हवाई जहाज में कौन सा तेल भरा जाता है - havaee jahaaj mein kaun sa tel bhara jaata hai

आपने अक्सर हवाई जहाज को आसमान में उड़ते देखा होगा| आप में से बहुत लोग ऐसे हैं, जिन्होंने हवाई जहाज में सफर किया होगा और ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने सफर नहीं किया है| पर सभी ने हवाई जहाज देखा जरूर हैं|

तो क्या आपने कभी यह सोचा है या इस बात की ओर ध्यान दिया है, कि Aeroplane को आकाश में उड़ाने के लिए ईंधन (तेल) का उपयोग किया जाता है| इस बात से तो आप परिचित ही हैं, पर सोचने की बात यह है, कि यह ईंधन (तेल) कौन सा है ?

अगर हम आंकड़ों में बात करें तो 100 में से केवल एक या दो लोग ही ऐसे होंगे जिन्हें पता होका की Aeroplane में कौन सा तेल डाला जाता है| काफी लोग यह सोचते हैं कि Aeroplane में भी पेट्रोल या डीजल ढलता है, पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है|हवाई जहाज में एक विशेष प्रकार का तेल डाला जाता है, जिसे जेट फ्यूल या जेट ईंधन कहा जाता है|

जेट फ्यूल या जेट ईंधन होता क्या है –

जेट फ्यूल या जेट ईंधन एक विशेष प्रकार का ईंधन होता है, जो पेट्रोल डीजल से काफी महंगा होता है| यह शुद्ध केरोसिन का ही एक रूप है, अर्थात इसे शुद्ध केरोसिन से बनाया जाता है. इसकी प्रकृति रंगहीन, दहनशील प्रकार की होती है, जो बहुत ही शुद्ध होता है

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जेट फ्यूल भी दो प्रकार के होते हैं –

1. Jet A

2. Jet A1

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जेट फ्यूल का उपयोग हवाई जहाज में इसलिए किया जाता है, क्योंकि जेट फ्यूल या जेट ईंधन कम ताप में अर्थात माइनस टेंपरेचर में भी जमता नहीं है| अब मैं आपको बताती हूं, कि कब जेट फ्यूल के दो प्रकार Jet A तथा Jet A1 का उपयोग किया जाता है|

Know More

1. Jet A Fulel –

Jet A टाइप का ईंधन 40 डिग्री सेल्सियस पर जमता है|

2. Jet A1 Fuel –

Jet A1 टाइप का ईंधन 47 डिग्री सेल्सियस पर जमता है।

हम सभी जानते हैं, कि हवाई जहाज हमेशा धरती से 8 किलोमीटर से लेकर 12 किलोमीटर की ऊंचाई मतलब कि 24000 फीट से 36000 फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं| और इतनी ज्यादा ऊंचाई पर टेंप्रेचर हमेशा माइनस में होता है. और इस कारण से कोई भी साधारण तेल जैसे पेट्रोल-डीजल आसानी से जम जाएगा|

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इसी बात को ध्यान में रखते हुए सभी हवाई जहाजों में जेट फ्यूल या जेट ईंधन के दोनों प्रकार Jet A तथा Jet A1 का उपयोग किया जाता है, ताकि हवाई जहाज कितनी भी ऊंचाई पर हो तेल जम न सके

जिससे हवाई जहाज की किसी भी भाग या ईंजन में लगने वाले जंग से बचा जा सकता है| यह सब शुद्ध केरोसिन के कारण ही संभव है, जिससे जेट फ्यूल के रूप में हवाई जहाज में उपयोग में लाया जाता है|

आपको हमारी यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

विमानों में इस्तेमाल होने वाला ईंधन सस्‍ता हो गया है. विमान कंपनियों को अब प्रति किलोलीटर ईंधन के लिए 3 फीसदी कम दाम देना होगा. हम आपको इस खबर में विमान ईंधन के बारे में कई जरूरी जानकारी देंगे.

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हवाई जहाज में उनके इंजन के आधार पर ईंधन भरा जाता है.

