भारत में सामान्य चुनावों के लिए, भारतीय चुनाव देखें। भारतीय आम चुनाव, 2014 भारत में सोलहवीं लोक सभा के लिए आम चुनाव ७ अप्रैल से १२ मई २०१४ तक ९ चरणों में हुए। मतगणना १६ मई को हुई।[1] इसके लिए भारत की सभी संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले गये। वर्तमान में पंद्रहवी लोक सभा का कार्यकाल ३१ मई २०१४ को ख़त्म हो रहा है।[2] ये चुनाव अब तक के इतिहास में सबसे लंबा कार्यक्रम वाला चुनाव था। यह पहली बार होगा, जब देश में ९ चरणों में लोकसभा चुनाव हुए। निर्वाचन आयोग के अनुसार ८१.४५ करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।[3][4] सभी नौ चरणों में औसत मतदान ६६.३८% के आसपास रहा जो भारतीय आम चुनाव के इतिहास में सबसे उच्चतम है।[5] चुनाव के परिणाम १६ मई को घोषित किये गये। ३३६ सीटों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़ा दल और २८२ सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने ५९ सीटों पर और कांग्रेस ने ४४ सीटों पर जीत हासिल की।[6] बीजेपी ने केवल 31.0% वोट जीते, जो आजादी के बाद से भारत में बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए पार्टी का सबसे कम हिस्सा है,[7] जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का संयुक्त वोट हिस्सा 38.5% था। 1984 के आम चुनाव के बाद बीजेपी और उसके सहयोगियों ने सबसे बड़ी बहुमत वाली सरकार बनाने का अधिकार जीता, और यह चुनाव पहली बार हुआ जब पार्टी ने अन्य पार्टियों के समर्थन के बिना शासन करने के लिए पर्याप्त सीटें जीती हैं। आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सबसे खराब हार थी। भारत में आधिकारिक विपक्षी दल बनने के लिए, एक पार्टी को लोकसभा में 10% सीटें (54 सीटें) हासिल करनी होंगी; हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस नंबर को हासिल करने में असमर्थ थी। इस तथ्य के कारण, भारत एक आधिकारिक विपक्षी पार्टी के बिना बना हुआ है। पृष्ठभूमि[संपादित करें]संवैधानिक आवश्यकता से, लोक सभा के चुनाव हर पांच साल की अवधि पर आयोजित किये जाने चाहिए। १५ वीं लोकसभा के गठन के लिए पिछला चुनाव अप्रैल से मई २००९ में आयोजित किया गया था। १५ वीं लोकसभा की अवधि ३१ मई २०१४ को स्वाभाविक रूप से समाप्त हो गयी। चुनाव का आयोजन भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। बड़े चुनावी आधार और सुरक्षा कारणों को संभालने के लिए चुनाव कई चरणों में आयोजित किये जाते हैं। २००९ में पिछले आम चुनाव के बाद से, अन्ना हजारे, अरविन्द केजरीवाल और बाबा रामदेव द्वारा भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने गति और राजनीतिक हित प्राप्त किये हैं। भाजपा भी विभिन विधान सभा चुनावों में बहुमत जीतकर आम चुनाव के लिए आशान्वित है। गोवा चुनाव में भाजपा को बहुमत प्राप्त हुआ और पंजाब में सत्ता विरोधी लहर की एक परंपरा के बावजूद जीत हासिल की। हालांकि, भाजपा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के दक्षिणी गढ़ में सत्ता खो दी। दिसंबर २०१३ में आयोजित हुए चारों विधान सभा चुनावों में भाजपा ने जीत प्रापत की। भाजपा ने दिल्ली में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस को चुनावों हरा कर भाजपा ने राजस्थान में दो-तिहाई से ज्यादा सीट प्राप्त की। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने तीसरी बार सरकार बनाई। आयोजन[संपादित करें]चुनाव खर्च की सीमा में वृद्धि[संपादित करें]प्रति उम्मीदवार चुनाव खर्च की सीमा को बढ़ने के प्रस्ताव को भारतीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। बड़े राज्यों में यह सीमा ₹40 लाख से बढ़ाकर ₹70 लाख और छोटे राज्यों और दिल्ली को छोड़कर सभी केंद्र प्रशसित क्षेत्रों में सीमा बढ़ाकर ₹54 लाख कर दी गयी।[8] चुनाव कार्यक्रम[संपादित करें]भारतीय आम चुनाव, 2014 के लिए निर्वाचन तिथियाँ 5 मार्च २०१४ को मुख्य निर्वाचन आयुक्त वी एस संपथ ने चुनाव कार्यक्रम की तारीखों और तैयारियों का ऐलान किया। कुल 9 चरणों में मत डाले जाएँगे। 7 अप्रैल को पहले, 9 अप्रैल को दूसरे, 10 अप्रैल को तीसरे, 12 अप्रैल को चौथे, 17 अप्रैल को पाँचवें, 24 अप्रैल को छठे, 30 अप्रैल को सातवें, 7 मई को आठवें, 12 मई को नौवें चरण का मतदान होगा।[9]
