भारत माता के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है? - bhaarat maata ke prati hamaara kya kartavy hai?

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। माता तो केवल हमें जन्म

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी

माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। माता तो केवल हमें जन्म देती है, परन्तु मातृभूमि हमारी जन्मदाता और जन्मदात्री का भी उसी प्रकार लालन पालन करती है, जिस प्रकार वे हमें लाड और प्यार से पालते पोसते हैं। मातृभूमि की कृपा से हम संसार के समस्त सुखों का उपभोग करते हैं। उस अनंत कृपामयी जन्मभूमि के प्रति हमारा अनंत दायित्व है। चाहे हम आम नागरिक या संन्यासी हो अथवा शिक्षक हों या छात्र हों।

देश का पन्त्येक नागरिक, चाहे वह जिस स्थान पर है और जिस स्थिति में है, वह वहीं रह कर देश सेवा के काम में लगा हुआ है। सैनिक युद्ध मोर्चा पर, किसान अपने खेतों और खलिहानों में मेहनत करके, व्यापारी अपने व्यापार को आगे बढ़ाकर, ,साहित्यकार उत्तम साहित्य की रचना करके, डॉक्टर और वैध लोगों की चिकित्सा करके, विधार्थी विधाध्यन, लोहार अपनी धौंकनी पर बैठा हुआ देश की सेवा में लगा हुआ है। यदि सभी देशवासी अपने-अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करते रहें, तो भारतवर्ष उन्नति के उच्चतम शिखर पर पहुंच जाएगा।

कहने का तात्पर्य यह है कि जिस व्यक्ति का जो काम है वह यदि निष्ठापूर्वक एकागन् मन से, ईमानदारी से पूरा करने में जुटें तो वह राष्ट्र के पन्ति अपने कर्तव्य का पालन सही प्रकार कर रहा है। आज के संदर्भ में यदि देखें तो प्रत्येक नागरिक का सह कर्तव्य है कि वह पन्धानमंत्री द्वारा चलाए गए स्वचछता अभियान से जुड़कर, घर की, आसपास की, अपने मुहल्ले तथा शहर की एवं अपने राष्ट्र की स्वच्छता का ख्याल रखे। वह स्वयं भी गंदगी फैलाने वाला काम न करे और ना ही दूसरों को करने दें। सार्वजनिक इमारतों एवं स्थलों पर अश्लील बातें लिखकर हम अपने देश के सौंदर्य को क्षति न पहुंचाए। इसी प्रकार अपने देश की निंदा करके अथवा दूसरे देशों की तुलना में अपने देश को हीन बताकर, अपने देश के शक्ति को हानि न पहुंचाना भी हम सभी का परम कर्तव्य है। हर व्यक्ति यदि अपने जीवन के कर्मो को संपादित करता हुआ केवल एक घंटा भी अपने देश के विकास के बारे में सोचे तथा उसके अनुसार अपने कर्तव्य निर्धारित कर ले तो उसके द्वारा राष्ट्र के पन्ति सच्ची सेवा होगी।

देश के नवयुवक अपने रोजगार के लिए केवल सरकार का मुंह न देखें, बल्कि स्वरोजगार के द्वारा खुद तो स्वावलंबी बनें ही अन्य लोगों को रोजगार के लिए स्वावलंबी बनाने का प्रयास करें और उन्हें भी रोजगार दें। इस तरह सरकारी नौकरियों पर बोझ तो कम होगा देश में समृद्धि के नए रास्ते खुल जाएंगे। यही नहीं पन्धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया का जो विजन देशवासियों को दिया है वह भी साकार हो सकेगा। मेक इन इंडिया की सफलता जहां देश को आत्मनिर्भर बनाएगी वहीं लोगों की समृद्धि भी बढ़ेगी। देश के नागरिकों का क‌र्त्तव्य है कि वे हर पन्कार से देशहित के पन्ति समर्पित रहें। राष्ट्रहित, स्वयं के हित से ज्यादा महत्वपूर्ण है। समाज में नर और नारियौं सदा से सम्मान की दृष्टि से देखी जाती रही है।

यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता

मुनी-ऋषियों ने स्त्री को पूजा योग्य स्थान दिया है। परन्तु जिस देश में स्त्री शक्ति का इतना महत्व है उसी देश में कन्या भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण जैसे दुष्कर्म भी होते आ रहे हैं। अत: लोगो को संकीर्ण मानसिकता से बाहर आकर बेटा-बेटी के बीच भेदभाव न रखने तथा बेटियों को भी पढ़ने-लिखने और आगे बढ़ने तथा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पन्दान करना चाहिए। महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें अधिकार देने के लिए सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरूआत की। देश की पन्गति हमारा कर्तव्य है, हमें मिलकर इस कार्यक्रम को इसे सफल बनाएं।

