भूमंडलीय ताप से क्या समझते हैं? - bhoomandaleey taap se kya samajhate hain?

भूमंडलीय ताप से क्या समझते हैं? - bhoomandaleey taap se kya samajhate hain?

भूमंडलीय तापन क्या है ? भूमंडलीय तापन के कारण एवं परिणाम, भूमंडलीय तापन क्या है in hindi, भूमंडलीय तापन के कारण तथा प्रभाव बताइए, ग्लोबल वार्मिंग को समझाइए, भूमंडलीय तापन के दुष्परिणाम, भूमंडलीय तापन पर टिप्पणी आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

भूमंडलीय तापन (Global Warming) क्या है ?

पृथ्वी के वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन से पृथ्वी के तापमान में लगातार हो रही वृद्धि को भूमंडलीय तापन कहते हैं। ग्रीन हाउस गैसों को जीएचजी के नाम से भी जाना जाता है। यह गैसें पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होती हैं। ग्रीन हाउस गैसों में मुख्य रूप से 6 गैसें होती हैं जो कुछ इस प्रकार हैं :-

  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
  • परफ्लोरोकार्बन (PFC)
  • मेथेन (CH4)
  • नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
  • सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF6)
  • हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC)

यह सभी गैसें ग्रीन हाउस गैस कहलाती हैं। यह गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में फैल कर पृथ्वी के विकिरित ऊष्मा को पृथ्वी पर रोककर ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा करती हैं और धरती के तापमान को ठंडा करने का कार्य करती हैं। परंतु जब कारखानों एवं वाहनों से वायुमंडल में धुएं का स्तर बढ़ता है तब अधिक ऊष्मा के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगता है। इस घटना को ही भूमंडलीय तापन कहते हैं। ग्रीन हाउस गैसों में सर्वाधिक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा पायी जाती है।

  • भूमंडलीय तापन (Global Warming) के कारण
    • प्रदुषण
    • ग्रीन हाउस गैस
    • पेड़ों का अंधाधुंध कटान
    • ओजोन परत में छिद्र
    • औद्योगीकरण
    • उर्वरक एवं कीटनाशक
    • जनसंख्या में वृद्धि
  • भूमंडलीय तापन (Global Warming) के परिणाम

भूमंडलीय तापन (Global Warming) के कारण

भूमंडलीय तापन पृथ्वी के वातावरण के समक्ष सबसे बड़ी समस्या है। बीते कई वर्षों से पृथ्वी के वातावरण में विभिन्न प्रकार की गैसों के बढ़ते मिश्रण के अधिक उत्सर्जन की वजह से पृथ्वी के वायुमंडल में असामान्य रूप से वृद्धि हुई है जिसके कारण भूमंडलीय तापन जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भूमंडलीय तापन का मुख्य कारण पृथ्वी का बढ़ता तापमान है जो कई कारणों से लगातार बढ़ रहा है :-

प्रदुषण

वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण के कारण पृथ्वी के वायुमंडल का तापमान लगातार बढ़ रहा है जिसके कारण वायुमंडल में कई प्रकार की गैसों का निर्माण हो रहा है। धरती के वातावरण में जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण आदि के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हुई है जिससे भूमंडलीय तापन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रीन हाउस गैस

भूमंडलीय तापन के कारण जलवायु में होने वाले परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसें हैं। ग्रीनहाउस गैस पृथ्वी के वायुमंडल में आपस में मिल जाते हैं एवं धरती के वातावरण में मौजूद रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते हैं। ग्रीन हाउस गैस में सूर्य से आने वाली गर्मी को अपने अंदर सोख लेने की क्षमता होती है जिसके कारण पृथ्वी की सतह अत्यधिक गर्म होने लगती है।

पेड़ों का अंधाधुंध कटान

पेड़ों को काटने से वातावरण में विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण भूमंडलीय तापन में लगातार वृद्धि होती है। असल में पेड़-पौधे अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के साथ-साथ भूमि को भी ठंडा रखने का कार्य करते हैं जिससे पृथ्वी का वातावरण शुद्ध रहता है। परंतु मानव अपने सुविधाओं के लिए निरंतर पेड़-पौधों का कटान कर रहा है जिसके कारण पृथ्वी का वातावरण अत्यधिक गर्म होता जा रहा है।