* − छात्र संगठनों के बंद के कारण मिजोरम में 11 अप्रैल को मतदान हुआ।[11] दल तथा गठबंधन[संपादित करें]राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल
१३ सितम्बर २०१३ को भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार के लिए नामजद किया।[12] कांग्रेस पार्टी ने १७ जनवरी २०१४ एलान किया की राहुल गांधी, सोनिया गांधी के बेटे, कांग्रेस के चुनाव अभियान के नेता होंगे. हालांकि, उन्हें स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार नामित नहीं किया गया।[13] भाजपा के मुख्य सहयोगी महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, तीन तमिल पार्टियों देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके), मक्कल काची पात्तली (पीएमके) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम मरुमलार्ची (एमडीएमके) ने तमिलनाडु में और आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) हैं। शिवसेना, शिवसेना, एक चरम हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी है और शिरोमणि अकाली दल, जो परंपरागत सिख पार्टी है, पंजाब में कांग्रेस पार्टी की विरोधी है और भाजपा के स्वाभाविक सहयोगी हैं। अन्य दलों में यह मामला नहीं है। तेलुगू देशम २००९ के पिछले चुनाव में वामपंथी तीसरे मोर्चे के हिस्से के रूप में उतरी और २०१४ में रागज में शामिल हो कर आंध्र प्रदेश में संयुक्त उम्मीदवारों पर सहमत हो गयी। भाजपा के साथ एक समझौते के अंतरगत वर्तमान चुनाव की शुरुआत से पहले ही यह सहमति बनी। भाजपा आंध्र प्रदेश के ४२ निर्वाचन क्षेत्रों में से १२ पर उम्मीदवार उतारेगी जिसमे तेलंगाना से आठ उम्मीदवार होंगे। तमिलनाडु में भाजपा पांच तमिल पार्टियों के सहित एक गठबंधन में शामिल हुई। डीएमडीके १४ निर्वाचन क्षेत्रों पर, भाजपा और पीएमके आठ पर और सात पर एमडीएमके उम्मीदवार उतारेगी।[14][15][16][17] मुद्दे[संपादित करें]भ्रष्टाचार[संपादित करें]भारत में 'भ्रष्टाचार' बड़े पैमाने पर है। भारत ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार धारणाएं सूचकांक में 179 देशों में से 95 वें स्थान पर है। लेकिन भारत के स्कोर में लगातार सुधार हुआ है जो 2002 में 2.7 से 2011 में 3.1 हो गया।[18] ऐतिहासिक रूप से, भ्रष्टाचार, भारतीय राजनीति और नौकरशाही का एक व्यापक पहलू की भूमिका में है।[19] भारत में भ्रष्टाचार घूस, कर अपवंचन और गबन, आदि के रूप में उपस्थित है। २००९ में पिछले भारतीय आम चुनाव के बाद से 2011 भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और अन्ना हजारे और बाबा रामदेव द्वारा अन्य इसी तरह के आंदोलनों के द्वारा भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास हुए हैं।[20] भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा जंतर मंतर,नई दिल्ली में शुरू की गयी भूख हड़ताल में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए विधायी उद्देश्य के साथ अगस्त 2011 में भारत सरकार के माध्यम से जन लोकपाल विधेयक को पारित करने की शुरुआत की गयी। रामदेव के नेतृत्व में एक अन्य उद्देश्य से स्विस और अन्य विदेशी बैंकों से काला धन के प्रत्यावर्तन के लिए आंदोलन किये गए। सर्वेक्षण[संपादित करें]चुनाव पूर्व सर्वेक्षण[संपादित करें]
चुनाव बाद सर्वेक्षण[संपादित करें]
