Show लखनऊ. उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है. जिसमें कई जाति एवं जनजाति के लोग रहते है. देश की कुल अनुसूचित जनजातियों की संख्या का 1.09% उत्तर प्रदेश में पायी जाती हैं. वहीं उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत (2011 की जनगणना एक अनुसार) 0.6% है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति के संविधान आदेश (अनुसूचित जनजातियां), 1967 के अनुसार 5 जनजातियों; बुक्सा, जौनसारी, भोटिया, थारू और राजी को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा दिया गया है. लेकिन 2003 में 10 और जनजातियों को इसमें शामिल किया गया है. आइये इस लेख में जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस जिले में कौन सी जनजाति पायी जाती है. 1. गोंड, ओझा, धुरिया, नायक, पथारी और राजगोंड जनजाति महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आजमगढ़ जौनपुर और सोनभद्र में पाई जाती है. 2. खरवार, राजगोंड जनजाति देवरिया, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी और सोनभद्र में पाई जाती है. 3. सहरिया जनजाति ललितपुर में पाई जाती है. 4. परहिया, बैगा, अगारिया, पटारी, भुइया, भुइयां जनजाति सोनभद्र में पाई जाती है. 5. पांखा, पानिका जनजाति सोनभद्र और मिर्जापुर में पाई जाती है. 6. चेरो जनजाति सोनभद्र और वाराणसी में पाई जाती है 7. थारू जनजाति गोरखपुर में मुख्य रूप से पाई जाती है. 8. बुक्सा या भोक्सा, महीगीर जनजाति बिजनौर में मुख्य रूप से पाई जाती है. थारू जनजाति थारू जनजाति के लोग “किरात” वंश से सम्बंधित हैं. इस जनजाति के लोग कद में छोटे, पीली चमड़ी और चौड़ी मुखाकृति के होते हैं. इस जनजाति के लोगों का मुख्य भोजन चावल है. ये लोग अपने घरों का निर्माण लकड़ी के लट्ठों और नरकुलों से करते हैं. ये लोग अभी भी संयुक्त परिवारों में रहते हैं. सबसे हैरान वाली बात यह है कि ये लोग दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाते हैं. वहीं इस जनजाति में बदला विवाह प्रथा प्रचलित है. जौनसारी जनजाति यह जनजाति मुख्य रूप से उत्तरखंड में पायी जाती है. लेकिन उत्तर प्रदेश के पुरोला क्षेत्र में यह जनजाति पायी जाती है. जौंनसारी जनजाति को खस जाति का वंशज माना है. "खस लोग सामान्यता लंबे, सुंदर, गोरे चिट्टे, गुलाबी और पीले होते हैं. उनका सिर लंबा, नाक तीखी या लंबी पतली, ललाट खड़ा, आंखें धुंधली नीले बाल घुँघराले, छीटों वाली, तथा अन्य विशेषताओं वाले सुंदर ढंग से संवारे गये होते हैं. बुक्सा जनजाति इस जनजाति का सम्बन्ध “पटवार” राजपूत घराने से माना जाता है. ये लोग सामान्य बोलचाल में हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं. इस जनजाति की पंचायत का सर्वोच्च व्यक्ति “तखत” कहलाता है. ये लोग चामुंडा देवी की पूजा करते हैं. इनकी आय का मुख्य स्रोत कृषि है. उत्तर प्रदेश की जनजातियों के बारे में कुछ अन्य तथ्य इस प्रकार हैं उत्तर प्रदेश के फ़ैजाबाद और जालौन जिले में एक भी जनजाति नहीं पायी जाती है. गोंड़ जनजाति समूह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जनजाति समूह है. जिसकी कुल आबादी 5,69,035 है. इसके बाद खरवार समूह की संख्या 1,60,676 और तीसरा सबसे बड़ा समूह है, थारू जनजाति का जिसकी कुल संख्या 1,05,291 है. भारत की कुल अनुसूचित जनजातियों की संख्या का 1.09% उत्तर प्रदेश में पायी जाती हैं. वर्ष 2011की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनसँख्या में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 0.6% है. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संख्या में गोंड जनजाति पायी है. इस लेख में यह बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के किस जिले में कौन सी जनजाति रहती है. भारत की कुल अनुसूचित जनजातियों की संख्या का 1.09 % उत्तर प्रदेश में पायी जाती हैं. उत्तर प्रदेश की जनसँख्या में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत (2011की जनगणना एक अनुसार) 0.6% है. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति के संविधान आदेश (अनुसूचित जनजातियां), 1967 के अनुसार 5 जनजातियों; बुक्सा, जौनसारी, भोटिया, थारू एवं राजी को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा दिया गया है. लेकिन 2003 में 10 और जनजातियों को इसमें शामिल किया गया है. आइये इस लेख में जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस जिले में कौन सी जनजाति पायी जाती है.
