भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त 2022 कौन है? - bhaarat ka mahaapanjeeyak evan janaganana aayukt 2022 kaun hai?

  1. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की आर्थिक जनगणना से सम्बंधित जानकारी

    सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की आर्थिक जनगणना से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करें। उपयोगकर्ता वर्षवार आर्थिक जनगणना, राज्यवार जनगणना के आँकड़े, आर्थिक जनगणना के आंकड़ों की दर सूची से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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  2. पशुधन जनगणना 2012

    पशुधन जनसंख्या 2012 की जनगणना और 2007 की जनगणना की तुलना में वृद्धि दर

  3. सरकार कर्मचारी, 2007 की जनगणना, गोवा

    सरकार कर्मचारी, 2007 की जनगणना, गोवा

  4. जनगणना 2011 - एक नजर में

  5. जनगणना 2001 - एक नज़र में

    जनगणना 2001 - एक नज़र में

  6. 2001 की जनगणना के अनुसार मिजोरम की जनसंख्या

    2001 की जनगणना के अनुसार मिजोरम की जनसंख्या

  7. जनगणना 2001: प्राथमिक जनगणना सार

    जनगणना 2001: प्राथमिक जनगणना सार

  8. लिंग संबंधी आँकड़ों की डाटा शीट देखें

    भारत के जनगणना आयुक्त और महापंजीयक कार्यालय द्वारा लिंग संबंधी आंकड़े की डाटा शीट दी गई है। उपयोगकर्ता राज्य का नाम और जिले का नाम का चयन करके लिंग संबंधी आँकड़ों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लिंगानुपात, महिला साक्षरता दर, कार्यरत महिलाओं की दर आदि के बारे में भी जानकारी दी गई है।

  9. आवास सूची और आवास गणना संबंधी आँकड़े 2011

    भारत के जनगणना आयुक्त और महापंजीयक कार्यालय द्वारा 2011 की आवास सूची और आवास गणना संबंधी आंकड़ों पर दी गई जानकारी प्राप्त करें। उपयोगकर्ता राज्यों और संघ शासित प्रदेशों और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आवास सूची और आवास गणना संबंधी आंकड़ों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

  10. धर्म, 2001 जनगणना की द्वारा जनसंख्या

    धर्म, 2001 जनगणना की द्वारा जनसंख्या

भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त 2022 कौन है? - bhaarat ka mahaapanjeeyak evan janaganana aayukt 2022 kaun hai?

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. इस वर्ष जनगणना प्रक्रिया स्थगित एवं प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने की समय सीमा में वृद्धि
  2. 12% पृथक कोटे के लिए ओबीसी समुदायों द्वारा आंदोलन

सामान्य अध्ययन-III

  1. अग्निपथ योजना
  2. बेरोजगारी में कमी आई है: श्रम सर्वेक्षण

सामान्य अध्ययन-IV

  1. इंस्टाग्राम द्वारा बाल सुरक्षा उपायों में वृद्धि
  2. शराब की बोतल ‘वापसी खरीद’ योजना: नीलगिरी में आंशिक सफलता

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. “भारत गौरव” एक्सप्रेस ट्रेन
  2. I2U2 शिखर सम्मेलन में भारत, इज़राइल, अमेरिका, यूएई की भागीदारी
  3. 2020-21 में देश की 0.7% आबादी ‘अस्थायी आगंतुक’: भारत में प्रवासन रिपोर्ट
  4. 22 डिग्री प्रभामंडल

सामान्य अध्ययन–II


विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

इस वर्ष जनगणना प्रक्रिया स्थगित एवं प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने की समय सीमा में वृद्धि


संदर्भ:

मूल रूप से 2021 में होने वाली जनगणना प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर इसे वर्ष 2023-24 में कर दिया गया है।

जनगणना को स्थगित किए जाने संबंधी कारण:

  • आम तौर पर, प्रत्येक जनगणना से पहले, राज्यों को ‘भारत के महापंजीयक’ (Registrar General of India – RGI) के लिए राज्य के अधिसूचित जिलों, गांवों, कस्बों और अन्य प्रशासनिक इकाइयों जैसे तहसील, तालुका और पुलिस स्टेशनों की संख्या में बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान करना होता है।
  • इसके बाद ‘भारत के महापंजीयक’ (RGI) राज्य की प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज कर देते है, ताकि जनगणना कार्य शुरू हो सके।
  • परन्तु, इस बार ‘आरजीआई’ ने प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने की समय सीमा 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दी है।
  • चूंकि जनगणना प्रक्रिया, प्रशासनिक सीमाओं के फ्रीज होने के कुछ महीने बाद ही शुरू हो सकती है, अतः इस वर्ष अर्थात 2022 में जनगणना की संभावना नहीं है।

