कबड्डी का खेल आज हर युवा के दिलों के छाया हुआ है। एक लाईन पार कर मजबूत बल को चुनौती देकर वापस अपने पाले में लोट आने का जो रोमांच कबड्डी में है वो किसी खेल में नही है। समय के साथ इस खेल में काफी बदलाव हो गया है। हम कबड्डी के इतिहास के बारें में जिक्र करे तो महाभारत काल से लेकर कबड्डी को एशिया सबसे प्रमुख खेलों में एक खेल माना जाता है। Show
जब कबड्डी खेल की शुरुआत हुई तब इसे एक मिट्टी से भरे पाले में खेला जाता था। वही आज इस खेल के मैदान से आप सभी अवगत होगें कि आज कबड्डी के खेल मैदान में कितना बदलाव हो गया है। आज हर युवा कबड्डी की और आकर्षित हो रहा है फिर बात हो गांव या फिर शहर के गलियारों की। कबड्डी खेल के प्रति किक्रेट के आईपीएल की तरह शुरु हुए प्रो-कबड्डी लीग से प्रेरित हो कर सबसे ज्यादा कबड्डी खेल की और आगे बढ़े है। आज कबड्डी के प्रति बढ़ती लोकप्रियता के बीच हम जब इसके इतिहास व इसके सफर के बारे में जानेगें तब हमारा सफर दिलचस्प भी होगा। तो चलिए दोस्तो आज जान लेते है कबड्डी के इतिहास को। महाभारत काल से मिले कबड्डी के प्रमाणimage sourceकबड्डी का खेल कब शुरु और इसकी शुरुआत किसने कि इसके नाम व दिनांक के प्रमाण तो नही है। लेकिन कबड्डी कि शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है। साथ ही कबड्डी के खेल का जुड़ाव महाभारत काल से भी मिलता है। महाभारत में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने कौरवो के रचे गए चक्रव्यू को तौड़ दिया था। मगर वो इससे वापस बाहर नही निकल पाएं थें। बस महाभारत की इसी घटना से इस कबड्डी खेल से जोड़ा जाता है। कबड्डी के खेल का जन्मदाता वैसे भारत को माना जाता है। मगर कबड्डी के खेल का जन्म ईरान में हुआ है इसका दावा भी ईरान कर रहा है। भारत में कबड्डी कि शुरुआत 3 हजार से 4 हजार ई. पूर्व मानी जाती है। वही इस पर ईरान का दावा है की कबड्डी की शुरुआत ईरान के सिस्तान शहर में 5 हजार ई. पहले ही हो गई थी। दोस्तो इतिहास के पुरातत्व में तो इस खेल से जुड़ा को पुख्ता इतिहास नही है मगर आज इस खेल को देश के कोने-कोने तक युवा जवानों तक पहुंचाने का श्रेय 20 वीं सदी में महाराष्ट्र में आयोजित होने वाली महाराष्ट्र में सामाजिक संगठनों की कबड्डी को। इसी से भारत में कबड्डी को देश में एक नया आयाम दिया। 20 वीं सदी से हुई कबड्डी की लोकप्रियता की शुरुआतimage sourceमहाराष्ट्र से 20 वीं सदी में शुरु हुये कबड्डी खेल को और आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किये गए। वर्ष 1923 में कबड्डी के नियमों को लेकर चर्चा हुई। कबड्डी को विश्व स्तर पर पहली बार पहचान तब मिली जब भारतीय कबड्डी टीम ने बर्लिन में आयोजित हुए 1936 के ओलपिक्स में भाग लिया। इसके बाद भारत में साल 1950 में कबड्डी खेल को महत्ता देते हुए महासंघ की स्थापना कि गई। कबड्डी के नियमों को सही किया गया। भारत में साल 1952 में पहली बार पुरुषो के बीच राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। साथ ही 1955 में महिलाओं की भी राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन हुआ । इसके बाद साल 1980 पहली एशियन चैपियनशिप प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। भारत में लगातार कबड्डी की लोकप्रियता के चलते पड़ोसी देश बांग्लादेश ने कबड्डी को राष्ट्रीय खेल राष्ट्रीय घोषित कर दिया। देश में कबड्डी के प्रति बढ़ती लोकप्रियता के चलते साल 1982 एशियाई खेंलो में इसका टेस्ट हुआ व 1990 में इसे बीजिंग में आयोजित एशियाई खेलों में कबड्डी को हिस्सा दिया गया। आज