Rajasthan Board RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 विज्ञापनRBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 पाठ्य\पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तरRBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1. Show
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8. प्रश्न 9.
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RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1. विज्ञापन के उद्देश्य:
प्रश्न 2. (2) पत्रिका विज्ञापन – विभिन्न साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में जो विज्ञापन प्रकाशित होते हैं उन्हें पत्रिका विज्ञापन कहते हैं। रुचि एवं सामर्थ्य के अनुसार ये पत्रिकायें साहित्यिक, धार्मिक, वैज्ञानिक, राजनैतिक, आर्थिक एवं वाणिज्यिक होती हैं। अनेक पत्रिकाएँ समस्त विषयों के मिश्रित रूप में भी होती हैं। (3) समाचारपत्रीय विज्ञापन – समाचार पत्र विज्ञापन सभी प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं के विज्ञापन के लिये उपयुक्त माध्यम है। इस माध्यम का प्रयोग छोटी एवं बड़ी व्यावसायिक फर्मों द्वारा समान रूप से किया जाता है। समाचार पत्र में विज्ञापन दो प्रकार के होते हैं – (4) सैण्डविच मैन विज्ञापन – सैण्डविच मैन विज्ञापन में विचित्र वेश – भूषा में कुछ व्यक्ति कपड़े या गत्तों पर विज्ञापन लिखकर नगर की सड़कों पर निकलते हैं। प्रायः इस विधि का प्रयोग दवाइयों तथा सिगरेटों के विज्ञापन में किया जाता है। (5) मनोरंजन विज्ञापन – विज्ञापन के इस माध्यम से आवश्यकतानुसार सामान्य अथवा विशिष्ट व्यक्तियों तक वस्तुओं एवं सेवाओं का विज्ञापन काफी आकर्षक ढंग से मनोरंजनकारी कार्यक्रमों के साथ किया जाता है। मनोरंजन विज्ञापन के साधनों में रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, रेडियो, कैसेट, मेले, प्रदर्शनियाँ तथा ड्रामा व संगीत कार्यक्रम को सम्मिलित किया जाता है। प्रश्न 3. (1) वर्गीकृत विज्ञापन – वर्गीकृत विज्ञापन समाचार पत्र में निर्धारित स्थान पर निश्चित शीर्षकों के अन्तर्गत छपते हैं, जैसे – टेण्डर, नीलामी, नौकरी, क्रय, विक्रय, शिक्षा शादी – विवाह आदि। वर्गीकृत विज्ञापनों में सीमित शब्दों का प्रयोग किया जाता है। (2) अवर्गीकृत विज्ञापन – अवर्गीकृत विज्ञापन का समाचार पत्र में कोई निश्चित स्थान नहीं होता है। यह विज्ञापक की इच्छानुसार समाचार पत्र के किसी भी पृष्ठ पर छापा जा सकता है। इन विज्ञापनों में रंगों, आकर्षक अक्षरों तथा चित्रों का प्रयोग किया जाता है तथा वस्तु की विशेषताओं एवं मिलने के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। समाचार पत्रों के विज्ञापन का क्षेत्र व्यापक होने के कारण दूर – दूर तक सभी वर्गों के व्यक्तियों द्वारा पढ़े एवं देखे जाते हैं। लेकिन ये शिक्षित वर्ग के लिये उपयुक्त होते हैं तथा अशिक्षित लोगों के लिये अनुपयोगी होते हैं, केवल चित्र देख सकते हैं, जिससे सही अनुमान नहीं हो पाता है समाचार पत्रीय विज्ञापन का जीवन अल्पकालीन होता है। प्रश्न 4. बाह्य विज्ञापनों में दीवार लेखन, पोस्टर्स तथा होर्डिंग, विद्युत साइनबोर्ड विज्ञापन (बस, ट्राम, रेल, कार, वायुयान) आदि को सम्मिलित किया जाता है। बाह्य विज्ञापन एक स्थायी प्रकार का आकर्षक माध्यम है क्योंकि एक बार पोस्टर्स या होर्डिंग्स लगा देने या बोर्ड आदि बना लेने पर बहुत दिनों तक स्थायी बना रहता है और जनता को आकर्षित करता रहता है लेकिन इस विज्ञापन के माध्यम द्वारा शहरों एवं गाँवों का सौन्दर्य विकृत होता है तथा अश्लील पोस्टर्स समाज का नैतिक पतन भी करते हैं। प्रश्न 5.