भारत में जनगणना (Census in India):

परिभाषा: ‘जनसंख्या जनगणना’ (Population Census), किसी देश या देश के एक सुपरिभाषित हिस्से में रहने वाले सभी व्यक्तियों से संबंधित जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक डेटा एकत्रण, संकलन, विश्लेषण और प्रसारित करने की कुल प्रक्रिया होती है।

पहली गैर-समकालिक जनगणना (First Non-synchronous Census): आधुनिक भारत के इतिहास में पहली जनगणना वर्ष 1872 में गवर्नर-जनरल ‘लॉर्ड मेयो’ के शासनकाल के दौरान आयोजित की गई थी।

पहली समकालिक जनगणना (First Synchronous Census): पहली समकालिक जनगणना 17 फरवरी, 1881 को ब्रिटिश शासन के तहत ‘डब्ल्यू.सी. प्लॉडेन’ (भारत के जनगणना आयुक्त) की देख-रेख में की गयी थी।

स्वतंत्रता-पश्चात्  दशवार्षिकीय जनगणना का संचालन गृह मंत्रालय के अधीन ‘महापंजीयक कार्यालय और जनगणना आयुक्त’ द्वारा किया जाता है।

  • वर्ष 1951 तक, प्रत्येक जनगणना के लिए ‘तदर्थ आधार’ पर ‘जनगणना संस्था’ की स्थापना की जाती थी।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत ‘जनसंख्या जनगणना’, संघीय-सूची का विषय है। इसे संविधान की ‘सातवीं अनुसूची’ की प्रविष्टि 69 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • देश में जनगणना का आयोजन ‘जनगणना अधिनियम’, 1948 के प्रावधानों के तहत किया जाता है।
  • इस अधिनियम के तहत, जनगणना के दौरान एकत्र की गई जानकारी को गोपनीय माना जाता है और यह जानकारी कानून की अदालतों के लिए भी उपलब्ध नहीं होती है।
  • इस कानून में, अधिनियम के किसी भी प्रावधान का पालन न करने या उल्लंघन करने के लिए सार्वजनिक और जनगणना अधिकारियों दोनों के लिए दंड निर्दिष्ट किया गया है।

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जनगणना का महत्व:

  • जानकारी का स्रोत: भारतीय जनगणना भारत के लोगों की विभिन्न विशेषताओं पर विभिन्न प्रकार की सांख्यिकीय जानकारी का सबसे बड़ा एकल स्रोत है।
  • शोधकर्ताओं द्वारा जनसांख्यिकीय जनसंख्या की वृद्धि और प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने और अनुमान लगाने के लिए जनगणना के आंकड़ों का उपयोग किया जाता है।
  • सुशासन: जनगणना के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग प्रशासन, योजना और नीति निर्माण के साथ-साथ सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के प्रबंधन और मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
  • सीमांकन: जनगणना के आंकड़ों का उपयोग निर्वाचन क्षेत्रों के सीमांकन और संसद, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों को प्रतिनिधित्व के आवंटन के लिए भी किया जाता है।
  • व्यवसायों के लिए बेहतर पहुंच: व्यावसायिक घरानों और उद्योगों के लिए जनगणना के आंकड़े भी महत्वपूर्ण हैं, ताकि वे उन क्षेत्रों में प्रवेश के लिए अपने व्यवसाय को मजबूत और योजना बना सकें, जो अब तक अछूते रह गए थे।
  • अनुदान: वित्त आयोग, जनगणना के आंकड़ों से उपलब्ध जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर राज्यों को अनुदान प्रदान करता है।

पंद्रहवीं जनगणना (2011):

2011 की जनगणना में, ‘अधिकार प्राप्त कार्रवाई समूह राज्य’ (Empowered action group states) – अर्थात उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उड़ीसा- के मामले में पहली बार जनसंख्या में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई।

सोलहवीं जनगणना (2021): (स्थगित)

  • यह पहली ‘डिजिटल जनगणना’ होगी, जिसमें स्व-गणना का भी प्रावधान होगा।
  • पहली बार इस जनगणना में ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्ति के नेतृत्व वाले परिवारों और परिवार में रहने वाले सदस्यों के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी।
  • इससे पहले, जनगणना विवरण में केवल पुरुषों और महिलाओं के लिए एक कॉलम होता था।

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ और ‘जनगणना’ में अंतर:

  • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का उद्देश्य देश के प्रत्येक आम नागरिक की विस्तृत पहचान का डेटाबेस तैयार करना है, और भारत के प्रत्येक ‘सामान्य निवासी’ के लिये ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है।
  • यद्यपि, जनगणना (Census) के माध्यम से भी समान विवरण एकत्र किया जाता है, किंतु ‘जनगणना अधिनियम’, 1948 की धारा 15 के अनुसार, जनगणना में एकत्र की गई सभी व्यक्तिगत स्तर की जानकारी गोपनीय होती है और “एकत्रित डेटा को केवल विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर जारी किया जाता है।”
  • NPR को पहली बार 2010 में संकलित किया गया था और 2015 में अपडेट किया गया था और इसमें 119 करोड़ निवासियों का डेटाबेस है।

सामान्य निवासी’ कौन है?

गृह मंत्रालय के अनुसार, ‘देश का सामान्य निवासी’ (Usual Resident) को निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया गया है- वह व्यक्ति, जो कम-से-कम पिछले छह महीनों से किसी स्थानीय क्षेत्र में रहता है अथवा अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक के लिये किसी विशेष स्थान पर रहने का इरादा रखता है।

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ की आलोचनाएं:

प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (NRC) और लागू किए जाने वाले ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (CAA) के साथ ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (NPR) के संबधों को देखते हुए कई विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा शासित राज्यों द्वारा NPR की अद्यतन प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है।

वर्ष 2003 में बनाए गए नागरिकता नियमों के अनुसार, ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’, भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के संकलन की दिशा में पहला कदम है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. 2011 की जनगणना के महत्वपूर्ण आंकड़े
  2. एनपीआर क्या है?
  3. जनगणना कौन करता है?

मेंस लिंक

‘राष्ट्रीय जनगणना’, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से किस प्रकार भिन्न है? साथ ही, जनगणना के महत्व और इससे संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए।

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

12% पृथक कोटे के लिए ओबीसी समुदायों द्वारा आंदोलन


संदर्भ:

राजस्थान भरतपुर जिले के अरोडा गांव में ‘पांच ओबीसी समुदायों’ के लोगों ने जयपुर-आगरा राजमार्ग को जाम कर रखा है, ये समुदाय सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में अलग से 12% आरक्षण की मांग कर रहे हैं।

ओबीसी आरक्षण:

राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes) और अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) के अलावा ‘अन्य पिछड़े वर्गों’ (Other Backward Classes – OBC) की पहचान करने हेतु पहली बार वर्ष 1953 में ‘कालेलकर आयोग’ का गठन किया गया था।

वर्ष 1980 में ‘मंडल आयोग’ द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में, ओबीसी की आबादी 52% होने का अनुमान लगाया गया था और कुल 1,257 समुदायों को ‘पिछड़े समुदाय’ (Backward) के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

इस आयोग ने, मौजूदा कोटा – जोकि केवल ‘एससी/एसटी’ के लिए था – में ओबीसी को शामिल करने के लिए 22.5% से बढ़ाकर 49.5% करने की सिफारिश की। विदित हो, उस समय केवल ‘एससी/एसटी’ के लिए 22.5% कोटा निर्धारित था।

  • इसके बाद, केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी के लिए केंद्रीय सिविल पदों और सेवाओं में 27% सीटें आरक्षित की गयी [अनुच्छेद 16(4)]।
  • बाद में, केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में यह कोटा लागू किया गया [अनुच्छेद 15 (4)]।
  • 2008 में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ओबीसी के बीच क्रीमी लेयर (उन्नत वर्ग) को बाहर करने का निर्देश दिया।
  • 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इससे पहले या आयोग ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के तहत एक वैधानिक निकाय था।
  • NCBC को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के संबंध में शिकायतों की जांच करने और कल्याणकारी उपाय करने की शक्ति प्राप्त है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 340 (Article 340):

इस अनुच्छेद के अनुसार-

  1. राष्ट्रपति, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं के और जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं उनके अन्वेषण हेतु और उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने हेतु संघ या किसी राज्य द्वारा उपाय किए जाने और इस प्रयोजन के लिए सिफारिश करने के लिए, आदेश द्वारा, एक आयोग नियुक्त कर सकेगा जो ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनेगा जो वह ठीक समझे।
  2. इस प्रकार नियुक्त आयोग अपने को निर्देशित विषयों का अन्वेषण करेगा और राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा, जिसमें उसके द्वारा पात्र गए तथ्य उपवार्णित किए जाएंगे और जिसमें ऐसी सिफारिशें की जाएंगी जिन्हें आयोग उचित समझे।
  3. राष्ट्रपति, इस प्रकार दिए गए प्रतिवेदन की एक प्रति, उस पर की गई कार्रवाई को स्पष्ट करने वाले ज्ञापन सहित, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।

