हिंदी का प्रथम उपन्यास का नाम क्या है? - hindee ka pratham upanyaas ka naam kya hai?

Hindi Ka Pratham Upanyas Kaun Saa Hai

GkExams on 12-05-2019

परीक्षा गुरूहिन्दी का प्रथम उपन्यास था जिसकी रचना भारतेन्दु युग के प्रसिद्ध नाटककार लाला श्रीनिवास दास ने 25 नवम्बर,1882 को की थी।

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Shanu on 13-06-2022

Hindi ka padtmak pradhika pahla upnyas kaun sa hai

bhumika sahu on 23-05-2022

hindi ka parthm upnyas konsa hai

on 17-02-2022

हिंदी का पहला उपन्यास को सा हैं।

Shankar Lal kori on 11-02-2022

Hind kaa anchalit oupanayas kise mamaa jataa haa

9049407857 on 06-02-2022

Hindi ki Pratham Patrika kaun si hai

on 28-01-2022

Hindi ka pahla achcha lete upnyas Mana jata hai

PREM KUMAR MISHRA on 29-11-2021

हिंदी के प्रथम उपन्यास कौन है/

Fauzia on 09-03-2021

हिंदी का प्रथम उपन्यास कौन है

KOMAL YADAV on 27-02-2021

Hindi ka pehla upanyas kise mana jata h

Raini on 17-01-2021

Hindi ka pahla upnyas konsa hai

Pariksha Guru on 29-11-2020

Hindi ka Pratham upanyas kaun sa hai.

Karan marko on 24-11-2020

Hindi ka partham upnyas kon hai

Hindi kq prtham nibandh on 13-11-2020

Hindi ka partham nibandh

Atul kumar ojha on 29-10-2020

Bhagwati

हिंदी on 24-09-2020

हिंदी के प्रथम उपयास का नाम

Raman on 03-09-2020

Hans Patrika ke sampadak Kaun Hain

Divya on 29-07-2020

Hindi ka phela uonyas kise Mana jata h

इरफान अली on 12-01-2020

हिंदी का प्रथम उपन्यास है

Hindi ka Pratham Nivas kaun sa Mana jata hai on 28-12-2019

Hindi ka Pratham upnyas kaun sa Mana Jata Hai Prema tyagpatra Godan Pariksha Guru

Shamsher alam on 13-10-2019

Pream Chandra ke do upnaso ke name batayo

Sudha on 16-09-2019

Hindi ka pahala upanyas kisko mana jata hai

Kk on 27-07-2019

Hindi ka pratham upanyas

हरीश पथिक on 28-12-2018

अलग अलग विद्वानों ने अगल अलग माना है
परीक्षा गुरु भी
भाग्यवती भी

Sataram on 21-12-2018

Hindi ka pahla upnyas konsa hai or uska parichy



परीक्षागुरू  
हिंदी का प्रथम उपन्यास का नाम क्या है? - hindee ka pratham upanyaas ka naam kya hai?
लेखक लाला श्रीनिवास दास
देश भारत
भाषा हिन्दी
प्रकार उपन्यास
प्रकाशक मोतीलाल लाट मंत्री, ज्ञान वर्धक विभाग
प्रकाशन तिथि २५ नवम्बर, १८८२
मीडिया प्रकार छपाई (अजिल्द, सजिल्द)
पृष्ठ ३०९

परीक्षा गुरू हिन्दी का प्रथम उपन्यास था जिसकी रचना भारतेन्दु युग के प्रसिद्ध नाटककार लाला श्रीनिवास दास ने 25 नवम्बर,1882 को की थी।

कथानक हिंदी के प्रथम उपन्यास 'परीक्षा गुरु'[संपादित करें]

लाला श्रीनिवास कुशल महाजन और व्यापारी थे। अपने उपन्यास में उन्होंने मदनमोहन नामक एक रईस के पतन और फिर सुधार की कहानी सुनाई है। मदनमोहन एक समृद्ध वैश्व परिवार में पैदा होता है, पर बचपन में अच्छी शिक्षा और उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण और युवावस्था में गलत संगति में पड़कर अपनी सारी दौलत खो बैठता है। न ही उसे आदमी की ही परख है। वह अपने सच्चे हितैषी ब्रजकिशोर को अपने से दूर करके चुन्नीलाल, शंभूदयाल, बैजनाथ और पुरुषोत्तम दास जैसे कपटी, लालची, मौका परस्त, खुशामदी "दोस्तों" से अपने आपको घिरा रखता है। बहुत जल्द इनकी गलत सलाहों के चक्कर में मदनमोहन भारी कर्ज में भी डूब जाता है और कर्ज समय पर अदा न कर पाने से उसे अल्प समय के लिए कारावास भी हो जाता है।

इस कठिन स्थिति में उसका सच्चा मित्र ब्रजकिशोर, जो एक वकील है, उसकी मदद करता है और उसकी खोई हुई संपत्ति उसे वापस दिलाता है। इतना ही नहीं, मदनमोहन को सही उपदेश देकर उसे अपनी गलतियों का एहसास भी कराता है।

भाषा-शैली[संपादित करें]

