भारत में प्रथम मजदूर संघ विधान का निरूपण 1926 में हुआ था - bhaarat mein pratham majadoor sangh vidhaan ka niroopan 1926 mein hua tha

व्यवसाय संघ अधिनियम, 1926

(1926 का अधिनियम संख्यांक 16)

                                [25 मार्च, 1926]

*** व्यवसाय संघों के रजिस्ट्रीकरण का उपबन्ध करने के लिए और रजिस्ट्रीकृत

व्यवसाय संघों से संबंधित विधि को कतिपय विषयों

में परिभाषित करने के लिए

अधिनियम

2*** व्यवसाय संघों के रजिस्ट्रीकरण के लिए उपबन्ध करना और रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघों से संबंधित विधि को कतिपय विषयों में परिभाषित करना समीचीन है ;

अतः एतद्द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित किया जाता है :-

अध्याय 1

प्रारम्भिक

                1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ-(1) यह अधिनियम  *** व्यवसाय संघ अधिनियम, 1926 कहा जा सकेगा

                 [(2) इसका विस्तार  *** सम्पूर्ण भारत पर है ]

                (3) यह उस तारीख  को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे

                2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में  [“समुचित सरकार" से, ऐसे व्यवसाय संघों के संबंध में, जिनके उद्देश्य एक राज्य तक सीमित नहीं हैं, केन्द्रीय सरकार और अन्य व्यवसाय संघों के संबंध में राज्य सरकार अभिप्रेत है, और], जब तक कि विषय या संदर्भ में कोई बात विरुद्ध हो,-

() “कार्यपालिका" से वह निकाय, उसका नाम चाहे जो भी हो, अभिप्रेत है, जिसे किसी व्यवसाय संघ के कार्यकलाप का प्रबंध न्यस्त किया गया है ;

()  [“पदाधिकारी"] के अन्तर्गत, व्यवसाय संघ के दशा में, उसकी कार्यपालिका का कोई सदस्य आता है, किन्तु उसके अन्तर्गत संपरीक्षक नहीं आता ;

                                () “विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए विनियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;

() “रजिस्ट्रीकृत कार्यालय" से किसी व्यवसाय संघ का वह कार्यालय अभिप्रेत है जो उसके प्रधान कार्यालय के रूप में इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत है ;

                                () “रजिस्ट्रकृत व्यवसाय संघ" से इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ अभिप्रेत है ;

                                 [() “रजिस्ट्रार" से अभिप्रेत है-

(i) समुचित सरकार द्वारा, धारा 3 के अधीन नियुक्त व्यवसाय संघों का रजिस्ट्रार, और इसके अन्तर्गत व्यवसाय संघों का अतिरिक्त रजिस्ट्रार या उपरजिस्ट्रार आता है, तथा

(ii) किसी व्यवसाय संघ के संबंध में, वह रजिस्ट्रार जो उस राज्य के लिए नियुक्त किया गया हो जिसमें व्यवसाय संघ का, यथास्थिति, प्रधान कार्यालय या रजिस्ट्रीकृत कार्यालय स्थित है ;]

() “व्यवसाय-विवाद" से नियोजकों और कर्मकारों के बीच का या कर्मकारों और कर्मकारों के बीच का या नियोजकों और नियोजकों के बीच का ऐसा विवाद अभिप्रेत है जो किसी व्यक्ति के नियोजन या अनियोजन से या नियोजन के निबन्धनों या श्रम परिस्थितियों से संसक्त हो, और कर्मकारों" से वे सभी व्यक्ति अभिप्रेत हैं, जो व्यवसाय या उद्योग में नियोजित हों, चाहे वे उस नियोजक के नियोजन में हों, या हों, जिसके साथ व्यवसाय-विवाद उद्भूत होता है ; तथा

() “व्यवसाय संघ" से अस्थायी या स्थायी कोई भी ऐसा समुच्चय अभिप्रेत है जो कर्मकारों और नियोजकों के बीच के या कर्मकारों और कर्मकारों के बीच के या नियोजकों और नियोजकों के बीच के सम्बन्ध को विनियमित करने के प्रयोजन के लिए या किसी व्यवसाय या कारबार के संचालन पर निर्बन्धनात्मक शर्तें अधिरोपित करने के लिए प्रथमतः बनाया गया है और इसके अन्तर्गत दो या अधिक व्यवसाय संघों का कोई परिसंघ आता है :

                परन्तु यह अधिनियम-

                                (i) भागीदारों के बीच के, उनके अपने कारबार के किसी करार पर,

                                (ii) किसी नियोजक और उसके द्वारा नियोजित व्यक्तियों के बीच नियोजन के बारे में किसी करार पर, अथवा

                (iii) किसी कारबार की गुडविल के विक्रय के या किसी वृत्ति, व्यवसाय या हस्तशिल्प में शिक्षण के, प्रतिफलस्वरूप किसी करार पर,

प्रभाव नहीं डालेगा

अध्याय 2

व्यवसाय संघों का रजिस्ट्रीकरण

                3. रजिस्ट्रारों की नियुक्ति- [(1)]  [समुचित सरकार]  [हर एक राज्य] के लिए किसी व्यक्ति को व्यवसाय संघों का रजिस्ट्रार नियुक्त करेगी

                 [(2) समुचित सरकार इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रार की ऐसी शक्तियों और कृत्यों का, जिन्हें वह आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे, रजिस्ट्रार के अधीक्षण और निदेशन के अधीन प्रयोग और निर्वहन करने के प्रयोजन के लिए व्यवसाय संघ इतने अतिरिक्त रजिस्ट्रार और उपरजिस्ट्रार नियुक्त कर सकेगी जितने वह ठीक समझे और उन स्थानीय सीमाओं को जिनके अंदर ऐसा कोई अतिरिक्त रजिस्ट्रार या उपरजिस्ट्रार इस प्रकार विनिर्दिष्ट शक्तियों और कृत्यों का प्रयोग और निर्वहन करेगा, परिनिश्चित कर सकेगी

(3) उपधारा (2) के अधीन के किसी आदेश के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, जहां कि कोई अतिरिक्त रजिस्ट्रार या उपरजिस्ट्रार किसी ऐसे क्षेत्र में, जिसके अन्दर किसी व्यवसाय संघ का रजिस्ट्रीकृत कार्यालय स्थित है, रजिस्ट्रार की शक्तियों और कृत्यों का प्रयोग और निर्वहन करता है वहां वह अतिरिक्त रजिस्ट्रार या उपरजिस्ट्रार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए उस व्यवसाय संघ के सम्बन्ध में रजिस्ट्रार समझा जाएगा ]