ओजोन परत में छिद्र

ग्रीन हाउस गैसों के दुष्प्रभाव के कारण ओजोन परत धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है जिसके कारण भूमंडलीय तापन जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकने का कार्य करती हैं। परंतु ओजोन परत के क्षरण हो जाने के कारण भूमंडलीय तापन जैसी समस्या में वृद्धि हो रही है।

औद्योगीकरण

वैज्ञानिकों का मानना है कि शहरीकरण एवं कारखानों से निकलने वाले प्रदूषण के कारण भूमंडलीय तापन की समस्या में वृद्धि हो रही है। कारखानों से निकलने वाले रसायन, विषैले पदार्थ, प्लास्टिक, धुंए आदि से भूमंडलीय तापन की समस्या में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं।

उर्वरक एवं कीटनाशक

खेतों की फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले कीटनाशक एवं उर्वरक पृथ्वी के वातावरण के लिए बेहद हानिकारक माने जाते हैं। यह न केवल मृदा को प्रदूषित करते हैं बल्कि पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड एवं मीथेन जैसी गैसों का उत्सर्जन भी करते हैं जिसके कारण भूमंडलीय तापन की समस्या में वृद्धि हो रही है।

जनसंख्या में वृद्धि

एक शोध के अनुसार, तेजी से बढ़ रही जनसंख्या के कारण भूमंडलीय तापन की समस्या में बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ती जनसंख्या के कारण वायुमंडल के तापमान में वृद्धि हो रही है जिसके परिणाम स्वरूप भूमंडलीय तापन की समस्या एक विकराल रूप धारण कर रहा है।

भूमंडलीय तापन (Global Warming) के परिणाम

  • भूमंडलीय तापन के कारण बहुत से बड़े जलवायु परिवर्तन होते हैं जिसके कारण विश्व को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे कि मौसम में बदलाव, अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक सर्दी, तापमान में वृद्धि, भयंकर तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा, ग्लेशियरों का पिघलना आदि।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण तूफान और भी ज्यादा शक्तिशाली एवं विनाशकारी होते जा रहे हैं जिसका मुख्य कारण भूमंडलीय तापमान में वृद्धि होना है।
  • भूमंडलीय तापन के कारण रेगिस्तान का विस्तार हो रहा है एवं पशु-पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं।
  • भूमंडलीय तापन के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ओजोन परत पतली एवं कमजोर हो रही है जिसके कारण धरती के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी होती जा रही है।

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भूमंडलीय ताप से क्या समझते हो?

पृथ्वी पर लगातार विभिन्न प्रकार के गैसों के बढ़ते मिश्रण के कारण वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि हुई है। जिस कारण संपूर्ण विश्व में जो प्रभाव उत्पन्न हुआ है। उसे Global Warming (भूमंडलीय तापन) के नाम से जाना जाता है। इस कारण वैश्विक तापन में औसत वृद्धि हुई है।

भूमंडलीय तापन का मुख्य कारण क्या है?

वैश्विक तापन के कारण वैश्विक तापन का प्रमुख कारण मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होना है । ग्रीनहाउस गैसों में मुख्य रूप से कार्बन डाई ऑक्साइड(CO2), मीथेन(CH4) , नाइट्रस ऑक्साइड(N2O), ओज़ोन (O3), क्लोरोफ़्लोरो कार्बन (CFCs) आदि गैसें शामिल हैं ।

भूमण्डलीय तापन क्या है इसके प्रमुख कारण एवं परिणामों का उल्लेख करते हुए इसके नियंत्रण के उपायों का उल्लेख कीजिए?

कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोक्साइड में वृद्धि के कारण ताप बढ़ता है, बर्फ पिघल सकता है तथा प्रलय की संभावना को नजदीक लाता है। इसलिए पर्यावरण संरक्षक आवश्यक है। इसके लिए ग्रीन हाउस गैसेज तथा असंतुलित रूप से प्राकृतिक के संसाधनों का दोहन करना ही जिम्मेवार है।

भूमंडलीय ताप वृद्धि से क्या अभिप्राय है?

(1) निरन्तर पृथ्वी के तापमान का बढ़ना। तापमान के बढ़ने से पानी का वाष्पीकरण बढ़ेगा जिससे उपलब्ध पानी की कमी होगी। (2) पृथ्वी के तापमान बढ़ने से ध्रुवों पर एकत्रित बर्फ पिघलेगी और समुद्र का जल स्तर बढ़ेगा जिससे समुद्र तटी देशों और उसकी आबादी को खतरा होगा।