प्रिलिम्स के लिये:जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (RBD), 1969 Show मेन्स के लिये:जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे चर्चा में क्यों?हाल ही में केंद्र सरकार ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (RBD), 1969 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है।
प्रमुख बिंदु
स्रोत: द हिंदूजन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम कब पारित किया गया था?1.3 जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 के लागू होने के बाद से भारत में जन्म, मृत जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इस अधिनियम के अंतर्गत रजिस्ट्रीकरण घटना घटित होने के स्थान के आधार पर किया जाता है। अधिनियम के अनुसार जन्म, मृत जन्म और मृत्यु की सुस्पष्ट परिभाषा आगामी अध्याय में दी गयी है ।
मृत्यु प्रमाण पत्र में संशोधन कौन करता है?मैं मृत्यु प्रमाणपत्र में किस तरह संशोधन करवा सकता/सकती हूं? मृत्यु प्रमाणपत्र में बदलाव या संशोधन संभव है। यह प्रक्रिया उस व्यक्ति से संपर्क करने के साथ प्रारंभ होती है जिसने मृत्यु को प्रमाणित किया। वह इलाज करने वाला डॉक्टर, कोरोनर या चिकित्सा परीक्षक हो सकता है और मृत्यु प्रमाण पत्र पर उसका नाम और पता दर्ज होता है।
मृत्यु रजिस्ट्रीकरण कितने दिन मे किया जाना चाहिए?बर्थ और डेथ के 21 दिन के अंदर रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है। इसके बाद से 30 दिन तक रजिस्ट्रेशन कराने पर कुछ एक्स्ट्रा फीस ली जाती है। इसके बाद और एक साल के अंदर रजिस्ट्रेशन कराने पर एक्स्ट्रा फीस के अलावा एक ऐफिडेविट भी लिया जाता है। रजिस्ट्रेशन कराए जाने के सात दिनों में सर्टिफिकेट मिल जाना चाहिए।
राज्य में मुख्य जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार कौन होता है?स्पष्टीकरण: जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 से यह ज्ञात होता है कि किसी अस्पताल, स्वास्थ्य केन्द्र, प्रसूति या परिचर्या गृह या वैसी ही किसी संस्था में जन्म या मृत्यु की बाबत घटना की जानकारी रजिस्ट्रार को देने का उत्तरदायित्व धारा 8 (1) (ख) के अधीन भारसाधक चिकित्सा अधिकारी या उसके द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत ...
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