Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : भूमि एवं लोग Chapter 1 स्थिति एवं विस्तार Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes. Show
BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Geography Solutions Chapter 1 स्थिति एवं विस्तारBihar Board Class 9 Geography स्थिति एवं विस्तार Text Book Questions and Answersवस्तुनिष्ठ प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्न : निर्देश : नीचे दिये गये प्रश्न में चार संकेत चिह्न हैं जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त हैं। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हों। Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 1. Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 2. Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 3. Bihar Board Class 9
Geography Solution प्रश्न 4. Bihar Board Class 9 Geography Chapter 1 प्रश्न 5. रिक्त स्थान की पूर्ति करें : 1. भारत का
क्षेत्रफल ………………… वर्ग कि०मी० है जो विश्व के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का ………………….. % है। कारण बताएँ Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 1. Bihar Board Class 9th History Solution
प्रश्न 2.
Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 3. Bihar Board Class 9 Geography Book Solution प्रश्न 4. लघु उत्तरीय प्रश्न Bihar Board 9th Class Geography Book प्रश्न 1. Bharti Bhawan Book Class 9 Geography प्रश्न 2. Bharati Bhawan Class 9 Geography Solutions प्रश्न 3. Bihar Board Class 9 Geography Chapter 1 Solution प्रश्न 4. प्रश्न 5. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. यह अंतर स्थानीय समय का है । पर पूरे देश में एक समय निर्धारित रहता है। भारत में मानक समय है 829-30′ अर्थात् नैनी का समय । यहाँ जब सूर्य ठीक सिर पर आता है तो दिन का 12 बजता है और वही समय पूरे देश में लागू होता है, ताकि समय की एकरूपता बनी रहे । मानचित्र कौशल मानचित्र की सहायता से निम्नलिखित की पहचान करें- नोट : राजधानियों को उत्तर के क्रम में दर्शाया गया है। (ii) केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यालय : (iii) सबसे लंबी तटरेखा वाला राज्य है–गुजरात। Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes. BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोगBihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Text Book Questions and Answersवस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर भारत संसाधन एवं उपयोग प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 1. भारत संसाधन एवं उपयोग Bihar Board Class 10 प्रश्न 2. Bharat
Sansadhan Evam Upyog Bihar Board प्रश्न 3. Geography Class 10 Chapter 1 Notes Bihar Board प्रश्न 4. Bihar
Board Class 10 Geography Solutions प्रश्न 5. लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर Bihar Board Class 10th Geography Solution प्रश्न 1. भारत संसाधन एवं उपयोग क्लास 10th Bihar Board प्रश्न 2. संचित कोष संसाधन वास्तव में ऐसे संसाधन भंडार के ही अंश हैं जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है। किन्तु इनका उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है। जैसे नदी का जलं भविष्य में जल विद्युत के रूप में उपयोग हो सकता है। Bihar Board Geography Solution Class 10 प्रश्न 3. Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 4. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर Geography Class 10 Bihar Board प्रश्न 1. व्यक्ति का लालच लिप्सा ने संसाधनों का तीव्रतम दोहन कर संसाधनों के भण्डार में चिंतनीय हास ला दिया है। संसाधनों का केन्द्रीकरण खास लोगों के हाथों में आने से समाज दो स्पष्ट भागों में (सम्पन्न और विपन्न) बँट गया है। संपन्न लोगों द्वारा स्वार्थ के वशीभूत होकर संसाधनों का विवेकहीन दोहन किया गया जिससे विश्व पारिस्थितिकी में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी। जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण, अम्ल वर्षा इत्यादि। उपर्युक्त परिस्थितियों से निजात पाने, विश्व-शांति के साथ जैव जगत् को गुणवत्तापूर्ण जीवन लौटाने के लिए सर्वप्रथम समाज में संसाधनों का न्याय-संगत बँटवारा अपरिहार्य है अर्थात् संसाधनों का नियोजित उपयोग हो। इससे पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये, भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर, वर्तमान विकास को कायम रखा जा सकता है। ऐसी अवधारणा सतत विकास कही जाती है जिसमें वर्तमान के विकास के साथ भविष्य सुरक्षित रह सकता है। Bihar Board Solution Class 10 प्रश्न 2. (b) सामुदायिक संसाधन ऐसे संसाधन किसी खास समुदाय के आधिपत्य में होती हैं जिनका उपयोग समूह के लिए सुलभ होता है। गाँवों में चारण-भूमि, श्मशान, मंदिर या मस्जिद परिसर, सामुदायिक भवन, तालाब आदि। नगरीय क्षेत्र में इस प्रकार के संसाधन सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल मैदान, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरजाघर के रूप में ये संसाधन सम्बन्धित समुदाय के लोगों के लिए सर्वसुलभ होते हैं। (c) राष्ट्रीय संसाधन कानूनी तौर पर देश या राष्ट्र के अन्तर्गत सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय हैं। देश की सरकार को वैधानिक हक है कि वे व्यक्तिगत संसाधनों का अधिग्रहणं आम जनता के हित में कर सकती है। (d) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन-ऐसे संसाधनों का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्था करती है। तट-रेखा से 200N.M. दूरी छोड़कर खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का आधिपत्य नहीं होता, है। ऐसे संसाधन का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति से किसी राष्ट्र द्वारा किया जा सकता है। परियोजना कार्य Bihar Board Class 10
Geography Solution प्रश्न 1. भारत के संसाधन प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 2. Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Additional Important Questions and Answersवस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. प्रश्न 8. लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4.
