जिला परिषद सदस्य का चुनाव कैसे होता है? - jila parishad sadasy ka chunaav kaise hota hai?

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जिला परिषद के अध्यक्ष पद के लिए रोस्टर तय

राज्यमें पंचायत चुनावों के बाद जिला परिषद में अध्यक्ष का रोस्टर पंचायती राज विभाग ने तय कर दिया है। इसके तहत चार जिलों में ही अध्यक्ष का पद सामान्य वर्ग के नेताओं के लिए आरक्षित होंगे। हालांकि इसके लिए लाबिंग चुनाव परिणाम के बाद ही शुरू होनी है, लेकिन अध्यक्ष पद के लिए रोस्टर का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था।

प्रदेश में इसके जारी होने के बाद अब यह तय हो गया है कि किस जिले में किस वर्ग से जीते जिला परिषद प्रत्याशी को अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा।

ऐसेचुना जाता है अध्यक्ष

जिलापरिषद के अध्यक्ष का चुनाव जिला परिषद के चुनावों के बाद होता है। अध्यक्ष का चुनाव जिले के विभिन्न जिला परिषद क्षेत्रों से जीत कर आए परिषद सदस्य करते हैं। अध्यक्ष के चयन को लेकर यदि विजेता सदस्यों में सहमति नहीं बनती है, तो इसके लिए सदस्य चुनाव का भी सहारा लेते हैं। चुनाव में जिस सदस्य को सबसे अधिक मत मिलते हैं उसे अध्यक्ष घोषित किया जाता है और वह जिला परिषद सदस्यों की होने वाली बैठकों की अध्यक्षता करता है।

^जिला परिषद के अध्यक्षों के का रोस्टर जिलावार घोषित कर दिया गया है। इस बार चार जिलों को ओपन रखा गया है। अनिलशर्मा, पंचायती राज मंत्री, हिमाचल प्रदेश

विभाग की ओर से जारी किया गया रोस्टर

जिलाआरक्षण

बिलासपुरअनुसूचित जाति

शिमला अनुसूचित जाति महिला

कुल्लू अनुसूचित जाति महिला

लाहौल स्पीति अनुसूचित जनजाति

किन्नौर अनुसूचित जनजाति

ऊना ओबीसी महिला

कांगड़ा महिला

मंडी महिला

चंबा अनारक्षित

हमीरपुर अनारक्षित

सोलन अनारक्षित

सिरमौर अनारक्षित

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  • जिला परिषद सदस्य के लिए मैट्रिक तो सरपंच के लिए आठवीं पास होना जरूरी

जिला परिषद सदस्य के लिए मैट्रिक तो सरपंच के लिए आठवीं पास होना जरूरी

पंचायतीराजचुनावों को लेकर जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और सरपंच पद के उम्मीदवारों के घरों में स्वच्छ शौचालय के अलावा अब उनकी योग्यता को लेकर पंचायतीराज विभाग ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो इन पदों के लिए चुनाव लड़ने वाले जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्यों को कम से कम मेट्रिक पास होना जरूरी होगा। जबकि सरपंच पद के उम्मीदवार को कम से कम मिडल यानी 8वीं पास होना जरूरी होगा। नए प्रस्ताव के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। अध्यादेश जारी होते ही पंचायतीराज अधिनियम की धारा 19 में संशोधन लागू हो जाएगा। फिलहाल इनके लिए कोई शैक्षणिक योग्यता तय नहीं है। अगर नया प्रस्ताव पास हो जाता है तो जनवरी में होने वाले पंचायतीराज चुनावों उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता की शर्त को अनिवार्य कर दिया जाएगा। मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो कुल 31 जिला परिषद सदस्य में से मात्र 11 जने ही यह पात्रता रखते हैं। वहीं पंचायत समिति सदस्यों की बात करें तो जिले की आठों पंचायत समिति में सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता नहीं के बराबर है। नए अध्यादेश से ग्रामीण इलाकों में चुने जाने वाले शिक्षित जनप्रतिनिधि बेहतर कार्य कर पाएंगे तथा इससे काम प्रभावित भी नहीं होगा।

कितने पढ़े-लिखे हैं हमारे सरपंच

नएअध्यादेश में सरपंचों के लिए शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास तय की गई है। इसकी तुलना में जिले की 264 ग्राम पंचायतों पर गौर करें तो इनमें से मात्र 42 सरपंच ही 8वीं से 12वीं तक पढ़े-लिखे हैं। जबकि 17 सरपंच स्नातक और इससे अधिक पढ़े-लिखे हैं। वहीं 264 में से 171 सरपंच सिर्फ साक्षर हैं जो खाली पढ़ना-लिखना जानते हैं।