सामान्य अध्ययन–III


विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।

अग्निपथ योजना


संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार ने तीनों सेवाओं में सैनिकों की भर्ती के लिए अपनी नई ‘अग्निपथ योजना’ (Agnipath scheme) का अनावरण किया है।

‘अग्निपथ योजना’: परिचय

नई योजना के तहत, लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों (अग्निवीर) की सालाना भर्ती की जाएगी। यह भर्ती छोटी अवधि के लिए होगी, और अधिकांश सैनिक मात्र चार वर्षों में सेवा से निवृत्त कर दिए जाएंगे। सालाना भर्ती किए जाने वाले कुल रंगरूटों में से, केवल 25 प्रतिशत को ही ‘स्थायी कमीशन’ के तहत अगले 15 वर्षों के लिए सेवा जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।

योजना का प्रारूप:

पात्रता: 17.5 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के उम्मीदवार इस भर्ती हेतु आवेदन करने के पात्र होंगे। यह योजना केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिए लागू होगी।

भर्ती:

  • रैलियों के माध्यम से साल में दो बार।
  • यह भर्ती “अखिल भारतीय, सभी वर्ग” सेवाओं के लिए, सभी जाति, क्षेत्र, वर्ग या धार्मिक पृष्ठभूमि से की जाएगी। वर्तमान में, भर्ती प्रक्रिया, क्षेत्र और जाति के आधार पर ‘रेजिमेंट सिस्टम’ पर आधारित है।

सेवा अवधि: 6 माह प्रशिक्षण + साढ़े तीन साल के लिए तैनाती।

वेतन और लाभ:

  • रंगरूटों के लिए अतिरिक्त लाभों के साथ 30,000 रुपये का प्रारंभिक वेतन मिलेगा, जोकि चार साल की सेवा पूरी होने तक 40,000 रुपये तक बढ़ जाएगा।
  • इस अवधि के दौरान, उनके वेतन का 30 प्रतिशत एक ‘सेवा निधि कार्यक्रम’ के तहत अलग रखा जाएगा, और इसमें सरकार हर महीने एक समान राशि का योगदान करेगी, और इस पर ब्याज भी लगेगा। चार साल की अवधि के अंत में, प्रत्येक सैनिक को एकमुश्त राशि के रूप में 11.71 लाख रुपये मिलेंगे, जिन पर कोई ‘कर’ (टैक्स) नहीं लगेगा।
  • जिन 25% सैनिकों को फिर से चुना जाएगा, उनकी सेवानिवृत्ति के लाभों के लिए प्रारंभिक चार साल की अवधि पर विचार नहीं किया जाएगा।

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लाभ:

  • सशस्त्र बलों को अधिक तनु एवं युवा बनाना: भारत के 13 लाख से अधिक मजबूत सशस्त्र बलों के लिए, वर्तमान औसत आयु प्रोफ़ाइल 32 वर्ष है। यह परिकल्पना की गई है कि इस योजना के लागू होने से इसमें लगभग 4-5 साल की कमी आएगी।
  • रक्षा पेंशन व्यय में कमी: सरकार द्वारा 2020 से रक्षा पेंशन हेतु 3.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक या तो आवंटित कर चुकी है या भुगतान कर चुकी है। सेना की गणना के अनुसार, केवल एक सिपाही से भर्ती के इस ‘टूर ऑफ ड्यूटी मॉडल’ में सरकार के लिए लगभग 11.5 करोड़ रुपए की बचत होगी (सेना ने शुरू में 3 साल के सेवा मॉडल का प्रस्ताव रखा था)।
  • “भविष्य के लिए तैयार” सैनिकों का निर्माण: एक युवा सशस्त्र बल होने से, इनको नई तकनीकों के लिए आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकेगा।
  • रोजगार के अवसरों में वृद्धि और उच्च कुशल कार्यबल: सेना में नौकरी के अवसरों के अलावा, चार साल की सेवा के दौरान प्राप्त कौशल और अनुभव के कारण भर्ती होने वाले इन सैनिकों को सेवानिवृत्ति के पश्चात् विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार मिलेगा।
  • केंद्र सरकार द्वारा ‘अग्निवीरों’ को उनके चार साल के कार्यकाल के बाद नियमित रोजगार में प्राथमिकता दी जाएगी।

योजना से संबंधित चिंताएं:

  • वर्तमान लाभ और नौकरी सुरक्षा का अंत: रंगरूटों को स्थायी नौकरी नहीं मिलेगी या सेवानिवृत्ति के बाद भी पेंशन और स्वास्थ्य लाभ का वादा नहीं किया गया है।
  • प्रशिक्षण के बारे में संदेह: 6 महीने का संक्षिप्त प्रशिक्षण इन रंगरूटों पर उसी तरह के कार्यों के लिए भरोसा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है जिन पर वर्तमान सैनिकों पर भरोसा किया जा सकता है।
  • वफादारी में कमी: सेवाओं में “अखिल भारतीय, सभी वर्ग” (All India, all class) भर्ती से एक सैनिक की अपनी रेजिमेंट के प्रति वफादारी में कमी हो सकती है।

अन्य देशों में इसी तरह की योजनाएं:

स्वैच्छिक ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ (Voluntary tour of duty): संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘सैन्य और सैन्य सेवा शाखा की जरूरतों के आधार पर 6-9 माह, या यहां तक ​​कि 12 महीने की तैनाती की जाती है।

अनिवार्य ‘टूर ऑफ ड्यूटी’: इसे ‘अनिवार्य सैनिक सेवा’ (Conscription) भी कहा जाता है। इज़राइल, नॉर्वे, उत्तर कोरिया और स्वीडन आदि देशों में ‘अनिवार्य सैनिक सेवा’ प्रणाली लागू है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ क्या है
  2. अग्निपथ योजना

मेंस लिंक:

नई शुरू की गई अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों को तनु और तकनीक-प्रवण बनाने में किस प्रकार मदद करेगी? योजना से संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

बेरोजगारी में कमी आई है: श्रम सर्वेक्षण


‘सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ द्वारा जारी 2020-21 के लिए ‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण’ (Periodic Labour Force Survey – PLFS) के अनुसार, बेरोजगारी दर में 0.6% की कमी देखी गई है। 2019- 20 में बेरोजगारी दर 4.8% थी जोकि 2020-21 में घटकर 4.2% रह गयी है।

सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु:

  • बेरोजगारी दर: आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में बेरोजगारी दर, पिछले वर्ष की 4.8% दर से गिरकर 4.2% हो गई है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 3.3% दर्ज की गई और शहरी क्षेत्रों में 6.7% की बेरोजगारी दर दर्ज की गई।
  • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) यानी, श्रम बल में व्यक्तियों (अर्थात काम करने वाले या काम की तलाश करने वाले या काम के लिए उपलब्ध) का प्रतिशत, कुल जनसंख्या में 2020-21 के दौरान 41.6% था, जोकि वर्ष 2019- 20 में 40.1% था।
  • सामान्य स्थिति में ‘अखिल भारतीय महिला श्रम बल भागीदारी दर’ एक साल पहले के 22.8% की तुलना में 2.3% की वृद्धि के साथ वर्ष 2021 में 25.1% हो गई है।
  • श्रमिक जनसंख्या अनुपात (प्रति हजार लोगों पर कार्यरत लोगों की संख्या): पिछले वर्ष 38.2% था, जोकि इस वर्ष बढ़कर 39.8% हो गया है।
  • प्रवासन दर: सर्वेक्षण के अनुसार प्रवासन दर 28.9% है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की प्रवास दर क्रमशः 48 प्रतिशत और 47.8 प्रतिशत थी।
  • ‘प्रवासियों’ को- जिनके निवास का अंतिम सामान्य स्थान, अतीत में किसी भी समय, गणना के वर्तमान स्थान से अलग था- ‘एक परिवार के सदस्य’ के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • रोजगार से संबंधित प्रवास: 4.4% प्रवास रोजगार के कारण हुआ, जोकि 2011 में 10% था।
  • रिवर्स माइग्रेशन: महामारी के दौरान, ‘रिवर्स माइग्रेशन’ (Reverse Migration) की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर काफी अधिक हो गयी है, जिससे ‘ग्रामीण संकट’ पैदा हुआ है। हालांकि, ‘बेरोजगारी दर पर वार्षिक रिपोर्ट’ इसमें एक विरोधाभास दिखाती है।

एनएसओ द्वारा ‘प्रतिदर्श’ किस प्रकार एकत्रित किए जाते हैं?

‘राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (National Statistical Office – NSO), श्रम बल भागीदारी दर (LFPR), ‘श्रमिक जनसंख्या अनुपात’ (Worker Population Ratio) और ‘बेरोजगारी दर’ का आकलन करने के लिए शहरी क्षेत्रों में “घूर्णनीय पैनल प्रतिदर्श डिजाइन” (Rotational Panel Sampling Design) का उपयोग करता है, और शहरी क्षेत्रों में चयनित घरों का चार बार दौरा करता है। हालाँकि, ग्रामीण नमूनों (प्रतिदर्श) के लिए दोबारा कोई दौरा (revisit) नहीं किया जाता है।

यह रिपोर्ट क्या दर्शाती है?