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर प्रश्न 1. 2. आर्थिक विकास आज संसार में आर्थिक विकास की होड़ लगी हुई है। विकासशील राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे हैं। इसके लिए वे अपने उद्योगों का विस्तार कर रहे हैं तथा परिवहन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसका सीधा संबंध संसाधनों के उपभोग से ही है। दूसरी ओर विकसित राष्ट्र अपने आर्थिक विकास से प्राप्त धन-दौलत में और अधिक वृद्धि करना चाहते हैं। यह वृद्धि संसाधनों के
उपभोग से ही संभव है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका संसार के औसत से पाँच गुणा अधिक पेट्रोलियम का उपयोग करता है। अन्य विकसित देश भी पीछे नहीं हैं। प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Notes
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Board Question 4. The Pace For Living Is Written By Answer Bihar Board Question 5. C. 1. Long Answer Questions Bihar Board Class 10 English Book Solution Question 1. The Pace For Living Ka Question Answer Bihar Board Question 2. Bihar Board Solution Class 10 English Question 3. There are advantages and disadvantages both from such sort of excitement. The fast running vehicles either plying on the road and track or flying in the sky covering a long distance comparatively in much less time any other means of communication. It saves us so much time. But sometimes it becomes unfriendly, when the mental activities are directed in a particular direction, to follow the pace of machines. The Pace For Living Story In Hindi Bihar Board Question 4. Panorama English Book Class 10 Solutions Bihar Board Question 5. Question 6. C. 2. Group Discussion – Discuss the following in groups or pairs Question 1. Question 2. C. 3. Composition 1. Write a letter to your mother about a hectic day that you spent. Frazer
Road. My dear Mamma, in this letter, I am giving you a short description of a hectic day that I have spent recently. The school in which I read starts from 8 a.m. I have to wake up early. But one winter’s day I was rather late in getting out of my bed. So I reached school late. I was not allowed to enter in the school as the gate was closed. I rode on my cycle to go to a park with a view for studying there. When I got up to leave for my home, my cycle was gone. Perhaps somebody has stolen it when I was deeply engaged in my study. With a heavy heart. I left for home. But I remembered that I should inform the police. So, I went to the concerning police station and registered a case of theft against an unknown person. Thus I spent the whole day in frantic activity. With best wishes, 2. As the secretary of the Drama Society of your school write a notice to invite the students to watch a play in Hindi. Mention the title of the play, its writer, the venue and the time. Patna Collegiate School, Patna. Notice 2nd April 2012 The Drama Society of our school is organising a drama in Hindi on 10th April at 6 p.m. in the school hall. The play is ‘Satya Harish Chandra’ by Bhartendu Haris Chandra. All the students of our school are cordially invited to watch the play. Secretary D. Word Study D.1.
Dictionary Use D. 2. Word-Formation Use these words in your own sentences. Answer: D. 3. Word-Meaning Match the words in column A with their meanings in column B Comprehensive Based Questions with Answers Read the following extracts carefully and answer the questions that follow each:- 1.a saw a play in Dublin not long ago in which the chief character was an elderly corn-merchant in a small
Irish country town. He was a man of many anxieties-his h^art was dicky, his nephew was cheating him, his wife had had the fantastic notion of spending £10 on a holiday. Altogether the pace of life was getting too much for him, and in a moment of despair, he uttered a great cry from the heart: “They tell me there’s an aeroplane now that goes at 1,000 miles an hour. How that’s too fast!” 2. Not that I have any dislike of rapid movement myself. I enjoy going to a car at ninety miles an hour- So long as I am driving and so long as it is not my car. I adore the machines that hurl you about at Battersea. To dine in London and lunch in New York next day seems to be a most satisfactory experience: I admit it excludes all the real pleasures of travel the sort of fun you get from a country bus in Somerset or Spain but it gives you a superficial sense of drama; it was a sort of excitement