4. रजिस्ट्रीकरण का ढंग- [(1)] व्यवसाय संघ के कोई भी सात या अधिक सदस्य उस व्यवसाय संघ के नियमों पर अपने नामों के हस्ताक्षर करके तथा रजिस्ट्रीकरण की बाबत इस अधिनियम के उपबंधों का अन्यथा अनुपालन करके, इस अधिनियम के अधीन व्यवसाय संघ के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन कर सकेंगे :

 [परंतु कोई कर्मकार व्यवसाय संघ तब तक रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा जब तक कि ऐसे स्थापन या उद्योग में, जिससे वह संसक्त है, लगे हुए या नियोजित कर्मकारों के कम से कम दस प्रतिशत या एक सौ कर्मकार, इनमें से जो भी कम हो, रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन किए जाने की तारीख को ऐसे व्यवसाय संघ के सदस्य हों

परंतु यह और कि कोई कर्मकार व्यवसाय संघ तब तक रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके पास आवेदन किए जाने की तारीख को उसके सदस्यों के रूप में कम से कम सात ऐसे व्यक्ति हों जो ऐसे स्थापन या उद्योग में, जिससे वह संसक्त हैं, लगे हुए या नियोजित कर्मकार हैं ]

 [(2) जहां कि किसी व्यवसाय संघ के रजिस्ट्रीकरण के लिए उपधारा (1) के अधीन कोई आवेदन किया गया है, वहां ऐसा आवेदन केवल इसी तथ्य के कारण अविधिमान्य हुआ नहीं समझा जाएगा कि आवेदन की तारीख के पश्चात् किसी समय किन्तु व्यवसवाय संघ के रजिस्ट्रीकरण से पूर्व कुछ आवेदक, जिनकी संख्या आवेदन करने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या के आधे से अधिक हो, व्यवसाय संघ के सदस्य नहीं रह गए हैं, या उन्होंने उस आवेदन से अपने आप को अलग करने के लिए रजिस्ट्रार को लिखित सूचना दे दी है ]

5. रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन-(1) व्यवसाय संघ के रजिस्ट्रीकरण के लिए हर आवेदन रजिस्ट्रार को किया जाएगा और उसके साथ व्यवसय संघ के नियमों की एक प्रतिलिपि और निम्नलिखित विशिष्टियों का एक कथन भी संलग्न होगा, अर्थात् :-

                () आवेदन करने वाले सदस्यों के नाम, उपजीविकाएं और पते ;

                 [(कक) कर्मकार व्यवसाय संघ की दशा में, आवेदन करने वाले व्यवसाय संघ के सदस्यों के नाम, उपजीविकाएं और कार्य-स्थान के पते ;

                () व्यवसाय संघ का नाम और उसके प्रधान कार्यालय का पता ; तथा

                () व्यवसाय संघ के  [पदाधिकारियोंट के अभिधान, नाम, आयु, पते और उपजीविकाएं

(2) जहां कि कोई व्यवसाय संघ, अपने रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन किए जाने से पूर्व एक वर्ष से अधिक तक विद्यमान रहा है, वहां रजिस्ट्रार को आवेदन के साथ व्यवसाय संघ की आस्तियों और दायित्वों का साधारण विवरण ऐसे प्ररूप में तैयार किया हुआ और ऐसी विशिष्टियां अन्तर्विष्ट करते हुए दिया जाएगा जैसी विहित की जाएं

6. व्यवसाय संघ के नियमों में अन्तर्विष्ट किए जाने वाले उपबन्ध-व्यवसाय संघ इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकरण का हकदार तब तक नहीं होगा जब तक कि उसकी कार्यपालिका इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार गठित कर ली गई हो और उसके नियम निम्नलिखित विषयों के लिए उपबन्ध करते हों, अर्थात् :-

                () व्यवसाय संघ का नाम ;

                () वे सभी उद्देश्य जिनके लिए व्यवसाय संघ स्थापित किया गया है ;

                () वे सभी प्रयोजन जिनके लिए व्यवसाय संघ की साधारण निधियां उपयोज्य होंगी, जो सभी प्रयोजन ऐसे प्रयोजन होंगे जिनके लिए ऐसी निधियां इस अधिनियम के अधीन विधिपूर्वक उपयोजित की जा सकती हैं ;

() व्यवसाय संघ के सदस्यों की सूची का रखा जाना और व्यवसाय संघ के 3[पदाधिकारियोंट और सदस्यों द्वारा उसके निरीक्षण के लिए पर्याप्त सुविधाएं ;

() उन साधारण सदस्यों का प्रवेश जो ऐसे उद्योग में, जिससे वह व्यवसाय संघ संसक्त है, वस्तुतः लगे हुए या नियोजित व्यक्ति होंगे, और 3[पदाधिकारियोंट के रूप में उतने मानद या अस्थायी सदस्यों का प्रवेश जितने व्यवसाय संघ की कार्यपालिका बनाने के लिए धारा 22 के अधीन अपेक्षित हैं ;

                 [(ङङ) व्यवसाय संघ के सदस्यों द्वारा चंदे का न्यूनतम संदाय, जो निम्नलिखित से कम नहीं होगा :-

                                (i) ग्रामीण कर्मकारों के लिए एक रुपया प्रतिवर्ष ;

                                (ii) अन्य असंगठित सेक्टरों में कर्मकारों के लिए तीन रुपए प्रतिवर्ष ; और

                                (iii) किसी अन्य दशा में कर्मकारों के लिए बारह रुपए प्रतिवर्ष ;

() वे शर्तें जिन पर सदस्य किसी ऐसे फायदे का हकदार होगा जिसका आश्वासन नियमों द्वारा दिया गया है और वे शर्तें जिनके अधीन कोई जुर्माना या समपहरण सदस्यों पर अधिरोपित किया जा सकेगा ;

() वह रीति जिससे नियमों को संशोधित किया जाएगा, उनमें फेरफार किया जाएगा या उन्हें विखंडित किया                    जाएगा ;

() वह रीति जिससे कार्यपालिका के सदस्यों को और व्यवसाय संघ के अन्य  [पदाधिकारियों] को  [निर्वाचित] किया जाएगा और हटाया जाएगा ;

 [(जज) वह कालावधि जो तीन वर्ष से अधिक की नहीं होगी जिसके लिए व्यवसाय संघ की कार्यकारिणी के सदस्य और अन्य पदाधिकारी निर्वाचित किए जाएंगे ;]

() व्यवसाय संघ की निधियों की सुरक्षित अभिरक्षा, उनके लेखाओं की ऐसी रीति से, जैसी विहित की जाए, वार्षिक संपरीक्षा, और व्यवसाय संघ के 1[पदाधिकारियों] और सदस्यों द्वारा लेखाबहियों के निरीक्षण के लिए यथायोग्य सुविधाएं ; तथा