करीब दो महीने बाद ATF यानी जेट ईंधन की कीमतों में 3 फीसदी की कटौती की गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में ​गिरावट के बाद जेट ईंधन अब 3 फीसदी तक सस्ता हो गया है. एविएशन टर्बाइन फ्युल (ATF) का भाव अब 1,887 रुपये प्रति किलोलीटर तक सस्ता हो गया है. अब एक किलोलीटर जेट ईंधन का भाव 58,374 रुपये पर आ गया है. फरवरी के बाद से लगातार चार बार बढ़ोतरी के बाद पहली बार जेट ईंधन की कीमतों में गिरावट आई है.

इसके पहले 1 फरवरी को जेट ईंधन का भाव 3,246.75 रुपये प्रति किलोलीटर महंगा हुआ था. 16 फरवरी को 3.6 फीसदी और 1 मार्च को 6.5 फीसदी का इजाफा हुआ था. 16 मार्च को एक बार फिर कीमतों में 860.25 रुपये प्रति किलोलीटर तक महंगा हुआ था.

इंजन के आधार पर यूज़ होता ईंधन

भारत में इंडियन ऑयल विमानन सेवा प्रमुख ईंधन कंपनी है जो अंतरराष्ट्रीय और घरेलू विमान कंपनियों को जेट ईंधन की सप्लाई करती है. विमानों में उनके ईंजन के प्रकार आधार पर यह तय होता कि उनमें किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल होगा. कॉमर्शियल विमानों और लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन केरोसिन आधारित होते हैं. इसमें पूरी तरह से शुद्ध केरोसिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा कुड एडिटिव्स का भी इस्तेमाल होता है. ये एडिटिव्स एंटी ऑक्सिडेंट्स, एंटीफ्रीज़, हाइड्रोकार्बन आदि का इस्तेमाल होता है.

सामान्यतौर पर ​इन विमानों में दो तरह के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है. ये ईंधन – जेट ईंधन और एविगैस होते हैं. जेट ईंधन को जेट इंजन को पावर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, एविगैस का इस्तेमाल छोटे टर्बोप्रॉप विमानों में इंजन पिस्टन को ड्राइव करने के लिए किया जाता है. इन पिस्टन ही विमान को उपर उड़ाने में प्रोपेलर्स की मदद करते हैं.

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कितने तरह के होते हैं विमान ईंधन?

हमने आपको पहले ही बताया दिया कि विमान में लगे ईंधन के आधार पर तय होता कि उसमें किस तरह का ईंधन इस्तेमाल होगा. अब जानते हैं कि इन ईंधन के बारे में…

जेट ईंधन: य​ह केरोसिन के आधार पर तैयार होने वाला रंगहीन ईंधन होता है. टर्बाइन इंजन वाले विमानों में इस तरह के ईंधन का इस्तेमाल होता है. जेट ईंधन के भी दो प्रकार हैं. इन्हें जेट ए और जेट ए1 कहा जाता है. इन दोनों तरह के ईंधन के फ्रीज़िंग प्वॉइंट्स, एडिटिव्स के आदि में अंतर होता है.

एविगैस: इसे एविएशन गैसोलिन कहते हैं. इस ईंधन का इस्तेमाल पिस्टन-इंजन वाले छोटे विमानों में होता है. आमतौर पर इस तरह के विमानों का इस्तेमाल फ्लाइंग क्लब, फ्लाइट ट्रेनिंग जेट्स और प्राइवेट पायलटों द्वारा इस्तेमाल होता है. एविगैस इकलौता ऐसा विमान ईंधन है जिसमें टेट्राइथाइल लेड एडिटिव का इस्तेमाल होता है. इससे विमानों के इंजन में किसी भी तरह के विस्फोट होने या इंजन फेल्योर आदि को रोकने में मदद मिलती है. हालांकि, इंसानों के लिए यह केमिकल बेहद ख़तरनाक माना जाता है. इसी केमिकल की मात्रा के आधार पर ही एविगैस के भी दो प्रकार होते हैं.

इन दोनों तरह के विमान ईंधन के अलावा भी कई ऐसे प्रकार के ईंधन होते हैं, जिनका इस्तेमाल विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है. इनका नाम TS-1, Jet B, JP-8 और JP-5 है.

TS-1: रूस समेत कई देशों में इस तरह के ईंधन का इस्तेमाल होता है. इसका फ्रीजिंग पॉइंट -50°C होता है. इस ईंधन का इस्तोमल बेहद ठंडे इलाकों में विमान उड़ाने के लिए किया जाता है.