our ancestors had to do without, and we might just as well accept it gratefully. No, where speed becomes something unfriendly to me is where the mental activities of our time tend as they naturally do to follow the pace of the machines. I speak with prejudice because I belong to the tribe of slow thinkers, those who are cursed with 1’esprit Det espaliers: People who light on the most devastating repartee about four hours after the party’s over. I am one of those who are guaranteed to get the lowest marks in any intelligence test because those tests or ail the ones I have come across seem to be designed to measure the speed of your mind more than
anything else. Obviously we slow thinkers are terribly handicapped in the business of getting a living. But what I am thinking about just now is not so much the practical use of one’s mind as its use for enjoyment. 3. As an example, when I go to the cinema I find myself in a hopeless fog, and after two or three minutes I have to turn to my wife for enlightenment. I whisper. “Is this the same girl as the one we saw at the beginning?” And she whr.iers back” “No, there are three girls
in this film- a tall blonde a short onion, and a medium-sized brunette. Call them A, B, and C. The hero is that m ’ whc akes his hat off when he comes indoors. He is going to fall in love Wiui girls 3. C, A in that order.” And so it proves to be. There you have a mind which has trained itself to work in high gear-though as a matter of fact it can work in other gears just as, well. But my point is that most of my fellow- patients in the cinema do think fast enough to keep up comfortably with
rapid changes of scene and action. They think much faster than people did thirty years ago: possibly because those who do not think fast in the High Street nowadays may not get another chance in this world to think at world to think at all. We wish the knowledge shared regarding Bihar Board Solutions for Class 10 English Chapter 1 The Pace for Living Questions and Answers has been helpful to you. If you need any further help feel free to ask us and we will get back to you with the possible solution. Bookmark our site to avail the latest updates on different state boards solutions in split seconds. Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 2 ईदगाह Text Book Questions and Answers, summary. BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाहBihar Board Class 8 Hindi ईदगाह Text Book Questions and Answersप्रश्न अभयास पाठ से ईदगाह प्रश्न उत्तर Class 8 Bihar Board प्रश्न 1. Idgah Chapter Questions And Answers Class
8 Bihar Board प्रश्न 2. Bihar Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 3. ईदगाह’ कहानी का प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4. ऐसे खिलौने लेकर वह क्या करेगा। जब वह लोहे की दुकान पर जाता है तो चिमटा देखते ही वह विचारने लगता है। दादी के पास चिमटे नहीं हैं तवे से रोटियाँ उतारते समय उसके हाथ की अंगुलियाँ जल जाती हैं। अगर चिमटा लंकर दादी के पास जायेगा तो दादी बहुत खुश होगी। उनकी अँगुलियाँ अब कभी नहीं जलेंगी। खिलौने लेने से व्यर्थ में पैसे खराब हो जाएंगे। ईदगाह प्रश्न उत्तर कक्षा 8 Bihar Board प्रश्न 5. Idgah Question Answers In Hindi Bihar Board प्रश्न 6.
Class 8 Hindi Chapter 2 Idgah Question Answer Bihar Board प्रश्न 7.
Idgah Question Answers In Hindi Class 8 Bihar Board प्रश्न 8.
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Bihar Board प्रश्न 9. (क) नमाज खत्म होने के बाद लोग क्या कर रहे थे ? (ख) दुकानों में किस-किस तरह के खिलौने थे? (ग) वे खिलौने किस चीज के बने थे? (घ) महमूद, मोहसिन और नूर ने कौन-कौन से खिलौने खरीदे ? (ङ) परिच्छेद में सिपाही, भिश्ती और वकील के हुलिए का वर्णन किया गया है। इसी प्रकार आप राजा और साधु के हुलिये का वर्णन कीजिए। (च) अनुच्छेद में आए विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखिए। (छ) वर्दी और पोथा
के समानार्थी लिखिए। पाठ से आगे ईदगाह पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1. ईदगाह’ कहानी के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2. Bihar Board Class 8 Hindi Solution In Hindi प्रश्न 3. Bihar Board Class 8 Hindi Solutions प्रश्न 4. व्याकरण वाक्य में प्रयोग कीजिए
गतिविधि Eidgah Lesson Questions And Answers In Hindi Bihar Board प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. ईदगाह Summary in Hindiप्रेमचन्द रचित यह ………………………….. को