() वह रीति जिससे व्यवसाय संघ को विघटित किया जा सकेगा

                7. अतिरिक्त विशिष्टियां मांगने और नाम में परिवर्तन करने की अपेक्षा करने की शक्ति-(1) रजिस्ट्रार अपना यह समाधान करने के प्रयोजन के लिए कि कोई आवेदन धारा 5 के उपबन्धों का अनुपालन करता है या व्यवसाय संघ धारा 6 के अधीन रजिस्ट्रीकरण का हकदार है अतिरिक्त जानकारी मांग सकेगा और जब तक ऐसी जानकारी नहीं दे दी जाती तब तक उस व्यवसाय संघ को रजिस्ट्रीकृत करने से इन्कार कर सकेगा

                (2) यदि वह नाम जिसमें किसी व्यवसाय संघ के रजिस्ट्रीकृत किए जाने की प्रस्थापना है वही है जिसमें कोई अन्य विद्यमान व्यवसाय संघ रजिस्ट्रीकृत हुआ है या रजिस्ट्रार की राय में ऐसे नाम के इतना अधिक सदृश है कि उससे जनता का या उन व्यवसाय संघों में से किसी के भी सदस्यों का धोखे में पड़ जाना संभाव्य है तो रजिस्ट्रार रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों से यह अपेक्षा करेगा कि वे आवेदन में कथित व्यवसाय संघ के नाम को परिवर्तित कर दें और जब तक  ऐसा परिवर्तन नहीं कर दिया जाता तब तक उस संघ को रजिस्ट्रीकृत करने से इन्कार कर देगा

                8. रजिस्ट्रीकरण-अपना यह समाधान हो जाने पर कि व्यवसाय संघ ने रजिस्ट्रीकरण के बारे में इस अधिनियम की सभी अपेक्षाओं का अनुपालन कर दिया है रजिस्ट्रार उस व्यवसाय संघ को उस रजिस्टर में, जिसे ऐसे प्ररूप में रखा जाएगा, जो विहित किया जाए, व्यवसाय संघ से सम्बद्ध ऐसी विशिष्टियां प्रविष्ट करके रजिस्ट्रीकृत करेगा, जो रजिस्ट्रीकरण के आवेदन के साथ दिए गए कथन में  अन्तर्विष्ट हों

                9. रजिस्ट्रीकरण का प्रमाणपत्र-रजिस्ट्रार धारा 8 के अधीन किसी व्यवसाय संघ को रजिस्ट्रीकृत कर लेने पर रजिस्ट्रीकरण का प्रमाणपत्र विहित प्ररूप में देगा, जो इस बात का निश्चायक साक्ष्य होगा कि व्यवसाय संघ इस अधिनियम के अधीन सम्यक् रूप से रजिस्ट्रीकृत हो गया है  

 [9. किसी व्यवसाय संघ की सदस्यता के बारे में न्यूनतम अपेक्षा-किसी रजिस्ट्रीकृत कर्मकार व्यवसाय संघ में, ऐसे स्थापन या उद्योग में, जिससे वह संसक्त है, लगे हुए या नियोजित कर्मकारों के, न्यूनतम संख्या सात के अधीन रहते हुए, कम से कम दस प्रतिशत या एक सौ कर्मकार, इनमें से जो भी कम हो, उसके सदस्यों के रूप में हमेशा ही बने रहेंगे ]

10. रजिस्ट्रीकरण का रद्द किया जाना-व्यवसाय संघ के रजिस्ट्रीकरण का प्रमाणपत्र रजिस्ट्रार द्वारा-

                () व्यवसाय संघ के आवेदन पर, ऐसी रीति से सत्यापित किया जाएगा जो विहित की जाए, अथवा

                () यदि रजिस्ट्रार का समाधान हो जाता है कि प्रणामपत्र कपट या भूल से अभिप्राप्त किया गया है, या व्यवसाय संघ अस्तित्वहीन हो गया है, या उसने जानबूझकर और रजिस्ट्रार से सूचना मिलने के पश्चात् इस अधिनियम के किसी उपबन्ध का उल्लंघन किया है या किसी ऐसे नियम को, जो किसी ऐसे उपबन्ध से असंगत है प्रवृत्त रहने दिया है, अथवा किसी ऐसे विषय का, जिसका उपबन्ध धारा 6 के अधीन अपेक्षित है, उपबन्ध करने वाले किसी नियम को विखंडित किया है,

                 [() यदि रजिस्ट्रार का यह समाधान हो जाता है कि किसी रजिस्ट्रीकृत कर्मकार व्यवसाय संघ में सदस्यों की अपेक्षित संख्या नहीं रही है,]

प्रत्याहृत या रद्द किया जा सकेगा :

                परन्तु प्रमाणपत्र को व्यवसाय संघ के आवेदन पर से अन्यथा प्रत्याहृत या रद्द करने से पूर्व रजिस्ट्रार व्यवसाय संघ को लिखित रूप में कम से कम दो मास की पूर्व सूचना देगा, जिसमें वह आधार विनिर्दिष्ट किया जाएगा जिस पर उस प्रमाणपत्र को प्रत्याहृत या रद्द करना प्रस्थापित है

 [11. अपील-(1) किसी व्यवसाय संघ को रजिस्ट्रीकृत करने से रजिस्ट्रार के इन्कार करने से, या रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र के प्रत्याहृत या रद्द किए जाने से व्यथित व्यक्ति ऐसी कालावधि के भीतर, जैसी विहित की जाए,-

() जहां कि व्यवसाय संघ का प्रधान कार्यालय किसी प्रेसिडेन्सी नगर की सीमाओं  *** के अन्दर स्थित है वहां उच्च न्यायालय में ; अथवा

                 [(कक) जहां कि प्रधान कार्यालय किसी ऐसे क्षेत्र में स्थित है जो किसी श्रम न्यायालय या औद्योगिक अधिकरण की अधिकारिता के भीतर आता है वहां, यथास्थिति, उस न्यायालय या अधिकरण में;]

                () जहां कि वह प्रधान कार्यालय किसी अन्य क्षेत्र में स्थित है वहां ऐसे न्यायालय में, जो आरम्भिक अधिकारिता वाले प्रधान सिविल न्यायालय के अपर न्यायाधीश या सहायक न्यायाधीश के न्यायालय से अवर हो और जिसे  [समुचित सरकार] उस क्षेत्र के लिए इस निमित्त नियुक्त करे,

