भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए ऊँची उड़ान / चंद्रसेन विराटKavita Kosh से जिसकी ऊंची उड़ान होती है। उसको भारी थकान होती है।
आंख उसकी जुबान होती है।
धूप में सायबान होती है।
ज़िंदगी वो बयान होती है।
चोट वाला निशान होती है।
कान तक जो कमान होती है।
उसकी कोई सुजान होती है।
जिसकी बेटी जवान होती है।
ज़िंदगी धूपदान होती है। |