मिलता है। आकर रंग-बिरंग की मिठाईयाँ खाने लगे लेकिन हामीद ललचाता रहा । क्या करे, क्या खरीदे उसके समझ में नहीं आ रहा था । बच्चे आगे बढ़े रंग-बिरंग के खिलौने देख बच्चे अपने-अपने पसंद के खिलौने खरीदे । लेकिन हामीद को रंग-बिरंगे खिलौने आकर्षित नहीं कर सके । हामीद आगे बढ़ा, लोहे के बने । विविध प्रकार के चीज बिक रहे थे । जहाँ बच्चों की जरूरत की कोई चीज नहीं। लेकिन हामीद तीन पैसे में एक चिमटा खरीद लेता है । यह चिमटा दादी को काम आयेगा । रोटी सेकने में दादी का हाथ नहीं जलेगा। हामीद चिमटा लेकर बच्चों के बीच आता है। जहाँ बच्चे उसके चिमटे का उपहास करते हैं। लेकिन हामीद अपने चिमटा को कंधे पर रख बंदूक .. कहता है । हाथ में लेकर फकीरों का चिमटा बताता है । हामीद ने चिमटा को बजाते हुए मंजीरा भी साबित कर दिया । चिमटा को घुमाते हुए कहा, अगर – एक चिमटा जमा हूँ तो तुम्हारे खिलौने के जान निकल जाएँगे । मेरे चिमटे को कोई बाल-बाँका नहीं कर सकता। फिर बच्चे चिमटे के कायल हो गये। सबों ने हामीद के चिमटे हाथ से छुए । हामीद ने भी सबों के खिलौने को बारी-बारी से स्पर्श किया। से आया । वह गुस्सा में आ जाता है । हामीद ने कहा दादी तुम्हारा हाथ अब नहीं जलेगा। दादी का क्रोध स्नेह में बदल जाता है। वह सोचने लगती है। हामीद में कितना त्याग, सद्भाव और विवेक है जो बच्चों को मिठाई खाते, खिलौने से खेलते देख ललचाया होगा। लेकिन सभी इच्छाओं को दबाकर वह दादी का ख्याल रखा। अमीना की आँखों में स्नेह के आँसू बहने लगे। वह दामन फैलकर हामीद को दुआएँ दे रही थी। Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 1 कहानी का प्लाँट Text Book Questions and Answers, Summary, Notes. BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 1 कहानी का प्लाँटBihar Board Class 9 Hindi कहानी का प्लाँट Text Book Questions and AnswersKahani Ka Plot Ka Question Answer Bihar
Board प्रश्न 1. कहानी का प्लॉट का प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2. कहानी का प्लॉट का प्रश्न उत्तर Pdf Bihar Board प्रश्न 3. कहानी का प्लॉट शिवपूजन सहाय प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4. Kahani Ka Plot
Question Answer Bihar Board प्रश्न 5. Kahani Ka Plot Ka Question Answer In Hindi Bihar Board प्रश्न 6. Bihar
Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 7. Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 8. Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 9. प्रश्न 10. व्याख्याएँ 12. आशय स्पष्ट करें (क) ‘जो जीभ एक दिन बटेरों का शोरबा सुड़कती थी, अब वह सराह-सराहकर मटर का सत्तू सरपोटने लगी। चुपड़ी चपातियाँ चबानेवाले दाँत अब चंद चबाकर दिन गुजरने लगे।’ कहानी में लेखक को मुंशीजी ने जब रो-रोकर अपना दुखड़ा सुनाते हैं उसका बड़ा ही रोचक वर्णन लेखक ने किया है। मुंशीजी कहते हैं कि “क्या कहूँ बीते दिनों की, जब याद करता हूँ तो गश आ जाता है।” दारोगाजी के जीते-जी ऐश-मौज का बखान मुंशजी जी करते हैं और दारोगा जी मृत्यु के बाद आई गरीबी का इजहार करते हैं। उसका लेखक ने बड़े ही रोचक और सत्यता के साथ उजागर करता है। लोग अमीरी में कुछ भी नहीं सोचते। अनाप-शनाप, फिजूलखर्ची उनकी आदत बन जाती है। वही जब गरीबी आती है तो याद किस तरह सताती है इसका दिग्दर्शन लेखक ने ग्रामीण परिवेश में बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। (ख) “सचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है।’ निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 1. किंतु जब बहिया बह गई, तब चारों ओर उजाड़
नजर आने लगा। (ख) इस गद्यांश में दारोगाजी की मृत्यु के बाद उनके भाई मुंशीजी की आर्थिक-बदहाली और बेबसी का विवरण प्रस्तुत किया गया है। उनकी कल की खुशियाली के बाद आई वर्तमान की विपन्नता बड़ी कारुणिक है। (ग) ‘बटेरी का शोरवा सुड़कना’ प्रतीक है-सुख-समृद्धि में शानदार सुस्वादु भोजन के आनंद का। ‘मटर का सत्तू सरपोटना’ प्रतीक है-गरीबी की लाचारी में निम्नकोटि के भोजन से किसी तरह पेट भरने की क्रिया का। (घ) इस गद्यांश में कल के अमीर और आज के फकीर बने मुंशीजी की आर्थिक तंगी और दयनीय दशा का अंकन उनकी खाद्य सामग्री के वर्णन के माध्यम से किया गया है। कल तक बटेर के शोरबे और घी में चुपड़ी चपातियों के भोजन का आनंद लेनेवाले मुंशीजी आज मटर के सत्तू और चने के चंद दाने पर ही जीने को मजबूर हैं। (ङ) थानेदार की कमाई घूस की रकम की अप्रत्याशित आमदनी की कमाई होती है जो देखते-ही-देखते तुरंत लहलहा उठती है, लेकिन वह फूस की आग की तरह तुरत लहककर उतनी ही शीघ्रता से मिट या बुझ भी जाती है। 