अपील कर सकेगा

                (2) अपील न्यायालय अपील को खारिज कर सकेगा या रजिस्ट्रार को यह निदेश देने वाला आदेश पारित कर सकेगा कि वह संघ को रजिस्ट्रीकृत करे और धारा 9 के उपबन्धों के अधीन रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र दे या, यथास्थिति, प्रमाणपत्र के प्रत्याहरण या रद्दकरण के आदेश को अपास्त करने वाला आदेश पारित कर सकेगा, और रजिस्ट्रार ऐसे आदेश का अनुपालन करेगा

                (3) अपील न्यायालय उपधारा (1) के अधीन अपील के प्रयोजन के लिए यावत्शक्य उसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा जिसका, और उसे वही शक्तियां होंगी जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय वह अनुसरण करता है या उसे होती है, और यह भी निदेश दे सकेगा कि अपील का पूरा खर्चा या उसका कोई भाग किसके द्वारा संदत्त किया जाएगा, और ऐसे खर्चे उसी प्रकार वसूल किए जाएंगे मानो वे उक्त संहिता के अधीन किसी वाद में अधिनिर्णीत किए गए हों

                (4) उपधारा (1) के खंड () के अधीन नियुक्त किसी न्यायालय द्वारा अपील खारिज कर दिए जाने की दशा में, व्यथित व्यक्ति को उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार होगा और उच्च न्यायालय को ऐसी अपील के प्रयोजन के लिए उपधाराओं (2) और (3) के अधीन अपील न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी और उन उपधाराओं के उपबन्ध तद्नुसार लागू होंगे ]

                12. रजिस्ट्रीकृत कार्यालय-रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ को दी जाने वाली सभी संसूचनाएं और सूचनाएं उसके रजिस्ट्रीकृत कार्यालय के पते से भेजी जा सकेंगी प्रधान कार्यालय के पते में हुई किसी तब्दीली की सूचना, ऐसी तब्दीली के चौदह दिन के भीतर, रजिस्ट्रार को लिखित रूप में दी जाएगी और बदला हुआ पता धारा 8 में निर्दिष्ट रजिस्टर में अभिलिखित किया जाएगा

                13. रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघों का निगमन-हर रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ उस नाम का एक निगमित निकाय होगा जिसमें उसे रजिस्ट्रीकृत किया गया है और उसका शाश्वत उत्तराधिकार होगा, उसकी सामान्य मुद्रा होगी तथा उसे जंगम संपत्ति और स्थावर संपत्ति दोनों को ही अर्जित और धारित करने की तथा संविदा करने की शक्ति होगी, और उक्त नाम से वह वाद लाएगा और उस पर वाद लाया जाएगा

                14. कतिपय अधिनियमों का रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघों को लागू होना-निम्नलिखित अधिनियम, अर्थात् :-

                                () सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का 21),

                                () सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1912 (1912 का 2),

                                 [() कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1),]

किसी भी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ को लागू होंगे और ऐसे किसी अधिनियम के अधीन हुआ ऐसे किसी व्यवसाय संघ का रजिस्ट्रीकरण शून्य होगा

अध्याय 3

रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघों के अधिकार और दायित्व

                15. उद्देश्य जिन पर साधारण निधियां व्यय की जा सकेंगी-रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की साधारण निधियां निम्नलिखित से भिन्न किन्हीं उद्देश्यों पर व्यय की जाएंगी, अर्थात् :-

                                () व्यवाय संघ के  [पदाधिकारियों] को सम्बलम्, भत्तों और व्ययों का संदाय ;

                () व्यवसाय संघ के प्रशासन के लिए व्ययों का संदाय, जिसके अन्तर्गत व्यवसाय संघ की साधारण निधियों के लेखाओं की संपरीक्षा आती है ;

() जब कि किसी विधिक कार्यवाही का, जिसका वह व्यवसाय संघ या उसका कोई सदस्य पक्षकार है, अभियोजन या प्रतिवाद, व्यवसाय संघ के उस रूप में के अधिकारों को या ऐसे अधिकारों को, जो किसी सदस्य के उसके नियोजक के साथ या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ, जिसे वह सदस्य नियोजित करता है, सम्बन्धों से उद्भूत होते हों, सुनिश्चित या संरक्षित करने के प्रयोजन के लिए किया जाता है तब ऐसा अभियोजन या प्रतिवाद ;

                                () व्यवसाय संघ या उसके किसी सदस्य की ओर से व्यवसाय-विवादों का संचालन ;

                                () व्यवसाय-विवादों से उद्भूत होने वाली हानि के लिए सदस्यों को प्रतिकर का दिया जाना ;

                () सदस्यों की मृत्यु, वृद्धावस्था, रुग्णता, दुर्घटनाओं या बेकारी के कारण ऐसे सदस्यों या उनके आश्रितों को दिए जाने वाले भत्ते ;

() सदस्यों के जीवन के बीमा की पालिसियों अथवा रुग्णता, दुर्घटना या बेकारी के विरुद्ध सदस्यों का बीमा करने वाली पालिसियों का दिया जाना या उनके अधीन के दायित्व का ग्रहण ;                                  

() शैक्षिक, सामाजिक या धार्मिक प्रसुविधाओं का (जिसके अन्तर्गत मृत सदस्यों की अन्त्येष्टि या धार्मिक कर्मों के व्ययों का संदाय आता है) सदस्यों के लिए या सदस्यों के आश्रितों के लिए उपबन्ध ;

() मुख्यतः नियोजकों या कर्मकारों पर उनकी उस हैसियत में प्रभाव डालने वाले प्रश्नों पर चर्चा करने के प्रयोजन के लिए सामयिकी को चालू रखना ;

() उन उद्देश्यों में से, जिन पर व्यवसाय संघ की साधारण निधियां व्यय की जा सकती हैं, किसी को अग्रसर करने में, अभिदायों का किसी ऐसे हेतुक के लिए संदाय, जिसका आशय साधारणतया कर्मकारों को फायदा पहुंचाना है, परन्तु ऐसे अभिदायों की बाबत किसी भी वित्तीय वर्ष में व्यय किसी भी समय उस कुल योग के चतुर्थांश से अधिक नहीं होगा, जो उस वर्ष के दौरान में उस सकल आय को, जो उस व्यवसाय संघ की साधारण निधियों में उस वर्ष के दौरान उस समय तक प्रोद्भूत हुई हो, और उस वर्ष के प्रारम्भ पर उन निधियों में जमा अतिशेष को मिलाकर हो ; तथा

() अधिसूचना में अन्तर्विष्ट किन्हीं शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, कोई ऐसा अन्य उद्देश्य जो  [समुचित सरकार] द्वारा शासकीय राजपत्र में अधिसूचित किया गया हो