इनमें से काफी सरपंच ऐसे हैं जो मात्र खुद का नाम लिखना और पढ़ना ही जानते हैं।

पंचायत समिति सदस्यों की स्थिति

आठोंपंचायत समिति में हाल फिलहाल 162 पंचायत समिति सदस्य हैं। जिनमें से 65 साक्षर मात्र हैं, जिन्हें खाली पढ़ना-लिखना ही आता है। जबकि 29 सदस्य निरक्षर हैं, इनमें से सर्वाधिक सायला में 9, सांचौर में 8 और चितलवाना में 6 सदस्य निरक्षर हैं। इसी तरह 162 सदस्यों में 18 सदस्य 10वीं पास हैं, जबकि 2 स्नातक हैं। इनमें खास बात तो यह है कि भीनमाल जसवंतपुरा पंचायत समिति में एक भी सदस्य 10वीं या इससे ज्यादा शिक्षित नहीं है।

वहीं 1

जिला परिषद सदस्य का चुनाव कैसे होता है? - jila parishad sadasy ka chunaav kaise hota hai?

Zilla Parishad: जिला स्तर पर जिला परिषद (जिला पंचायत) सबसे उच्च संस्था है जो ग्राम पंचायत एवं पंचायत समितियों के नीति निर्धारण व मार्गदर्शन का भी काम करती है।

73वें संविधान संशोधन के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में जिले स्तर पर जिला परिषद (जिला पंचायत) के गठन का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक जिले में एक जिला परिषद होती है जिसे कई राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। 

जैसे- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ‘जिला पंचायत’।

राजस्थान, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों इसे जिला परिषद के नाम से जाना जाता है।

जिला परिषद का नाम उस जिले के नाम पर होता है। जैसे- जिला पंचायत-आगरा या जिला परिषद- अजमेर

जिला परिषद सदस्य का चुनाव कैसे होता है? - jila parishad sadasy ka chunaav kaise hota hai?

जिला परिषद का गठन (constitution of district council)

जिला परिषद का गठन जिला परिषद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा उस जिले के अंतर्गत लोक सभा और विधान सभा के निर्वाचित सदस्य भी शामिल होते हैं। लेकिन ये सदस्य जिला परिषद के अध्यक्ष के निर्वाचन में शामिल नहीं होते हैं। इन सदस्यों को स्थाई सदस्य न कहकर पदेन सदस्य कहते हैं। 

जिला परिषद के सदस्यों का चुनाव (election of the members of the Zilla Parishad)

जिला परिषद के चुनाव के लिए जिला परिषद को छोटे-छोटे ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा जाता है जिसकी आबादी लगभग 50,000 होता है। इन सदस्यों का चुनाव ग्राम सभा सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है। जिला पंचायत के सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए जरूरी है कि प्रत्याशी की उम्र 21 साल से कम न हो। यह भी जरूरी है कि चुनाव में खड़े होने वाले सदस्य का नाम उस निर्वाचन जिला की मतदाता सूची में शामिल हो।

जिला परिषद के अध्यक्ष का चुनाव (election of the president of the district council)

राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य यथाशीघ्र जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। जिला पंचायत में कुल चुने जाने वाले सदस्यों में से यदि किसी सदस्य का चुनाव किसी कारण से नहीं भी होता है तो भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं रूकता और चुने गए जिला पंचायत सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव कर लिया जाता है।

यदि कोई व्यक्ति संसद या विधान सभा का सदस्य हो, किसी नगर निगम का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो, नगरपालिका का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो या किसी नगर पंचायत का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो तो वह जिला पंचायत अध्यक्ष या उपाध्यक्ष नहीं बन सकता।

जिला परिषद में आरक्षण (reservation in zilla parishad)

जिला परिषद के अध्यक्ष और जिला परिषद सदस्यों के पदों पर आरक्षण लागू होगा। पंचायती राज अधिनियम के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ी जाति के लोगों के लिए आरक्षण लिए आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात पर निर्भर करेगा।

इसके अलावा सभी पदों एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान है। वर्तमान समय में कई राज्यों में महिलाओं के लिए यह आरक्षण बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। 

इन राज्यों में पंचायतों के प्रत्येक दूसरा पद महिलाओं के लिए आरक्षित है। लेकिन, यह आरक्षण प्रणाली चक्रानुक्रम/रोस्टर के अनुसार आवंटित किए जाते हैं।

नोट- अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोग अनारक्षित सीट पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। इसी तरह से अगर कोई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं की गई है तो वे भी उस अनारक्षित सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।