2. लेकिन जरा किस्मत की दोहरी मार तो देखिए। दारोगाजी के जमाने में मुंशीजी के चार-पाँच लड़के हुए। पर सब-के-सब सुबह के चिराग हो गए। जब बेचारे की पाँचों उँगलियाँ घी में थी, तब तो कोई खानेवाला न रहा और जब दोनों टाँगें दरिद्रता के दलदल में आ फँसी और ऊपर से बुढ़ापा भी कँधे दबाने लगा, तब कोढ़ में खाज की तरह एक लड़की पैदा हो गई और तारीफ यह कि मुंशीजी की बदकिस्मती भी दारोगाजी की घोड़ी से कुछ कम स्थावर नहीं थी। (ख) मुंशीजी की किस्मत की दोहरी मार में पहली मार यह थी कि जब मुंशीजी खशियाली की जिंदगी के सकल साधनों से मंडित थे. तब उस स्थिति में उनके चारों-पाँचों लड़के असामयिक मृत्यु के शिकार हो गए और इस रूप में उनकी संपत्ति को कोई भोगनेवाला नहीं बचा। उनकी किस्मत की दूसरी मार यह थी कि जब बाद के दिनों में वे गरीबी और तंगी के शिकार हुए तो बुढ़ापे में जी का जंजाल बनकर एक लड़की पैदा हो गई। (ग) इस कथन का अर्थ या आशय यह है कि जिस प्रकार कोढ़ की संकटमयी बीमारी के कष्ट में खाज का होना विशेष परेशानी और पीड़ा का कारण बन जाता है, उसी तरह गरीबी और अभाव की कष्टदायी स्थिति में बुढ़ापे में मुंशीजी के लिए लड़की पैदा होना विशेष पीड़ा एवं कष्टदायी हो गया। (घ) इस गद्यांश में लेखक ने कहानी के मुख्य पात्र मुंशीजी की दोहरी बदकिस्मती का अंकन किया है। उनकी इस दोहरी बदकिस्मती का पहला मंजर तो यह था कि खुशियाली के दिनों में उनके चारों-पाँचो बेटे असमय में ही मौत के शिकार हो गए और उनकी संपत्ति का कोई वारिस नहीं बचा। दूसरी ओर बदकिस्मती इस रूप में आ धमकी कि उनकी बुढ़ापे और गरीबी की किल्लत-भरी और अवसादमयी जिंदगी के बीच एक लड़की पैदा हो गई। (ड) लेखक ने यहाँ मुंशीजी की बदकिस्मती की तुलना उनके घर में पल रही दारोगाजी द्वारा खरीदी गई घोड़ी की अवसादग्रस्त किस्मत से की है। यह तुलना लेखक ने इसलिए की है कि दोनों-मुंशीजी और घोड़ी समान बदकिस्मती की स्थिति में रहकर जीने को मजबूर थे। 3. सच पूछिए तो इस तिलक-दहेज के जमाने में लड़की पैदा करना ही बड़ी मूर्खता है, लेकिन युगधर्म की क्या दवा है? इस युग में अबला ही प्रबला हो रही है। पुरुष-दल को स्त्रीत्व खदेड़े जा रहा है। बेचारे मुंशीजी का क्या दोष? जब घी और गरम मसाले उड़ाते थे, तब हमेशा लड़का ही पैदा करते थे, मगर अब मटर के सत्तू पर बेचारे कहाँ से लड़का निकाल लाएँ। संचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही
जहरीली होती है। (ख) इस गद्यांश में लेखक ने मुंशीजी की गरीबी और बेबसी का चित्रण ‘करने के क्रम में युगधर्म बनी तिलक-दहेज की प्रथा की बुराई की चर्चा की है। लेखक के अनुसार तिलक-दहेज की प्रथा की बुराई की युगीन स्थिति में लड़की पैदा करना मूर्खता है। लेकिन, मुंशीजी ऐसे गरीब और अतिसामान्य भोजन करनेवाले सहज कमजोर पिता के लिए तो पुत्र पैदा करना संभव ही नहीं है। अत: कल की अमीरी के बाद आज की आई गरीबी की पीड़ा की घड़ी में पैदा हुई बेटी कष्टदायक होती है। (ग) लेखक के अनुसार तिलक-दहेज के जमाने में लड़की के पैदा होने पर उसके विवाह के आयोजन में अनावश्यक रूप से बहुत ज्यादा राशि अपेक्षित हो जाती है जिसे जुटाना लड़की के अभिभावक के लिए बड़ा कष्टकर हो जाता है। इस स्थिति में लड़की पैदा करना कष्टकर और मूर्खतापूर्ण हो जाता है। (घ) लेखक के इस कथन का मंतव्य है कि अमीरी की सुख-सुविधा और ‘ खुशियाली के बाद गरीबी का आना बड़ा कष्टदायी और भयावह पीड़ाजनक होता है। इसका दुष्प्रभाव जहर के प्रभाव के रूप में बड़ा जहरीला है और विशेष कष्टदायी होता है। पहले से चली आ रही गरीबी में ऐसी बात नहीं होती। 4. कहते हैं प्रकृत-सुंदरता के लिए कृत्रिम श्रृंगार की जरूरत नहीं होती, क्योंकि जंगल में पेड़ की छाल और फूल-पत्तियों से सजकर शकुंतला जैसी
सुंदरी मालूम होती थी, वैसी दुष्यंत के राजमहल में सोलहों सिंगार करके भी वह कभी न फबी। किंतु, शकुंतला तो चिंता-कष्ट के वायुमंडल में नहीं पत्ली थी। उसके कानों में उदर दैत्य का कर्कश हाहाकार कभी न गूंजा था। वह शांति और संतोष की गोद में पल कर सयानी हुई थी और तभी उसके लिए महाकवि की शैवाल-जाल-लिप्त कमलिनी वाली उपमा उपयुक्त हो सकी। (ख) प्रकृत, अर्थात् स्वाभाविक सौंदर्य में जो आकर्षण और मनोहरता होती है; वह कृत्रिम, अर्थात् बनावटी सौंदर्य में नहीं। बाग में खिले फूलों की सुंदरता के सामने कागज के रंग-बिरंगे फूलों की सुंदरता तो तुच्छ ही होती है। शकुंतला के – सौंदर्य की मनोरमता पेड़-पौधों और वन्य फूलों के बीच जितनी मोहक थी, उतनी राजा दुष्यंत के राजमहल के कृत्रिम सौंदर्य साधन मंडित परिवेश में कहाँ। (ग) लेखक के अनुसार प्रकृत सौंदर्य कृत्रिम सौंदर्य की अपेक्षा ज्यादा मनोरम, मोहक और मनोहर होता है। इसीलिए शकुंतला वन-प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्यमंडित प्रसाधनों के बीच जितना अधिक सुंदर लगती थी, उतना राजमहल के कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों से भूषित परिवेश के बीच नहीं। लेकिन लेखक के मतानुसार प्रकृत सुंदरता के लिए एक हद तक अच्छे खान-पान तथा रहन-सहन के भौतिक साधन भी जरूरी होते हैं अन्यथा उनके अभाव में प्रकृत सुंदरता कुम्हला जाती है। गरीबी की आँच में कुम्हलाई भगजोगनी की सुंदरता का यही हाल था। (घ) महाकवि कालिदास ने शकुंतला के निष्कलुष सौंदर्य की उपमा शैवाल घास-मंडित जल में खिले सहज मनोरम कमल के फूल से दी है। 5. गाँव के लड़के अपने-अपने घर भरपेट खाकर जो झोलियों में चबेना लेकर खाते हुए घर से निकलते हैं, तो वह उनकी वाट जोहती रहती हैं-उनके पीछे-पीछे लगी फिरती है, तो भी मुश्किल से दिन में एक-दो मुट्ठी चबेना मिल पाता है। खाने-पीने के समय किसी के घर पहुँच जाती है तो इसकी डीढ लग जाने के भय से घरवालियाँ दुरदुराने लगती हैं। कहाँ तक अपनी मुसीबतों का बयान करूँ, भाई साहब!
