Register now for special offers +91 Home > Hindi > कक्षा 9 > Hindi > Chapter > Question Bank 1 > भारतवर्ष सदा कानून'को धर्म के ... भारतवर्ष सदा कानून'को धर्म के रूप में देखता आ रहा है। आज एकाएक कानून और धर्म में अन्तर कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, कानून को दिया जा सकता है। यही कारण है कि जो लोग धर्मभीरु हैं, वे कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते। इस बात के पर्याप्त प्रमाण खोजे जा सकते हैं कि समाज के ऊपरी वर्ग में चाहे जो भी हाता रहा हो, भीतर-भीतर भारतवर्ष अब भी यह अनुभव कर रहा है कि धर्म कानून से बड़ी चीज है। अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। वे दब अवश्य गये हैं, लेकिन नष्ट नहीं हुए। आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है, महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ और चोरी को गलत समझता है, दूसरों को पीड़ा पहुँचाने को पाप समझता है। हर आदमी अपने व्यक्तिगत जीवन में इस बात का अनुभव करता है। <br> कैसे लोग कानून की त्रुटियों का लाभ उठाते हैं ? लिखित उत्तर धार्मिक लोगनैतिकवादी लोगधर्मभीरू लोगनास्तिक लोग Answer : C Add a public comment... Follow Us: Popular Chapters by Class: Students who are searching for NCERT MCQ Questions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए with Answers Pdf free download can refer to this page thoroughly. Because here we have compiled a list of MCQ Questions for Class 8 Hindi with
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3. Answer: (a) क्योंकि उसने धोखे से आए लेखक के पैसे लौटा दिए थे Question 4. Answer: (c) अच्छी बातों को Question 5. Answer: (c) मुहम्मद अली जिन्ना Question 6. Answer: (a) लोभ Question 7. Answer: (c) दूध Question 8. Answer: (b) आठ Question 9. Answer: (d) दूध व पानी गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (1) भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्त्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि में मनुष्य के भीतर जो महान आंतरिक गुण स्थिर भाव से | बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष ने कभी भी उन्हें उचित नहीं माना, उन्हें सदा संयम के बंधन से बाँधकर रखने का प्रयत्न किया है। परंतु भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती, गुमराह को ठीक रास्ते पर लाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती। Question 1. Answer: (d) भौतिक। Question 2. Answer: (a) आंतरिक गुणों को। Question 3. Answer: (c) अपने बुद्धि को लोभ-काम-क्रोध आदि विकारों के इशारे पर छोड़ देना। Question 4. Answer: (c) संयम का बंधन। Question 5. Answer: (d) ‘a’ और ‘b’ दोनों कथन सत्य हैं। (2) इस बात के पर्याप्त प्रमाण खोजे जा सकते हैं कि समाज के उपरी वर्ग में चाहे जो भी होता रहा हो, भीतर-भीतर भारतवर्ष अब भी यह अनुभव कर रहा है कि धर्म कानून से बड़ी चीज़ है। अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। वे दब अवश्य गए हैं, लेकिन नष्ट नहीं हुए हैं। आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है, महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ और चोरी को गलत समझता है, दूसरे को पीड़ा पहुँचाने को पाप समझता है। हर आदमी अपने व्यक्तिगत जीवन में इस बात का अनुभव करता है। समाचार-पत्रों में जो भ्रष्टाचार के प्रति इतना आक्रोश है, वह यही साबित करता है कि हम ऐसी चीज़ों को गलत समझते हैं और समाज में उन तत्त्वों की प्रतिष्ठा कम करना चाहते हैं जो गलत तरीके से धन या मान संग्रह करते हैं। Question
1. Answer: (b) कानून से धर्म बड़ी चीज़ है। Question 2. Answer: (d) सभी कथन सत्य हैं। Question 3. Answer: (c) पाप समझता है। Question 4. Answer: (b) समाज विरोधी कार्यों को गलत समझना। Question 5. Answer: (a) प्र। (3) दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्त्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बुरी बात है। सैकड़ों घटनाएँ ऐसी घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोक-चित्त में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जागती है। Question 1. Answer: (a) हाँ। Question 2. Answer: (b) दूसरों के दोषों में रस लेने को। Question 3. Answer: (d) दूसरों
की अच्छाइयों को उजागर न करना Question 4. Answer: (b) लोगों में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जागेगी। Question 5. Answer: (c) दोष + उद्घाटन। (4) ठगा भी गया हूँ, धोखा भी खाया है, परंतु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज़ मिलती है। केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है तो जीवन कष्टकर हो जाएगा, परंतु ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण सहायता की है, निराश मन को ढाँढ़स दिया है और हिम्मत बँधाई है। कविवर
रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपने प्रार्थना गीत में भगवान से प्रार्थना की थी कि संसार में केवल नुकसान ही उठाना पड़े, धोखा ही खाना पड़े तो ऐसे अवसरों पर भी हे प्रभो! मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं तुम्हारे ऊपर संदेह न करूँ। Question 1. Answer: (b) जब हमारी सोच नकारात्मक होती है। Question 2. Answer: (c) ईश्वर पर संदेह न करने की शक्ति। Question 3. Answer: (a) मनुष्य की बनाई विधियों को। Question 4. Answer: (d) मन की निराशा को दूर करने की। Question 5. Answer: (d) नञ् तत्पुरुष समास। We think the shed NCERT MCQ Questions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए with Answers Pdf free download will benefit you to the fullest. For any queries regarding CBSE Class 8 Hindi Vasant क्या निराश हुआ जाए MCQs Multiple Choice Questions with Answers, share with us via the below comment box and we’ll reply back to you at the earliest possible. |