जिला परिषद अध्यक्ष और उसके सदस्यों का कार्यकाल (Term of the Zilla Parishad President and its members)

ग्राम पंचायत व पंचायत समिति की तरह ही जिला परिषद का एक निश्चित कार्यकाल होता है। पंचायती राज अधिनियम में दिए गए नियमों के अनुसार जिला परिषद का कार्यकाल जिला परिषद की पहली बैठक की तारीख से 5 वर्षों तक होगा। 

जिला पंचायत के सदस्यों का कार्यकाल यदि किसी कारण से पहले नहीं समाप्त किया जाता है तो उनका कार्यकाल भी अर्थात 5 वर्ष तक होगा। यदि किसी खास वजह से जिला पंचायत को उसके नियत कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है तो 6 महीने के भीतर उसका चुनाव कराना जरूरी होगा। नए सदस्यों का कार्यकाल बाकी बचे समय के लिए होगा।

जिला परिषद की बैठक (district council meeting)

जिला परिषद के कार्यों के संचालन हेतु संविधान में जिला परिषद की बैठक का प्रावधान किया गया है। जिसके अंतर्गत हर दो महीने में जिला परिषद की कम से कम एक बैठक जरूर होगी।

जिला परिषद की बैठक को बुलाने का अधिकार अध्यक्ष को है। अध्यक्ष की गैर हाजिरी में यह कार्य जिला परिषद उपाध्यक्ष करता है। इसके अतिरिक्त जिला परिषद की अन्य बैठकें भी बुलाई जा सकती है। सभी बैठक जिला परिषद कार्यालय में होगी। अगर बैठक किसी अन्य स्थान पर होना निश्चित की गई है तो इसकी सूचना सभी को पूर्व में दी जाती है। 

बैठक में जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी से प्रशासन से संबंधी कोई विवरण, आंकड़े, सूचना, कोई प्रतिवेदन, अन्य ब्यौरा या कोई पत्र की प्रतिलिपि मांग सकते है। अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी बिना देर किए मांगी गई जानकारी सदस्यों को देना होता है।

जिला परिषद के कार्य/ जिला पंचायत के कार्य

जिला परिषद एक समन्वय और पर्यवेक्षण करने वाला निकाय है। साधारणतया यह निम्नलिखित कार्यों का सम्पादन करती है। 

जैसे-

(1) जिला परिषद का वार्षिक बजट तैयार करना।

(2) राज्य सरकार द्वारा जिलों को दिए गए अनुदान को पंचायत समितियों में वितरित करना।

(3) प्राकृतिक संकट के समय राहत - कार्य का प्रबन्ध करना।

(4) पंचायत समितियों द्वारा तैयार की योजनाओं का समन्वय करना।

(5) पंचायत समितियों तथा ग्राम पंचायतों के कार्यों का समन्वय तथा मूल्यांकन करना।

(6) ग्रामीण और कुटीर उधोगों को प्रोत्साहन देना।

(7) कृषि का विकास करना।

(8) लघु सिंचाई,मत्स्य पालन तथा जलमार्ग का विकास करना।

(9) अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के कल्याण की योजना बनाना।

(10) शिक्षा का प्रसार करना। 

इससे स्पष्ट है कि जिला परिषद पूरे जिले से आई प्राथमिकताओं व लोगों की जरूरतों का समेकित कर एक जिला योजना तैयार करती है, जो क्षेत्र विशेष के हिसाब से उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर होती है। इस प्रकार जिला योजना में स्वीकृत योजना का क्रियान्वयन किया जाता है।

जिला परिषद अध्यक्ष के कार्य (Functions of Zilla Parishad President)

  • जिला परिषद अध्यक्ष का प्रमुख कार्य जिला पंचायत तथा समितियों की जिसका वह सभापति है उनकी बैठक बुलाना और उनकी अध्यक्षता करना है।

  • अध्यक्ष का कर्तव्य है कि वह बैठकों में व्यवस्था बनाए रखे तथा बैठकों में लिए गए निर्णयों की जानकारी रखे।

  • वित्तीय प्रशासन पर नजर रखना तथा योजनाओं के अनुरूप वित्तीय प्रबंधन की निगरानी करना।

  • अध्यक्ष को ऐसे कार्य भी करने होते हैं जो सरकार द्वारा समय-समय पर उन्हें दिए जाते हैं।

जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

जिला पंचायत के अध्यक्ष को अपने पद की गरिमा के अनुरूप कार्य न करने अथवा संविधान द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को पूर्ण न करने की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा पद से हटाया जा सकता है। अर्थात यदि अध्यक्ष अपने कार्यों को ठीक प्रकार से नहीं करता है तो राज्य सरकार नियत प्रक्रिया व नियमों के अनुसार उसे निश्चित अवसर देकर पद से हटा भी सकती है।

अधिनियम में दी गई प्रकिया के अनुसार जिला परिषद के अध्यक्ष या किसी उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव किया जा सकता है तथा उस पर कार्यवाही की जा सकती है। अविश्वास प्रस्ताव करने के अभिप्राय का लिखित नोटिस जिला परिषद के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या में कम से कम आधे सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किया गया होगा। 

प्रस्तावित प्रस्ताव की प्रति के साथ नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों में से किसी के द्वारा व्यक्तिगत रूप से उस जिलाधिकारी को दिया जाएगा। इसके बाद जिलाधिकारी- उक्त प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जिला परिषद की बैठक जिला परिषद के कार्यालय में अपने द्वारा निश्चित तिथि को बुलायेगा। जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों को ऐसी बैठक का कम से कम 15 दिनों की नोटिस ऐसी रीति से देगा जो नियत की जाए।

जिला परिषद का बजट (budget of district council)

जिला पंचायत को हर वर्ष जिले का वार्षिक बजट तैयार करना होता है। जिला पंचायत इस बजट को वित्त समिति के परामर्श से तैयार करेगी। इस तैयार बजट को पूर्व निर्धारित तिथि को जिला परिषद की बैठक में अध्यक्ष के माध्यम से प्रस्तुत किया जायेगा।

प्रस्तावित बजट को जिला परिषद अगर चाहे तो संशोधन हेतु वापस भी कर सकती है। अगर बजट वापस नहीं होता तो जिला परिषद इसे पारित कर देती है। यदि बजट संशोधन हेतु लौटाया जाता है तो कार्य समिति नए सिरे से इस बजट को बनाएगी जिसे अध्यक्ष द्वारा पुन: बैठक में प्रस्तुत कर पारित करवाया जायेगा।

जिला परिषद के अंतर्गत कार्य करने वाले अधिकारी (Officers working under Zilla Parishad)

  • मुख्य विकास अधिकारी

  • जिला पूर्ति अधिकारी

  • उप क्षेत्रीय विपणन अधिकारी

  • जिला वन अधिकारी

  • अधिशासी अभियन्ता- लोक निर्माण विभाग

  • अधिशासी अभियन्ता- विद्युत विभाग

  • सामान्य प्रबन्धक- जिला उद्योग केन्द्र

  • जिला अर्थ एवं संख्यिकी अधिकारी

जिला परिषद व पंचायत समिति के बीच संबंध (Relationship between Zilla Parishad and Panchayat Samiti)

जिला परिषद व पंचायत समिति के बीच उचित तालमेल व सामंजस्य के लिए 73वें संविधान संशोधन अधिनियम में विशेष प्रावधान किए गए है। जिसके अंतर्गत जिले में आने वाली समस्त क्षेत्र पंचायत के प्रमुख अपने जिले की जिला परिषद के भी सदस्य होगें। 

योजनाओं व कार्यक्रमों के नियोजन हेतु भी तीनों स्तर की पंचायतों को आपसी सामंजस्य से कार्य करने के नियम बनाए गए हैम। इन नियमों के अनुसार पंचायत समिति ग्राम पंचायत की वार्षिक योजनाओं के आधार पर अपनी पंचायत समिति के लिए विकास योजनाएं बनायेंगी। इस तैयार योजना को पंचायत समित अपने क्षेत्र की जिला परिषद को भेजेंगी।

इसी प्रकार जिला परिषद पंचायत समितियों की विकास योजनाओं के आधार पर अपने जिले के ग्रामीण इलाकों के लिए एक समग्र विकास योजना बनायेंगी। जिले के स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों की विकास योजना तभी सही तरीके से बन पायेंगी जब जिले की पंचायत समितियाँ सही समय पर योजनायें बनाकर जिला परिषद को भेजें।

जिला परिषद का महत्व (Importance of Zilla Parishad)

ग्राम पंचायत के द्वारा लोगों के हाथों में सत्ता पहुँचती है। ऐसा माना जाता है कि स्थानीय समस्याओं और जरूरतों की सबसे अच्छी समझ जनता के पास होती है। अब हर समस्या के निबटारे के लिए प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री तो नहीं आ सकते। इसलिए अपनी स्थानीय समस्याओं को सुलझाने के लिए लोगों को कुछ शक्ति मिलनी ही चाहिए।

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