कबड्डी एशियाई देशो में तो प्रमुख खेल तो बना ही है साथ ही पूरे विश्व में यह एक लोकप्रिय खेल बन गया है। देश में कबड्डी अलग-अलग नाम | Kabaddi History In Hindiआज कबड्डी कि बढ़ती लोकप्रियता से हम सभी वाकिफ है। आज कबड्डी को उतना ही पंसद किया जा रहा है जितना भारत में क्रिकेट को । जैसे कि हम हमारा भारत देश अपनी अलग-अलग सस्कृती व धर्म के कारण जाना जाता है। यही कारण है कि भारत में कबड्डी को सस्कृती के अनुसार अलग-अलग नामों से पहचान मिली हुई है। image sourceहम भारत के उत्तर भारत के इलाके कि बात करें तो यहां इसे कबड्डी के नाम से व दक्षिण भारत में चेडु-गुडु नाम से व पूर्व में इसे तू-तू के नाम से लोगो के बीच मशहुर है। जैसा की हमने बताया की भारत में कबड्डी की लोकप्रियता के चलते बांग्लादेश ने कबड्डी को अपना राष्ट्रीय खेल बनाया था। बता दे की बांग्लादेश में भी कबड्डी को 2 अलग-अलग नाम से जाना जाता है। वहीं हम श्रीलंका देश की बात करे तो यहां कबड्डी खेल को “ गुड्डु” नाम से जाना जाता है। थांईलैंड की बात करे तो थिचुब नाम से । ऐसे ही हर देश में कबड्डी खेल को अलग-नाम लोकप्रियता हासिल है। कबड्डी क्या व इससे जुड़े सभी नियम | Kabaddi All Rules In Hindiकबड्डी दो दलो का खेल है । खेल की शुरुआत से हर दल का खिलाड़ी दुसरे दल के पाले में जा कर रेड से खेल की शुरुआत करता है। इस दौरान उसे दुसरे दल के खिलाड़ी को टच कर अपने खेमें में लोटना होता इसके लिए उसे 30 सेंकड का समय मिलता है। इस 30 सेंकेड की रेड में खिलाडी के मुंह से लगातार कबड्डी-कबड्डी का सुर बोलता हुआ रहना जरुरी है। पुरुष कबड्डी मैदान की बात करें तो इसकी साईज 121/2 मीटर x 10 मीटर होती है। यह साइज 2 समान भागों में विभाजित कि जाती है । वही महिलाओं के लिए कबड्डी मैदान की साइज की 61/4 मीटर x 10 मीटर होता है। image sourceकबड्डी की शुरुआत से पहले 12-12 खिलाड़ीयों का चयन अपनी टीम के लिए करना पड़ता है। मगर मैदान में 7 ही खिलाड़ी अपने दल के लिए खेलते है। पुरुष टीम के लिए कबड्डी खेल के 20-20 मिनट के 2 रांउड होते है वही महिलाओं के इसके 15-15 मिनट के 2 रांउड होते है। क्रिकेट की तरह इसमें भी टॉस जीतने वाली टीम चुनाव कर सकती है की कौन पहले रेड करेगा। दोस्तो आप कबड्डी के कितने बड़े फेंन है व साथ ही कबड्डी के इतिहास से जुड़ी यह जानकारी आपको कैसी लग इस बारें में जरुर बताएं। भारत में कबड्डी का पुराना नाम क्या है?कबड्डी का नाम-
इसका नाम कबड्डी मुख्य तौर पर उत्तर भारत में रखा गया. इसे दक्षिण भारत में चेडुगुडु के नाम से जानते हैं.
कबड्डी खेल का प्रारंभ किस भारतीय राज्य में हुआ था?कबड्डी की उत्पत्ति दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु से हुई थी। यह तमिल लोगों का पारंपरिक खेल है। यह दक्षिण एशिया और आसपास के अन्य एशियाई देशों में लोकप्रिय है। यद्यपि कबड्डी के खाते प्राचीन भारत के इतिहास में दिखाई देते हैं, लेकिन इस खेल को 20 वीं शताब्दी में प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में लोकप्रिय बनाया गया था।
कबड्डी का जन्म किस देश में हुआ?दुनिया में कबड्डी की उत्पत्ति किस देश में हुई? कबड्डी की उत्पत्ति दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु से हुई थी।
कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना कब हुई?अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी संघ की स्थापना 2004 में हुई थी। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
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