प्रश्न 6. 2. अपव्यय को प्रोत्साहन – विज्ञापन उपभोक्ता को आकर्षित करते हैं। इससे प्रभावित होकर वे प्रायः अनावश्यक वस्तुओं का क्रय कर लेते हैं। फलस्वरूप वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। 3. मूल्यों में वृद्धि – विज्ञापन पर किये जाने वाले समस्त व्यय व्यापारी अथवा निर्माता द्वारा वस्तु के मूल्य में जोड़ दिये जाते हैं जिसका भार अंततोगत्वा उपभोक्ता पर ही पड़ता है। इससे वस्तुओं के मूल्य वृद्धि होती है। 4. विज्ञापनों में अश्लीलता – आजकल विभिन्न वस्तुओं के विज्ञापन में ग्राहकों को अधिक आकर्षित करने के लिये कई बार अश्लील चित्रों का प्रयोग किया जाता है जिससे समाज का नैतिक पतन होता है। प्रश्न 7. (2) नये ग्राहकों की तलाश – विज्ञापन का कार्य वस्तु के बाजार में आने से पहले ही उसकी बिक्री के लिये माहौल तैयार करना तथा बाजार में उसके सम्भावित ग्राहक को खोजकर उन्हें वस्तु खरीदने के लिये प्रेरित करना होता है। प्रतिस्पर्धात्मक उत्पादन के इस दौर में विज्ञापन नये ग्राहकों को अनेक उत्पादों में से किसी एक उत्पाद को खरीदने के लिये प्रेरित करके वस्तु की बिक्री को बढ़ाता है। (3) उपभोक्ता को उत्पादों का सही ज्ञान – बाजार में विभिन्न कम्पनियों के एक जैसे उत्पाद मौजूद रहते हैं जिनको देखकर उपभोक्ता भ्रमित हो जाता है कि इनमें से कौन सी वस्तु उसके वास्तविक उपयोग के लिये है तथा वह वस्तु उसके लिए कितनी उपयोगी रहेगी। निर्माताओं द्वारा वस्तुओं पर कितनी छूट दी जा रही है या कोई विशेष उपहार ऑफर दिया जा रहा है आदि की जानकारी विज्ञापन द्वारा ही दी जाती है। (4) मूल्य परिवर्तन की जानकारी – वस्तु के निर्माण में लागत के कम अधिक होने के कारण जो मूल्य परिवर्तन होता है उसकी जानकारी निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को विज्ञापन के माध्यम से दी जाती है। जिससे उपभोक्ताओं को वस्तु खरीदने में कोई भ्रम नहीं होता है। प्रश्न 8. (1) प्रतिस्पर्धा में सहायक – आज वर्तमान में विभिन्न उत्पादकों के मध्य अपने द्वारा उत्पादित वस्तु या सेवा को बढ़ा – चढ़ा कर दिखाने की प्रतिस्पर्धा है जिससे उनके विक्रय में वृद्धि हो। विज्ञापन बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा कम करने या उसका मुकाबला करने में उपयोगी सिद्ध हुआ है। (2) मध्यस्थों की प्राप्ति – जब किसी संस्था के उत्पाद का प्रसार – प्रचार हो जाता है, तो उसकी साख चारों ओर फैल जाती है जिससे थोक व्यापारियों या फुटकर व्यापारियों को विक्रय करने में कठिनाई कम होती। है। फलस्वरूप निर्माताओं को मध्यस्थ – प्राप्ति में सुगमता होती है। (3) व्यवसाय का विकास – व्यवसाय की कुशलता एवं विकास लाभों पर निर्भर करता है। अधिक लाभों की सहायता से ही व्यवसाय की पुरानी मशीनों एवं उपकरणों के स्थान पर नई एवं अद्यतन मशीनें क्रय की जा सकती हैं एवं नवीन इकाइयों की स्थापना कर व्यवसाय का विकास किया जा सकता है। लेकिन ये सब विज्ञापन के बिना सम्भव नहीं है क्योंकि विज्ञापन द्वारा ही विक्रय में वृद्धि होती है और अधिक विक्रय से लाभों में वृद्धि होती है। (4) उत्पादन में वृद्धि – विज्ञापन साधनों द्वारा उत्पादित माल के प्रचार – प्रसार से उपभोक्ता में वस्तु की मांग का सृजन होता है और उस मांग को पूरा करने के लिये निर्माताओं को उत्पादनों में वृद्धि करनी पड़ती है। प्रश्न 9. (1) ज्ञान में वृद्धि – विज्ञापन से उपभोक्ताओं को नयी – नयी वस्तुओं एवं सेवाओं एवं उपयोग के बारे में जानकारी मिलती है जिससे ग्राहकों के ज्ञान में वृद्धि होती है। (2) समय की बचत – विज्ञापन के माध्यम से ग्राहक को घर पर ही वस्तु की कीमत, उपलब्धि स्थान, वस्तु की गुणवत्ता एवं उपयोग विधि की समस्त जानकारी मिल जाती है। वस्तु क्रय के लिये इधर – उधर नहीं घूमना पड़ता। फलस्वरूप समय की बचत होती है। (3) क्रय में सुविधा – विज्ञापन द्वारा ग्राहक को वस्तु की उपलब्धि, कीमत, उपयोग आदि के बारे में जानकारी मिल जाती है जिससे वह विभिन्न वस्तुओं की तुलना करके विवेकपूर्ण एवं सुविधापूर्ण क्रय कर सकता है। (4) उपभोक्ता बचत – विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को विभिन्न वस्तुओं, उनकी स्थानापन्न वस्तुओं, कीमत, उपलब्धता गारन्टी, वारन्टी, उपयोगिता के बारे में जानकारी देता है इससे उपभोक्ता अपने धन का विवेकपूर्ण उपयोग कर सकते हैं एवं क्रय की गई वस्तुओं से दी गई कीमत की तुलना में उपयोगिता प्राप्त कर सकते हैं। प्रश्न 10.