किसी की दी हुई मुट्ठी भर भीख लेने के लिए इसके तन पर फटा हुआ आँचल भी नहीं है। इसकी छोटी अँजुलियों में ही जो कुछ अँट जाता है, उसी से किसी तरह पेट की जलन बुझा लेती है। कभी-कभी एकाध फंका चना-चबेना मेरे लिए भी लेती आती है। उस समय हृदय दो टूक हो जाता है। (ख) इस गद्यांश में लेखक ने मुंशीजी और उनकी पुत्री भगजोगनी की आर्थिक बेहाली और दुर्दशा का बड़ा कारुणिक अंकन किया है। मुंशीजी की आर्थिक विपन्नता की यह स्थिति है कि उनकी एकमात्र पुत्री भगजोगनी पेट पालने के लिए भिक्षाटन की मुद्रा में डगर-डगर डोलती फिरती है। उसे घोर अपमान-उपेक्षा और तिरस्कार की स्थिति से गुजरकर किसी तरह अपने और अपने बाप के लिए भोजन के चंद दानों को जुटाने के प्रयास में पीड़ा की आग में तिल-तिलकर जलना पड़ता (ग) यहाँ मुंशीजी और उनकी पुत्री की गरीबी की दुर्दशा का अंकन किया गया है। भाई दारोगाजी की मृत्यु के बाद मुंशीजी की गरीबी की दुर्दशा बर्णनातीत है। उनकी बेटी भिक्षाटन कर भोजन के चंद टुकड़ों को किसी तरह जुटा पाती है। इसके लिए कभी उसे झोलियों से चबाते खाते बच्चों के पीछे-पीछे भागते, तो कभी किसी के दरवाजे पर जाकर दुत्कार सहते, अपमान के विष यूंट पीकर प्रयासरत रहना पड़ता है। उसे भिक्षाटन से मिले चंद दानों को जुगाकर जमा करने के लिए आँचल के कपड़े भी मयस्सर नहीं हैं। (घ) जिस समय भगजोगनी अपने भूखे-बाप के लिए बड़ी कठिनाई से प्राप्त भिक्षाटन के चंद दानें बचाकर लाती है उस समय उसके अभागे और दुर्भाग्यग्रस्त पिता की आँखों में करुणा, पीड़ा और ममता के आँसू उमड़ आते हैं। (ङ) इस कथन में भगजोगनी के विपन्न पिता अपनी और अपनी पुत्री की आर्थिक दुर्दशा का बयान करते हैं। गरीबी की पीड़ा की आग में तिल-तिलकर कर जलती भगजोगनी भिक्षाटन करती है। उसके भिक्षाटन के क्रम में आई ये दो मुसीबतें बयान के काबिल नहीं हैं। इनमें मुसीबत यह है कि उसके पास भिक्षाटन में मिले चंद दानों को लपेटकर रखने के लिए फटे आँचल भी नहीं हैं और लाचारी की स्थिति में उसे अपनी अँजुली ही पसारनी पड़ती है। 6. सारे हिंदू-समाज के कायदे भी अजीब ढंग के हैं। जो लोग मोल-भाव करके लड़के की बिक्री करते हैं, वे भले आदमी समझे जाते हैं, और कोई गरीब बेचारा उसी तरह मोलभाव करके लड़की को बेचता है, तो वह कमीना समझा जाता है। मैं अगर आज इसे बेचना चाहता तो इतनी काफी रकम ऐंठ सकता था कि कम-से-कम मेरी जिंदगी तो जरूर ही आराम से कट जाती। लेकिन, जीते-जी हरगिज एक मक्खी भी न लूँगा। चाहे वह क्वाँरी
रहे या सयानी होकर मेरा नाम न हँसाए। (ख) मेरी दृष्टि में भी ये दोनों कायदे अजीब ढंग के हैं। यदि तिलक-दहेज लेकर लड़के बेचना भलापन है तो शादी-ब्याह के लिए लड़की बेचना कमीनापन क्यों है? तर्क की दृष्टि से लड़का और लड़की दोनों तो एक ही माँ-बाप की संतान होने के कारण समान स्तर के ही तो हैं। सबसे अजीब बात तो यह है कि . शादी-विवाह ऐसे पवित्र कार्य की संपन्नता में रुपये-पैसे को इतनी अहमियत देना ही नहीं चाहिए कि उसके लिए लड़की या लड़के बेचने की जरूरत आ जाए। (ग) हिंदू-समाज की यह अजीब मान्यता है कि जो आदमी लड़के की शादी में तिलक-दहेज के रूप में जितनी मोटी रकम लड़की वाले से ले पाता है, वह आदमी उतना ही ज्यादा भला और गौरवशाली समझा जाता है। ऐसा इसलिए कि लड़के के तिलक-दहेज के रूप में मिले रुपये उस समाज में उसके आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक स्तर तथा मान-मर्यादा के सूचक माने जाते हैं। इसके विपरीत लड़की की शादी में लड़के वाले से रुपये लेकर लड़की की शादी करनेवाले को गरीब, निम्न, आर्थिक कोटि का और लड़की बेचवा’ कहा जाता है। (घ) इस गद्यांश में लेखक ने हिंदू-समाज में व्याप्त तिलक-दहेज तथा लड़की बेचनेवाली दोनों प्रथाओं की आलोचना की है। लेखक की दृष्टि से ये दोनों प्रथाएँ त्याज्य है। शादी जैसे पवित्र संस्कार के आयोजन में लड़के या लड़की को बेचकर पैसे जुटाना घोर अमानवीय और घृणित कार्य है। (ङ) पाठ-कहानी का प्लॉट. लेखक-शिवपूजन सहाय। 