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Nature of Mathematics In Hindi : गणित एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। अतः गणित की शिक्षा देने से पहले यह जानना आवश्यक है, कि गणित क्या है। इसकी शिक्षा क्यों दी जाए? तथा इसकी प्रकृति कैसी है? गणित की बहुत सारी परिभाषाएं बताई गई है। जैसे- गणित संगणनाओं का विज्ञान है। गणित मापन, दिशा एवं परिमाण का विज्ञान है, वास्तव में गणित का अर्थ उसके नाम में ही है। गणित- गणना करना अर्थात गणित गणनाओं का विज्ञान है । गणित विषय का आरंभ गिनती से हुआ है। प्रत्येक विषय को पढ़ाने के कुछ उद्देश्य तथा उसकी संरचना होती है। जिसके आधार पर उस विषय की प्रकृति निश्चित होती है। गणित विषय की संरचना अन्य विद्यालय विषयों की अपेक्षा अधिक मजबूत तथा शक्तिशाली है। जिसके कारण गणित अन्य विषयों की तुलना में अधिक स्थाई तथा महत्वपूर्ण है। किसी विषय की संरचना जैसे जैसे कमजोर होती जाती है। उस विषय की सत्यता, मान्यता तथा पूर्वकथन की क्षमता भी उसी क्रम में घटती जाती है। इसी निश्चित ढांचे या संरचना के आधार पर प्रत्येक विषय की प्रकृति का निर्धारण किया जाता है तथा उसको पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि सभी विषयों की प्रकृति एक समान हो। गणित विषय की अपनी एक अलग प्रकृति है, जिसके आधार पर हम उसकी तुलना किसी अन्य विषय से कर सकते हैं। किन्ही दो या दो से अधिक विषयों की तुलना का आधार उन विषयों की प्रकृति ही है, जिसके आधार पर हम उस विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। Nature of Mathematics Important Facts गणित की प्रकृति को निम्न बिंदुओं द्वारा समझाया जा सकता है, जो कि इस प्रकार है। (1) गणित की ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियां हैं । (2) गणित में अमूर्त प्रत्ययों को मूर्त रूप में परिवर्तित किया जाता है साथ ही उनकी व्याख्या भी की जाती है। (3) गणित की अपनी भाषा(Language) है भाषा का अर्थ गणितीय पद( mathematical terms), गणितीय प्रत्यय( mathematical concepts), सूत्र( formulae), सिद्धांत तथा संकेतों से है जो कि विशेष प्रकार के होते हैं। (4) गणित में सब कुछ तर्क पूर्ण है यह तार्किक विचारों का विज्ञान है। (5) गणित के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है। (6) गणित ज्ञान का आधार निश्चित होता है जिस पर विश्वास किया जा सकता है। (7) गणित के नियम, सिद्धांत व सूत्र सभी स्थानों पर एक समान होते हैं जिससे उनकी सत्यता की जांच किसी भी समय तथा स्थान पर की जा सकती है । (8) गणित का ज्ञान क्रमबद्ध, यथार्थ तथा अधिक स्पष्ट होता है जिससे उसके एक बार ग्रहण करके आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है। (9) गणित की ज्ञान से बालकों में प्रश्न सात्मक दृष्टिकोण का विश्वास होता है। (10) बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है । (11) इसकी विभिन्न नियमों, सिद्धांतों, सूत्रों से संभावित उत्तर निश्चित होते हैं इनमें संदेह की संभावना नहीं रहती है। (12) इसमें बालक को में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता विकसित होती है। (13) गणित के ज्ञान का उपयोग विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में किया जाता है। Maths Pedagogy Quiz: Click Here विभिन्न विद्वानों के अनुसार महत्वपूर्ण परिभाषाएंमार्शल एच स्टोन के मतानुसार – “गणित ऐसी अमूर्त व्यवस्था का अध्ययन है, जो की अमूर्त तत्वों से मिलकर बना है। इन तत्वों को मूर्त रूप में परिभाषित किया गया है।” लॉक के अनुसार – ” गणित वह मार्ग है, जिसके द्वारा बच्चों के मन या मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है।” गैलिलियो महोदय ने गणित के महत्व को स्पष्ट करते हुए गणित को इस प्रकार परिभाषित किया है- ” गणित वह भाषा है जिसमें परमेश्वर ने संपूर्ण जगत या ब्रह्मांड को लिख दिया है।” उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर गणित के संबंध में हम कह सकते हैं कि
गणित की प्रकृति से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तरप्रश्न1 गणित की प्रकृति है? उत्तर- तार्किक प्रश्न2 “गणित व विज्ञान है, जिसमें आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं”यह कथन किसके द्वारा कहा गया है? उत्तर- बेंजामिन पेरिक प्रश्न3 “गणित सभी विज्ञानों का सिंह द्वार व कुंजी है” यह कथन किसके द्वारा कहा गया है? उत्तर- बेकन प्रश्न4 गणित के नियम व निष्कर्ष होते हैं? उत्तर- वस्तुनिष्ठ एवं सार्वभौमिक प्रश्न5 विद्यार्थी गणित की संकल्पना और सिद्धांतों के अर्थ को समझता है, अधिगम के किस उद्देश्य की प्राप्ति है? उत्तर- अवबोधन प्रश्न6 गणित को कहा जाता है? उत्तर- मस्तिष्क का व्यायाम प्रश्न7 “योजना एक उद्देश्य पूर्ण क्रिया है,जिसे मन लगाकर सामाजिक वातावरण में पूरा किया जाता है।”गणित शिक्षण की योजना विधि कि उक्त परिभाषा किसने दी है? उत्तर- किलपैट्रिक प्रश्न8 वह उद्देश्य जो शिक्षक गणित पढ़ाने के बाद कक्षा में ही प्राप्त कर लेता है उसे कहा जाता है? उत्तर- शैक्षणिक उद्देश्य प्रश्न9 ” गणित शिक्षण का वास्तविक उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, वरन शक्ति प्रदान करना है।”यह कथन किसके द्वारा कहा गया है? गणित की संकल्पना क्या है?गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं : अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि।
गणित शिक्षण के सिद्धांत क्या है?स्कूल में गणित पढ़ाने का मुख्य उद्देश्य बालकों की तर्क शक्ति का विकास होना चाहिए ना कि केवल तथ्यों को याद कराना। केवल गणित का एक अच्छा जानने वाला वही होता है जो दैनिक जीवन में उसके सिद्धांतों का प्रयोग कर सकें। इसीलिए गणित पढ़ाने में तर्कशक्ति के विकास का ध्यान रखना, सूचना प्राप्त की अपेक्षा महत्वपूर्ण होता है।
भारतीय गणितज्ञ ने कौन कौन सी संकल्पना एडी है?गणित के क्षेत्र में यदि भारत के योगदान की बात की जाए, तो शून्य की अवधारणा देने के साथ-साथ, भारतीय गणितज्ञों ने गणित के विभिन्न क्षेत्रों जैसे त्रिकोणमिति, बीजगणित, अंकगणित और ऋणात्मक संख्याओं के अध्ययन में भी मौलिक योगदान दिया है।
गणित का सिद्धांत कौन है?आर्किमिडीज़ ( गणित का पिता एवं जनक )
आर्किमिडीज अपनी कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध हैं जैसे कि आर्किमिडिज़ सिद्धांत, आर्किमिडिज़ पेच, द्रव्य स्थिति-विज्ञान, लीवर, अतिसूक्ष्म राशियाँ आदि जिनका उपयोग आज तक किया जाता है.
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