चौपाई छंद के कुल कितने मात्राएं होती है? - chaupaee chhand ke kul kitane maatraen hotee hai?

दोस्तों यदि आप जानना चाहते है की चौपाई क्या है और चौपाई छंद में कुल कितनी मात्राएँ होती है तो हम इन सब की सही और सटीक जानकारी आपको देंगे। छंद के कई भेद होते हैंं जैसे- दोहा, सोरठा, कुंडलियां आदि इन्ही भेदो में से चौपाई भी एक प्रकार का छंद होता है। चौपाई में चार चरण होते है, पहले चरण की तुक दूसरे से तथा तीसरे चरण की चौथे चरण से मिलती हैं। चौपाई एक सम मात्रिक छंद हैं।

चौपाई छंद में कुल कितनी मात्राएं होती हैं

चौपाई एक सम मात्रिक छंद है अर्थात जिसके प्रत्येक चरण में समान मात्रा होती है। चौपाई के हर चरण में 16-16 मात्राएं होती हैं। चौपाई के अंत में एक गुरु होता है। बहुत सारे हमारे धार्मिक ग्रन्थ जैसे – रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, शिव चालीसा, दुर्गा चालीसा एवं अन्य चौपाई छंद में ही लिखे गए हैं।

चौपाई छंद के उदाहरण

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीश तिॅहु लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बलधामा।
अंजनी पुत्र पवन सुतनामा।।

-हनुमान चालीसा

यह पद श्री हनुमान चालीसा से लिए गए हैं जिनके पहले दो चरण एक समान तुक के है और अंतिम दो चरण की तुक समान है। जिनके सभी पद में 16-16 मात्राएँ है। अर्थात ये चौपाइयां हैं।

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चौपाई छंद में कितनी मात्रा होती है?...


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चौपाई छंद में 24 मात्राएं 2424 मात्राएं होती हैं

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चौपाई छंद के कुल कितने मात्राएं होती है? - chaupaee chhand ke kul kitane maatraen hotee hai?

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चौपाई मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है।[1] गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में चौपाइ छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. हिन्दी साहित्य कोश, भाग- १. वाराणसी: ज्ञानमण्डल लिमिटेड. १९८५. पृ॰ २४८.

  • दे
  • वा
  • सं

रस, छन्द, अलंकार

रस

शृंगार रस • हास्य रस • करुण रस • रौद्र रस • वीर रस • भयानक रस • वीभत्स रस• अद्भुत रस • शांत रस

छन्द

कवित्त • सोरठा • दोहा • चौपाई • रोला • हरगीतिका • वरबै • कुण्डलिया • घनाक्षरी • हरगीतिका

सवैया के प्रकार

दुर्मिल सवैया • किरीट सवैया • सुन्दरी सवैया • मत्तगयन्द सवैया

अलंकार (अलंकार चन्द्रोदय के अनुसार)

उपमा अलंकार• अनन्वय अलंकार • रूपक अलंकार • परिनाम अलंकार • गुंफ अलंकार • कारन अलंकार • भ्रान्ति अलंकार • संदेह अलंकार • अपन्हुति अलंकार • उत्प्रेक्षा अलंकार • अतिशयोक्ति अलंकार • उपमानोपमेय अलंकार • संभावना अलंकार • व्यतिरेक अलंकार • विरोधाभास अलंकार • असंभव अलंकार • अल्प अलंकार • अन्योन्य अलंकार • यथासंख्य अलंकार • श्लेष अलंकार • परिवृत्त अलंकार • सहोक्ति अलंकार • विशेषोक्ति अलंकार • लेस अलंकार• अत्युक्ति अलंकार • लोकोक्ति अलंकार • व्याजोक्ति अलंकार • गूढ़ोक्ति अलंकार • जुक्ति अलंकार • प्रतीप अलंकार • परिकर अलंकार • परिकरांकुर अलंकार • प्रहर्षन अलंकार • तुल्ययोगिता अलंकार • दीपक अलंकार • दीपकवृत्ति अलंकार • निदर्शना अलंकार • प्रतिवस्तूपमा अलंकार • समासोक्ति अलंकार • आक्षेप अलंकार • विभावना अलंकार • विषम अलंकार • अधिक अलंकार • मीलित अलंकार • उन्मीलित अलंकार • सामान्य विशेष अलंकार • तद्गुण अलंकार • अतद्गुण अलंकार • अनुगुन अलंकार • पूर्वरूप अलंकार • समुच्चय अलंकार • वक्रोक्ति अलंकार • एकावलि अलंकार• मालादीपक अलंकार • क्रम अलंकार • पर्याय अलंकार • विनोक्ति अलंकार • परिसंख्या अलंकार• विकल्प अलंकार • समाधि अलंकार • काव्यलिंग अलंकार • अर्थान्तरन्यास अलंकार • ललित अलंकार • अनुज्ञा अलंकार • रत्नावलि अलंकार• गुढ़ोत्तर अलंकार • भाविक अलंकार • उदात्त अलंकार • निरुक्ति अलंकार • प्रतिषेध अलंकार• विधि अलंकार • हेतु अलंकार • दृष्टान्त अलंकार• प्रस्तुतांकुर अलंकार • अप्रस्तुतांकुर अलंकार • असंगति अलंकार • सम अलंकार • विचित्र अलंकार • व्याघात अलंकार • प्रत्यनीक अलंकार• अनुप्रास अलंकार•

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श्रेणी:

  • हिन्दी साहित्य

चौपाई छंद की कितनी मात्राएं होती है?

चौपाई मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में चौपाइ छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।

चौपाई में कितनी मात्रा होती है in English?

चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६-१६ मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।

छंद में कुल कितनी मात्रा होती है?

इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं तथा अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है। हरिगीतिका में 16 और 12 मात्राओं पर यति होती है। प्रत्येक चरण के अन्त में रगण आना आवश्यक है।

दोहा और चौपाई में कितनी मात्राएं होती हैं?

दोहा में सम चरणों 11,11 मात्रा होती हैं विषम चरणों में 13,13 मात्राएं होती हैं! 2. चौपाई के हर चरण में 16,16 मात्राएं होती है!