प्रश्न 11. (1) निर्माताओं से सम्पर्क – निर्माता अपने उत्पाद का विज्ञापन करते हैं जिससे मध्यस्थ निर्माताओं से उनकी एजेन्सी लेने हेतु सम्पर्क करते हैं। इसका और विभिन्न थोक एवं फुटकर व्यापारी भी विज्ञापन करते हैं, जिससे निर्माता इन विज्ञापनों के आधार पर इन मध्यस्थों से व्यावसायिक सम्पर्क कर सकते हैं। (2) विक्रय में सहायता – उत्पादक द्वारा निकाले गये विज्ञापन में वस्तु के डीलर, एजेन्ट, थोक व्यापारी आदि का उल्लेख होता है। इससे ग्राहक मध्यस्थों के पास स्वयं आ जाते हैं। इसके अतिरिक्त विज्ञापन से उपभोक्ता को वस्तु के बारे में अनेक जानकारियाँ, जैसे – वस्तु की कीमते, किस्म, उपयोग विधि, छूट आदि की जानकारी प्राप्त होती है जिससे विक्रेता को विक्रय हेतु अधिक प्रयास नहीं करने पड़ते हैं। (3) लाभों में वृद्धि – निर्माता द्वारा विज्ञापन किये जाने के कारण उसका लाभ स्वतः ही मध्यस्थों को मिल जाता है उनको स्वयं विज्ञापन की आवश्यकता नहीं रहती, विक्रय अधिक होता है व ज्यादा विक्रयकर्ताओं की नियुक्ति नहीं करनी पड़ती जिससे खर्ची में कमी आती है व लाभों में वृद्धि होती है। प्रश्न
12. (2) प्रचार के लिये विज्ञापन – इस तकनीकी में उपभोक्ताओं को उत्पाद के मुफ्त नमूने दिये जाते हैं। ग्राहकों का ध्यान हासिल करने के लिये व्यापार मेला, प्रचार की घटनाओं और विज्ञापन अभियान के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने की पेशकश की जाती है। (3) तथ्य एवं आंकड़े – विज्ञापन की इस तकनीकी में विज्ञापनदाता नम्बर, सबूत और वास्तविक उदाहरण का उपयोग कर अपने उत्पादों को अच्छा बताने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिये; कोलगेट दुनिया के 70 प्रतिशत दन्त चिकित्सा कों द्वारा उपयोग करने की सलाह दी गई है। (4) अधूरा विज्ञापन – इसके अन्तर्गत विज्ञापनदाता यह बताते हैं कि उनका उत्पाद अच्छा काम करता है किन्तु यह नहीं बताते कि प्रतिद्वन्द्वी से कितना अधिक अच्छा काम करता है। (5) समर्थन – विज्ञापन की इस तकनीकी में विज्ञापनदाता बड़ी हस्तियों का उपयोग अपने उत्पादों का विज्ञापन करने के लिये करते हैं। बड़ी हस्तियों या स्टार अपने अनुभवों को बताकर किसी उत्पाद को खरीदने का समर्थन करते हैं। RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्नप्रश्न 1. व्यवसाय की वृद्धि एवं विकास में विज्ञापन की भूमिका: (1) प्रतिस्पर्धा में सहायक – व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिये या उसका मुकाबला करने के लिये विज्ञापन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। विज्ञापन के माध्यम से ही व्यवसाय का बाजार में अस्तित्व बना रहता है। यदि बाजार में व्यवसाय का कोई अस्तित्व नहीं है तो व्यवसाय की वृद्धि एवं विकास पर निश्चित ही प्रभाव पड़ेगा अर्थात विक्रय में कमी आयेगी जिससे लाभों पर प्रभाव पड़ेगा। (2) मध्यस्थों की निर्भरता कम करना – निर्माता व्यापार चिन्ह अथवा व्यापार नामों अथवा ब्राण्डों में विज्ञापन के माध्यम से अपनी वस्तु के लिये उपभोक्ता स्वीकृति और मान्यता प्राप्त कर लेता है। ऐसी दशा में थोक व्यापारी और फुटकर व्यापारी की निर्भरता कम हो जाती है। फलस्वरूप लागतों में कमी आती। है तथा लाभों में वृद्धि होती है। (3) ख्याति में वृद्धि – व्यवसाय के द्वारा उत्पादित वस्तु या सेवा को जब बार-बार विज्ञापनों के विभिन्न साधनों द्वारा उपभोक्ताओं के मध्य उनकी उपयोगिता एवं गुणों को पहुँचाया जाता है तो उस वस्तु या सेवा की छवि उपभोक्ता के मन मस्तिष्क पर छा जाती है। जिसका लाभ व्यवसाय को अवश्य ही मिलता है। (4) मितव्यता – विज्ञापन से माँग में वृद्धि होने से उत्पादन में वृद्धि होती है। उत्पादन में वृद्धि करने से अर्थात बड़े पैमाने पर उत्पादन करने से उत्पादक को कई प्रकार की आन्तरिक एवं बाह्य मितव्ययतायें प्राप्त होती हैं। परिणामस्वरूप वस्तु के उत्पादन में प्रति इकाई लागत में कमी आती है। (5) विक्रय में वृद्धि – विज्ञापन के माध्यम से माँग का सृजन होता है फलस्वरूप विक्रय में वृद्धि होती है। विक्रय से होने वाले लाभ का उपयोग व्यवसाय के विकासात्मक कार्यों में ही होता है। (6) नवीन वस्तुओं के उत्पादन में सहायक – विज्ञापन द्वारा नयी नयी वस्तुओं की माँग उत्पन्न की जाती है और उसी माँग के अनुसार व्यवसाय वस्तुओं का निर्माण करता है जिससे अनावश्यक लागत को कम किया जाता है। (7) लाभों में वृद्धि – विज्ञापन वस्तुओं के विक्रय का एक शक्तिशाली साधन है। इससे उत्पादन संगठन