हालदार साहब पहले मयूर क्यों हो गए थे? - haaladaar saahab pahale mayoor kyon ho gae the?

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?


हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे क्योंकि हालदार साहब चौराहे पर लगी नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन मरा था किसी ने भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसीलिए जब हालदार साहब कस्ये से गुजरने लगे तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मनाकर दिया था 

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स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा

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क्षितिज भाग २

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हवलदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कैप्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य देश प्रेमी बचा न था जो नेताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे

क हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे ख मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

Answer. ()हालदार साहब पहले मायूस इसलिए हो गए थे क्योंकि कस्बे के चौराहे पर बोस की प्रतिमा तो होगी पर उनकी आंखों पर चश्मा लगा नहीं मिलेगा क्योंकि चश्मा लगाने वाला कैप्टन तो मर चुका है और अब वह देश प्रेम की भावना किसी में नहीं है। () मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह दर्शाता है कि अभी लोगों में देश प्रेम की भावना जागृत है।

मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर हालदार साहब मायूस क्यों हो गए थे?

Solution : हालदार साहब यह जानकर मायूस हो गए थे कि कैप्टन की मृत्यु हो चुकी है। अतः अब उस कस्बे में सुभाष की बिना चश्मे वाली मूर्ति को चश्मा पहनाने वाला कोई न रहा होगा। अब मूर्ति बिना चश्मे के ही खड़ी होगी ।

हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो गए?

उत्तर - हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक हो उठे क्योंकि नेताजी की मूर्ति को छोटे बच्चों के द्वारा पहनाया जाना इस बात का सबूत है कि हमारे देश के बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी महापुरुषों व शहीदों का सम्मान करते हैं । घर गृहस्थी जवान - जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती हैं और अपने लिए बिकने के मौके ढूंढ़ती है ।