मतदान[संपादित करें]चरण १ - ७ अप्रैलपहले चरण के मतदान असम की पांच और त्रिपुरा की एक सीट पर हुए। मतदान प्रतिशत क्रमश: ७२.५ और ८४ फीसदी रहा।[45] चरण २ - ९ और ११ अप्रैलनागालैंड में ८२.५%, अरुणाचल प्रदेश में ७१%, मेघालय में ६६% तथा मणिपुर में ७०% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।[46][47] छात्र संगठनों के बंद के कारण मिजोरम में चुनाव ११ अप्रैल तक टल गया।[11] यहाँ पर ६०% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।[48] चरण ३ - १० अप्रैलतीसरे चरण का मतदान १० अप्रैल को ९१ सीटों पर हुआ। केरल में ७६%, दिल्ली में ६४%, मध्य प्रदेश में ५५.९८%, महाराष्ट्र में ५४.१३%, उत्तर प्रदेश में ६५%, हरियाणा में ७३%, झारखंड में ५८% तथा जम्मू में ६६.२९% मतदान हुआ।[49] चरण ४ - १२ अप्रैलचौथे चरण में गोवा में ७५%, असम में ७५%, त्रिपुरा में ८१.८% तथा सिक्किम में ७६% मतदान हुआ।[50] चरण ५ - १७ अप्रैलइस चरण में १२१ सीटों पर मतदान हुआ। उत्तर प्रदेश में ६२%, पश्चिम बंगाल में ८०%, ओडिशा में ७०% से ज्यादा, जम्मू और कश्मीर में ६९%, मध्य प्रदेश में ५४% और झारखंड में ६२% मतदान हुआ। महाराष्ट्र में ६१.७%, मणिपुर में ७४%, कर्नाटक में ६५%, राजस्थान में ६३.२५%, छत्तीसगढ़ में ६३.४४% और बिहार में ५६% मतदान हुआ।[51] चरण ६ - २४ अप्रैलइस चरण में ११७ सीटों पर मतदान हुआ। उत्तर प्रदेश की १२ सीटों में ५८.५८%, राजस्थान की ५ सीटों में ५९.२%, जम्मू और कश्मीर की १ सीट में २८%, तमिलनाडु की सभी ३९ सीटों में ७२.८%, बिहार की ७ सीटों में ६०%, महाराष्ट्र की १९ सीटों में ५५.३३%, पश्चिम बंगाल की ६ सीटों में ८२%, असम की ६ सीटों में ७७.०५%, मध्य प्रदेश की १० सीटों में ६४.४%, झारखंड की ४ सीटों में ६३.४% पुदुच्चेरी की एकमात्र सीट में ८२.१३% और छत्तीसगढ़ की ७ सीटों में ६३.४४% मतदान हुआ।। छठवें चरण के साथ ही मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड की सभी सीटों के लिए मतदान पूरा हो चुका है। इसके साथ ही ३४९ सीटों पर मतदान हो चुका है।[52] इस चरण में ८९ सीटों पर मतदान हुआ। चुनाव आयोग के अनुसार गुजरात की सभी २६ सीटों के लिए हुए मतदान में कुल ६२ प्रतिशत वोट पड़े। नव गठित राज्य तेलंगाना की सभी १७ सीटों के लिए कुल ७० प्रतिशत वोट पड़े हैं। पंजाब की १३ सीटों के लिए कुल ७३ प्रतिशत मतदान हुआ है। उत्तर प्रदेश की १४ सीटों के लिए हुए मतदान में ५७.१ प्रतिशत मत पड़े। बिहार की सात सीटों के लिए ५७.७४ प्रतिशत मतदान हुआ है। पश्चिम बंगाल की नौ सीटों पर कुल ८१.३५ प्रतिशत मतदान हुआ है। जम्मू और कश्मीर की श्रीनगर सीट पर २५.६२ प्रतिशत, दादरा और नगर हवेली सीट पर ८५ प्रतिशत और दमन और दीव सीट पर ७६ प्रतिशत मतदान हुआ है।[53]] चरण ८ - ७ मईइस चरण में कुल ६४ सीटों पर मतदान हुआ। चुनाव आयोग के अनुसार पश्चिम बंगाल में ८०.५१% मतदान दर्ज किया गया। आंध्र प्रदेश के सीमांन्ध्र क्षेत्र की २५ सीटों पर ७६%, उत्तर प्रदेश की १५ सीटों पर ५५.५२%, बिहार की सात सीटों पर ५८%, जम्मू और कश्मीर की दो सीटों पर ५०% मतदान हुआ। उत्तराखंड की सभी पांच सीटों पर ६२% और हिमाचल प्रदेश की सभी चार सीटों पर ६५% मतदान हुआ। आठवें चरण के साथ ही १६वीं लोकसभा की ५४३ में से ५०२ सीटों के लिए यानी ९२ फ़ीसदी मतदान संपन्न हो गया है।[54] चरण ९ - १२ मईइस चरण में कुल ४१ सीटों पर मतदान हुआ। चुनाव आयोग के अनुसार उत्तर प्रदेश की १८ सीटों पर औसतन ५४.२१ फीसद मतदान हुआ। पश्चिम बंगाल की १७ सीटों पर ७९.९६ फीसदी मतदान हुआ। बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे और अंतिम चरण के तहत छह संसदीय सीटों के लिए आज संपन्न मतदान के दौरान ५६.६७ फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया, जो २००९ के लोकसभा चुनाव की तुलना में करीब १२ प्रतिशत अधिक रहा। इसके साथ ही मतदान के सभी चरण समाप्त हो गये। इस बार चुनाव के सभी नौ चरणों में कुल मिलाकर ६६.३८ फीसदी मतदान हुआ, जो लोकसभा चुनावों में अब तक का सर्वाधिक मतदान है। पिछला सर्वाधिक मतदान १९८४ में दर्ज किया गया था जब ६४.०१ प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। २००९ के आम चुनाव में ५८.१९ फीसदी वोट पड़े थे।