                16. राजनीतिक प्रयोजनों के लिए पृथक् निधि का गठन-(1) रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ एक पृथक् निधि का ऐसे अभिदायों से गठन कर सकेगा जो उस निधि के लिए पृथक्तः उद्गृहीत किए गए हों या दिए गए हों, जिसमें से संदाय, उपधारा (2) में विनिर्दिष्ट उद्देश्यों में से किसी को अग्रसर करने में उसके सदस्यों के नागरिक और राजनीतिक हितों की अभिवृद्धि के लिए किए जा सकेंगे

                (2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट उद्देश्य निम्नलिखित हैं :-

()  [संविधान] के अधीन गठित किसी विधायी निकाय के या किसी स्थानीय प्राधिकारी के सदस्य के रूप में निर्वाचन के लिए अपनी अभ्यर्थिता निर्वाचन के संसंग में निर्वाचन के पूर्व, दौरान या पश्चात् किसी अभ्यर्थी या भावी अभ्यर्थी द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपगत व्ययों का संदाय ; अथवा

() ऐसे किसी अभ्यर्थी या भावी अभ्यर्थी के समर्थन में किसी सभा का आयोजन, या किसी साहित्य या दस्तावेजों का वितरण ; अथवा

() किसी ऐसे व्यक्ति का भरण-पोषण जो  [संविधान] के अधीन गठित किसी विधायी निकाय का या किसी स्थानीय प्राधिकारी का सदस्य है ; अथवा

() 1[संविधान] के अधीन गठित किसी विधायी निकाय के लिए या किसी स्थानीय प्राधिकारी के लिए निर्वाचकों का रजिस्ट्रीकरण या अभ्यर्थी का चयन ; अथवा

() किसी भी प्रकार की राजनीतिक सभाओं का आयोजन या किसी भी प्रकार के राजनीतिक साहित्य या राजनीतिक दस्तावेजों का वितरण

                 [(2) उपधारा (2) में संविधान के अधीन गठित किसी विधायी निकाय के प्रति निदेशों का, उनके जम्मू-कश्मीर राज्य को लागू होने के संबंध में इस प्रकार अर्थ लगाया जाएगा कि उस राज्य के विधान-मंडल के प्रति निर्देश उनके अंतर्गत हैं ]

                (3) कोई भी सदस्य उपधारा (1) के अधीन गठित निधि में अभिदाय करने के लिए विवश नहीं किया जाएगा और कोई सदस्य, जो उक्त निधि में अभिदाय नहीं करता है, व्यवसाय संघ के फायदों में से किसी से भी अपवर्जित किया जाएगा और उक्त निधि में उसके द्वारा अभिदाय किए जाने के कारण उसे (उक्त निधि के नियंत्रण या प्रबंध के संबंध में के सिवाय) व्यवसाय संघ के अन्य सदस्यों की तुलना में किसी भी मामले में प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः किसी निर्योग्यता या किसी अलाभ के अधीन रखा जाएगा, और उक्त निधि में अभिदाय करना व्यवसाय संघ में प्रवेश के लिए शर्त के रूप में नहीं होगा

                17. व्यवसाय विवादों में आपराधिक षड़्यंत्र-रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ का कोई भी  [पदाधिकारीट या सदस्य व्यवसाय संघ के किसी ऐसे उद्देश्य को, जैसा धारा 15 में विनिर्दिष्ट है, अग्रसर करने के प्रयोजन के लिए सदस्यों के बीच हुए किसी करार के बारे में, जब तक कि वह करार किसी अपराध को करने का करार हो, भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 120 की उपधारा (2) के अधीन दण्डनीय नहीं होगा

                18. कतिपय दशाओं में सिविल वाद से उन्मुक्ति-(1) कोई भी वाद या अन्य विधिक कार्यवाही किसी ऐसे कार्य के बारे में जो ऐसे व्यवसाय-विवाद को, जिसका व्यवसाय संघ का सदस्य एक पक्षकार है, अनुध्यात करते हुए या उसे अग्रसर करने में किया गया है, उस रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के या उसके किसी 3[पदाधिकारी] या सदस्य के विरुद्ध किसी सिविल न्यायालय में केवल इसी आधार पर नहीं चलाई जा सकेगी कि ऐसा कार्य नियोजन की संविदा भंग करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को उत्प्रेरित करता है या वह किसी अन्य व्यक्ति के व्यवसाय, कारबार या नियोजन में, या किसी अन्य व्यक्ति के अपनी पूंजी या अपने श्रम को अपनी इच्छानुसार व्ययन करने के अधिकार में हस्तक्षेप करता है

                (2) रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ, किसी व्यवसाय-विवाद को अनुध्यात करते हुए या उसे अग्रसर करने में उस व्यवसाय संघ के किसी अभिकर्ता द्वारा किए गए किसी अपकृत्य की बाबत किसी सिविल न्यायालय में, किसी वाद या अन्य विधिक कार्यवाही में दायी होगा, यदि यह साबित हो जाए कि उस व्यक्ति ने व्यवसाय संघ की कार्यपालिका के ज्ञान के बिना या उस कार्यपालिका द्वारा दिए गए अभिव्यक्त अनुदेशों के प्रतिकूल कार्य किया था

                19. करारों की प्रवर्तनीयता-रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के सदस्यों के बीच हुआ करार, किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, केवल इसी तथ्य के कारण शून्य या शून्यकरणीय नहीं होगा कि उस करार के उद्देश्यों में से कोई उद्देश्य व्यापार के अवरोधक है :

परन्तु इस धारा की कोई भी बात उन शर्तों से संपृक्त किसी करार के भंग के लिए, जिन पर व्यवसाय संघ के कोई सदस्य अपना माल बेचेंगे या नहीं बेचेंगे, कारबार का संव्यवहार करेंगे या नहीं करेंगे, काम करेंगे या नहीं करेंगे, नियोजन करेंगे या नहीं करेंगे या नियोजित किए जाएंगे या नहीं किए जाएंगे, नुकसानी दिला पाने या वसूल करने के अभिव्यक्त प्रयोजन के लिए संस्थित किसी विधिक कार्यवाही को ग्रहण करने के लिए किसी सिविल न्यायालय को समर्थ नहीं करेगी

20. व्यवसाय संघ की पुस्तकों के निरीक्षण का अधिकार-रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की लेखा-बहियां और उसके सदस्यों की सूची व्यवसाय संघ के 3[पदाधिकारीट या सदस्य द्वारा निरीक्षण के लिए ऐसी समयों पर खुली रहेंगी जो व्यवसाय संघ के नियमों में उपबन्धित किए जाएं