की ख्याति में वृद्धि होती है, अनार्थिक, प्रतिस्पर्धा का अन्त होता है और वस्तुओं की माँग में स्थिरता आती है। परिणामस्वरूप लाभों में वृद्धि होती है। प्रश्न 2. (1) बाह्य विज्ञापन – ऐसे विज्ञापन जो दीवारों, परिवहन के साधनों, पोस्टरों, विद्युत साइन बोर्ड, होर्डिंग्स, स्टीकरों द्वारा किये जाते हैं। इस विज्ञापनों में आकर्षक चित्रों एवं रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप राह चलते लोगों का ध्यान स्वतः ही इनकी ओर आकर्षित हो जाता है। यह विज्ञापन के स्थायी प्रकार के आकर्षक माध्यम हैं, क्योंकि एक बार पोस्टर लगा देने या बोर्ड आदि बना लेने पर बहुत दिनों तक स्थायी बने रहते हैं और जनता को आकर्षित करते रहते हैं। (2) समाचार पत्रीय विज्ञापन – समाचार पत्र विज्ञापन सभी प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं के विज्ञापन के लिये उपयुक्त माध्यम है। इस माध्यम का प्रयोग छोटी
व बड़ी व्यावसायिक फर्मों द्वारा समान रूप से किया जाता है। समाचार पत्र में विज्ञापन दो प्रकार के होते हैं – (3) पत्रिका विज्ञापन – विभिन्न साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में जो विज्ञापन प्रकाशित होते हैं उन्हें पत्रिका विज्ञापन कहा जाता है। रुचि व सामग्री के अनुसार पत्रिकायें साहित्यिक धार्मिक, वैज्ञानिक व राजनैतिक, आर्थिक एवं वाणिज्यिक होती हैं। अनेक पत्रिकायें इन समस्त विषयों के मिश्रित रूप में भी होती हैं। इण्डिया टुडे, गृहशोभा, सरिता, सहेली, खेल जगत, बिजनेस बर्ड आदि देश में छपने वाली प्रमुख पत्रिकायें हैं। पत्रिकाओं का जीवन समाचार पत्रों की तुलना में लम्बा होता है जिससे विज्ञापन भी अधिक समय तक पाठकों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। पत्रिकाओं के विज्ञापनों में भी अनेक रंगों, चित्रों एवं अच्छे कागज का प्रयोग किया जाता है जिससे कि वे अधिक आकर्षक बन सकें। (4) सैण्डविच मैन विज्ञापन – सैण्डविच मैन विज्ञापन में विचित्र वेश भूषा में कुछ व्यक्ति कपड़े या गत्तों पर विज्ञापन लिखकरे नगर की सड़कों पर निकलते हैं। सैण्डविच मैन के विचित्र पहनावे के कारण जन सामान्य का ध्यान इनकी ओर आकर्षित हो जाता है और जन सामान्य इनके चारों ओर लगे पोस्टर को पढ़ सकते हैं। इस विधि के माध्यम से बीड़ी, सिगरेट, दवाओं आदि का विज्ञापन किया जाता है। यह विज्ञापन माध्यम ग्रामीण जनता को अधिक आकृष्ट करता है। (5) डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन – डाक द्वारा विज्ञापन में विज्ञापनकर्ता ग्राहकों से डाक द्वारा प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित करता है। इस माध्यम द्वारा सम्पर्क स्थापित करने के लिये सम्भावित ग्राहकों को विक्रय साहित्य एवं अन्य विविध जानकारी डाक के जरिये भेजी जाती है। इसमें ग्राहकों को विक्रय पत्र, गश्तीपत्र, केट लॉग, मूल्य सूची, फोल्डर, पुस्तिकायें आदि भेजी जाती हैं। यह माध्यम विक्रेताओं के मार्ग को प्रशस्त करता है। (6) मनोरंजन विज्ञापन – मनोरंजन विज्ञापन के साधनों में रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, कैसेट, मेले, प्रदर्शनियाँ तथा ड्रामा व संगीत कार्यक्रम को सम्मिलित किया जाता है। यह माध्यम लोचपूर्ण, प्रभावी प्रतिष्ठित एवं मितव्ययी होता है। इसके द्वारा सैकड़ों व्यक्तियों तक सूचनाओं एवं सेवाओं के बारे में एक साथ जानकारी दी जा सकती है। विज्ञापन के इस माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं का विज्ञापन काफी आकर्षक ढंग से मनोरंजनकारी कार्यक्रम के साथ किया जाता है। (7) क्रय बिन्दु विज्ञापन – विज्ञापन का यह माध्यम दुकानों की वातापन एवं काउन्टर की सजावट से है जिसमें राह चलते ग्राहक वातावरण एवं काउन्टरों में सजी हुई वस्तुओं को देखकर दुकान में आने । के लिये प्रेरित होता है। वातायन सजावट में अलमारियों में वस्तुओं को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। विभागीय भण्डारों, रेडीमेड गारमेन्टस, खिलौने, साड़ियों की दुकानों में वातायन सजावट को विशेष महत्व दिया जाता है। काउन्टर सजावट में सभी प्रकार की वस्तुओं को काउन्टर पर इस प्रकार सजाकर रखते हैं कि ग्राहकों को उनकी आवश्यकता का स्मरण हो जाता है और वे अधिक क्रय के लिये अग्रसर होते हैं। प्रश्न 3. विज्ञापन की तकनीकी: (1) भावनात्मक अनुरोध – विज्ञापन की यह तकनीकी दो कारकों की मदद पर आधारित होती है उपभोक्ता की आवश्यकतायें एवं भय कारक उपभोक्ता की आवश्यकताओं के अन्तर्गत भावनात्मक