  • कुल मिलाकर, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट’ सरकार के नीति निर्देशों को बदलने का सुझाव देती है क्योंकि यह अधिक ग्रामीण केंद्रित हो गई है।
  • केंद्र और राज्य स्तर पर, कृषि क्षेत्र के अलावा अन्य ग्रामीण नौकरियों का सृजन, तथा मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) सरकार के लिए प्राथमिकता का विषय हो सकती है।

सर्वेक्षण से संबंधित मुद्दे: विशेषज्ञों के अनुसार, सर्वेक्षण के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों का दूसरी बार भ्रमण बेरोजगारी की एक बड़ी और व्यापक तस्वीर प्रदान कर सकती है, किंतु इसे सर्वेक्षण के दौरान नहीं किया गया।

बेरोजगारी का मापन:

  • सामान्य स्थिति दृष्टिकोण (Usual Status Approach): इस पद्धति में केवल उन व्यक्तियों को ‘बेरोजगार’ के रूप में दर्ज करता है जिनके पास सर्वेक्षण की तारीख से पहले के 365 दिनों के दौरान एक लंबे समय तक कोई लाभकारी काम नहीं था और वे सक्रिय रूप से काम की तलाश कर रहे थे।
  • साप्ताहिक स्थिति दृष्टिकोण (Weekly Status Approach): यदि कोई व्यक्ति संदर्भ सप्ताह के किसी भी दिन कम से कम एक घंटे के लिए किसी एक या अधिक लाभकारी गतिविधियों में संलग्न रहता है, तो उसे नियोजित माना जाता है।
  • ‘सामान्य स्थिति दृष्टिकोण’ के अनुसार नियोजित माने जाने वाला व्यक्ति, हालांकि कुछ मौसमों या वर्ष के कुछ हिस्सों के दौरान समय-समय पर बेरोजगार हो सकता है। इसलिए, ‘साप्ताहिक स्थिति दृष्टिकोण’ के द्वारा ‘सामान्य स्थिति दृष्टिकोण’ के विपरीत, न केवल खुली दीर्घ बेरोजगारी बल्कि ‘मौसमी बेरोजगारी’ को भी मापा जा सकता है।
  • वर्तमान दैनिक स्थिति दृष्टिकोण (Current Daily Status Approach): तदनुसार, एक व्यक्ति जिसे दिन में एक घंटे भी कोई लाभकारी काम नहीं मिलता है, उसे ‘पूरे दिन के लिए बेरोजगार’ के रूप में वर्णित किया जाता है। यह मापक, कृषि और गैर-कृषि परिवारों जैसे क्षेत्रों में बेरोजगार-आकलन हेतु फायदेमंद है जहां रोजगार में प्रायः एक सप्ताह के भीतर छोटी अवधि में ही काफी उतार-चढ़ाव होते रहते हैं।
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey – PLFS): ‘पीएलएफएस’ की शुरुआत वर्ष 2017 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा की गयी थी, और यह भारत का पहला कंप्यूटर आधारित सर्वेक्षण है। इसका गठन ‘अमिताभ कुंडू समिति’ की सिफारिश के आधार पर किया गया था।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) क्या है
  2. सरकार कितनी बार ‘श्रम सर्वेक्षण’ करती है?
  3. भारत में बेरोजगारी की गणना के विभिन्न उपाय क्या हैं?

मेंस लिंक:

बेरोजगारी दर में कमी के बावजूद, सरकार द्वारा भारत में लाभकारी रोजगार प्रदान करने में कमी पाई गई है। इसके पीछे के कारणों की विवेचना कीजिए और उपयुक्त उपाय सुझाइए।

स्रोत: द हिंदू


सामान्य अध्ययन–IV


विषय: नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि

इंस्टाग्राम द्वारा बाल सुरक्षा उपायों में वृद्धि


संदर्भ:

सोशल मीडिया दिग्गज कंपनी ‘मेटा’ (Meta) द्वारा हाल ही में की गयी घोषणा के अनुसार, उसके इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म पर युवा उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।

आवश्यकता: सोशल मीडिया उपयोगकर्ता बड़ी संख्या में युवा हैं और ‘पोस्ट-ट्रुथ’ (Post-Truth) के वर्तमान युग में – जिसमे ‘सच’ को लगातार ‘हेरफेर’ और ‘गलत व्याख्या’ के द्वारा दर्शाया जाता है – एक निष्पक्ष और जवाबदेह सोशल मीडिया की स्वाभाविक जरूरत उत्पन्न होती है।

पिछले साल फ्रांसेस हौगेन नामक एक ‘व्हिसलब्लोअर’ द्वारा किए गए खुलासे से ‘इंस्टाग्राम’ हिल गया था। ‘फ्रांसेस हौगेन’ ने सुझाव दिया था कि अधिकारियों को इस बात की जानकारी थे, कि यह प्लेटफ़ॉर्म युवा उपयोगकर्ताओं, विशेष रूप से किशोर लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त 2022 कौन है? - bhaarat ka mahaapanjeeyak evan janaganana aayukt 2022 kaun hai?

