These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़. प्रश्न-अभ्यास ( पाठ्यपुस्तक से) मौखिक लिखित प्रश्न (क) 2. चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म के प्रति निष्ठा का लाभ उठाते हैं। साधारण आदमी को धर्म के बारे में अधिक नहीं जानता। वे लोग उसकी अज्ञानता का लाभ उठाकर उसकी शक्तियों और उत्साहों का शोषण करते हैं। साधारण आदमी उन लोगों के भड़काने एवं बहकावे में आ जाता है और चालाक आदमी अनेक प्रकार से अपने स्वार्थों की पूर्ति करता है। वह आस्थावान धार्मिक लोगों को मरने-मारने के लिए छोड़ देता है। इस प्रकार चालाक आदमी का काम बन जाता है। और वह अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम करने में सफ़ल हो जाता है। 3. वे लोग जो धर्म की आड़ लेकर लोगों को आपस में लड़वाते हैं, आनेवाला समय उन्हें टिकने नहीं देता। जन साधारण की समझ में आ गया है कि बेईमानी करने और दूसरों को दुःख पहुँचाने की आजादी धर्म नहीं है। जहाँ धार्मिक नेता लोगों की भावनाओं से खेलता है। ऐसा धर्म शीघ्र नष्ट हो जाएगा। 4. कुछ लोग धर्म की आड़ लेकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की कुटिल चालों को देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति धर्म की मानने के लिए स्वतंत्र है। उसका मन जिस प्रकार करेगा वह उसी प्रकार पूजा-अर्चना करेगा। उसकी स्वाधीनता को कुचलने का प्रयास व जबरदस्ती उसे
धर्म 5. पाश्चात्य देशों में धनी लोगों की ऊँची-ऊँची इमारतें गरीब लोगों का मजाक बनाती हैं। उसके अतिरिक्त उनके पास सभी सुख-सुविधाएँ हैं। गरीब लोगों का शोषण करके ये लोग धनी बने हैं। धन का मार्ग दिखाकर ये निर्धन लोगों को वश में करते हैं। फिर मनमाना धन पैदा करने के लिए उन्हें दबाते हैं क्योंकि गरीब लोगों को रोटी के लिए लगातार संघर्ष करनापड़ता है। इतना परिश्रम करने के बाद भी इन्हें झोंपड़ियों में जीवन बिताना पड़ता है। इसी कारण साम्यवाद और बोल्शेविज्म का जन्म हुआ। 6. वे लोग जो ईश्वर को नहीं मानते या किसी मजहब को नहीं मानते परंतु उनका आचरण अच्छा है और लोगों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं, अपनी स्वार्थ सिद्ध के लिए दूसरों को उकसाते नहीं है, इस प्रकार के लोग धार्मिक लोगों से कहीं अच्छे माने गए हैं। ये लोग किसी धर्म को नहीं मानते। दूसरों की मूर्खता और पवित्र भावना का मजाक नहीं उड़ाते। प्रश्न (ख) 2. बुधि पर मार से लेखक का अर्थ है लोगों की बुधि में ऐसे विचार भरना जिससे वे गुमराह हो जाएँ। इससे उनके सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। उनके मन में दूसरे धर्म के विरुद्ध गलत धारणा भरी जाती है और सामान्य लोगों को धर्म-ईमान और आत्मा के नाम पर आपस में लड़वा देते हैं। 3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना पवित्र आचरण से परिपूर्ण होनी चाहिए। शुद्ध आचरण और मनुष्यता के गुणों वाली होनी चाहिए। पशुत्व को समाप्त कर मनुष्यता फैलाने वाली होनी चाहिए। धर्म की भावना ईश्वर और आत्मा में पवित्र संबंध स्थापित करनेवाली होनी चाहिए। कल्याण की भावना होनी चाहिए न कि दूसरों को भड़काने वाली। 4. महात्मा गाँधी धर्म को सर्वोच्च स्थान देते थे। धर्म के बिना वे एक कदम भी चलने को तैयार नहीं थे। उनका धर्म शुद्ध पवित्र भावनाओं से परिपूर्ण था, जिसमें कल्याण की भावनाएँ निहित थीं। वह सत्य, और अहिंसा को ही परम धर्म मानते थे। उनके अनुसार धर्म उदारता की रक्षा करता है इसलिए महात्मा गाँधी के अनुसार धर्म में केवल ऊँचे और उदार विचारों का ही स्थान होना चाहिए। 5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि आनेवाले समय में हमें शुद्ध आचरण और सदाचार के बल पर ही जीवन जीना होगा। अपने स्वार्थ को छोड़कर जन कल्याण की भावना को मन में लाना होगा। यदि
