Shimla samjhauta kab hua:इस लेख में हम आज चर्चा करेंगे की शिमला समझौता किसे कहते हैं, शिमला समझौता कब हुआ, शिमला समझौता कब और किसने आयोजित किया, शिमला समझौता शिमला में किस स्थान पर हुआ आदि । Shimla samjhauta Show आपको यहाँ बताते चलें की जब 1971 ईस्वी में भारत पाक युद्ध समाप्त हुआ उसके बाद भारत के शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर हुआ अतः इसे ही शिमला समझौता कहते हैं । Shimla samjhauta शिमला समझौता कब और किसने आयोजित किया?शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 ईस्वी में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था । इस समझौते में भारत की तरफ से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने भाग लिया था । दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर 1971 ईस्वी में युद्ध हुआ था और इसमें पाकिस्तान के 90000 से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया । इस समय पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी कर रहे थे । Shimla samjhauta इसक साथ ही इसी समय पूर्वी पाकिस्तान को बंगलादेश के रूप में मुक्ति मिली थी । इसी दरम्यान पाकिस्तान एक तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो अपनी पुत्री के साथ 28 जून 1972 ईस्वी में शिमला आए थे । यहाँ पर आपको एक बात यह बता दें की ये वही भुट्टो थे जिन्होंने कई कसमें वादे खाए थे की मैं सुखी और घास की रोटी खाकर भी भारत के साथ युद्ध जारी रखूँगा । इधर दोनों पक्षों में कई दौर की वार्ताएं शुरू और खत्म हुईं लेकिन हल नहीं निकल पा रहा था । लेकिन इन सभी असफल वार्ताओं के पीछे भी पाकिस्तान की हठधर्मिता जिम्मेदार थी । लेकिन समय का फेर देखिए दो जुलाई को ही समय ने करवट लिया दो जुलाई को लंच शुरू होने से पहले ही दोनों पक्षों में समझौता हो गया । समझौता पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख भारत की ओर से श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की तरफ से थीं और पाकिस्तान की ओर से जुल्फिकार खान भुट्टो थे । शिमला समझौता शिमला में किस स्थान पर हुआ?शिमला समझौता हिमांचल प्रदेश में बार्न्स कोर्ट राजभवन में हुआ था । यह हिमांचल प्रदेश में पड़ता है । शिमला समझौता में प्रमुख बातें शामिल थी-
इस प्रकार देखा जाए तो भुट्टो इस बात पर राजी हुए की भारत-पाकिस्तान संबंधों को केवल मात्र द्वितपक्षीय वार्ता से हल किया जा सकेगा । जरा गौर से इस समझौते को देखा जाए तो भारत के लिए यह एक समर्पण था क्योंकि जिन प्रदेशों पर उन्होंने अधिकार किया था उन्हें छोड़ना पड़ा जैसे की आलोचकों ने इस बात का जिक्र किया साथ ही इस समझौते का सबसे बड़ा फल यह निकल की कश्मीर विवाद को अन्तराष्ट्रिय रंग नहीं दिया गए और आपसी बातचीत से हल करने के साँचे में डाल दिया गया । Shimla samjhauta आज आपने इस लेख में क्या सीखा?Important Gyan में-आज हमने शिमला समझौता पर कुछ महत्वपूर्ण चर्चा किया और बताया की शिमला समझौता कब हुआ और किसके बीच में हुआ था? आशा है यह लेख आप लोगों को पसंद आया होगा और इस विषय से संबंधित आप लोगों के मन में कोई प्रश्न हो तो कॉमेंट के माध्यम से जरूर हमें अवगत कराएं । Shimla samjhauta
FAQs– Shimla samjhautaप्रश्न:-भारत पाक युद्ध कितनी बार हुआ? उत्तर:-भारत और पकिस्तान के बीच कुल चार युद्ध हुए थे-1948 ईस्वी में, 1965 ईस्वी में, 1971 ईस्वी में और 1999 ईस्वी में । प्रश्न:-पाकिस्तानी सैनिकों ने किसके नेतृत्व में भारत के सामने समर्पण किया था? उत्तर:- लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में । प्रश्न:-जुल्फिकार अली भुट्टो शिमला कब आए थे? उत्तर:-28 जून 1972 ईस्वी को । प्रश्न:-शिमला समझौता किस तारीख को हुआ था? उत्तर:-2 जुलाई 1972 ईस्वी को । प्रश्न:- शिमला समझौता किन दो देशों के बीच हुआ था? उत्तर:-भारत और पाकिस्तान के बीच में हुआ था । प्रश्न:-किस तारीख को युद्ध विराम की रेखा को नियंत्रण रेखा माना गया? उत्तर:- 17 सितंबर 1971 की युद्ध विराम की रेखा को नियंत्रण रेखा माना गया । प्रश्न:-शिमला समझौते में किन दो नेताओं ने भाग लिया था? उत्तर:-भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार भुट्टो ने भाग लिया था । Shimla samjhauta भारत और पाकिस्तान के बीच में शिमला समझौता कब हुआ था?2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच समझौता हुआ. इसे ही शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है.
भारत पाक समझौता क्या है?भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच कई साल चली वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में सिंधु-तास समझौता सितंबर 1960 में हुआ था. उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के उस समय के नेता जनरल अयूब ख़ान ने कराची में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
शिमला समझौते के मुख्य बिंदु क्या है?1971 में हुए भारत – पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ था। शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को शिमला में हुआ था। 1971 के भारत – पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान के क़रीब 90 हज़ार सैनिकों को भारत ने बंदी बनाया था और पाकिस्तान के बड़े भू-भाग पर भारत ने कब्ज़ा भी कर लिया था।
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