अपील जैसे कुछ नया करने की जरूरत, स्वीकृति प्राप्त करने की जरूरत, सुरक्षा की जरूरत, आकर्षक बनने की जरूरत भय कारक भावनात्मक अपीलों में जैसे दुर्घटना का डर, मौत का डर, टाले जाने का डर, बीमार होने का डर, पुराने होने का डर। (2) प्रचार के लिये विज्ञापन – विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को उत्पाद के मुक्त नमूने देना शामिल है। ग्राहकों का ध्यान हासिल करने के लिये व्यापार मेला, प्रचार की घटनाओं और विज्ञापन अभियान के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने की पेशकश की जाती है। (3) गाड़ी में सवार विज्ञापन – विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत ग्राहकों या लोगों को एक समूह में शामिल होने के लिये प्रेरित किया जाता है जिन्होंने उस उत्पाद को खरीदा है और जो आगे की ओर अग्रसर हैं। (4) तथ्य एवं आंकड़े – इस तकनीक के अन्तर्गत विज्ञापनदाता नम्बर, सबूत और वास्तविक उदाहरण का उपयोग कर अपने उत्पादों को अच्छा बताने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिये, कोलगेट दुनिया के 70 प्रतिशत दन्त चिकित्सों द्वारा उपयोग करने की सलाह दी गयी है। (5) अधूरा विज्ञापन – अधूरा विज्ञापन तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापनदाता यह बताता। है कि उसका उत्पाद अच्छा काम करता है किन्तु यह नहीं बताता कि प्रतिद्वन्द्वी से कितना अधिक अच्छा काम करता है। (6) समर्थन – इसके अन्तर्गत विज्ञापनदाता बड़ी हस्तियों का उपयोग अपने उत्पादों का विज्ञापन करने के लिये करता है। बड़ी हस्तियों या स्टार अपने अनुभवों को बताकर किसी उत्पाद को खरीदने का समर्थन करते हैं। जैसे हाल ही में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन एवं उनकी पत्नी जया बच्चन ने एक ज्वैलरी उत्पाद का विज्ञापन दिया था। इसके अन्तर्गत यह बताया गया कि किस प्रकार जया बच्चन को उक्त उत्पाद ने प्रभावित किया था। (7) आदर्श परिवार और आदर्श वच्चे – विज्ञापनदाता इस तकनीकी का इस्तेमाल यह बताने के लिये करते हैं कि उनके उत्पाद का प्रयोग करने वाले परिवार भाग्यशाली माने जाते हैं। उदाहरण के लिये; डिटोल साबुन का विज्ञापन यह बताता है कि जो परिवार उसका उपयोग करते हैं वे हमेशा रोगाणुओं से सुरक्षित रहते हैं। (8) देशभक्ति विज्ञापन – इस विज्ञापन तकनीकी में दर्शाते हैं कि उक्त उत्पाद या सेवा का उपयोग करने वाला व्यक्ति किस प्रकार अपने देश का समर्थन कर सकता है। (9) छूट – इस तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापनदाता अपने उत्पादों को बेचने के लिये उत्पादों की कीमत में कुछ छूट देने का प्रस्ताव उपभोक्ताओं से करते हैं जैसे किसी क्लब में दो साल के लिये सदस्य बनने पर सभी सेवाओं या उत्पादों पर 20 प्रतिशत की छूट आदि। (10) ग्राहकों से पूछताछ – विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञापनदाता अपने उत्पादों के सम्बन्ध में प्रतिक्रिया जानने के लिये उपभोक्ता से सवाल पूछते हैं। प्रश्न 4.
1. निर्माताओं के लिये महत्व:
2. उपभोक्ताओं के लिये महत्व –
3. मध्यस्थों के लिये महत्व:
4. समाज के लिये महत्व:
प्रश्न 5. (i) मितव्ययता – विज्ञापन के माध्यम से बड़ी संख्या में दूर – दूर तक फैले लोगों तक सूचनाओं को पहुँचाने का कार्य कम में खर्च किया जाता है जिससे प्रति इकाई लागत कम आती है। इसमें विज्ञापन का कुल खर्च संप्रेषण द्वारा बनाये घटकों में बाँट दिया जाता है। (ii) सूचना – विज्ञापन उपभोक्ताओं को सूचना देने का सबसे सरल, सस्ता व प्रभावी माध्यम है जो अधिक से अधिक लोगों को वस्तु व सेवाओं की जानकारी देता है। इसके द्वारा उपभोक्ता यह जान लेते हैं कि कौन – कौन सी वस्तुएँ बाजार में उपलब्ध हैं, किस स्थान पर मिलेगी तथा उनकी उपयोगिता क्या है। (iii) सुविधा – विज्ञापन वस्तु की ब्राण्ड इमेज बनाता है जो वस्तु की बिक्री के लिये महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छे ब्राण्ड की वस्तु को खरीदने एवं बेचने में सुविधा रहती है क्योंकि उपभोक्ता उस वस्तु को जांचने – परखने की आवश्यकता नहीं समझता है। (iv) पसन्द की स्वतन्त्रता – आज उपभोक्ताओं के सामने बाजार में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के ब्राण्ड दिखायी देते हैं लेकिन किसी एक के चयन में उसे कठिनाई होती है परन्तु विज्ञापन के विभिन्न साधनों के माध्यम से वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन करके अपने पसन्द की वस्तुओं को आसानी से क्रय