थारू जनजाति के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य; 1. थारू जनजाति के लोग “किरात” वंश से सम्बंधित हैं. 2. इस जनजाति के लोग कद में छोटे, पीली चमड़ी और चौड़ी मुखाकृति के होते हैं. 3. इस जनजाति के लोगों का मुख्य भोजन चावल है. 4. ये लोग अपने घरों का निर्माण लकड़ी के लट्ठों और नरकुलों से करते हैं. 5. ये लोग अभी भी संयुक्त परिवारों में रहते हैं. 6. सबसे आश्चर्य वाली बात यह है कि ये लोग दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाते हैं. 7. इस जनजाति में बदला विवाह प्रथा प्रचलित है. जौनसारी जनजाति के बारे में तथ्य; 1. यह जनजाति मुख्य रूप से उत्तरखंड में पायी जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश के पुरोला क्षेत्र में यह जनजाति पायी जाती है. 2. जौंनसारी जनजाति को खस जाति का वंशज माना है. "खस लोग सामान्यता लंबे, सुंदर, गोरे चिट्टे, गुलाबी और पीले होते हैं. उनका सिर लंबा, नाक तीखी या लंबी पतली, ललाट खड़ा, आंखें धुंधली नीले बाल घुँघराले, छीटों वाली, तथा अन्य विशेषताओं वाले सुंदर ढंग से संवारे गये होते हैं. इस जनजाति की स्त्रियाँ तुलनात्मक दृष्टि से लंबी, छरहरी काया वाली और आकर्षक होती हैं. 3. इस जनजाति में बहुपति प्रथा प्रचलित है. बुक्सा जनजाति के बारे में तथ्य; 1. इस जनजाति का सम्बन्ध “पटवार” राजपूत घराने से माना जाता है. 2. ये लोग सामान्य बोलचाल में हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं. 3. इस जनजाति की पंचायत का सर्वोच्च व्यक्ति “तखत” कहलाता है. 4. ये लोग चामुंडा देवी की पूजा करते हैं. 5. इनकी आय का मुख्य स्रोत कृषि है. 6. उत्तर प्रदेश में बुक्सा जनजाति विकास परियोजना को 1983-84 में शुरू किया गया था. उत्तर प्रदेश की जनजातियों के बारे में कुछ अन्य तथ्य इस प्रकार हैं; 1. उत्तर प्रदेश के फ़ैजाबाद और जालौन जिले में एक भी जनजाति नहीं पायी जाती है 2. गोंड़ जनजाति समूह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जनजाति समूह है. जिसकी कुल आबादी 569035 है इसके बाद खरवार समूह की संख्या 160676 और तीसरा सबसे बड़ा समूह है थारू जनजाति का जिसकी कुल संख्या 105291 है. 3. उत्तर प्रदेश में थारू विकास परियोजना को 2 अक्टूबर 1980 में शुरू किया गया था. ऊपर दी गयी जानकारी से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न परीक्षाओं में बहुत प्रश्न पूछे जाते हैं. इसलिए प्रतियोगियों को अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए इन जनजातियों के बारे में जानकारी को ठीक से याद करने की जरूरत है. जनगणना 2011: उत्तर प्रदेश का जनसांख्यिकीय डेटा उत्तर प्रदेश में कृषि विकास: परीक्षापयोगी तथ्य वाराणसी में कौन सी अनुसूचित जनजाति पाई जाती है?जनसांख्यिकी. वाराणसी में कौन सी जनजाति पाई जाती है?खरवार, राजगोंड जनजाति देवरिया, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी और सोनभद्र में पाई जाती है.
उत्तर प्रदेश में निम्नलिखित में से कौन सी अनुसूचित जनजाति वाराणसी जिले में नहीं पाई जाती है?भारत की कुल अनुसूचित जनजातियों की संख्या का 1.09% उत्तर प्रदेश में पायी जाती हैं.
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उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख जनजातियों के बारे में जरूरी तथ्य. अनुसूचित जनजाति में कौन कौन आते हैं?संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है। अनुसूचित जनजातियाँ देश भर में, मुख्यतया वनों और पहाड़ी इलाकों में फैली हुई हैं।
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