21. व्यवसाय संघों की सदस्यता के लिए अप्राप्तवयों के अधिकार-कोई भी व्यक्ति जिसने पन्द्रह वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है, किसी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ का सदस्य, उस व्यवसाय संघ के तत्प्रतिकूल नियमों के अध्यधीन रहते हुए हो सकेगा और यथापूर्वोक्त अध्यधीन रहते हुए, सदस्य के सभी अधिकारों का उपयोग कर सकेगा और सभी ऐसी लिखतों का निष्पादन कर सकेगा और सभी ऐसे निस्तारण पत्र दे सकेगा जिनका निष्पादन किया जाना या दिया जाना नियमों के अधीन आवश्यक हो

                                                                                                                                                         

 [21. व्यवसाय संघों के पदाधिकारियों की निरर्हताएं-(1) कोई व्यक्ति किसी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की कार्यपालिका का सदस्य या उसका कोई अन्य पदाधिकारी चुने जाने या बने रहने के लिए निरर्हित होगा, यदि-

(i) उसने अठारह वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है ;

(ii) वह किसी ऐसे अपराध के लिए जिसमें नैतिक अधमता अन्तर्वलित हो भारत के किसी न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध और कारावास से दंडदिष्ट किया गया है, जब तक कि उसे छोड़े जाने के पश्चात् पांच वर्ष की कालावधि बीत गई हो

(2) किसी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की कार्यपालिका के किसी ऐसे सदस्य का या उसके किसी ऐसे पदाधिकारी का जो भारतीय व्यवसाय संघ (संशोधन) अधिनियम, 1964 के प्रारंभ के पूर्व, ऐसे अपराध के लिए जिसमें नैतिक अधमता अन्तर्वलित हो, दोषसिद्ध और कारावास से दण्डादिष्ट किया गया है ऐसे प्रारम्भ की तारीख को ऐसा सदस्य या पदाधिकारी रहना समाप्त हो जाएगा, जब तक कि उस तारीख के पूर्व उसे छोड़े जाने के पश्चात् पांच वर्ष की कालावधि बीत गई हो ]

 [(3) उपधारा (2) में, भारतीय व्यवसाय संघ (संशोधन) अधिनियम, 1964 के प्रारंभ के प्रति निर्देश का जम्मू-कश्मीर राज्य को लागू होने के संबंध में, इस प्रकार अर्थ लगाया जाएगा कि वह इस अधिनियम के उस राज्य में प्रारम्भ के प्रति निर्देश है ]

 [22. उद्योग से संसक्त पदाधिकारियों का अनुपात-(1) किसी असंगठित सेक्टर में प्रत्येक रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के पदाधिकारियों की कुल संख्या की कम से कम आधी संख्या ऐसे व्यक्तियों की होगी जो किसी ऐसे उद्योग में, जिससे व्यवसाय संघ संसक्त                है, वास्तव में लगे हुए हैं या नियोजित हैं :

परंतु समुचित सरकार, विशेष या साधारण आदेश द्वारा, यह घोषणा कर सकेगी कि इस धारा के उपबंध आदेश में विनिर्दिष्ट किसी व्यवसाय संघ को या व्यवसाय संघों के किसी वर्ग को लागू नहीं होंगे

स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए, असंगठित सेक्टर" से कोई ऐसा सेक्टर अभिप्रेत है जिसे समुचित सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे

(2) उपधारा (1) में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, किसी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के सभी पदाधिकारी, सिवाय पदाधिकारियों की कुल संख्या के एक तिहाई से अनधिक संख्या या पांच, इनमें से जो भी कम हो, ऐसे व्यक्ति होंगे जो ऐसे स्थापन या उद्योग में, जिससे व्यवसाय संघ संसक्त है, वास्तव में लगे हुए या नियोजित हैं

स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, किसी ऐसे कर्मचारी के बारे में, जो सेवानिवृत्त हो चुका है या जिसकी छंटनी कर दी गई है, यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी व्यवसाय संघ में कोई पद धारण करने के प्रयोजन के लिए बाहरी व्यक्ति है

(3) संघ या किसी राज्य मंत्रि-परिषद् का कोई सदस्य या उसमें लाभ का पद धारण करने वाला कोई व्यक्ति (जो ऐसा व्यक्ति नहीं है जो किसी ऐसे स्थापन या उद्योग में, जिससे व्यवसाय संघ संसक्त है, लगा हुआ या नियोजित है) किसी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की कार्यकारिणी का सदस्य या अन्य पदाधिकारी नहीं होगा

23. नाम में तब्दीली-रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ अपने सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम दो-तिहाई की सम्मति से और              धारा 25 के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, अपना नाम बदल सकेगा

24. व्यवसाय संघों का समामेलन-कोई भी दो या अधिक रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ, ऐसे व्यवसाय संघों या उनमें से किसी का विघटन करके, या विघटन किए बिना, या उनकी या उनमें से किसी की निधियों का विभाजन करके या विभाजन किए बिना, मिलकर एक व्यवसाय संघ के रूप में समामेलित हो सकेंगे परन्तु यह तब जब कि ऐसे हर एक व्यवसाय संघ के ऐसे सदस्यों के, जो मत देने के हकदार हों, कम से कम आधे सदस्यों के मत अभिलिखित किए गए हों और अभिलिखित किए गए मतों का कम से कम साठ प्रतिशत उस प्रस्थापना के पक्ष में हो

25. नाम बदलने या समामेलन की सूचना-(1) नाम की हर तब्दीली की और हर समामेलन की लिखित सूचना जिस पर, नाम बदले जाने की दशा में अपना नाम बदलने वाले व्यवसाय संघ के सचिव और सात सदस्यों के, और समामेलन की दशा में ऐसे हर एक व्यवसाय संघ के, जो उसमें पक्षकार हो, सचिव और सात सदस्यों के हस्ताक्षर होंगे, रजिस्ट्रार को भेजी जाएगी और जहां कि समामेलित व्यवसाय संघ का प्रधान कार्यालय किसी भिन्न राज्य में स्थित हो वहां उस राज्य के रजिस्ट्रार को भेजी जाएगी

(2) यदि प्रस्थापित नाम वही है जिसमें कोई अन्य विद्यमान व्यवसाय संघ रजिस्ट्रीकृत हुआ है या रजिस्ट्रार की राय में ऐसे नाम के इतना अधिक सदृश है कि उससे जनता का या उन व्यवसाय संघों से किसी के भी सदस्यों का धोखे में पड़ जाना संभाव्य है तो रजिस्ट्रार उस नाम की तब्दीली को रजिस्ट्रीकृत करने से इन्कार कर देगा

