जाटों की शादी कैसे होती है - jaaton kee shaadee kaise hotee hai

जाट युवक-युवतियों ने ढूंढे भावी जीवन साथी

जाटों की शादी कैसे होती है - jaaton kee shaadee kaise hotee hai

जाट भवन मे आयोजित परिचय सम्मेलन मे लड़का-लड़की के परिचय देखते आए हुएं लोग

मेरठ।

जनकपुरी स्थित जाट भवन में रविवार को आयोजित युवक-युवती परिचय सम्मेलन में पहुंचे युवक-युवतियों ने अपने भावी जीवन साथी को ढूंढा। इसमें उनके माता पिता ने भी सहयोग किया। पंजीकृत 510 युवक युवतियों में से 75 मौके पर ही विवाह के लिए सहमत हो गए। जाट समाज ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संकल्प लेते हुए समाज के गरीब परिवार की लड़की की शादी कराने का जिम्मा लिया।
जाट समाज शास्त्रीनगर क्षेत्र ने परिचय सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरूआत वैदिक यज्ञ से हुई। आयोजकों ने सभी पंजीकृत युवक युवतियों की फोटो समेत पूरी जानकारी डिस्पले कर दी। युवक युवतियों के साथ उनके माता-पिता और भाई-बहन भी पहुंचे। संगठन के मीडिया प्रभारी गजेंद्र पायल ने बताया कि सम्मेलन में छह मंडलों मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़ और बरेली के 510 युवक युवतियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। 75 युवक-युवतियों के विवाह की सहमति बन गई है। सभी परिवारों को परिचय पुस्तिका दी गई। इसमें सभी रजिस्टर्ड युवक युवतियों और उनके परिवार की संपूर्ण जानकारी है।

इससे पहले पूर्व मंत्री स्वामी ओमवेश ने समाज में फैली कुरीतियों को खत्म कर आगे बढ़ने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि चौ. देवी सिंह सिंभालका ने कहा कि परिचय सम्मेलन से समाज को बहुत राहत मिली है। ऐसे कार्यक्रमों की संख्या बढ़नी चाहिए। इस मौके पर चौ. कप्तान सिंह, दिगंबर सिंह, चौ. कल्याण सिंह, डीएस वर्मा, सुरेंद्र राठी, वीरेंद्र आर्य, हरवीर सिंह सुमन, डॉ. नरेंद्र तोमर, वीरसैन तोमर, रणसिंह तोमर, राजपाल मलिक, इंद्रपाल काजला, ब्रजपाल पैसल, सत्यवीर सिवाच, महावीर मलिक, सतेंद्र सिंह, ब्रह्मपाल सिंह आदि मौजूद रहे।