कर सकता है। (v) विश्वास व आश्वासन – उपभोक्ता और निर्माता आपस में सीधा सम्पर्क न रहने के कारण निर्माता, उपभोक्ता को वस्तु के प्रति विश्वास दिलाने के लिये विज्ञापन की सहायता लेता है। उपभोक्ता वस्तु खरीदने के बाद जब उसका उपयोग करता है और वह उसे विज्ञापक द्वारा बताये गये गुणों के अनुसार पाता है तब वह उस वस्तु के निर्माता की छवि पर विश्वास कर लेती है तथा उसके द्वारा बनाये गये अन्य नये उत्पादों पर भी विश्वास करने का अश्वासन उपभोक्ता को मिलता है। विज्ञापन के दोष: (i) कम असरदार – विज्ञापन सम्प्रेषण का गैर वैयक्तिक स्वरूप है। यह व्यक्तिगत विक्रय की तुलना में कम सशक्त माध्यम है। इसमें सन्देश पर ध्यान देने के लिये लोगों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होता है। अतः यह कम असरदार होता है। (ii) अपव्यय को प्रोत्साहन – विज्ञापने उपभोक्ता को आकर्षित करते हैं। इससे प्रभावित होकर वे प्रायः अनावश्यक वस्तुओं का क्रय कर लेते हैं। फलस्वरूप वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। (iii) मूल्यों में वृद्धि – विज्ञापन पर किये जाने वाले समस्त व्यय व्यापारी अथवा निर्माता द्वारा वस्तु के मूल्य में जोड़ दिये जाते हैं जिसका भार अंततोगत्वा उपभोक्ता पर ही पड़ता है। इससे वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती है। (iv) विज्ञापनों में अश्लीलता – आजकल विभिन्न वस्तुओं के विज्ञापन में ग्राहकों को अधिक आकर्षित करने के लिये कई बार अश्लील चित्रों का प्रयोग किया जाता है जिससे समाज का नैतिक पतन होता है। (v) प्रतिपुष्टि की कमी – विज्ञापन संदेश ने उपभोक्ताओं पर कितना प्रभाव डाला इसका मूल्यांकन करना कठिन होता है क्योंकि इसके द्वारा प्रसारित सन्देश की तुरन्त एवं सही प्रतिपुष्टि की व्यवस्था नहीं होती है। (vi) विक्रेता बाजार – जिन वस्तुओं में विक्रेता बाजार की स्थिति होती है उन वस्तुओं को बेचने के लिये विक्रेता को पृथक से प्रयास करने की आवश्यकता नहीं होती है। विक्रेता बाजार में वस्तुओं की माँग स्वयं ही बनी रहती। है। उदाहरण के लिये; कैरोसिन एवं रसोई गैस में विक्रेता बाजार होने के कारण विज्ञापन महत्वहीन है। RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तरRBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 बहुविकल्पीय प्रश्नप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. उत्तरमाला: RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 अतिलघु उत्तरीय प्रश्नप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13.
प्रश्न 14.
प्रश्न 15. प्रश्न 16.
प्रश्न 17.
प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21.
प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28.
प्रश्न 29. प्रश्न 30. RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)प्रश्न 1. शैल्डन के अनुसार – “विज्ञापन वह व्यावसायिक शक्ति है जिसमें मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय वृद्धि में सहायता मिलती है, ख्याति का निर्माण होता है तथा साख में वृद्धि होती है।” प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. होर्डिंग्स – होर्डिंग्स लोहे की चादरों या लकड़ी के चौखटों से बने होते हैं जिनको मुख्य चौराहों, बहुमंजिला मकानों की छतों या सड़क किनारे नियत स्थान पर लगाया जाता है। प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)प्रश्न 1. व्हीलर के अनुसार – “विज्ञापन लोगों को क्रय करने के लिये प्रेरित करने के उददेश्य से विचारों, वस्तुओं अथवा सेवाओं का अवैयक्तिक प्रस्तुतिकरण है जिसके लिये भुगतान किया जाता है।” विज्ञापन की मुख्य विशेषताएँ:
प्रश्न 2. प्रश्न 3. टेलीविजन: प्रश्न 4. प्रश्न 5. RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नप्रश्न 1. (1) विक्रय में वृद्धि करना – विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य बिक्री में वृद्धि करना है। विज्ञापन निर्माताओं द्वारा उत्पादित वस्तु का परिचय जन – जन को कराया जाता है जिससे उपभोक्ताओं की वस्तु के प्रति इच्छा जाग्रत होती है और विक्रय में वृद्धि होती है। (2) नये ग्राहक बनाना – विज्ञापन के द्वारा वस्तु की उपलब्धि, कीमत, मात्रा, उपयोगिता और उसकी प्रयोग विधि आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होने से उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन आसानी से कर सकता है और उसे वस्तुओं के क्रय करने में