यह लेख मालवा क्षेत्र की भाषा के बारे में है। पंजाब के मालवा क्षेत्र में बोली जाने वाली के लिए, मलवई बोली देखें। Show
मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के हृदय-स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवी पर भील भाषा का सर्वाधिक प्रभाव है [1]। मालवा क्षेत्र का भू-भाग अत्यन्त विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा नदी, उत्तर-पश्चिम में चम्बल और दक्षिण में पुण्य सलिला नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। मालवा क्षेत्र मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग बीस जिलों में विस्तार लिए हुए हैं। इन क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक निवासी मालवी और उसकी विविध उपबोलियों का व्यवहार करते हैं। प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा की पुस्तक 'मालवी भाषा और साहित्य' के अनुसार वर्तमान में मालवी भाषा का प्रयोग मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के आगर मालवा, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, देवास एवं शाजापुर जिलों, इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, हरदा और इन्दौर जिलों, भोपाल संभाग के सीहोर, राजगढ़, भोपाल, रायसेन और विदिशा जिलों, ग्वालियर संभाग के गुना जिले, राजस्थान के झालावाड़, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। मालवी की सहोदरा निमाड़ी भाषा का प्रयोग बड़वानी, खरगोन, खंडवा, हरदा और बुरहानपुर जिलों में होता है। मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में मालवी तथा अन्य निकटवर्ती बोलियों जैसे निमाड़ी, बुंदेली आदि के मिश्रित रूप प्रचलित हैं। इन जिलों में हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, छिन्दवाड़ा आदि उल्लेखनीय हैं बैतूल, छिन्दवाड़ा वर्धा में पवारो द्वारा भोयरी पवारी बोली जाती है जो की मालवी की एक उपबोली है । मालवा समृद्धि एवं सुख से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। ‘देश मालवा गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर’जैसी उक्ति लोक-जीवन में प्रचलित है। जीवन की यही विशिष्टताएं मालवा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य, कला आदि में प्रतिबिम्बित हुई हैं। सातवीं शती में जब व्हेनसांग भारत आया था तो वह मालवा के पर्यावरण और लोकजीवन से गहरे प्रभावित हुआ था। तब उसने दर्ज भी किया,‘इनकी भाषा मनोहर और सुस्पष्ट है।’ लोककलाओं के रस से मालवांचल सराबोर है। सुदूर अतीत से यहाँ प्रवहमान नदियों, स्थानीय भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधता के रहते मालवी की अलग-अलग छटाएँ लोकजीवन में दिखाई देती हैं। इन्हीं से मालवी के अलग-अलग क्षेत्रीय रूप या विविध उपबोलियाँ अस्तित्व में आई हैं। एक प्रसिद्ध उक्ति भी इसी तथ्य की ओर संकेत करती है, "बारा कोस पे वाणी बदले, पाँच कोस पे पाणी।" मालवी का केन्द्र उज्जैन, इंदौर, देवास और उसके आसपास का क्षेत्र है। इसी मध्यवर्ती मालवी को आदर्श या केन्द्रीय मालवी कहा जाता है, जो अन्य निकटवर्ती बोलियों के प्रभाव से प्रायः अछूती है। आगर मालवा जिला तो प्रसिद्ध ही मालवा उपनाम से है क्योंकि जानकारों के अनुसार बहुत ज्यादा हद तक केंद्रीय या आदर्श मालवी इस जिले में ही बोली जाती है। प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा के अनुसार केन्द्रीय या आदर्श मालवी के अलावा मालवी के कई उपभेद या उपबोलियाँ भी अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। मालवी के प्रमुख उपबोली रूप हैं-
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मालवी बोली कहाँ बोली जाती है?
Answer (Detailed Solution Below)Option 2 : झालावाड़, कोटा, और प्रतापगढ़ Free General Awareness Mock Test 10 Questions 30 Marks 10 Mins सही उत्तर झालवाड़, कोटा और प्रतापगढ़ है।
Latest Rajasthan PTET Updates Last updated on Sep 26, 2022 Jai Narain Vyas University, Jodhpur released the complete counseling schedule for Rajasthan PTET (Pre-Teacher Education Test) Examination 2022 on 31st July 2022. The candidates can check the Rajasthan PTET Counselling Schedule from here. The exam is conducted for admission to various B.Ed. courses in the State of Rajasthan. Through online counseling, the candidates are allotted Institution/College based on his/her merit, category, teaching subjects, choice of college filled, etc. The candidates can go through the Rajasthan PTET College List from here. मालवा में कौन सी भाषा बोली जाती है?मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के हृदय-स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवी पर भील भाषा का सर्वाधिक प्रभाव है।
मालवी बोली कौन से क्षेत्र में बोली जाती है?मालवी बोली राजस्थान के झालावाड़, कोटा और प्रतापगढ़ जिलों में प्रचलित है । मालवी भाषा का प्रयोग मध्य प्रदेश के उज्जैन संभाग के विभिन्न भागों में बोला जाता है जिनमें आगर, मालवा, नीमच, मंदसौर, रतलाम, और उज्जैन शामिल हैं।
मालवा कौन सा देश है?मालवा भारत भूमि के हृदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा क्षेत्र का भू-भाग अत्यंत विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा(वेत्रवती) नदी, उत्तर-पश्चिम में चम्बल (चर्मण्यवती) और दक्षिण में पुण्य सलिला नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। मालवा क्षेत्र मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग बीस जिलों में विस्तार लिए हुए हैं।
मालवी लोकगीत क्या है?मालवी लोक गीत
मालवी लोकगीतों में वीररस एवं पुरूषत्व भाव का अभाव पाया जाता है। यहां के गीतों में लोगों की उदार मनोवृत्ति और नैतिक आदर्शों की छाप देखी जाती है। मालवी गीतों की सामान्य प्रवृत्तियां भी मुख्य रूप से राजस्थानी संस्कारों और गौरा रूप से गुजराती मान्यताओं से प्रभावित प्रतीत होती हैं।
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