हम अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो हमारे द्वारा रखे गए रोजे, नमाज, पूजा आदि व्यर्थ हो जाएँगे। प्रश्न (ग) 2. आशय-भारत में धार्मिक नेता लोगों की बुधि का शोषण करते हैं। धर्म के नाम पर ऐसे लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करके दूसरे लोगों की शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। पहले वे अपने प्रति अंधी श्रद्धा उत्पन्न करते हैं। वे स्वयं को ईश्वर के रूप में प्रस्तुत करते हैं। लोग उन्हें ईश्वर और धर्म का ऊँचा प्रतीक मान बैठते हैं जब लोगों की श्रद्धा उनपर जम जाती है तो वे ईमान, धर्म, ईश्वर या आत्मा का नाम लेकर उन्हें दूसरे धर्म वालों से लड़वाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। इस प्रकार साधारण लोगों का दुरुपयोग कर उनका शोषण करते हैं। 3. आशय-इस सूक्ति का अर्थ है-धर्म ईश्वर की प्राप्ति का सीधा मार्ग है। यह आत्मा व परमात्मा के मिलन की कड़ी है। पूजा-पाठ को ढोंग, आडंबर और धूर्तता समझा जाता है। भले ही पाँचों वक्त नमाज पढ़ी जाए। दूसरों को गलत मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर स्वार्थ सिद्ध किया जाए अपना आचरण न सुधारा जाए तो रोजा, नमाज, पूजा सब व्यर्थ हो जाएगा। यदि हमारा आचरण शुद्ध है तो धर्म का वास्तविक मूल्य सिद्ध होता है। मनुष्य की कसौटी उसकी मनुष्यता है न कि धर्म। धर्म तो शुद्ध आचरण और सदाचार का एक मार्ग है जिस पर चलकर ईश्वर की साधना की जा सकती है। 4. आशय-वे लोग जिन्हें नास्तिक कहा जाता है कहीं अच्छे हैं क्योंकि वे दूसरों का सुख चाहते हैं। उनके विचार अच्छे व ऊँचे हैं। उनका आचरण दूसरों के हृदय को ठेस नहीं पहुँचाता। केवल ईश्वर की पूजा-अर्चना ही ईश्वरत्व नहीं है। मानव कल्याण का मार्ग धर्म का मार्ग है। पशुत्व भावनाओं का त्याग करना होगा और आदमी बनकर आदमीयता को समझना होगा। मनुष्यत्व ही है जो धर्म की धार्मिकता को बनाए रखता है। मनुष्यता कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। पशुता स्वार्थ की भावना को बढ़ावा देती है। ये मनुष्य को ही सोचना होगा कि वह किसे धर्म बनाए। भाषा-अध्ययन प्रश्न 1. उत्तर प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. ‘भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए- उदाहरणः आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है। उत्तर
योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. चलने पर लोग धर्म के नाम पर क्या करते है?चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मुर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं।
चालाक व्यक्ति धर्म और ईमान की बुराइयों से काम क्यों लेते हैं?धर्म की उपासना के मार्ग में कोई भी रुकावट न हो । जिसका मन जिस प्रकार चाहे, उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगावे | धर्म और ईमान, मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचे उठाने का साधन हो। वह किसी दशा में भी, किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन न बने ।
ईश्वर अपने पवित्र नाम पर काम करने वालों से क्या कहेगा?ईश्वर इन नास्तिक और ला-मज़हब लोगों को अधिक प्यार करेगा और वह अपने पवित्र नाम पर अपवित्र काम करने वालों से यही कहना पसंद करेगा, मुझे मानो या ना मानो, तुम्हारे मानने से ही मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोडो और आदमी बनो।
चलते पुर्जे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं तथा साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?Answer: चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मुर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। साधारण लोग धर्म का सही अर्थ और उसके तत्वों को समझ नहीं पाते और उनकी इस अज्ञानता का लाभ चालाक लोग उठा लेते हैं। उन्हें आपस में ही लड़ाते रहते हैं।
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