7. एक दिन वह था कि भाई साहब के पेशाब से चिराग जलता था और एक दिन यह भी है कि मेरी हड्डियाँ मुफलिसी की आँच से मोमबत्तियों की तरह घुल-घुलकर जल रही है। (ख) ‘पेशाब से चिराग जलता था।’ कथन का अर्थ है कि दारोगाजी का उस क्षेत्र में काफी रोब-रुतबा था और सब जगह उनकी ऐसी धाक जमी हुई थी कि उनकी इच्छा के अनुकूल ही वहाँ के सारे कार्य संपन्न होते थे। (ग) इस गद्यांश में लेखक के कथन का आशय यह है कि एक समय ऐसा था जबकि मुंशीजी के भाई दारोगा काफी संपन्न स्थिति में थे। उस क्षेत्र में लोग उनके रोब-रुतबे एवं शान-शौकत के कायल थे और वहाँ उनकी इच्छा के अनुकूल ही कार्यों का निष्पादन होता था। लेकिन, समय बदला और दारोगाजी की मृत्यु के बाद उनका परिवार आसमान से जमीन पर आ गया। उनके भाई मुंशीजी आर्थिक बेहाली और दुर्दशा के इस तरह शिकार हो गए कि उन्हें लोगों की दया और करुणा पर जीने के लिए मजबूर होना पड़ा। 8. आह! बेचारी उस उम्र में भी कमर में सिर्फ एक पतला-सा चिथड़ा लपेटे हुई थी, जो मुश्किल से उसकी लज्जा ढंकने में समर्थ था। उसके सिर के बाल तेल बिना बुरी तरह बिखरकर बड़े डरावने हो गए थे। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में एक अजीब ढंग की करुणा-कातर चितवन थी। दरिद्रता राक्षसी ने सुंदरता-सुकुमारी का गला टीप दिया
था। (ख) यहाँ मुंशीजी की पुत्री और स्वर्गीय दारोगाजी की फूल-सी कोमल सहज सुंदरी किशोरी भतीजी भगजोगनी की आर्थिक विपन्नता और बेहाली का बड़ा कारुणिक चित्रण किया गया है। उसके पिता मुंशीजी इतने असहाय, साधनहीन और विपन्न स्थिति में थे.कि वे अपनी इकलौती किशोरी पुत्री को तन ढकने के लिए पर्याप्त कपड़े और बालों में डालने के लिए तेल की व्यवस्था करने की स्थिति में भी नहीं (ग) इस कथन का मतलब यह है कि गरीबी की मार और पीड़ा का भगजोगनी इस कदर शिकार हो गई थी कि साधनों की कमी के कारण उसकी सारी स्वाभाविक कायिक कोमलता और सुंदरता विनष्ट हो चुकी थी। मानो गरीबी की राक्षसी ने उस सुकुमार किशोरी की कोमलता और सुदंरता का वध कर दिया हो। उसके तन पर कपड़े के नाम पर चिथड़े ही लिपटे रहते थे और तेल के बिना उसके. सिर के सुखे बाल बड़े डरावने लगते थे। Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 1 पूस की रात (प्रेमचंद)पूस की रात पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर पूस की रात प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11th Hindi प्रश्न 1. Poos Ki Raat In Hindi Questions And Answers Bihar Board प्रश्न 2. मुन्नी को लगता है कि जब खेती अपनी है, तभी तो लगान अथवा मालगुजारी देनी पड़ती है और उसके लिए कर्ज लेना पड़ता है, जिससे उबरना मुश्किल होता है। मजूरी करने पर यह सब झंझट नहीं है। इसीलिए वह हल्कू से खेती छोड़ देने के लिए कहती है। पूस की रात कहानी के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11th Hindi प्रश्न
