सब्सक्राइब करे youtube चैनल (relation between gravitational potential and gravitational field intensity) गुरुत्वीय विभव और गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता
में सम्बन्ध : सबसे पहले इन दोनों की परिभाषा पढ़ते है और सूत्र देखते है उसके बाद दोनों में एक सम्बन्ध स्थापित करेंगे और देखेंगे की दोनों राशियाँ एक दुसरे से किस प्रकार सम्बन्धित होती है। यहाँ वस्तु m , किसी M द्रव्यमान वाली वस्तु से r दूरी पर स्थित है तथा G =
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है। गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता और गुरुत्वीय विभव में सम्बन्धमाना एक द्रव्यमान M है इसके कारण एक गुरुत्वीय क्षेत्र उत्पन्न होता है , इस गुरुत्वीय क्षेत्र में द्रव्यमान M के केंद्र बिंदु से x दूरी पर एक बिंदु A स्थित है तथा r दूरी पर P बिंदु स्थित है ,जिस पर द्रव्यमान m रखा हुआ है इस पर गुरुत्वीय विभव व तीव्रता का मान ज्ञात करके दोनों में सम्बन्ध स्थापित करेंगे। एकांक द्रव्यमान को A स्थिति से B स्थिति अर्थात dx विस्थापन में किया गया कार्य W = ∫F.dx
गुरुत्वीय विभव की परिभाषा से V = – W/m V = – ∫F.dx / m चूँकि F/m = I अर्थात गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता अत: V = – ∫I.dx समीकरण का अवकलन करने पर dV = – Idx I = – dV/dx (यह गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता I तथा गुरुत्वीय विभव में सम्बन्ध है। ) निष्कर्ष : किसी गुरुत्वीय क्षेत्र के अन्दर स्थित किसी बिंदु पर गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता I , उस बिंदु पर विभव प्रवणता (dV/dx) के ऋणात्मक मान के बराबर होता है। यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा में जाने पर गुरुत्वीय विभव का मान कम होता जाता है। गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता एवं गुरुत्व विभाग के बीच क्या संबंध है?I = – dV/dx (यह गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता I तथा गुरुत्वीय विभव में सम्बन्ध है। ) निष्कर्ष : किसी गुरुत्वीय क्षेत्र के अन्दर स्थित किसी बिंदु पर गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता I , उस बिंदु पर विभव प्रवणता (dV/dx) के ऋणात्मक मान के बराबर होता है।
G और G में क्या संबंध है?माना पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा त्रिज्या Re है जैसे चित्र से स्पष्ट है। यही g तथा G में संबंध है इस सूत्र में m प्राप्त नहीं होता है इस प्रकार स्पष्ट होता है कि गुरुत्वीय त्वरण का मान वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
B गुरुत्वाकर्षण के संबंध में g और G का क्या अर्थ है?यहाँ G एक समानुपाती नियतांक है जिसका मान सभी पदार्थों के लिए एक जैसा रहता है। इसे गुरुत्व नियतांक (Gravitational Constant) कहते हैं। इस नियतांक की विमा (dimension) है और आंकिक मान प्रयुक्त इकाई पर निर्भर करता है। सूत्र (१) द्वारा किसी पिंड पर पृथ्वी के कारण लगनेवाले आकर्षण बल की गणना की जा सकती है।
गुरुत्वाकर्षण और गुरुत्व से आप क्या समझते हैं?Solution : गुरुत्वाकर्षण-ब्रह्माण्ड में स्थित किन्हीं भी दो पिण्डों के बीच लगने वाले आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं <br> गुरुत्व-कोई ग्रह (जैसे-पृथ्वी) किसी पिण्ड पर जो बल लगाता है उसे गुरुत्व कहते हैं। गुरुत्व की दिशा सदैव पृथ्वी के केन्द्र की ओर होती है।
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