उपन्यास 41 छोटे-छोटे प्रकरणों में विभक्त है। कथा तेजी से आगे बढ़ती है और अंत तक रोचकता बनी रहती है। पूरा उपन्यास नीतिपरक और उपदेशात्मक है। उसमें जगह-जगह इंग्लैंड और यूनान के इतिहास से दृष्टांत दिए गए हैं। ये दृष्टांत मुख्यतः ब्रजकिशोर के कथनों में आते हैं। इनसे उपन्यास के ये स्थल आजकल के पाठकों को बोझिल लगते हैं। उपन्यास में बीच-बीच में संस्कृत, हिंदी, फारसी के ग्रंथों के ढेर सारे उद्धरण भी ब्रज भाषा में काव्यानुवाद के रूप में दिए गए हैं। हर प्रकरण के प्रारंभ में भी ऐसा एक उद्धरण है। उन दिनों काव्य और गद्य की भाषा अलग-अलग थी। काव्य के लिए ब्रज भाषा का प्रयोग होता था और गद्य के लिए खड़ी बोली का। लेखक ने इसी परिपाटी का अनुसरण करते हुए उपन्यास के काव्यांशों के लिए ब्रज भाषा चुना है।

उपन्यास की भाषा हिंदी के प्रारंभिक गद्य का अच्छा नमूना है। उसमें संस्कृत और फारसी के कठिन शब्दों से यथा संभव बचा गया है। सरल, बोलचाल की (दिल्ली के आस-पास की) भाषा में कथा सुनाई गई है। इसके बावजूद पुस्तक की भाषा गरिमायुक्त और अभिव्यंजनापूर्ण है। वर्तनी के मामले में लेखक ने बोलचाल की पद्धति अपनाई है। कई शब्दों को अनुनासिक बनाकर या मिलाकर लिखा है, जैसे, रोनें, करनें, पढ़नें, आदि, तथा, उस्समय, कित्ने, उन्की, आदि। “में” के लिए “मैं”, “से” के लिए “सैं”, जैसे प्रयोग भी इसमें मिलते हैं। कुछ अन्य वर्तनी दोष भी देखे जा सकते हैं, जैसे, समझदार के लिए समझवार, विवश के लिए बिबश। पर यह देखते हुए कि यह उपन्यास उस समय का है जब हिंदी गद्य स्थिर हो ही रहा था, उपन्यास की भाषा काफी सशक्त ही मानी जाएगी।

इस उपन्यास की भाषा का एक बानगी –

“सुख-दुःख तो बहुधा आदमी की मानसिक वृत्तियों और शरीर की शक्ति के अधीन है। एक बात सै एक मनुष्य को अत्यन्त दःख और क्लेश होता है वही दूसरे को खेल तमाशे की-सी लगती है इसलिए सुख-दुःख होनें का कोई नियम मालूम होता” मुंशी चुन्नीलाल नें कहा।“मेरे जान तो मनुष्य जिस बात को मन से चाहता है उस्का पूरा होना ही सुख का कारण है और उस्मैं हर्ज पड़नें ही सै दुःख होता है” मास्टर शिंभूदयाल ने कहा।“तो अनेक बार आदमी अनुचित काम करके दुःख में फँस जाता है और अपनें किये पर पछताता है इस्का क्या कराण? असल बात यह है कि जिस्समय मनुष्य के मन मैं जो वृत्ति प्रबल होती है वह उसी के अनुसार काम किया चाहता है और दूरअंदेशीकी सब बातों को सहसा भूल जाता है परन्तु जब वो बेग घटता है तबियत ठिकानें आती है तो वो अपनी भूल का पछताबा करता है और न्याय वृत्ति प्रबल हुई तो सब के साम्हने अपनी भूल का अंगीकार करकै उस्के सुधारनें का उद्योग करता है पर निकृष्ट प्रवृत्ति प्रबल हुई तो छल करके उस्को छिपाया चाहता है अथवा अपनी भूल दूसरे के सिर रक्खा चाहता है और एक अपराध छिपानें के लिये दूसरा अपराध करता है परन्तु अनुचित कर्म्म सै आत्मग्लानि और उचित कर्म्म सै आत्मप्रसाद हुए बिना सर्वथा नहीं रहता” लाला ब्रजकिशोर बोले। (सुख-दुःख, प्रकरण से)

हिन्दी का पहला उपन्यास का नाम क्या है?

परीक्षा गुरू हिन्दी का प्रथम उपन्यास था जिसकी रचना भारतेन्दु युग के प्रसिद्ध नाटककार लाला श्रीनिवास दास ने 25 नवम्बर,1882 को की थी।

दुनिया का पहला उपन्यास कौन है?

बाणभट्ट की कादम्बरी को विश्व का प्रथम उपन्यास माना जा सकता है। कुछ लोग जापानी भाषा में 1007 ई. में लिखा गया “जेन्जी की कहानी” नामक उपन्यास को दुनिया का सबसे पहला उपन्यास मानते हैं।

परीक्षा गुरू की कथा कितने प्रकरणों में व्यक्त की गई है?

परीक्षा गुरु हिन्दी का प्रथम उपन्यास था, जिसकी रचना भारतेन्दु युग के प्रसिद्ध नाटककार लाला श्रीनिवास दास ने 25 नवम्बर, 1882 को की थी। लाला श्रीनिवास कुशल महाजन और व्यापारी थे। अपने उपन्यास में उन्होंने मदनमोहन नामक एक रईस के पतन और फिर सुधार की कहानी सुनाई है। उपन्यास 41 छोटे-छोटे प्रकरणों में विभक्त है।

हिंदी के पत्रात्मक प्रविधि का पहला उपन्यास क्या है?

'चन्द हसीनों के खुतूत' पत्रात्मक प्रविधि में लिखा गया हिन्दी का पहला उपन्यास है