These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) मौखिक लिखित 1. नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौचक्की होकर देखती रही। उसने बेस-कैंप पहुँचने पर दूसरे दिन एवरेस्ट और उसकी अन्य श्रेणियों को देखा। वह इसके सौंदर्य को देखकर प्रभावित हुई। ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फीली टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही। 2. डॉ. मीनू मेहता ने उन्हें निम्न जानकारियाँ दीं
3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा कि वह एक पक्की पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में
पहुँच जाना चाहिए। कठिन रोमांचक कार्य करना उनका शौक था। ऐसा लगता था कि जैसे पर्वतीय स्थानों की जानकारी उन्हें पहले से ही हो। यद्यपि एवरेस्ट का उनका पहला अभियान था। तेनजिंग का उनके कंधे पर हाथ रखकर प्रोत्साहन 4. लेखिका को लोपसांग, तशारिंग, एन.डी. शेरपा और आठ अन्य शरीर से मजबूत और ऊँचाइयों में रहनेवाले शेरपाओं के साथ चढ़ाई करनी थी। जय और मीनू उससे बहुत पीछे रह गए थे जबकि वह साउथ कोल कैंप पहुँच गई थी। बाद में वे भी आ गए थे। अगले दिन सुबह 6.20 पर वह अंगदोरजी के साथ चढ़ाई के लिए निकल पड़ी जबकि अन्य कोई भी व्यक्ति उस समय उसके साथ चलने के लिए तैयार नहीं था। अन्य पर्वतारोहियों के साथ चढ़ते हुए खतरों से जूझना उनकी आदत हो गई थी। 5. जब लेखिको गहरी नींद में सो रही थी तभी सिर के पिछले हिस्से से कोई चीज़ टकराई और उसकी नींद खुल गई। कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ का पिंड गिरा था जिसने कैंप को तहस-नहस कर दिया था। लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी से तंबू का रास्ता साफ किया और लेखिका के पास से बड़े-बड़े हिमखंडों को हटाया और चारों तरफ फैली हुई कठोर बर्फ की खुदाई की। तब जाकर बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सका। यदि थोड़ी-सी भी देर हो जाती तो उसका सीधा अर्थ था-मृत्यु। 6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी के लिए खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिण्डर इकट्ठे किए। इसके बाद लेखिका अपने दल के दूसरे साथियों की सहायता के लिए एक थरमस में जूस और दूसरे में चाय भरने के लिए नीचे उतर गई। प्रश्न (ख) 2. बर्फ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना ही हिमपात बनाता है। हिमपात अनियमित और अनिश्चित होता है। इससे अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। ग्लेशियर के ढहने से अकसर बर्फ में हलचल हो जाती है। इससे बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानें तुरंत गिर जाती हैं और खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें अकसर गहरी-गहरी चौड़ी दरारों का रूप धारण कर लेती हैं। इस प्रकार पर्वतारोहियों की कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं। 3. लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात में 12.30 बजे के लगभग सिर के पिछले हिस्से से किसी सख्त चीज के टकराने से नींद खुल गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। साँसें लेने में कठिनाई होने लगी। एक लंबा बर्फ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था। उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज गति और भीषण गर्जना को भी पीछे छोड़ दिया। कैप नष्ट हो गया था। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी। यह एक आश्चर्य था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी। 4. जय लेखिका का पर्वतारोही साथी था। उसको भी लेखिका के साथ पर्वत शिखर पर जाना था। शिखर कैंप पर पहुँचने में उसे देरी हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। इसलिए बचेंद्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे रास्ते में लिवाने पहुँची। बर्फीली हवाएँ चल रहीं थीं और नीचे जाना खतरनाक था। लेखिका को जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला। उसने कृतज्ञतापूर्वक चाय वगैरह पी और लेखिका को आगे जाने से रोका। लेखिका को ‘की’ से मिलना था। थोड़ा सा आगे नीचे उतरने पर लेखिका ने ‘की’ को देखा। वह लेखिका को देखकर हक्का-बक्का रह गया। 5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे
