गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें। Show
गवरइया और गवरे की बहस तीन तर्कों पर हुई- 1866 Views गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य-विवरण तैयार कीजिए। मुझे एक छोटा-सा सुंदर मोती मिला। मन में इच्छा जागृत हुई कि सुंदर रुमाल हो उस पर में यह मोती टाँक लूँ। मैं एक कपड़े वाले बजाज के पास गया उससे थोड़ा कपड़ा माँगा उसने मुझे बचे कपड़ों में से बिना दाम के ही दे दिया। फिर में एक दर्जी के पास गया उसे अपनी दिनभर की मिली दस रुपए की खर्ची में से दो रुपए देने तय हुए और उसने कपड़े को रुमाल के रूप में काटकर सिल दिया। फिर मैंने ढूँढा मोती टाँकने वाले को, उसने एक रुपए पचास पैसे में मेरा सुंदर मोती रुमाल पर टाँक दिया। फिर मैंने रुमाल को राजाना भी चाहा, मैं मनियारे वाले के पास गया और दो रुपए की सुंदर लैस खरीदी। फिर से मुझे दर्जी के पास जाना पड़ा उसने दो रुपए और लिए और उस रुमाल पर सुंदर लैस लगा दी। मेरा रुमाल खिल उठा। मेरी प्रसन्नता का ठिकाना न था। मेरे सात रुपए पचास पैसे तो लग गए लेकिन रुमाल बहुत सुंदर बना। 692 Views किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए। एक मज़दूर था जो मकान बनाने का काम करता था। उसके मालिक ने एक दिन उसके द्वारा थोड़ा-सा सही कार्य न करने पर पूरे दिन की मज़दूरी काट ली, जबकि उसे सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलते थे। उस दिन वह बेचारा बहुत परेशान था। वह मेरे घर के पास ही रहता था। इसलिए उसके रोते बच्चे को देखकर मैं पूछ ही बैठा कि बच्चा इतना क्यों रो रहा है? उसने मुझे बात बताई और कहा कि आज उसे मजदूरी नहीं मिली। घर में खाना खाने को पैसे नहीं। में तो ताजा कमाता हूँ और ताजा ही खाता हूँ। में अब कहाँ से कुछ खाने को लाऊँ वह बेचारा अपने-आप में पछतावा कर रहा था। उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं। ऐसे में वह मालिक को भी भला-बुरा कह रहा था। लेकिन वह लाचार था क्योंकि अगले दिन फिर उसे वहीं काम करने जाना था। 1286 Views गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?गवरइया व गवरा के बीच आदमी के कपड़े पहनने पर बहस हुई। गवरइया का
कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर जँचता है जबकि गवरा का कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर अपनी कुदरती सुंदरता को ढक लेता है। 2240 Views टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें। गवरइया को कूड़े के ढेर पर चुगते-चुगते कई का एक फाहा मिल गया। उसे लगा कि अब वह अपनी टोपी पहनने की इच्छा पूरी कर सकेगी। सबसे पहले वह धुनिए के पास गई। उसने रुई को धुनवाया, इसके बाद वह कोरी के पास सूत कतवाने गई। सूत कत जाने पर वह बुनकर को खोजने लगी। बुनकर के मिलने पर उसने बहुत सुंदर कपड़ा बुनवाया फिर गई वह दर्जी के पास। दर्जी से प्रार्थना करने पर गवरइया की फुँदने वाली सुंदर टोपी तैयार हो गई। इन सबके कार्यों के लिए गवरइया ने सही पारिश्रमिक भी दिया। 1398 Views गौरैया और गौरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गौरैया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?Solution: गवरइया और गवरा के बीच आदमी के वस्त्र पहनने को लेकर बहस हुई। गवरइया वस्त्र पहनने के पक्ष में थी तथा गवरा विपक्ष में था। गवरइया को आदमी द्वारा रंग-बिरंगे कपड़े पहनना अच्छा लग रहा था जबकि गवरा का कहना था कि कपड़ा पहन लेने के बाद आदमी और बदसूरत लगने लगता है।
घबराया और घबरा के बीच किस बात पर बहस हुई और घबराया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?Solution : गवरइया और गवरा के बीच आदमी द्वारा सुन्दर कपड़े पहनने को लेकर बहस हुई। गवरइया की इच्छा आदमी की तरह टोपी पहनने की थी। उसे अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर उस समय मिला जब कूड़े के ढेर पर चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिला।
गवरइया टोपी देखकर राजा के पास क्यों गई थी जबकि उसकी बहस गवरा सेहुई थी?उत्तर : टोपी पहनकर गवरइया के राजा को दिखाने का मकसद गवरा को नीचा दिखाने से था। क्योंकि बहस के दौरान गवरा ने गवरइया से कहा था कि टोपी तो आदमियों के राजा पहनते हैं। गवरा के इसी बात को गलत साबित करने के लिए गवरइया टोपी पहनकर राजा के पास गई।
टोपी पहनते ही गवरइया के मन में क्या इच्छा जागी?Solution : टोपी पहनते ही गवरइया के मन में इच्छा जागी कि वह एक बार राजा का जायजा लेकर आए जिसके लिए सभी इतने काम करते हैं।
|