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Posted by: Shaadi99

जाटों की शादी कैसे होती है - jaaton kee shaadee kaise hotee hai

राजेश (काल्पनिक नाम) मैं राजस्थान के सीकर जिले से हूं। 24 मार्च 2013 को मुईनुद्दीन चिस्ती के शहर अजमेर में मेरी जेलपहरी की परीक्षा थी। मैं और मेरा बड़ा भाई जो मुझ से एक बरस ही बड़ा है । दोनों ने परीक्षा दी और हम ट्रेन से अजमेर से अगले स्टेशन फुलेरा के लिए रवाना हुए । हमने अगले स्टेशन फुलेरा में ट्रेन बदली मेरे शहर सीकर के लिए। परीक्षा थी इस कारण ट्रेन पूरी तरह भरी हुई थी। ज़्यादातर ट्रेन में लड़के ही थे। मेरे ट्रेन के डिब्बे में चार लड़कियाँ आकर बैठ गई। मैं और मेरा भाई ट्रेन कि ऊपर की बर्थ पर बैठे थे। मेरी लड़कियों को घूरने की आदत नहीं इसलिए में अपने कानों में इयर फोन डाल के मेरे फोन  लेकिन एक लड़की जो आँखों पे चश्मा लगाये ठीक मेरे सामने नीचे की सीट पर बैठीं थी लगातार मुझे घूरे जा रही थी ।
मैंं अपनी मस्ती में था मुझे नहीं पता वो मुझे घूर रही हैं । मेरा भाई जो मेरे पास ही बैठा था उसने मुझे धीरे से कोहनी मारी और कहा नीचे देख वो लड़की जब से आकर बैठी है तुझे ही देख रही हैं । और सारे डिब्बे के लड़के उसे देख रहे हैं।
मैंने जब उसे पहली बार देखा वो एक टक होकर मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी मैंने भी उसे एकटक होकर देखने की कोशिश की लेकिन में भोला शर्मिला छोरा ज़्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पाया।
लेकिन में बार-बार उसे देख रहा था। कुछ समय बाद में उसने इशारे में नम्बर माँगे।
मेरा दिल उस समय एक मिनट में जैसे 120 बार धड़क रहा हो ऐसा प्रतीत हो रहा था।
मैंं सोच रहा था कि इसे नम्बर कैसे दूँ। साथ में बैठी लड़कियों को पता चल जाएगा ट्रेन में बैठे लड़कों को पता चल जाएगा तो क्या होगा लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी पिछली ट्रेन जिससे में आया था उसकी टिकट मेरी ऊपरी जेब में थी । एग्ज़ाम देकर आया था इसलिए पेन तो था ही मेरे पास । मैंने टिकट के पीछे जहां नम्बर लिखने का कॉलम भी होता हैं । उसमे नम्बर लिखे और उस टिकट को गोल कर के उसकी तरफ़ देखने लगा कि कब वो मुझे इशारा करे ओर मैं उसकी ओर टिकट पर लिख नम्बर फैंक सकूं। इस दौरान मैं बुरी तरह कांप रहा था। लेकिन जैसे ही उसने मुझे इशारा किया मैंने तुरंत ही टिकट को उसकी ओर फैंक दिया ओर उसने भी जल्दी से टिकट उठा कर अपने पर्स में रख लिया। लेकिन इस दौरान ट्रेन में बैठे कुछ लड़के मुझे टिकट फैंकते देख लिया। अब इसके बाद हल्ला ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता तो पूरी ट्रेन में लड़कों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया लेकिन गनीमत रही के थोड़ी देर बाद उस लड़की का स्टेशन आ गया। उसने मुझे ट्रेन से उतरते हुए मुस्कराते हुए देखा ओर ट्रेन से उतर गई। लड़के अब भी तरह तरह के कमेंट्स कर रहे थे। मैं बहुत खुश था। उसी शाम को मैं अपने घर पहुंच गया। उसी शाम को ७ बजे के आस पास उसका फोन आया मैं तो इसी इंतजार में था जैसे ही मैंने अनजाना नंबर देखा मेरी धड़कने बहुत बढ गई जैसे ही मैंने फोन उठाया तो दूसरी ओर एक लड़की की आवाज आई। उसने अपना नाम राबिया बताया। वो मुस्लिम थी और मैं हिन्दू जाट। लेकिन कहते है ना प्यार में सब जायज है। लेकिन मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरा नम्बर एक लड़की ने मांगा लेकिन फिर अचानक उसे सवाल किया आपने उन लड़कों को हो हल्ला करने से क्यों नहीं रोका ? मेरा जवाब था क्या वो मेरे कहने से रूक जाते । लेकिन मेरे इस जवाब से वह असंतुष्ट दिखी। उस दिन कुछ ज्यादा बाते नहीं हुई बस क्या करते हो, पेपर कैसा रहा भविष्य में क्या करने का प्लान है नॉर्मल बाते हुई ओर फोन रख दिया गया। उस दिन के बाद फिर उसका एक हफ्ते के बाद कॉल आया। मैंने इस बार हैलो बोलते ही मैंने सवाल किया इतने दिन फोन क्यों नहीं किया। लेकिन उधर से जो जवाब आया मैं उसके लिए तैयार नहीं था ओर ना ही मुझे आशा थी। उसने एक क्षण के मौन के बाद जवाब दिया मेरी शादी थी। इस बार मौन होने की बारी मेरी थी। उसने बताया कि जब ट्रेन में मुलाकात हुई तो वह अपनी बहनों के साथ शादी की शॉपिंक करने के लिए गए हुए थे। उसकी बाते सुन कर मैंने उससे पूछा तुम्हारी शादी थी तो मुझ से फोन नम्बर क्यों लिया। क्या तुम मुझ से प्यार करने लगी थी। उसका जवाब था। शादी-शादी होती है और प्यार प्यार। फिर मेरी ओर उसकी प्रेम कहानी कभी मोबाईल से आगे नहीं बढ़ पाई उस दिन के बाद लगभग तीन महीने के बाद उसका फोन फिर आया उसने बताया कि वह अपनी ससुराल भीलवाड़ा जा रही है। मेरे शहर से लगभग ४०० किलोमीटर दूर। फिर उसके बाद हमारी कभी बात नहीं हुई।
मैं अब भी सोचता हूं कि आखिर वह क्या था। क्या सच है कि आखिर प्यार प्यार होता है ओर शादी शादी।

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जाटों की क्या पहचान है?

जाटों को भारतीय पौराणिक ग्रंथों में वर्णित चारों वर्णों में कोई स्थान नहीं मिला इसलिए ये एक अलग ही पहचान रखते हैं। इनकी चेहरे की बनावट, शारीरिक बनावट और क्षमता, त्वचा के रंग, रीति-रिवाज और शारीरिक हाव-भाव ही इनका इतिहास और इनके मूल स्थान का ब्यौरा देने के लिए काफी हैं।

जाट समाज के लोग कैसे होते हैं?

जाट मूल रूप से उत्तर भारत और पाकिस्तान में पाया जाने वाला पारंपरिक रूप से कृषकों का एक जाति समुदाय है. इनका इतिहास स्वर्णिम और प्राचीन है. यह एक आदिकालीन प्राचीनतम क्षत्रिय वर्ग है. यह शारीरिक रूप से मजबूत और आकर्षक तथा स्वभाव से उत्साही, मेहनती, बेवाक, अकखड़, स्पष्टवादी, साहसी और दबंग होते हैं.

जाट का जन्म कैसे हुआ?

ज्येष्ठ से जाट की उत्पत्ति - कुछ इतिहासकार जाट जाति की उत्पत्ति ज्येष्ठ शब्द से मानते है. ऐसी धरणा है कि राजसूय-यज्ञ करने के बाद युधिष्ठिर को 'ज्येष्ठ' घोसित किया गया था. आगे चल कर उनकी सन्तान 'ज्येष्ठ' से 'जेठर' तथा 'जेटर' और फ़िर 'जाट' कहलाने लगे.

जाटों के कितने होते हैं?

यह प्रायः शुद्ध रूप से जाटों और उसके समकक्षी दो तीन कृषक समुदायों में ही प्रचलित है। चन्द्रवंश चंद्रवंशी ययाति शक्तिशाली और विजेता सम्राट् हुआ तथा अनेक आनुश्रुतिक कथाओं का नायक भी। उसके पाँच पुत्र हुए – यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु, अनु और पुरु। इन पाँचों ने अपने अपने वंश चलाए और उनके वंशजों ने दूर दूर तक विजय कीं।