(इस नश्वर) संसार में कोई स्थायी नहीं है।

संसार नश्वर है यहां कुछ भी स्थायी नहीं

Publish Date: Tue, 10 May 2011 08:41 PM (IST)Updated Date: Thu, 17 Nov 2011 12:12 AM (IST)

पडरौना, कुशीनगर :

अक्रूर जी के साथ कृष्ण को जाते देख गोपियां दु:खी हो गयीं। उन्हे सिवाय कृष्ण के कुछ नहीं सूझ रहा था। गोपियों की यह हालत देख भगवान कृष्ण ने शीघ्र वापस लौटने का उन्हें भरोसा दिलाया। गोपियों की पीड़ा देख अकू्रर जी के पूछने पर भगवान ने कहा कि संयोग-वियोग व मृत्यु ही सनातन सत्य है। इस नश्वर संसार में सब कुछ नाशवान है। यहां कुछ भी स्थायी नहीं है।

इस आशय के विचार अयोध्या से पधारे श्रीदास जी महाराज ने मंगलवार को खिरकिया शक्तिपीठ प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान जुटे श्रद्धालुओं में व्यक्त किये। महाराज ने कहा कि संसार के सभी प्राणियों का अंत तय है। यहां भगवान राम, कृष्ण आये और चले गये। तो आम इंसान की क्या बिसात। महराज ने कहा कि संत व भगवत कृपा से व्यक्ति को मिला यह अवसर उसके पूर्व कर्मो का नतीजा होता है। जिसका हर इंसान को सदुपयोग करना चाहिए। अवसर का दुरूपयोग किया व्यक्ति अपना सर्वस्व गवां बैठता है। इसका अंदाजा उसे तब होता है जब वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो पुन: उद्भव स्थल पर पहुंचता है। महाराज ने कहा कि भगवान ने यहां अवतार ले मानव जाति के लिए सम तथा विषम परिस्थितियों में भी अपने धर्म व मूल्यों की मर्यादा बनाये रखे। उन्होंने कहा कि अच्छे कर्मों की बदौलत व्यक्ति पर मोह व तृष्णा का अधिकार नहीं हो पाता। जिससे वह इन सांसारिक भंवरों से सदा दूर रहता है। किंतु तृष्णा के वश में जकड़े इंसान के पास सिवाय पछताने का कुछ भी नहीं रहता। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि कृष्ण के प्रति गोपियों त्याग अतुल्य है जो समस्त मानव जाति के लिए अविस्मरणीय रहेगा। कथा का शुभारंभ यजमान सुशीला श्रीवास्तव द्वारा पूजन-अर्चन कर हुआ। इस अवसर पर प्रमोद श्रीवास्तव, मनोज, विन्ध्यवासिनी, दिनेश, श्रीकृष्ण, नंदलाल निषाद, डा.कुर्बान अली, रामानंद प्रसाद, अनिरूद्ध, सुनील पासवान, अन्नू आदि उपस्थित रहे।

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