भारत की आबादी कब कम होगी? - bhaarat kee aabaadee kab kam hogee?

जानिए कब भारत की जनसंख्या घट कर आधी रह जाएगी, इस अध्ययन में किया गया दावा

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राजेश मिश्रा Updated Fri, 10 Dec 2021 01:05 PM IST

एक अध्ययन से पता चला है की अभी जिस तेजी के साथ दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है। एक समय ऐसा भी आएगा की पूरे विश्व की आबादी में तेजी के साथ कमी भी आएगी। दरअसल, लेंसेंट के अध्ययन में कहा गया है की ऐसा 21वीं शताब्दी में ही होगा। अभी वर्तमान में पूरे विश्व की जनसंख्या 7.8 अरब मानी जा रही है। अध्ययन के अनुसार यह आबादी वर्ष 2064 में 9.7 अरब हो जाएगी लेकिन 2100 में दुनिया की जनसंख्या 8.79 अरब हो जानी चाहिए। अभी 2021 चल रहा है और दुनिया 53 साल बाद 2064 में जा चुकी होगी, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह वही समय होगा जब दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या होगी। इसके बाद जनसंख्या अपने आप कम होने लगेगी। जिसके कई कारण होंगे। जिनमें जन्म दर में कमी और ज्यादा संख्या में आबादी का बूढ़ा होना शामिल है। विश्व के ऐसे 23 देश शामिल होंगे जिनमें जनसंख्या की कमी देखने को मिलेगी। आइए जानते है की इसका असर विश्व में कैसा होगा....

ऐसा क्यों होगा?

यह रिपोर्ट बताती है की लड़कियों में शिक्षा को लेकर जिस तरीके से जागरूकता बढ़ रही है। यह एक बड़ा कारण साबित हो सकता है और गर्भ रोकने के और विकल्प सामने आएंगे यह दूसरा कारण हो सकता है। इसका परिणाम यह होगा की प्रजनन क्षमता में कमी आएगी जिससे जनसंख्या में कमी देखने को मिलेगी। साल 2017 में प्रजनन दर 2.37 थी जो घट कर 1.6 रह जाएगी। 

मौसम की भूमिका 

दुनिया के जानेमाने वैज्ञानिक मिशियो काकू ने एक किताब "फिजिक्स ऑफ फ्यूचर- द इन्वेंशन दैट ट्रांसफॉर्म अवर लाइव्स” में इस विषय में बहुत अच्छे तरीके से लिखा है। वे लिखते है की मौसम विशेषज्ञों अनुसार 2030 तक मौसम में जिस तरह के बदलाव के अनुमान है वो पूरे मानव प्रजाति के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। पर्यावरण का तापमान बढ़ेगा। पानी की कमी हो जाएगी जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। विशेषज्ञ तो यहां तक बताते है की जनसंख्या में सौ करोड़ तक की कमी देखि जा सकती है। वहीं अन्य वैज्ञानिकों का मानना है की मौसम से ज्यादा प्रजनन क्षमता में कमी के कारण जनसंख्या में कमी होगी। 

कुछ देशो में जनसंख्या बढ़ेगी भी 

ऐसा नहीं है की विश्व में जनसंख्या की कमी ही होगी कुछ देशों में जनसंख्या में बढ़त भी देखने को मिलेगी। जिन देशों में जनसंख्या बढ़ेगी उन देशों में उत्तरी अफ्रीका,मध्य पूर्व और सहारा अफ्रीका शामिल है। अभी इन देशों की आबादी 1.03 अरब है जो 3.07 अरब होने की उम्मीद जताई जा रही है। 

इसका असर भारत और चीन में कितना होगा 

अध्ययन के अनुसार जनसंख्या में कमी का असर भारत में भी देखने को मिलेगा। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1.4 अरब के करीब है लेकिन 2100 में कम होकर 1.09 अरब हो जाएगी। इस समय पूरे विश्व में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन है जिसकी जनसंख्या वर्ष 2017 में 1.4 अरब थी लेकिन यह 2100 तक आधी हो जाएगी। यानी चीन की कुल जनसंख्या लगभग 73.2 करोड़ रह जाएगी। जब 14वीं शताब्दी में प्लेग महामारी ने पूरे विश्व में को चपेट में लिया था। उस समय दुनिया की जनसंख्या में भारी कमी देखने को मिली थी। यह अध्ययन इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मीट्री एंड इवैल्यूवेशन के ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर स्टेन एमिल वॉलसेट की देख रेख में हुआ था। विशेषज्ञों का कहना है की अगर हमारा अनुमान सही हुआ तो जनसंख्या में गिरावट का कारण कोई महामारी न होकर प्रजनन क्षमता में आई कमी होगी। 

