NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 10 कामचोर Show These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 10 कामचोर Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts. कामचोर NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 10Class 8 Hindi Chapter 10 कामचोर Textbook Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. कहानी से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1.
ऐसी परिस्थितियों में नौकरों को हटाया जा सकता है। प्रश्न 2.
उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए ये सुझाव दिए जा सकते हैं-
प्रश्न 3. बच्चे इन महापुरुषों की जीवनी पढ़ें और स्वयं लेख पूरा करें। भाषा की बात “धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।” धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुली बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है। ‘बे’ उपसर्ग से बननेवाले कुछ और शब्द हैं- निम्नलिखित घटनाओं को सही क्रम से लिखिए
उत्तर:
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रत्येक शब्द के सामने दो-दो अर्थ दिए गए हैं। सही अर्थ छाँटकर लिखिए। प्रश्न 1. बोध-प्रश्न (क) अब सब लोग नल पर टूट पड़े। यहाँ भी वह घमासान मची कि क्या मजाल जो एक बूंद पानी भी किसी के बर्तन में आ सके। ठूसम-ठास! किसी बालटी पर पतीला और पतीले पर लोटा और भगोने डोंगे। पहले तो धक्के चले। फिर कुहनियाँ और उसके बाद बरतन। फौरन बड़े भाइयों, बहिनों, मामुओं और दमदार मौसियों, फूफियों की कुमुक भेजी गई, फौज मैदान में हथियार फेंककर पीठ दिखा गई। इस धींगामुश्ती में कुछ बच्चे कीचड़ में लथपथ हो गए जिन्हें नहलाकर कपड़े बदलवाने के लिए नौकरों की वर्तमान संख्या काफी नहीं थी। पास के बंगलों से नौकर आए और चारआना प्रति बच्चा के हिसाब से नहलवाए गए। उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. (ख) इतने में भेड़ें सूप को भूलकर तरकारीवाली टोकरी पर टूट पड़ीं। वह दालान में बैठी मटर की फलियाँ तोल-तोल कर रसोइए को दे रही थी। वह अपनी तरकारी का बचाव करने के लिए सीना तान कर उठ गई। आपने कभी भेड़ों को मारा होगा, तो अच्छी तरह देखा होगा कि बस, ऐसा लगता है जैसे रुई के तकिए को कूट रहे हों। भेड़ को चोट ही नहीं लगती। बिल्कुल यह समझकर कि आप उससे मजाक कर रहे हैं। वह आप ही पर चढ़ बैठेगी। जरा-सी देर में भेड़ों ने तरकारी छिलकों समेत अपने पेट की कड़ाही में झौंक दी। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. (ग) तय हुआ कि भैंस की अगाड़ी-पिछाड़ी बाँध दी जाए और फिर काबू में लाकर दूध दुह लिया जाए। बस, झूले की रस्सी उतारकर भैंस के पैर बाँध दिए गए। पिछले दो पैर चाचा जी की चारपाई के पायों से बाँध, अगले दो पैरों को बाँधने की कोशिश जारी थी कि भैंस चौकन्नी हो गई। छूटकर जो भागी तो पहले चाचा जी समझे कि शायद कोई सपना देख रहे हैं। फिर जब चारपाई पानी के ड्रम से टकाराई और पानी छलककर गिरा तो समझे कि आँधी-तूफान में फंसे हैं। साथ में भूचाल भी आया हुआ है। फिर जल्दी ही उन्हें असली बात का पता चल गया और वह पलंग की दोनों पटियाँ पकड़े, बच्चों को छोड़ देनेवालों को बुरा-भला सुनाने लगे। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. कामचोर Summaryपाठ का सार घर में काम करने की आदत नहीं थी। सारा काम नौकरों के भरोसे था। घर के लोग ऊधम मचाने के सिवा कुछ नहीं करते थे। इस निकम्मेपन से छुटकारा पाने के लिए तय हुआ कि सारे नौकरों को निकाल दिया जाए। खुद पानी पीने के चक्कर में मटके और सुराहियाँ इधर-उधर लुढ़कने लगे। तय हुआ, जो काम नहीं करेगा उसे रात का खाना नहीं मिलेगा। काम थे-मैली दरी की सफाई, आँगन में पड़े कूड़े की सफाई, पेड़ों में पानी देना। तनख्वाह भी दी जाएगी। बच्चे काम में जुट गए। बहुत से बच्चों ने लकड़ियों से दरी को पीटना शुरू कर दिया। घर में धूल फैल गई। सब जगह धूल ही धूल । खाँसते-खाँसते बुरा हाल हो गया। आँगन में फौरन झाडू लगाई गई। झाडू एक थी। काम करने वाले अनेक। खींचतान में झाडू के पुर्जे उड़ गए। झाडू मारने से पहले पानी छिड़कना ठीक होगा। यह सोचकर दरी पर पानी छिड़क दिया गया। दरी की धूल कीचड़ बन गई। आँगन से निकालने पर बच्चे घर की बालटियाँ, लोटे, तसले, भगोने आदि बर्तन लेकर पेड़ों को पानी देने के लिए निकले। नल पर घमासान युद्ध मच गया। किसी के बर्तन में एक बूंद पानी नहीं पहुँचा। घर के बड़े लोग निकले तो बच्चों की फौज भाग गई। इसके बाद बच्चों ने वाँस-छड़ी जो मिला, लेकर मुर्गियों को बाड़े में हाँकने लगे। वे भी इधर-उधर भागने लगीं। कुछ खीर के प्यालों के ऊपर से गुज़रीं । मुर्गा अम्मा के पानदान में कूदा और फिर अम्मा की चादर पर निशान छोड़े। एक मुर्गी दाल की पतीली में छपाक मारकर भागी। कुछ ने भेड़ों को दाना खिलाने की सोची तो भेड़ों ने भी अपनी भेड़चाल से सबको परेशान किया। सोती हुई हज्जन माँ के ऊपर से भेड़ें दौड़ गईं। कुछ सूप छोड़कर तरकारी वाली टोकरी पर टूट पड़ीं। छिलके समेत तरकारी साफ़ हो गई। कुछ बच्चे धमकी के डर से कुछ काम न मिलने पर बालटी लेकर भैंसों को दुहने चल पड़े। थनों पर हाथ लगते ही भैंसें ‘बिदककर दूर जा खड़ी हुईं। फिर पैर बाँधने का उपाय ढूँढा गया। पिछले पैर चाचा जी की चार पाई से बाँधे। अगले पैर झुले की रस्सी से। भैंस छूटकर भागी और चारपाई को भी-साथ लेकर दौड़ पड़ी। चाचा जी भूचाल समझकर चारपाई से चिपके थे। बछड़ा न खोलने की भूल मालूम हुई। उसे भी खोल दिया गया तो भैंस रुकी। बालटी पहले ही गोबर में गिर चुकी थी। तूफान जैसा हाल पूरे घर का हो गया था। अम्मा आगरा जाने के लिए सामान बाँधने लगीं। उन्होंने बच्चों के इस राज को चुनौती दी। अब्बा ने सबको कतार में खड़े करके कुछ भी करने से मना कर दिया। ‘किसी चीज़ को हाथ लगाया तो खाना बन्द’ । फिर पहले जैसा हाल हो गया। कोई हिलकर पानी भी नहीं पिएगा। शब्दार्थ : दबैल-दबाव में आने वाला; फरमान-आदेश, राजाज्ञा; तनख्वाह-वेतन; बुजुर्ग-बूढ़े धींगामुश्ती-जोर-जबरदस्ती; कामदानी-बेल-बूटेदार कपड़ा; लटरम-पटरम-अस्त-व्यस्त; प्रलय-विनाश; बागी-विद्रोही; कतार-पंक्ति; मातम-शोक; हरगिज़-विल्कुल; मिसाल-उदाहरण; हवाला-सन्दर्भ, उल्लेख; कुमुक-फौजी टुकड़ी; कायल-मान लेने वाला; बेनकेल-विना नियंत्रण के; फलांगनी-कूदकर पार करना; चौकन्नी-सावधान; हँकाई गई-आवाज देकर भगाना; कोर्ट मार्शल-फौजी अदालत में सजा सुनाना; किसी करवट-किसी भी-तरह; भैरव को क्या खिलाने की बात हो रही थी?हिंदू मान्यता के अनुसार काले कुत्ते को रोटी खिलाने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु के भय से दूर रहता है.
बच्चों ने क्या निश्चय किया?Answer: बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि वह अब हिलकर पानी नहीं पिएँगे। क्योंकि उनके पिताजी तो यह चाहते थे कि वह स्वयं उठकर जाएँ और पानी पिएँ जिससे वह कमज़ोर न बनें परन्तु सब बच्चों ने उससे तात्पर्य निकला कि पानी हिल-हिलकर पीना चाहिए।
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