नवीन कार्यविधि:

यदि युवा उपयोगकर्ता किसी एक विषय के बारे में सामग्री को देखने में बहुत अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं, तो उन्हें अब अन्य विषयों को देखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

माता-पिता और अभिभावक ‘ऐप्स’ को ब्लॉक करने में सक्षम होंगे और वे यह देख सकेंगे कि उनका बच्चा किसी अन्य डिवाइस पर क्या देख रहा है, तथा उनका बच्चा अपने हेडसेट के साथ कितना समय बिता रहा है।

अन्य उदाहरण: टिकटॉक ने भी इसी तरह की पहल की घोषणा की।

शासन के दृष्टिकोण से: सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थों और डिजिटल मीडिया आचार संहिता के लिए दिशानिर्देश) नियम, 2021

विषय: नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि

शराब की बोतल ‘वापसी खरीद’ योजना: नीलगिरी में आंशिक सफलता


संदर्भ: तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में TASMAC की दुकानों पर पुरानी शराब की बोतलों को वापस खरीदने की योजना शुरू होने के एक महीने बाद, इसने कुछ सफलता हासिल की है। लेकिन, कुछ शुरुआती मुद्दे भी सामने आए हैं।

मुद्दे: शराब की बोतल के कचरे में वृद्धि हुई रही थी जिसे वन क्षेत्रों में फेंक दिया जाता था और जिससे वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा हो गया था।

भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त 2022 कौन है? - bhaarat ka mahaapanjeeyak evan janaganana aayukt 2022 kaun hai?

कार्यविधि:

तमिलनाडु सरकार ने ‘तमिलनाडु राज्य विपणन निगम लिमिटेड’ (TASMAC) को वन क्षेत्रों में प्रयुक्त शराब की बोतलों की डंपिंग को समाप्त करने और इसके द्वारा वन्यजीवों के लिए उत्पन्न खतरों को समाप्त कारने के उद्देश्य से इस योजना को लागू करने का निर्देश दिया था। शराब की नयी बोतल खरीदते समय जिले भर में TASMAC की दुकानों पर पुरानी बोतलों को 10 ₹ में वापस लिया जाता है।

प्रभाव: जिले भर में प्रयुक्त शराब की बोतलों की खुले में डंपिंग में भारी कमी आई है। हालाँकि, जिला प्रशासन और TASMAC को एक और समस्या का सामना करना पड़ता है – नीलगिरी में TASMAC की दुकानों पर जमा हुई बोतलों का क्या किया जाए?


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 “भारत गौरव” एक्सप्रेस ट्रेन

हाल ही में, भारतीय रेलवे की ‘भारत गौरव’ योजना के तहत एक निजी ऑपरेटर द्वारा ‘कोयंबटूर और शिरडी’ के बीच पहली “भारत गौरव” एक्सप्रेस ट्रेन चालू की गयी है।

उद्देश्य:

  • इन ट्रेनों के माध्यम से देश और दुनिया के लोगों को भारत की सांस्कृतिक विरासत और शानदार ऐतिहासिक स्थलों का प्रदर्शन करना।
  • उद्यमियों के लिए अवसर।

भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त 2022 कौन है? - bhaarat ka mahaapanjeeyak evan janaganana aayukt 2022 kaun hai?

I2U2 शिखर सम्मेलन में भारत, इज़राइल, अमेरिका, यूएई की भागीदारी

अमेरिकी राष्ट्रपति 13 से 16 जुलाई तक पश्चिम एशिया की अपनी यात्रा के दौरान भारत के प्रधान मंत्री, इज़राइल के प्रधान मंत्री और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के साथ एक आभासी शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे।

नए समूह को भारत के लिए आई2यू2 (I2U2) कहा जाएगा। जिसमें ‘आई2’ का तात्पर्य ‘इंडिया’ और ‘इज़राइल’ और ‘यू2’ का तात्पर्य ‘अमेरिका’ और ‘यूनाइटेड अरब अमीरात’ से है।