मौसम की भूमिका 

दुनिया के जानेमाने वैज्ञानिक मिशियो काकू ने एक किताब "फिजिक्स ऑफ फ्यूचर- द इन्वेंशन दैट ट्रांसफॉर्म अवर लाइव्स” में इस विषय में बहुत अच्छे तरीके से लिखा है। वे लिखते है की मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 2030 तक मौसम में जिस तरह के बदलाव के अनुमान है वो पूरे मानव प्रजाति के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। पर्यावरण का तापमान बढ़ेगा। पानी की कमी हो जाएगी जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। विशेषज्ञ तो यहां तक बताते है की जनसंख्या में सौ करोड़ तक की कमी देखने को मिल सकती है। वहीं अन्य वैज्ञानिकों का मानना है की मौसम से ज्यादा प्रजनन क्षमता में कमी के कारण जनसंख्या में कमी होगी। 

नए-नए रोग आएंगे सामने 

जिस तरह से दुनिया में मशीनीकरण तेज गति से रफ्तार पकड़ रहा है। इससे मानव प्रजाति प्रकृति से दूर होती जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग भी तेजी से बढ़ रहा है। इसका परिणाम है की नई-नई बीमारियां पैदा हो रही हैं जिससे मृत्यु दर में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है। मशीनों के कारण लोग आराम तलबी हो गए है, काम करना कम कर चुके है जिससे मांसपेशी कमजोर हो रही और शरीर कमजोर हो रहा है। यह प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है। 

60 के दशक के बाद दिखने लगेगा परिवर्तन 

दुनिया के जानेमाने वैज्ञानिक मिशियो काकू की किताब "फिजिक्स ऑफ फ्यूचर- द इन्वेंशन दैट ट्रांसफॉर्म अवर लाइव्स” के अनुसार "मानव दूसरे ग्रहो पर अपने लिए घर बनाने की योजना शुरू कर दी है। किसी नए सौरग्रह की खोज हो सकती है। अंतरिक्ष में उड़ान भरना सामान्य बात हो जाएगी। प्राकृतिक ऊर्जा के संसाधन खत्म होने लगेंगे। इनके विकल्प के रूप में सूर्य के विकिरण या अंतरिक्ष के दूसरे ग्रहों पर खोज की मुहीम जोर पकड़ने लगेगी। विश्व के देशों इन खोजों में लग जाएंगे। जनसंख्या बढ़ने के बजाय घटने लगेगी। आधुनिकता तेजी के साथ बढ़ेगी, मशीनों और इंटरनेट पर निर्भरता ज्यादा हो जाएगी। जिससे प्रजनन ताकत में कमी देखने को मिलेगी। पुरानी परम्परा और जीवन शैली संग्राहलय में जगह ले चुकी होगी। 

2100 में भारत की जनसंख्या कितनी होगी?

22वीं सदी की शुरुआत में 100 करोड़ होगी आबादी अनुमान के मुताबिक साल 2022 में देश की आबादी 141.1 करोड़ है जो 2100 में घटकर 100.3 करोड़ हो जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विभाग की हालिया रिपोर्ट में इस अनुमान को जगह दी गई है।

2050 में भारत की आबादी कितनी है?

भारत (India) की आबादी अनुमान के मुताबिक 2050 में 1.668 अरब होगी, जो सदी के मध्य तक चीन की अनुमानित 1.317 अरब आबादी से बहुत आगे है. वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद से सबसे धीमी गति से बढ़ रही है और 2020 में यह एक प्रतिशत से कम हो गई है.

2030 तक भारत की जनसंख्या कितनी होगी?

यूनाइटेड नेशंस के अनुमान के मुताबिक़, 2030 तक आबादी 8.5 अरब, 2050 तक 9.7 अरब और 2100 तक 10.9 अरब पहुंच जाएगी.

क्या भारत की जनसंख्या घट रही है?

यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 तक चीन की आबादी को पीछे छोड़ देगा भारत