छात्रों का कर्तव्य है कि तन-मन-धन से राष्ट्र की उन्नति के लिए आगे आएं। वे जन जागरण पैदा कर राष्ट्र को एकता के सूत्र में बॉधने का प्रयास करें। लोगों में आत्मबल का संचार करें, धर्मिकता, प्रांतीयता या जातीयता के नाम पर पनपने वाले झगड़ो को समूल नष्ट कर देने का प्रयास करें।

शिक्षक-शिक्षिकाओं का यह क‌र्त्तव्य है कि वे उच्च नैतिक मूल्यों को विधार्थियों में भरते हुए उनके बौद्धिक विकास में सहयोग करें ताकि वे राष्ट्र की चुनौतियों पर खरा उतरे। नागरिक ठीक समय पर अपना टैक्स जमा करे और ईमानदारी बरतें। सभी वर्ग के नागरिक चाहे वे सरकारी कर्मचारी हो, आम नागरिक हो, शिक्षक हो, विद्यार्थी हो या व्यापारी हों, समय-समय पर सभी थोड़ा-थोड़ा क्षमादान करें एवं इसके माध्यम से सड़को, नहरों तथा बांधों के निर्माण में सहायता प्रदान करें।

विधार्थियों और नागरिकों के सम्मिलत कदम से ही देश से अंग्रेजों को निकाला गया। महापुरुषों में शामिल राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और जय प्रकाश जैसे नेताओं ने अंग्रेजी शासकों को नाको चने चबवा दिये। हमें अपने राष्ट्र के प्रति दायित्व को पूरा करने में हर तरह से सहयोग कराना चाहिए। यह हमारा नैतिक कर्तव्य होना चाहिए। -वीणा तलवार, प्राचार्या, आरवीएस एकेडमी, मानगो, डिमना रोड।

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शिक्षकों के बोल

हमें अपने नागरिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। इसमें राष्ट्र का विकास निहित है। किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए नैतिक शिक्षा व चरित्र निर्माण भी आवश्यक है। हमें इस कार्य को बढ़ावा देना चाहिए। एक शिक्षक के रूप में मैं अपना राष्ट्र के प्रति दायित्व निभा रही हूं।

-मिताली रॉय चौधरी, उप प्राचार्य, आरवीएस एकेडमी।

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भारत के नागरिक होने के कारण लोगों को अपने राष्ट्र के विकास में अपने जीवन काल में किसी न किसी रूप में योगदान देना चाहिए। समाज की संस्कृति व परंपरा की रक्षा के लिए कार्य भी करना चाहिए। संस्कृति व परंपरा ही भारत की आत्मा है। -प्रीति सिंह, सीनियर कोर्डिनेटर, आरवीएस एकेडमी।

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दैनिक जागरण भी बच्चों व आम नागरिकों को राष्ट्र के प्रति दायित्व को बोध कराने का रहा है। ऐसा कर वह पने धर्म व नागरिक होने का फर्ज अदा कर रहा है। समाज के प्रति नागरिक को इस ओर कार्य करना चाहिए। वह जिस काम में है, उसी में वह राष्ट्र की सेवा कर सकता है। -मधुलिका मिश्रा, शिक्षिका

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राष्ट्र के प्रति हमारा प्रथम दायित्व है कि हम सब उसके द्वारा निर्मित संविधान व नियम-कानूनों का पालन करें। ऐसा करके भी हम अपने राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं। राष्ट्र का सबसे ज्यादा आज के छात्रों पर रहता है क्योंकि वे ही भविष्य है। इस कारण उनके सर्वागीण विकास के लिए पूरा समाज व राष्ट्र प्रयास करता है। -श्रेया, छात्रा।

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लड़कियों के प्रति अभिभावकों, स्कूलों व समाज को अपनी सोच बदलनी होगी। वे हर तरह के क्षेत्र में कार्य कर अपने राष्ट्र की सेवा कर सकती है। लड़के व लड़कियों में भेदभाव नहीं बरतना चाहिए। इससे हमारे समाज व राष्ट्र का चौतरफा विकास होगा। -अभिलाषा, छात्रा।

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-आज के युग में छात्रों का देश निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है। एक छात्र के नाते मैं यह मानता हूं अगर मैं संपूर्ण रूप से शिक्षित होउुंगा तो मैं ¨हसा को बंद करने का प्रयास करुंगा और इसके लिए लोगों को जागरुक भी करुंगा। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की अ¨हसा की छवि को और प्रगाढ़ करने का प्रयास करुंगा। -अभिषेक, छात्र।

भारतभूमि के प्रति हमारा कर्तव्य क्या है?

माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। माता तो केवल हमें जन्म देती है, परन्तु मातृभूमि हमारी जन्मदाता और जन्मदात्री का भी उसी प्रकार लालन पालन करती है, जिस प्रकार वे हमें लाड और प्यार से पालते पोसते हैं। मातृभूमि की कृपा से हम संसार के समस्त सुखों का उपभोग करते हैं।

लिखिए जन्मभूमि के प्रति आपके क्या कर्तव्य हैं?

समास के प्रकार लिखिए और प्रत्येक का एक - एक उदाहरण दीजिए ।