay hai

कथात्मक गद्य से आप क्या समझते हैं?

कथेतर साहित्य भारतीय साहित्य की वह शाखा है, जिसमें दर्शाए गए स्थान, व्यक्ति, घटनाएँ और सन्दर्भ पूर्णतः वास्तविकता पर ही आधारित होते हैं। इसके विपरीत कपोल कल्पना है, जिसमें कथाएँ कुछ मात्रा में या पूरी तरह लेखक की कल्पना पर आधारित होतीं हैं। उनमें कुछ तत्व वास्तविकता से हटकर होते हैं

कथेतर गद्य विधाएँ कौन सी है?

साहित्य की सार्थकता में निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, जीवनी, आत्मकथा, रिपोर्ताज, यात्रा वर्णन, व्यंग्य, डायरी, सम्बोधन आदि कथेतर गद्य विधाओं का योगदान भी महत्त्वपूर्ण हैं। चरित्रगत अध्ययन एवं वैचारिक लेखन की दृष्टि से निबंध, आत्मकथा, यात्रा-वर्णन, जीवनी आदि विधाएँ काफी महत्त्वपूर्ण है।

कथेतर गद्य साहित्य में क्या संकलित है?

कथेतर गद्य साहित्य में निबंध, संस्मरण, डायरी, आत्मकथा, जीवनी, रेखाचित्र, यात्रा वर्णन, और रिपोर्ताज आदि को रखा जाता है। आधुनिक युग के नवजागरण काल में कथेतर साहित्य का विकास अपनी चरमसीमा पर पहुँचा है। आजकल गद्य की विधाओं में निबंध विधा का एक विशिष्ट स्थान ।

हिंदी साहित्य की कितनी विधाएं हैं?

संस्कृत साहित्य के समान ही हिन्दी साहित्य में भी नाटक (अनेकांकी एकांकी, रेडियोरूपक आदि) तथा पद्य (महाकाव्य, खण्डकाव्य, मुक्तक, तुकान्त, अतुकान्त आदि) और गद्य की अनेक विधायें : लघुकथा, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य, यात्र वृत्तान्त, निबन्ध, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, गद्यकाव्य आलोचना तथा समीक्षा आदि हैं