(3) उपधारा (2) में यथा उपबंधित के सिवाय, रजिस्ट्रार, यदि उसका यह समाधान हो जाए कि नाम की तब्दीली के बारे में इस अधिनियम के उपबंधों का अनुपालन हो गया है, नाम की तब्दीली धारा 8 में निर्दिष्ट रजिस्टर में रजिस्ट्रीकृत करेगा और नाम की तब्दीली ऐसे रजिस्ट्रीकरण की तारीख से प्रभावी होगी

(4) जिस राज्य में समामेलित व्यवसाय संघ का प्रधान कार्यालय स्थित है उसका रजिस्ट्रार, यदि उसका यह समाधान हो जाए कि समामेलन के बारे में इस अधिनियम के उपबंधों का अनुपालन हो गया है और जो व्यवसाय संघ तद्द्वारा बना है वह धारा 6 के अधीन रजिस्ट्रीकृत किए जाने का हकदार है, धारा 8 में उपबंधित रीति से उस व्यवसाय संघ को रजिस्ट्रीकृत करेगा और समामेलन ऐसे रजिस्ट्रीकरण की तारीख से प्रभावी होगा

26. नाम की तब्दीली और समामेलन का प्रभाव-(1) रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के नाम में की गई तब्दीली व्यवसाय संघ के किन्हीं अधिकारों या दायित्वों पर प्रभाव नहीं डालेगी और उस व्यवसाय संघ द्वारा या उसके विरुद्ध की गई किसी विधिक कार्यवाही को ही त्रुटियुक्त बनाएगी, और कोई भी ऐसी विधिक कार्यवाही जो उसके पूर्व नाम में उसके द्वारा या उसके विरुद्ध चालू रखी जा सकती थी या प्रारम्भ की जा सकती थी उसके नए नाम में उसके द्वारा या उसके विरुद्ध चालू रखी जा सकेगी या प्रारम्भ की जा सकेगी

(2) दो या अधिक रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघों का समामेलन ऐसे व्यवसाय संघों में से किसी के अधिकार पर या उनमें से किसी के लेनदार के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा

27. विघटन-(1) जब कि कोई रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ विघटित किया जाता है, तब विघटन की सूचना, जिस पर उस व्यवसाय संघ के सात सदस्यों और उसके सचिव के हस्ताक्षर होंगे, विघटन के चौदह दिन के भीतर रजिस्ट्रार को भेजी जाएगी और यदि उसका समाधान हो जाए कि विघटन व्यवसाय संघ के नियमों के अनुसार किया गया है तो वह सूचना उसके द्वारा रजिस्ट्रीकृत की जाएगी और विघटन ऐसे रजिस्ट्रीकरण की तारीख से प्रभावी होगा

(2) जहां कि किसी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ का विघटन रजिस्ट्रीकृत हो गया है और व्यवसाय संघ के नियम विघटन पर व्यवसाय संघ की निधियों के वितरण के लिए उपबंध नहीं करते वहां रजिस्ट्रार उन निधियों को सदस्यों के बीच ऐसी रीति से विभाजित करेगा जैसी विहित की जाए

28. विवरणियां-(1) रजिस्ट्रार को प्रति वर्ष ऐसी तारीख को या उससे पूर्व जो विहित की जाए, हर रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की ऐसी विहित तारीख से ठीक पूर्ववर्ती  [दिसम्बर] के 31वें दिन को समाप्त होने वाले वर्ष के दौरान की सभी प्राप्तियों और व्ययों का और व्यवसाय संघ की ऐसे 1[दिसम्बर] के 31वें दिन को विद्यमान आस्तियों और दायित्वों का विहित रीति से संपरीक्षित साधारण विवरण भेजा जाएगा विवरण ऐसे प्ररूप में तैयार किया जाएगा और उसमें ऐसी विशिष्टियां समाविष्ट होंगी जैसी विहित की जाएं

(2) साधारण विवरण के साथ रजिस्ट्रार को एक ऐसा विवरण, जिसमें उस वर्ष के दौरान जिसके प्रति निर्देश से साधारण विवरण बना है, व्यवसाय संघ द्वारा की गई  [पदाधिकारियों] की सभी तब्दीलियां दिखाई जाएंगी, और व्यवसाय संघ के नियमों की एक प्रतिलिपि भी, जो उसे रजिस्ट्रार को प्रेषित करने की तारीख तक शुद्ध की हुई होगी, भेजी जाएगी

(3) रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के नियमों में किए गए हर परिवर्तन की एक प्रतिलिपि, ऐसा परिवर्तन करने के पन्द्रह दिन के भीतर रजिस्ट्रार को भेजी जाएगी

 [(4) उपधाराओं (1), (2) और (3) में निर्दिष्ट दस्तावेजों की परीक्षा करने के प्रयोजन के लिए रजिस्ट्रार या उसके द्वारा साधारण या विशेश आदेश द्वारा प्राधिकृत कोई भी आफिसर व्यवसाय संघ से संबंधित रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र, लेखा-बहियों, रजिस्टरों और अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण उसके रजिस्ट्रीकृत कार्यालय में सभी युक्तियुक्त समयों पर कर सकेगा या यह अपेक्षा कर सकेगा कि उन्हें ऐसे स्थान पर जिसे वह इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, पेश किया जाए, किन्तु ऐसा कोई भी स्थान व्यवसाय संघ के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय से दस मील से अधिक की दूरी पर होगा ]

 

अध्याय 4

विनियम

                29. विनियम बनाने की शक्ति-(1)  ***  [समुचित सरकार] इस अधिनियम के उपबन्धों का क्रियान्वित करने के प्रयोजन के लिए विनियम बना सकेगी

(2) विशिष्टतः और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे विनियम निम्नलिखित सभी विषयों के लिए या उनमें से किसी के लिए उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात् :-

() वह रीति जिससे व्यवसाय संघ या व्यवसाय संघों के नियम रजिस्ट्रीकृत किए जाएंगे और रजिस्ट्रीकरण के समय देय फीसें ;

() किसी ऐसे रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की दशा में, जिसने अपना प्रधान कार्यालय एक राज्य से बदल कर दूसरे राज्य में कर लिया है रजिस्ट्रीकरण का अन्तरण ;

() वह रीति जिससे और उन व्यक्तियों की अर्हताएं जिनके द्वारा, रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघों के या ऐसे संघों के किसी वर्ग के लेखे संपरीक्षित किए जाएंगे ;

() वे शर्तें जिनके अध्यधीन रहते हुए, ऐसे दस्तावेजों का, जो रजिस्ट्रार द्वारा रखी जाती हैं, निरीक्षण अनुज्ञात किया जाएगा, और वे फीसें जो ऐसे निरीक्षणों के बारे में प्रभार्य होंगी ; तथा