I2U2 समूह:

इस समूह को पहले ‘आर्थिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच’ (International Forum for Economic Cooperation) कहा जाता था। I2U2 समूह को पहले से ही ‘चतुर्पक्षीय सुरक्षा वार्ता (Quadrilateral Security DialogueQSD) की तर्ज पर ‘नया क्वाड’ या ‘मध्य-पूर्वी क्वाड’ करार दिया जा रहा है।

चतुर्पक्षीय सुरक्षा वार्ता (QSD):

  • QSD, जिसे अक्सर ‘क्वाड’ कहा जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक रणनीतिक संवाद है।
  • इसकी शुरुआत 2007 में, दक्षिण चीन सागर में बढ़ती चीनी आक्रामकता के जवाब में की गई थी और इसमें आधुनिक युग के सबसे बड़े संयुक्त सैन्य अभ्यासों में से एक- मालाबार अभ्यास- भी शामिल है।

2020-21 में देश की 0.7% आबादी ‘अस्थायी आगंतुक’: भारत में प्रवासन रिपोर्ट

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी ‘भारत में प्रवासन रिपोर्ट’ 2020-21 (Migration in India Report 2020-21) के अनुसार, देश की 0.7 प्रतिशत आबादी जुलाई 2020-जून 2021 के दौरान घरों में ‘अस्थायी आगंतुक’  (Temporary Visitor) थी।

अस्थायी आगंतुक’ कौन होते हैं?

‘अस्थायी आगंतुकों’ (Temporary Visitor) को उन लोगों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जो मार्च 2020 के बाद आए और लगातार 15 दिनों या उससे अधिक, लेकिन 6 महीने से कम की अवधि के लिए घर में रहे। इनमें से 84% आगंतुक महामारी से जुड़े कारणों से अपने स्थान से चले गए थे।

प्रवासन:

  • परिभाषा: ‘इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन’ (UN Migration Agency) के अनुसार, एक प्रवासी को किसी भी ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो अपने निवास स्थान से दूर एक अंतरराष्ट्रीय सीमा या राज्य के भीतर किसी अन्य जगह पर बसने के लिए जा रहा है या चला गया है।
  • यह प्रवासन या तो स्वैच्छिक या जबरन दोनों प्रकार का हो सकता है। जबरन प्रवासन, आपदाओं की बढ़ती परिमाण या आवृत्ति, आर्थिक चुनौतियों और अत्यधिक गरीबी या संघर्ष की स्थितियों के परिणामस्वरूप हो सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन की चुनौतियों और कठिनाइयों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ मनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस 2021 का विषय ‘मानव गतिशीलता की क्षमता का दोहन’ था।
  • 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 11 लक्ष्यों में प्रवास या गतिशीलता के लिए प्रासंगिक लक्ष्य और संकेतक शामिल हैं।

22 डिग्री प्रभामंडल

  • प्रभामंडल या हेलोस (Halos) की उत्पत्ति, महीन, उच्च-स्तरीय बादलों (जैसे सिरोस्ट्रेटस बादलों) से जुड़े बर्फ के क्रिस्टल द्वारा सूर्य या चंद्रमा के प्रकाश का अपवर्तन होने के दौरान होता है।
  • 22-डिग्री प्रभामंडल सूर्य (या चंद्रमा) से 22 डिग्री ‘प्रकाश की एक अंगूठी’ है और यह सबसे सामान्य प्रकार का प्रभामंडल है और यह 20.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले हेक्सागोनल बर्फ क्रिस्टल द्वारा बनता है।
  • जब प्रकाश एक स्तंभ के बर्फ के क्रिस्टल के एक तरफ से प्रवेश करता है और दूसरी तरफ से बाहर निकलता है, तब 22-डिग्री प्रभामंडल (22 Degrees Halo) विकसित होता है।

भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त 2022 कौन है? - bhaarat ka mahaapanjeeyak evan janaganana aayukt 2022 kaun hai?

वर्तमान में भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कौन है?

सही उत्तर डॉ विवेक जोशी है।

2022 के जनगणना आयुक्त कौन है?

विवेक जोशी, आई. ए.एस.

भारत के प्रथम जनगणना आयुक्त कौन है?

महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त डा. सी. चंद्रमौलि के निर्देशन में सम्पन हुआ !

भारत में जनगणना कौन करवाता है?

1949 के बाद से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा कराई जाती है। 1951 के बाद की सभी जनगणनाएं 1948 की जनगणना अधिनियम के तहत कराई गईं। अंतिम जनगणना 2011 में कराई गई थी, तथा आगामी जनगणना 2021 में कराई जाएगी।