6. चढ़ाई के समय ऐवरेस्ट पर जमी बर्फ सीधी और ढलाऊ थी। चट्टानें इतनी भुरभुरी थीं मानो शीशे की चादरें बिछी हों। बर्फ़ काटने के लिए फावड़े का प्रयोग करना पड़ा। दक्षिण शिखर के ऊपर हवा की गति बढ़ गई थी। उस ऊँचाई पर तेज हवा के झोंके झुरझुरी बर्फ के कणों को चारों ओर उड़ा रहे थे। बर्फ़ इतनी अधिक थी कि सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। पर्वत की शंकु चोटी इतनी तंग थी कि दो आदमी वहाँ खड़े नहीं हो सकते थे। ढलान सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक थी। वहाँ अपने-आप को स्थिर खड़ा करना बहुत कठिन है इसलिए उन्होंने फावड़े से बर्फ़ को तोड़कर अपने टिकने योग्य स्थान बनाया। 7. लेखिका के व्यवहार से सहयोग और सहायता का परिचय तब मिलता है जब उसने अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने एक थरमस को जूस से तथा दूसरे को गरम चाय से भरकर बर्फीली हवा में तंबू से बाहर निकली और नीचे उतरने लगी। जय ने उसके इस प्रयास को खतरनाक बताया तो बचेंद्री ने जवाब दिया “मैं भी औरों की तरह पर्वतारोही हूँ, इसलिए इस दल में आई हूँ। शारीरिक रूप से ठीक हूँ। इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं करनी चाहिए?” यह भावना उसकी सहयोगी प्रवृत्ति को दर्शाती है। प्रश्न (ग) 2. आशय-हिमपात का अव्यवस्थित ढंग से गिरना स्वयं में डरावना था। धरातल में दरार पड़ने का विचार और हिमपात तथा ग्लेशियर के बहने से बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने की बात सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने से कई बार धरातल पर ये दरारें बहुत गहरी और चौड़ी बर्फ से ढकी हुई गुफाओं में बदल जाती थीं, जिनमें धंसकर मनुष्य का जीवित रहना संभव नहीं था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि इनके सारे अभियान में यह हिमपात लगभग एक दर्जन पर्वतारोहियों और कुलियों का प्रतिदिन प्रभावित करता रहेगा। उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा। 3. आशय-लेखिका एवरेस्ट शंकुनुमा चोटी पर पहुँचनेवाली प्रथम महिला थी। वह अपने साहस और हिम्मत से अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुँच गई थी। वहाँ दो व्यक्तियों का इकट्ठे खड़े होना असंभव था। बर्फ़ के फावड़े से खुदाई करके उन्होंने अपने आपको सुरक्षित कर लिया और घुटनों के बल बैठकर सागरमाथा के ताज को चूम लिया। पूजा-अर्चना करते हुए लेखिका ने लाल कपड़े में दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा लपेटी। बर्फ में उसे दबाया व माता-पिता का स्मरण करने लगी। यह लेखिका के लिए अत्यंत गौरव का क्षण था। उन्हें आज भी एवरेस्ट पर चढ़नेवाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में पहचाना जाता है। भाषा-अध्ययन प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. उत्तर प्रश्न 5. प्रश्न 6. योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. 3 कैंप तीन में कौन सी दुर्घटना घटी उस समय कैंप में कितने लोग थे?अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा अंततः साउथ कोल पहुँच गए और 29 अप्रैल को 7900 मीटर पर उन्होंने कैंप - चार लगाया । यह संतोषजनक प्रगति थी। 15-16 मई 1984 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन मैं ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढलान पर लगाए गए सुंदर रंगीन नाइलॉन के बने तंबू के कैंप - तीन में थी। कैंप में 10 और व्यक्ति थे ।
मई की रात को कैंप 3 में क्या घटना घटी और एक अन्य साथी ने लेखिका की जान कैसे बचाई?लेखिका को चारों तरफ बर्फ जमा हो गई और वो बर्फ में फंस गयी। लेखिका को सांस लेने में कठिनाई होने लगी। लेखिका के साथी लोबसांग ने अपनी छुरी की मदद से आसपास की बर्फ को साफ कर तंबू के चारों तरफ का रास्ता साफ किया और लेखिका को वहां से निकाल कर लेखिका की जान बचाई। बेस कैंप में लेखिका और उनके दल से मिलने कौन आया था ?
बेस कैंप में लेखिका से मिलने के लिए कौन आया था?Answer:. बेस कैंप में लेखिका का उत्साहवर्धन किसने तथा कैसे किया?उसने लेखिका का उत्साहवर्धन कैसे किया ? उत्तर- बेस कैंप में लेखिका की मुलाकात तेनजिंग से हुई । जब लेखिका ने खुद को नौसिखिया बताया तो उन्होंने कहा कि शिखर पर पहुँचने के लिए उन्होंने भी सात बार प्रयास किया था किंतु वह एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती है, वह पहले ही प्रयास में शिखर पर पहुँच जाएगी ।
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