हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा- Show
हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे क्योंकि हालदार साहब चौराहे पर लगी नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन मरा था किसी ने भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसीलिए जब हालदार साहब कस्ये से गुजरने लगे तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मनाकर दिया था । 893 Views हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा- चौराहे पर नेता जी की मूर्ति पर बच्चे के हाथ से बना सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब भावुक हो गए। पहले उन्हें ऐसा लग रहा था कि अब नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई नहीं रहा था। इसलिए उन्होंने ड्राइवर को वहाँ रुकने से मना कर दिया था। परंतु जब उन्होंने नेता जी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा तो उनका मन भावुक हो गया। उन्होंने नम आँखों से नेता जी की मूर्ति को प्रणाम किया। 786 Views सेनानी न होते हुए भी चश्मे बाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? चश्मे वाला कोई सेनानी नहीं था और न ही वे देश की फौज में था। फिर भी लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह रहा होगा कि चश्मे वाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह अपनी शक्ति के अनुसार देश के निर्माण में अपना पूरा योगदान देता था। कैप्टन के कस्वे में चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगी हुई थी। मूर्तिकार उस मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया। कैप्टन ने जब यह देखा तो उसे बड़ा दुःख हुआ। उसके मन में देश के नेताओं के प्रति सम्मान और आदर था। इसीलिए वह जब तक जीवित रहा उसने नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर रखा था। उसकी इसी भावना के कारण लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। 2550 Views हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा- मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?हालदार साहब जब चौराहे से गुजरे तो न चाहते हुए भी उनकी नज़र नेता जी की मूर्ति पर चली गई। मूर्ति देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था। सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब को यह उम्मीद हुई कि आज के बच्चे कल को देश के निर्माण में सहायक होंगे और अब उन्हें कभी भी चौराहे पर नेता जी की बिना चश्मे की मूर्ति नहीं देखनी पड़ेगी। 976 Views आशय स्पष्ट कीजिए- लेखक का उपरोक्त वाक्य से यह आशय है कि लेखक बार-बार यही सोचता है कि उस देश के लोगों का क्या होगा जो अपने देश के लिए सब न्योछावर करने वालों पर हँसते है। देश के लिए अपना घर-परिवार, जवानी, यहाँ तक कि अपने प्राण भी देने वालों पर लोग हँसते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं। दूसरों का मजाक उड़ाने वालों के पास लोग जल्दी इकट्ठे हो जाते हैं जिससे उन्हें अपना सामान बेचने का अवसर मिल जाता है। 1207 Views हालदार साहब ने गाड़ी को ड्राइवर से नहीं रोकने के लिए क्यों कहा?हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे क्योंकि हालदार साहब चौराहे पर लगी नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन मरा था किसी ने भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसीलिए जब हालदार साहब कस्ये से गुजरने लगे तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मनाकर दिया था ।
हालदार साहब कस्बे में क्यों रुकते थे?उत्तर- हालदार साहब का चौराहे पर रुकना और नेताजी की मूर्ति को निहारना दर्शाता है कि उनके दिल में भी देशप्रेम का जज्बा प्रबल था और वो अपने देश के स्वतंत्रता सेनानियों का दिल से सम्मान करते थे।
हालदार साहब ने अपने ड्राइवर से क्या कहा?“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
2 हालदार साहब ने ड्राइवर को क्या आदेश दिया और क्यों?चौराहा आते ही पुरानी आदतवश हालदार साहब की आँखें मूर्ति की ओर उठ जाती हैं। इस बार मूर्ति पर चश्मा लगा हुआ था। इसे देखकर वे अपने आप को रोक न सके और ड्राइवर को वहीं जीप रोकने का आदेश दिया।
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