ब्याज का तरलता अधिमान सिद्धांत, एकाधिकार का आशय,आर्य समाज के संस्थापक, जैविकी का जनक, हाइड्रोजन बम, शुद्ध जल का pH
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ब्याज तरलता पसंदगी सिद्धांत (कीन्स द्वारा) कीन्स का ब्याज तरलता पसंदगी सिद्धांत(Keynesian Liquidity Preference Theory of Interest) प्रसिद्ध अर्थशास्त्री लार्ड जान मेनार्ड कीन्स ने 1936 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “General Theory of Employment Interest, and Money” में ब्याज के सभी पूर्ववर्ती सिद्धान्तों का खण्डन करते हुए एक नवीन सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जो ब्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त के नाम से विख्यात हैं। कीन्स के अनुसार ब्याज तरलता के परित्याग का पुरस्कार है। ब्याज मुद्रा की माँग तथा पूर्ति के द्वारा निर्धारित होती है इसीलिए ब्याज एक मौद्रिक बात (monetary phenomenon) हैं। अत: कीन्स द्वारा इस सिद्धान्त को ब्याज का मौद्रिक सिद्धान्त कहना अधिक उचित होगा। मुद्रा का माँग पक्ष- तरलता पसन्दगीकीन्स के अनुसार मुद्रा की माँग से अभिप्राय मुद्रा की उस राशि से है जो लोग अपने पास तरल या नकद रूप में रखना चाहते हैं, जिस तरलता पसन्दगी कहते हैं। मुद्रा तरलतम सम्पत्ति (most liquid Asset) है और लोग इसे नकद के रूप में अपने पास रखना पसन्द करते हैं। वे इस तरलता का परित्याग तभी करते हैं, जब उन्हें ब्याज का प्रलोभन मिलता है। तरलता पसन्दगी के उद्देश्यएक प्रश्न यह उठता है कि लोग अपनी आय को नकद तरल रूप में रखना क्यों पसन्द करते हैं। तरलता पसन्दगी के निम्न तीन उद्देश्य होते हैं।
मुद्रा की माँग = लेन-देन उद्देश्य + सतर्कता उद्देश्य + सट्टा उद्देश्य कीन्स ने मुद्रा कुल माँग को L द्वारा और लेन-देन उद्देश्य तथा सर्तकता उद्देश्य को L1 तथा सट्टा उद्देश्य को L2 द्वारा व्यक्त किया है। समीकरण रूप में – L = L1 + L2 तथा L1 = f(y), L2 = f(r) f= फलन y = आय r = ब्याज दर चित्र द्वारा स्पष्टीकरणमुद्रा की माँग रेखा अथवा पसन्दगी रेखा के सम्बन्ध में दो बातें उल्लेखनीय हैं –
मुद्रा का पूर्ति पक्ष (Supply Side of Money)सिक्के, पत्र मुद्रा तथा साख मुद्रा कुल मिलाकर मुद्रा की पूर्ति होती हैं। मुद्रा की पूर्ति मौद्रिक अधिकारियों (Monetary Authorities) द्वारा की जाती है जो समय विशेष में स्थिर होती हैं। मुद्रा की पूर्ति पर ब्याज दर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि मुद्रा की पूर्ति सरकार के नियंत्रण में होती हैं। इसी कारण से चित्र में मुद्रा की पूर्ति MM रेखा एक खड़ी (Vertical Line) हैं। ब्याज का निर्धारणब्याज दर उस बिन्दु पर निर्धारित होती है जहाँ पर मुद्रा की माँग रेखा अर्थात् LP रेखा तथा मुद्रा की पूर्ति रेखा अर्थात् MM रेखा एक-दूसरे को काटती हैं। निम्न सारणी और चित्र में इसी तथ्य को दर्शाया गया है : सारणी
चित्र में स्पष्ट है कि LP मुद्रा की माँग रेखा है जो ब्याज की दर और तरलता पसन्दगी के विपरीत सम्बन्ध को बताती है। MM मुद्रा की पूर्ति रेखा है जो स्थिर पूर्ति को व्यक्त करती है। LP और MM एक दूसरे को P बिन्दु पर काटते हैं जहाँ माँग और पूर्ति दोनों बराबर हैं और ब्याज की दर 6% अर्थात् PM निर्धारित होंगी। आलोचना (Criticism)-कीन्स के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की हैन्सन, हैजलिट, रावर्टसन, नाइट आदि अर्थशास्त्रियों ने निम्नलिखित आधारों पर कड़ी आलोचना की हैं –
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तरलता का क्या मतलब है?मुद्रा बाजार सबसे अधिक तरल खंड है, जिसके बाद शेयर बाजार है। तरलता महत्वपूर्ण है क्योंकि यह त्वरित लेनदेन की अनुमति देता है और आपकी कीमत पर समझौता करने की आवश्यकता को समाप्त करता है।
ब्याज तरलता पसंदगी का प्रतिफल है यह कथन किसका है?उत्तर: प्रो० कीन्स द्वारा प्रतिपादित ब्याज का सिद्धान्त 'तरलता-पसन्दगी' सिद्धान्त के नाम से प्रसिद्ध है। प्रो० कीन्स के अनुसार, ब्याज शुद्ध रूप से मौद्रिक तत्त्व है और वह मुद्रा की माँग व पूर्ति के द्वारा निर्धारित होता है।
जींस के अनुसार ब्याज का सिद्धांत क्या है?कींस के अनुसार मंदी या अवसाद की स्थिति में बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में समग्र माँग या समग्र व्यय की कमी के कारण होती है। इस प्रकार समग्र व्यय की वृद्धि के द्वारा बेरोजगारी में कमी लायी जा सकती है।
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