                () कोई भी विषय जो विहित किया जाना है या किया जाए

 [(3) केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 22 की उपधारा (1) के अधीन निकाली गई प्रत्येक अधिसूचना और उसके द्वारा उपधारा (1) के अधीन बनाया गया प्रत्येक विनियम, उसके निकाले या बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस अधिसूचना या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह अधिसूचना नहीं निकाली जानी चाहिए या वह विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा किन्तु अधिसूचना या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा

(4) राज्य सरकार द्वारा धारा 22 की उपधारा (1) के अधीन निकाली गई प्रत्येक अधिसूचना और उसके द्वारा उपधारा (1) के अधीन बनाया गया प्रत्येक विनियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, राज्य विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा ]

30. विनियमों का प्रकाशन-(1) धारा 29 द्वारा प्रदत्त विनियम बनाने की शक्ति इस शर्त के अध्यधीन है कि विनियम पूर्व प्रकाशन के पश्चात् बनाए जाएं

(2) साधारण खंड अधिनियम, 1897 (1897 का 10) की धारा 23 के खण्ड (3) के अनुसार विनिर्दिष्ट किए जाने वाली वह तारीख, जिसके पश्चात् उन विनियमों के प्रारूप पर विचार किया जाएगा जो बनाए जाने के लिए प्रस्थापित हों, उस तारीख से तीन मास से कम की होगी जिसको प्रस्थापित विनियमों का प्रारूप सर्व साधारण की जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया था

(3) इस प्रकार बनाए गए विनियम शासकीय राजपत्र में प्रकाशित किए जाएंगे और ऐसा प्रकाशन हो जाने पर इस प्रकार प्रभावी होंगे मानो वे इस अधिनियम में अधिनियमित किए गए हों

अध्याय 5

शास्तियां और प्रक्रिया

31. विवरणियां भेजने में असफलता-(1) यदि इस अधिनियम के किसी उपबन्ध के द्वारा या अधीन यथापेक्षित कोई सूचना देने या कोई विवरण या अन्य दस्तावेज भेजने में किसी रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ की ओर से कोई व्यतिक्रम होगा तो हर  [पदाधिकारी] या अन्य व्यक्ति, जो उसे देने या भेजने के लिए व्यवसाय संघ के नियमों द्वारा आबद्ध है, या यदि कोई ऐसा पदाधिकारी या व्यक्ति नहीं है तो व्यवसाय संघ की कार्यपालिका का हर सदस्य जुर्माने से, जो पांच रुपए तक का हो सकेगा और चालू रहने वाले व्यतिक्रम की दशा में ऐसे अतिरिक्त जुर्माने से जो पहले सप्ताह के पश्चात् के हर एक ऐसे सप्ताह के लिए, जिसके दौरान व्यतिक्रम चालू रहता है, पांच रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा :

परन्तु संकलित जुर्माना पचास रुपए से अधिक नहीं होगा

(2) कोई भी व्यक्ति, जो धारा 28 के अधीन अपेक्षित साधारण विवरण में जानबूझकर कोई मिथ्या प्रविष्टि करेगा या कराएगा या उसमें से कोई लोप करेगा या कराएगा या नियमों की या नियमों के परिवर्तनों की उस प्रतिलिपि में जो उस धारा के अधीन रजिस्ट्रार को भेजी गई हो कोई मिथ्या प्रविष्टि करेगा या कराएगा या उसमें से कोई लोप करेगा या कराएगा, जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा

32. व्यवसाय संघों के संबंध में मिथ्या जानकारी देना-कोई भी व्यक्ति, जो रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के किसी सदस्य को या किसी ऐसे व्यक्ति को, जो ऐसे व्यवसाय संघ का सदस्य होने का आशय रखता है या होने के लिए आवेदन करता है, कोई ऐसी दस्तावेज प्रवंचना करने के आशय से देगा, जो व्यवसाय संघ के नियमों की या उनमें किए गए किन्हीं परिवर्तनों की एक प्रतिलिपि होनी तात्पर्यित है और जिसके बारे में वह यह जानता है या यह विश्वास करने का कारण रखता है कि वह ऐसे नियमों या परिवर्तनों की शुद्ध प्रतिलिपि नहीं है जो तत्समय प्रवृत्त है, या कोई भी व्यक्ति, जो वैसे ही आशय से किसी व्यक्ति को किसी अरजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के नियमों की कोई प्रति इस बहाने से देगा कि ऐसे नियम रजिस्ट्रीकृत व्यवसाय संघ के नियम हैं, जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा

33. अपराधों का संज्ञान-(1) प्रेसिडेन्सी मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के न्यायालय से अवर कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के अधीन के किसी भी अपराध का विचारण नहीं करेगा

(2) कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के अधीन के किसी अपराध का संज्ञान तब तक नहीं करेगा जब तक कि उसका परिवाद रजिस्ट्रार द्वारा या उसकी पूर्व मंजूरी से, या धारा 32 के अधीन के अपराध की दशा में उस व्यक्ति द्वारा, जिसे वह प्रतिलिपि दी गई थी, उस तारीख से जिसको अपराध का किया जाना अभिकथित है, छह मास के भीतर किया गया हो

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भारत में प्रथम मजदूर संघ विधान का निर्माण कब हुआ?

वी.पी. वाडिया के नेतृत्व में 1918 में स्थापित मद्रास मजदूर संघ भारत का प्रथम आधुनिक मजदूर संघ संगठन था।

भारत में मजदूर संघ आंदोलन पहली बार कहाँ शुरू हुआ?

टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन, जिसे मज़दूर महाजन संघ के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना वर्ष 1920 में अहमदाबाद में हुई थी। कीमतों में वृद्धि की भरपाई के लिये बोनस की मांग को लेकर अहमदाबाद के मिल मज़दूरों के आंदोलन के बाद यूनियन का गठन किया गया था।

भारतीय मजदूर संघ की स्थापना कब और किसने की?

अतिथियों ने बताया कि 23 जुलाई 1955 को भारतीय मजदूर संघ की स्थापना दंतोपंत ढेंगड़ी ने किया था। यह देश का पहला मजदूर संगठन है, जो किसी राजनैतिक दल की श्रमिक इकाई नहीं, बल्कि मजदूरों का, मजदूरों के लिए, मजदूरों द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र मजदूर संगठन है।

भारत का पहला श्रमिक संघ कौन सा था?

सही उत्तर है मद्रास लेबर यूनियन । भारत का पहला श्रम संघ तब शुरू हुआ था जब बकिंघम और कर्नाटक मिल के श्रमिकों ने अप्रैल 1918 में मद्रास लेबर यूनियन का गठन किया।