[55] इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन[संपादित करें]भारत के चुनाव आयोग के मुताबिक, 2009 में पिछली आम चुनाव के बाद से 81.45 करोड़ लोग मतदान के लिए पात्र थे, जिससे यह दुनिया में सबसे बड़ा चुनाव बना।[56] कुल योग्य मतदाताओं में से लगभग 23.1 मिलियन या 2.7% आयु 18-19 वर्ष की आयु के थे। कुल मिलाकर 930,000 मतदान केंद्रों में 1.4 मिलियन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन थीं। वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) प्रणाली जो ईवीएम स्लिप के निर्माण से प्रत्येक वोट डालने के लिए सक्षम बनाता है, को लखनऊ, गांधीनगर, बैंगलोर दक्षिण, चेन्नई सेंट्रल, जादवपुर, रायपुर, पटना साहिब और मिजोरम के 8 निर्वाचन क्षेत्रों में पेश किया गया था। एक पायलट प्रोजेक्ट। इसके अलावा, मतदान केंद्रों पर अंधा के लिए ब्रेल मतपत्र की व्यवस्था की गई। चुनाव के पैमाने के लिए 11 लाख सिविल सेवकों और 5.5 मिलियन नागरिक कर्मचारियों को चुनाव संभालते हैं। यह पहला चुनाव था जिसमें "ऊपर से कोई भी" विकल्प नहीं था और अनिवासी भारतीयों को वोट देने की अनुमति थी; हालांकि केवल भारत में ही। चुनाव के दौरान सुरक्षा बढ़ा दी गई, खासकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) (सीपीआई (माओवादी)) ने चुनाव के बहिष्कार के लिए बुलाया। 12 अप्रैल को, भले ही इस दिन कोई वोट नहीं था, छत्तीसगढ़ में एक वाहन ने सीपीआई (माओवादी) लैंडमिन को मारा जिससे दो बस ड्राइवरों और पांच चुनाव अधिकारियों की मौत हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कुट्रू से बीजापुर तक की तैयारी के दौरान चार और घायल हो गए। मतदान के पांचवें चरण के लिए उसी दिन, एक घंटे के भीतर, उन्होंने एक वाहन पर हमला किया जिसके परिणामस्वरूप दरभा वन में पांच अर्धसैनिक सैनिकों की मौत हो गई। भारत के चुनाव आयोग के अनुमान के मुताबिक देश के इतिहास में चुनाव का सबसे लंबा और सबसे महंगी आम चुनाव था, जिसके अनुसार चुनाव में खजाने पर 3500 करोड़ रुपये (यूएस $ 577 मिलियन) का खर्च हुआ, जिसमें सुरक्षा के लिए खर्च किए गए खर्च और व्यक्तिगत राजनीतिक दलों। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के मुताबिक, दलों को चुनाव में 30,500 करोड़ रुपये (यूएस 5 अरब डॉलर) खर्च करने की उम्मीद थी। यह 2009 की पिछली चुनाव में खर्च की गई तीन गुनी राशि थी, और तब वह 2012 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 7 अरब अमेरिकी डालर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा था। परिणाम[संपादित करें]16 मई 2014 को हुई मतगणना के अनुसार भाजपा 282 सीटें प्राप्त कीं। यह संख्या 545 सदस्यीय लोकसभा में आधी संख्या यानी 272 से अधिक है। लोकसभा के 543 सदस्यों का निर्वाचन होता है, जबकि दो सदस्यों को नामित किया जाता है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राजग 336 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा ने पिछले 30 वर्षों के दौरान लोकसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी बन कर उभरी है।[57] ↓
चुनाव पूर्व गठबंधन अनुसार चुनाव परिणाम का मानचित्र
२०१४ के लोकसभा चुनाव की विशिष्टताएँ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बीजेपी 2014 में सत्ता में कब आई थी?एनडीए सरकार (2014-वर्तमान)
2014 के भारतीय आम चुनाव में, भाजपा ने 282 सीटों पर जीत हासिल की, जिससे एनडीए को 543 सीटों वाली लोकसभा में 336 सीटों पर बढ़त मिली। नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कितनी सीटें मिली?चुनाव के परिणाम १६ मई को घोषित किये गये। ३३६ सीटों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़ा दल और २८२ सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
भारत में सबसे पहले आम चुनाव कब हुआ था?भारतीय आम चुनाव, 1957.
कांग्रेस पार्टी ने किस आम चुनाव में पहली बार संसद में बहुमत खोया था?1951-52 भारतीय आम चुनाव।
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