बिहार का आर्थिक स्थिति क्या है? - bihaar ka aarthik sthiti kya hai?

  • 26 Feb 2022
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चर्चा में क्यों?

25 फरवरी, 2022 को बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सदन के पटल पर राज्य का 16वाँ आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश किया।

प्रमुख बिंदु

  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 2020-21 में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये लगाए गए ‘लॉकडाउन’के प्रभाव के बावजूद वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। 
  • सर्वेक्षण के अनुसार मौजूदा बाज़ार मूल्य पर 2020-21 के दौरान भारत के 86,659 रुपए प्रति व्यक्ति आय की तुलना में बिहार में प्रति व्यक्ति आय 50,555 रुपए रही। 
  • पिछले पाँच वर्षों 2016-17 से 2020-21 के दौरान बिहार में प्राथमिक क्षेत्र में 2.3 प्रतिशत, द्वितीयक क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत और तृतीयक क्षेत्र में 8.5 प्रतिशत की उच्चतम दर से वृद्धि हुई।
  • राज्य में पिछले पाँच वर्षों 2016-17 से 2020-21 के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।
  • 2020-21 में राज्य सरकार का कुल खर्च पिछले वर्ष की तुलना में 13.4 प्रतिशत बढ़कर 1,65,696 करोड़ रुपए पहुँच गया, जिसमें 26,203 करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय और 1,39,493 करोड़ रुपए राजस्व व्यय शामिल है।
  • पिछले पाँच वर्षों के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। पशुधन और मत्स्य पालन की वृद्धि दर क्रमश: 10 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत रही।
  • पिछले दस वर्ष में राज्य का शहरीकरण काफी तेज़ी से बढ़ा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में शहरीकरण का स्तर महज़ 11.3 प्रतिशत था, जो वर्तमान में 15.3 प्रतिशत हो गया है।
  • वर्ष 2011 में देश की कुल शहरी आबादी का सिर्फ 3.1 प्रतिशत हिस्सा बिहार में था। राज्य सरकार ने उम्मीद जताई है कि उच्च दर से बढ़ रही शहरी अर्थव्यवस्था को देखते हुए अगले दशक में बिहार में शहरीकरण का स्तर काफी ऊँचा होगा।
  • सर्वेक्षण में बिहार के ज़िलों के बीच आर्थिक असमानता की तरह शहरीकरण में भी काफी असमानता बताई गई है। पटना ज़िले में शहरीकरण का स्तर सर्वाधिक (44.3 प्रतिशत) है, इसके अतिरिक्त सिर्फ दो ज़िलों- मुंगेर (28.3 प्रतिशत) और नालंदा (26.2 प्रतिशत) में ही शहरीकरण का प्रतिशत 25 से अधिक है।
  • वर्ष 2019-20 के आँकड़ों के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय के मामले में पटना ज़िला 131.1 हज़ार रुपए के साथ सबसे ऊपर है। वहीं दूसरे नंबर पर बेगूसराय ज़िला है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 51.4 हज़ार रुपए है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में इनके बाद मुंगेर (44.3 हज़ार), भागलपुर (41.8 हज़ार), रोहतास (35.8 हज़ार), मुज़फ्फरपुर (34.8 हज़ार), औरंगाबाद (32 हज़ार), गया (31.9 हज़ार), भोजपुर (31.6 हज़ार) और वैशाली (30.9 हज़ार रुपए) हैं।
  • कम प्रति व्यक्ति आय वाले ज़िलों में शिवहर (19.6 हज़ार रुपए), अररिया (20.6 हज़ार), सीतामढ़ी (22.1 हज़ार), पूर्वी चंपारण (22.3 हज़ार), मधुबनी (22.6 हज़ार), सुपौल (22.9 हज़ार), किशनगंज (23.2 हज़ार) व नवादा (23.4 हज़ार रुपए) शामिल हैं।

बिहार की आर्थिक स्थिति क्या है?

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट-2021- 22 के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान बिहार में प्रतिव्यक्ति आय 50,555 रुपये हो गई है। वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य में प्रतिव्यक्ति आय 49,272 रुपये थी। इस प्रकार, एक वर्ष में कुल 1183 रुपये प्रतिव्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई।

Bihar की प्रति व्यक्ति आय कितनी है 2022?

बिहार में प्रति व्यक्ति आय सबसे कम (भारत के सभी राज्यों में) 50,555 रुपये है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.6 फीसदी अधिक है.

बिहार का राजकोषीय घाटा कितना है?

बिहार को 18 साल बाद बड़े राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ा है। 31 मार्च 2021 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य में 29 हजार 827 करोड़ का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15,103 करोड़ रुपये ज्यादा है।

बिहार के पिछड़ेपन का मुख्य कारण क्या है?

इस आर्थिक पिछड़ेपन के कई प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं - <br> (i) जनसंख्या - बिहार की जलवायु जनसंख्या की वृद्धि को प्रभावित करती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण साधनों पर दबाव बनता चला जा रहा है। फलत: यहाँ आर्थिक बदहाली दृष्टिगत होती है। <br> (ii) कृषि पर निर्भर आर्थिक जीवन - बिहार की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है।