सुविधा होती है जिससे नये ग्राहक बनते हैं। (3) नये बाजारों में प्रवेश – वर्तमान में विभिन्न उत्पादकों के मध्य गलाकाट प्रतिस्पर्धा पायी जाती है जिससे नये बाजारों में प्रवेश की समस्या पायी जाती है। लेकिन विज्ञापन का उद्देश्य माँग को बढ़ाना व उपभोक्ताओं की पुरानी उपभोग आदतों एवं रुचियों में परिवर्तन कर नये उत्पाद को उपयोग में लेने के लिये प्रेरित करना है। फलस्वरूप उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती है व नये बाजारों में प्रवेश करना सम्भव होता है। (4) मध्यस्थों को आकर्षित करना – प्रभावी एवं नियन्त्रित विज्ञापन करने से संस्था की ख्याति बढ़ती है जिसके कारण सुदृढ़ एवं प्रतिष्ठित मध्यस्थ संस्था से जुड़ जाती है व अपनी सेवायें देने को तत्पर रहते हैं। इस प्रकार विज्ञापन का उद्देश्य थोक विक्रेताओं और फुटकर विक्रेताओं को आकर्षित करना भी है। (5) माँग का सृजन करना – विज्ञापन के माध्यम से व्यापारी ग्राहक में उत्पादित वस्तु या सेवा के प्रति उत्सुकता उत्पन्न करता है, उन्हें नये उत्पाद के सम्बन्ध में शिक्षित करता है जिससे माँग को सृजन होता है। (6) विक्रयकर्ताओं की सहायता करना – विज्ञापन सम्भावित ग्राहकों के मन-मस्तिष्क में वस्तु या कम्पनी के प्रति एक भावना विकसित करता है और यदि यह भावना अनुकूल होती है तो विक्रर्यकर्ताओं को ऐसे ग्राहकों को वस्तुयें बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है। यदि वस्तुओं का भलीभांति विज्ञापन किया गया है, तो विक्रयकर्ताओं द्वारा क्रेता को वस्तु के गुण के सम्बन्ध में सहमत करने से ही अथवी वस्तु के दिखाने से ही सम्पूर्ण विक्रय हो जाता है। (7) उत्पादन या ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता और जिज्ञासा को बढ़ाना – ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ताओं में जागरूकता एवं रुचि बनाये रखना एक लोकप्रिय विज्ञापन का उद्देश्य होता है। किसी भी ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता ब्राण्ड के अस्तित्व और उसकी जानकारी को इंगित करती है यदि उपभोक्ता की धारणा वस्तु के प्रति बदलती है तो यह उसे किसी अन्य उत्पाद से जोड़ने के लिये राजी करने को बढ़ावा देता है। यह सीधे – सीधे उपभोक्ता की पसन्द में बदलाव को प्रभावित करता है। (8) मध्यस्थों पर निर्भरता कम करना – विज्ञापन के माध्यम से निर्माता अपनी वस्तु के लिये उपभोक्ता स्वीकृति और मान्यता प्राप्त कर लेता है। ऐसी दशा में थोक व्यापारी एवं फुट व्यापारी पर उसकी निर्भरता कम हो जाती है। प्रश्न 2. बाह्य विज्ञपान के साधन: (1) दीवार लेखन – दीवार लेखन विज्ञापन में विज्ञापनकर्ता अपने सन्देश को दुकान, मकान की दीवारों, पुलिया की दीवारों पर बड़े – बड़े अक्षरों में लिखवा देता है। यह विज्ञापन सामान्यतः जब हम निकलते हैं तो कहीं न कहीं इस पर दृष्टि पड़ जाती है। जैसे विभिन्न प्रकार की कम्पनियों के मोटरसाइकिल के विज्ञापन दीवारों पर देखे जा सकते हैं। (2) पोस्टर्स – पोस्टर्स से अभिप्राय ऐसे छपे हुए कागजों, कार्ड बोर्डी, फ्लेक्स तथा लकड़ी व धातु की प्लेटों से होता है जो दीवारों, गली के कोनों, बसों के चारों ओर, रेलवे स्टेशनों, टेलीफोन के खम्भों आदि पर लगाये या चिपकाये जाते हैं। (3) विज्ञापन बोर्ड – विज्ञापन बोर्ड (होर्डिंग्स) चौराहे, बहुमंजिले मकान की छतों या सड़क किनारे पर नियत स्थान पर लगाये जाते हैं। विभिन्न शहरों में लगे स्कूल-कालेजों में प्रवेश आदि के विज्ञापन बोर्ड (होर्डिंग्स) देखे जा सकते हैं। (4) विद्युत साइन बोर्ड – वर्तमान में विद्युत साइन बोर्ड का प्रयोग बड़े – बड़े शहरों में पर्याप्त मात्रा में किया जा रहा है क्योंकि ये रात्रि के समय उपभोक्ता को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसमें रंगीन बल्बों या गैस की ट्यूब लाइट से विज्ञापन बोर्ड को सजाया जाता है तथा विद्युत का प्रकाश अधिक आकर्षक एवं मोहक बनाने के लिये अनेक रंगों का भी प्रयोग किया जाता है। (5) परिवहन विज्ञापन – परिवहन विज्ञापन, वे विज्ञापन हैं जो वाहनों के भीतरी तथा बाहरी भागों पर किये जाते हैं। ऐसे विज्ञापन कार, बसों, टैक्सियों, रेल के डिब्बों आदि के भीतरी भागेां पर किये जाते हैं। परिवहन विज्ञापनों को प्रभावी विज्ञापन माध्यम माना जाता है क्योंकि रात दिन हजारों की संख्या में व्यक्ति इन परिवहन के साधे नों को देखते हैं और यात्रा करते हैं। परिवहन विज्ञापन में संदेश संक्षिप्त एवं आकर्षक होते हैं तथा मोटे शब्दों या रंगीन चित्रों का प्रयोग किया जाता है। बाह्य विज्ञापन के लाभ:
प्रश्न 3. 1. लागत में वृद्धि – विज्ञापन के विरोधियों का तर्क है कि विज्ञापन के कारण उत्पाद की लागत में अनावश्यक रूप से वृद्धि होती है जो अन्तत: क्रेता को ही वहन करनी होती है। लेकिन इसके समर्थकों का कहना है कि विज्ञापन से बिक्री में वृद्धि होती है इससे उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन की कुल लागत में वृद्धि होने के बावजूद उत्पाद की प्रति इकाई लागत में अन्ततः कमी ही आती है। 2. सामाजिक मूल्यों में कमी – विज्ञापन के कुछ आलोचकों का कहना है कि इससे सामाजिक मूल्यों की अवहेलना होती है, इससे लोगों में असन्तोष पैदा होता है। कुछ विज्ञापन नई जीवन शैली दर्शाते हैं। जिनको सामाजिक मान्यता नहीं मिलती है। यह आलोचना भी पूर्ण सत्य नहीं है क्योंकि विज्ञापन लोगों को नये उत्पादों के सम्बन्ध में जानकारी देकर उनकी सहायता ही करता है जिससे वे अपने लिए श्रेष्ठ उत्पाद को क्रय करके लाभ उठा सकें। इसे खरीदने का अन्तिम निर्णय तो क्रेता ही करता है। 3. विज्ञापन भ्रान्ति उत्पन्न करता है – आजकल टेलीविजन पर दिन – प्रतिदिन विज्ञापनों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इन बढ़ते हुए विज्ञापनों की बाढ़ से ग्राहकों को भ्रान्ति पैदा होती है कि वे किस उत्पाद को खरीदने में प्राथमिकता दें, क्योंकि सभी विज्ञापन प्रत्येक उत्पाद से सर्वश्रेष्ठ होने का दावा करते हैं, इससे ग्राहक को उनका चुनाव करना कठिन हो जाता है। हम इस बात से सहमत नहीं हैं क्योंकि विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को चुनाव करने का विस्तृत अवसर मिलता है। 4. विज्ञापन द्वारा घटिया उत्पादों के विक्रय को प्रोत्साहित किया जाता है – आजकल टी.वी. चैनल किसी विज्ञापन के अन्दर सम्बन्धित वस्तु की गुणवत्ता पर ध्यान दिये बिना (कि बताया जाने वाला विवरण सही है या नहीं) उसका विज्ञापन करते हैं। आमधारणा के अनुसार, आजकल विज्ञापन की सहायता से सब कुछ बेचा जा सकता है। हम इस विचार से सहमत नहीं हैं क्योंकि ग्राहक द्वारा घटिया – बढ़िया वस्तु का चुनाव उसकी अपनी आर्थिक स्थिति एवं प्राथमिकताओं पर निर्भर होता है, जैसे कोई बाटा के जूते खरीदता है और कोई लोकल कम्पनी के यह उनकी सोच एवं अर्थिक स्थिति पर निर्भर है। 5. कभी – कभी विज्ञापन अरुचिकर होते
हैं – लोगों की विचारधारा के अनुसार कभी – कभी विज्ञापन भ्रामक होने के साथ – साथ अरुचिकर भी होते हैं जिनसे प्रत्येक व्यक्ति प्रभावित नहीं होता। ऐसे विज्ञापन ग्राहकों की समझ से भी बाहर होते हैं कि विज्ञापन के कहने का तात्पर्य क्या है या क्या कहना चाहता है। इस विचार से कुछ हद तक सहमति दी जा सकती है कि ऐसे विज्ञापन नहीं दिखाये जाने चाहिए। RBSE Solutions for Class 12 Business Studiesबाह्य विज्ञापन से आप क्या समझते हैं?(1) बाह्य विज्ञापन – ऐसे विज्ञापन जो, दीवारों, परिवहन के साधनों, पोस्टरों, विद्युत साइन बोर्ड, होर्डिंग, स्टीकरों द्वारा किये जाते हैं, बाह्य विज्ञापन कहलाते हैं। इन विज्ञापनों में आकर्षक चित्रों एवं रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप राह चलते लोगों का ध्यान स्वत: ही इनकी ओर आकर्षित हो जाता है।
विज्ञापन के विभिन्न माध्यम क्या है?विज्ञापन के माध्यम vigyapan ke madhyam जिनके द्वारा ये सूचनाएं प्रदान की जाती हैं, जैसे समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, टेलीविजन आदि, विज्ञापन माध्यम कहलाते हैं।
विज्ञापन से क्या अभिप्राय है विज्ञापन के विभिन्न माध्यमों का वर्णन कीजिए?विज्ञापन के माध्यम से आशय उन साधनों से है, जिनके माध्यम से विज्ञापनकर्त्ता अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं या विचारों के बारे में एक विशाल जन-समुदाय को संदेश पहुंचाते है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि विज्ञापन माध्यम एक ऐसा साधन है, जिसमें निर्माता अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं के बारे में उपभोक्ता को जानकारी उपलब्ध करवाता है।
विज्ञापन के मुख्यता कितने माध्यम होते हैं?किसी खास तरह के स्थानीय उत्पाद के लोकप्रिय उत्पादक का विवरण होता है या आम जरूरत की चीजों का विवरण होता है। ये विज्ञापन प्रत्यक्ष बिक्री बढ़ाने वाले होते है और इनका प्रसारण स्थानीय पत्र, रेडियो, टीवी, केबल नेटवर्क, बैनर, पोस्टर, स्लाइड आदि के द्वारा होता है।
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