फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए जुर्माना - phitanes pramaan patr ke lie jurmaana

बिना फाइन के बनेंगे वाहन के फिटनेस प्रमाण पत्र

वाहन मालिकों को अपनी गाड़ी के फिटनेस प्रमाण पत्र को लेकर एक बड़ी राहत मिली है। अब फिटनेस फेल होने के बाद दोबारा प्रमाण पत्र बनाने वालों को फाइन देना नहीं पड़ेगा। यदि सड़क पर बिना फिटनेस के पकड़े गए तो...

फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए जुर्माना - phitanes pramaan patr ke lie jurmaana

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरWed, 01 Jan 2020 08:20 PM

वाहन मालिकों को अपनी गाड़ी के फिटनेस प्रमाण पत्र को लेकर एक बड़ी राहत मिली है। अब फिटनेस फेल होने के बाद दोबारा प्रमाण पत्र बनाने वालों को फाइन देना नहीं पड़ेगा। यदि सड़क पर बिना फिटनेस के पकड़े गए तो वहां जुर्माना वसूला जाएगा, लेकिन फिटनेस फेल होने की स्थिति में अगर काउंटर पर दोबारा फिटनेस प्रमाण पत्र बनाया जाएगा तो इसके लिए कोई जुर्माना नहीं देना होगा। पहले इसके लिए प्रतिदिन के हिसाब से 50 रुपये लगता था। इसमें फिटनेस फेल होने की अवधि से नए फिटनेस बनने के बीच राशि जोड़ी जा रही थी। इसके चलते वाहन मालिकों ने अपनी गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र बनवाना बंद कर दिया था। इसे लेकर वाहन मालिकों ने आंदोलन भी किया था। इस संदर्भ में राज्य के संयुक्त परिवहन आयुक्त ने राज्य सूचना विज्ञान पदाधिकारी को भेजे गए पत्र में लिखा है कि फिटनेस फाइन पर सुप्रीम कोर्ट में एक वाद दायर किया गया है। इसे देखते हुए फिटनेस प्रमाण पत्र के नवीकरण पर लेट फाइन को नहीं लिया जाए और उस प्रक्रिया को ठंडे बस्ती में डाल दिया जाए। इसके लिए साफ्टवेयर में भी आवश्यक संशोधन करने का आग्रह किया गया है। ट्रक-ट्रेलर एसोसिएशन के संरक्षक डॉ. पवन पांडेय ने इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि वाहन मालिकों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र बनाने में जो परेशानी आ रही थी, उससे निजात मिलेगी।

फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए जुर्माना - phitanes pramaan patr ke lie jurmaana

नई दिल्लीः सुरक्षा और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) 1 अप्रैल 2023 से एक नया नियम लागू करने वाली है जिसके अंतर्गत 8 साल पुराने कमर्शियल वाहनों का हर साल फिटनेस टेस्ट कराना अनिवार्य होगा. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 2 फरवरी को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसके लिए अपत्ति और सुझाव मांगे हैं. इसमें जानकारी दी गई है कि 8 साल से कम उम्र के ट्रक या बस आदि को हर दो साल में एक बार फिटनेस टेस्ट कराना होगा, वहीं 8 साल या उससे पुराने कमर्शियल वाहन का फिटनेस टेस्ट हर साल कराना अनिवार्य होगा. ये फिटनेस टेस्ट सिर्फ लिस्टेड ऑटोमेटेड फिटनेस स्टेशन (Automated Fitness Station) पर कराना जरूरी होगा.

सर्टिफिकेट र‍िन्‍यू नहीं कराने पर लगेगा भारी जुर्माना

मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी की मानें तो फिटनेस सर्टिफिकेट रिन्यू नहीं कराने पर भारी जुर्माना किया जाएगा और ऐसे वाहनों को सड़क पर चलने भी नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे वाहन ज्यादा तेल पीते हैं और पर्यावरण के लिए घातक हैं. यही दुर्घटनाओं की वजह भी हैं. इनपर लगाम कसने से यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी और पर्यावरण में सुधार लाया जा सकेगा. बता दें कि कुछ समय पहले 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन और 20 साल पुराने निजी वाहनों को स्क्रैप करने की पॉलिसी पेश की जा चुकी है. ये नया नियम उसी राह में अगला कदम है.

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10 राज्यों में बनेंगे I&C सेंटर

स्क्रैपेज पॉलिसी के लिए भारत सरकार फिटनेस टेस्ट के हाइटेक आर एंड सी सेंटर्स 10 राज्यों में स्थापित करने वाली है. इसके लिए केंद्र द्वारा 22 दिसंबर 2021 को नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. इन सेंटर्स पर टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, फोर-व्हीलर, प्राइवेट और कमर्शियल वाहनों का फिटनेस टेस्ट करके सर्टिफिकेट दिया जाएगा और खास स्टिकर्स इन वाहनों पर लगाए जाएंगे. यहां पीयूसी की जांच भी होगी. यहां फिटनेस टेस्ट कराने वाले वाहन और उसके मालिक की तमाम जानकारी सरकारी वेबसाइट पर दी जाएगी. ये वेबसाइट सेंट्रल डेटा से जुड़ी रहेगी और देश के किसी भी राज्य में ऐसे वाहनों की पूरी जानकारी मिल सकेगी. यहां हाइटेक मशीनों द्वारा बॉडी, चेसी, व्हील्स, टायर्स, ब्रेकिंग और स्टीयरिंग के साथ लाइट जैसे कई पुर्जों की जांच की जाएगी.

Delhi Transport Department ने चेतावनी दी है कि फिटनेस के वैलिड सर्टिफिकेट के बिना पाए जाने वाले सरकारी विभागों सहित वाहनों के मालिकों और ड्राइवरों पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है. यह कदम मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम के उल्लंघन में दिल्ली की सड़कों पर ऐसे कई वाहनों के चलने के बाद आया है.

"परिवहन विभाग द्वारा यह देखा गया है कि सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से संबंधित परिवहन वाहनों समेत कई मालिक या चालक वैध फिटनेस प्रमाण पत्र के बिना परिवहन वाहन चला रहे हैं जो मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम, 1988 और उनके तहत बनाए गए नियम का उल्लंघन है."

"एमवी अधिनियम की धारा 56 के अनुसार, एक परिवहन वाहन को वैध रूप से रजिस्टर्ड नहीं माना जाता है, जब तक कि उसके पास दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जारी फिटनेस का वैध प्रमाण पत्र न हो,"

ऐसे वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त होने तक सड़कों पर चलने के लिए पात्र नहीं हैं. केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 62 के अनुसार, फिटनेस प्रमाण पत्र आठ साल तक के वाहनों के लिए दो साल की अवधि के लिए और आठ साल से अधिक पुराने वाहनों के लिए एक साल की अवधि के लिए वैध है.

ई-रिक्शा और ई-कार्ट के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट तीन साल की अवधि के लिए वैध होता है. दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा कि प्रवर्तन टीमों को सड़कों पर अधिनियम का उल्लंघन करने वाले वाहनों की तलाश जारी रखने के लिए कहा गया है और जल्द ही उल्लंघन करने वालों को पकड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया जाएगा.

वैलिड फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना व्हीकल के मालिकों और ड्राइवरों को पहले अपराध के लिए 2,000-5,000 रुपये और दूसरे और बाद के अपराध के लिए 5,000- 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. ऐसे मामलों में मालिक या चालक को जेल का भी प्रावधान है.

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