Jet B: इस तरह के ईंधन में 30 फीसदी केरोसीन और 70 फीसदी गैसोलिन की मात्रा होती है. इस ईंधन का इस्तेमाल कनाडा और अलास्का जैसे बेहद बर्फीले इलाकों में उड़ने वाले विमानों में किया जाता है. इस तरह के ईंधन का फ्रीजिंग पॉइंट -60°C तक होता है.

JP-8:  इस ईंधन का इस्तेमाल मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स के लिए होता है. यह एयरक्राफ्ट जेट ए1 की तरह ही होता है. लेकिन, एंटी-आइसिंग और करोजन इ​नहीबिटर जैसे एडिटिव्स का इस्तेमाल होता है.

JP-5:  यह ईंधन कलर में हल्के पीले रंग का होता है और आमतौर पर इसका इस्तेमाल मिलिट्री एयरक्राफ्ट में होता है. यह ईंधन नैप्थीन और एल्केन जैसे हाइड्रोकार्बन का एक कॉम्प्लेक्ट कॉम्बिनेशन होता है.

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Airbus A321neo में ईंधन की खपत?

दिल्ली से मुंबई तक की दूरी 1200 किलोमीटर है और एयरबस ​ए321नियो फ्लाइट इस दूरी को 2 घंटे में तय करती है. अगर यह प्लेन 600 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भी चलती है तो इसका मतलब है कि एक मिटन में यह 10 किलोमीटर की दूरी तय करती है. एक आंकड़े के मुताबिक, यह प्लेन कुल दूरी तय करने के लिए 5,016 लीटर ईंधन का इस्तेमाल करेगी. इसका मतलब है कि यह प्लेन को दिल्ली से मुंबई जाने के लिए प्रति किलोमीटर में 4.18 लीटर ईंधन का खर्च करेगी. Airbus A321neo में हर सेकेंड 0.683 लीटर ईंधन खर्च होता है. इस प्लेन में कुल ईंधन की क्षमता 32,940 लीटर होती है.

बाईंग 747 ईंधन की खपत

बाईंग 747 हर सेकेंड 4 लीटर ईंधन का इस्तेमाल करती है. प्रति मिनट के हिसाब से देखें तो यह 240 लीटर और प्रति घंटे 14,400 लीटर प्रतिघंटे होती है. टोक्यो से न्यूयॉर्क शहर जाने के लिए बोईंग 747 को करीब 1,87,200 लीटर ईंधन की जरूरत होगी. बोईंग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से पता चलता है कि यह एक जेट इंजन 12 लीटर प्रति किलोमीटर ईंधन खर्च करती है. इसमें 2,38,840 लीटर ईंधन की क्षमता होती है.

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हवाई जहाज में कौन सा पेट्रोल लगता है?

विमानों में दो तरह के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है जेट ईंधन केरोसिन के आधार पर तैयार होने वाला रंगहीन ईंधन होता है। इसका इस्तेमाल टर्बाइन इंजन वाले विमानों में होता है। जबकि, एविगैस को एविएशन गैसोलिन कहते हैं। इसका इस्तेमाल पिस्टन-इंजन वाले छोटे विमानों में होता है।

फ्लाइट कौन से तेल से चलती है?

बस हवाई जहाज भी शुद्ध मिट्टी का तेल (केरोसिन) से चलता है।। घर वाले तेल में कुछ मिलावट की जाती है ताकि पहचानने में आसानी हो।। लेकिन जहाज का तेल शुद्ध होता है (दिखने में बिल्कुल पानी जैसा होता है)।। उसे जेट फ्यूल भी कहते हैं।।

हवाई जहाज का तेल कितने रुपए लीटर होता है?

LPG सिलेंडर (LPG Gas Cylinder) के दाम में बढ़ोतरी के बाद हवाई जहाज के तेल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है. 1 अप्रैल को जेट फ्यूल (Jet Fuel) यानी एटीएफ (ATF) के दाम 2 फीसदी बढ़कर 1,12,925/किलोलीटर हो गई है. पहले यह 1,10,666 रुपये किलोलीटर थी. नई दरें 15 अप्रैल, 2022 तक लागू होंगी.