3. Push Ki Raat Question Answer Bihar Board प्रश्न 4. Poos Ki Raat Question Answer Bihar Board प्रश्न 5. पूस की रात प्रश्न उत्तर Pdf Bihar Board Class 11th Hindi Bihar Board प्रश्न 6. Push Ki Raat Kahani Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 7. Poos Ki Raat Questions And Answers Pdf Bihar Board प्रश्न 8. Poos Ki Raat Questions And Answers Bihar Board प्रश्न 9. Push Ki Raat Ke Question Answer Bihar Board प्रश्न 10. पूस की रात कहानी का चरित्र चित्रण Pdf Bihar Board प्रश्न 11. हल्कू की समझौतापरस्ती एवं भाग्यवादी विचारों की बाजाय मुन्नी का विद्रोही स्वभाव एवं आलोचानात्मक दृष्टिकोण हमें अधिक महत्त्वपूर्ण लगता है। Class 11 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 12. प्रश्न 13. यदि जबरा के चरित्र का कहानी में सन्निवेश न होता तो शायद हल्कू के चरित्र के कुछ पहलू अनछुए और अनुद्घाटित रह जाते, वे उस सहजता से व्यक्त न हो पाते। पुनः उन दोनों पात्रों के मध्य जो संवाद-योजना है, वह अत्यंत स्वाभाविक, रोचक, मर्मस्पर्शी एवं कथावस्तु के सर्वथा अनुकूल है। इससे कृषक-प्रकृति पर अच्छा प्रकाश पड़ा है। अत: कहा जा सकता है कि जबरा जैसे, मानवेतर पात्र का नियोजन ‘पूस की रात’ कहानी के कथ्य को पूर्ण बनाने में सहायक है। प्रश्न 14. व्याख्या- मुन्नी का हृदय उपर्युक्त प्रस्ताव पर टूट-टूटकर विदीर्ण हो जाता है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक रूप से उसके जीवन की नग्न वास्तविकता प्रकट होती है कि वह चाहे कुछ भी करे, कितनी ही कतर-ब्योंत क्यों न कर ले, लेकिन महाजनों के कर्ज से मुक्त होना उसके लिए नामुमकिन है। लगता है कि जैसे उसका जन्म ही बाकी चुकाते रहने के लिए हुआ हो। यदि एक बार कर्ज ले लो फिर उससे उबार नहीं। इस प्रकार सारा जीवन लगान भरने एवं कर्ज चुकाने में ही चुक जाता है, उनके लिए कुछ नहीं बचता। विशेष-
(ख) हल्कू ने रुपये लिये और इस तरह बाहर चला मानो हृदय निकालकर देने जा रहा हो। व्याख्या- विशेष-
(ग) अंधकार के उस अनंत सागर में यह प्रकाश एक नौका समान हिलता, मचलता हुआ जान पड़ता था। व्याख्या- विशेष-
(घ) तकदीर का खूबी है। मजूरी हम करें, मजा दूसरे लूटें। व्याख्या- विशेष-
प्रश्न 15. जबरा के जीते-जी हल्कू का कुछ बिगड़े, यह संभव नहीं। इस संदर्भ में कहानीकार ने ठीक ही कहा है कि “कर्त्तव्य उसके हृदय में अरमान की भाँति उछल रहा था।” यही बात कहानी के अंतिम भाग में भी दिखायी देती है। जब हल्कू ठंड के कारण अलाव को छोड़ खेत पर नहीं जा पाता, जबकि जबरा खेत पर पहुंचकर नीलगायों को भगाने के लिए जी-जान लगा देता है। इस प्रकार हम देखते है कि जबरा अपनी स्वामिभक्ति एवं कर्त्तव्यपरायणता के कारण कहानी में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। प्रश्न 16. फसलों की बर्बादी देख मुन्नी और हल्कू के भाव अलग-अलग है। मुन्नी वहा यह सोचकर दुखी और उदास है कि अब तो मालगुजारी भरने के लिए मजूरी ही करनी पड़ेगी, वहीं हल्कू इस कारण प्रसन्नता व्यक्त करता है कि चलो फसल नष्ट हुई तो हुई, मजूरी करनी पड़ेगी तो करेंगे, पर अब कड़ाके की ऐसी रात में यहाँ सोना तो न पड़ेगा। पूस की रात भाषा की बात प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (क) चिलम पीकर हल्कू लेटा और निश्चय करके लेटा कि चाहे जो कुछ भी हो अबकी सो जाऊँगा। (ख) हल्कू को ऐसा मालूम हुआ जानवरों का झुंड उसके खेत में आया है। प्रश्न 6. (क) हल्कू ने आग जमीन पर रख दी और पत्तियाँ बटोरने लगा। (संयुक्त वाक्य) (ख) राख के नीचे कुछ-कुछ आग बाकी थी, जो हवा का झोंका आ जाने पर जरा जाग उठती थी। (मिश्र वाक्य) (ग) पेट में ऐसा दरद हुआ कि मैं ही जानता हूँ।
(मिश्र वाक्य) (घ) यह कहता हुआ वह उछला और अलाव के ऊपर से साफ निकल गया। (संयुक्त वाक्य) (ङ) मै मरते-मरते बचा, तुझे अपने खेत की पड़ी है। (मिश्र वाक्य) प्रश्न 7. लेखक-बगीचे में घुप अँधेरा हुआ था और अंधकार में निर्दय पवन पत्तियों को कुचलता हुआ चला जाता था। हल्कू-पिएगा चिलम, जाड़ा तो क्या जाता है, हाँ, जरा मन बहल जाता है। लेखक-जाड़ा किसी पिशाच की भाँति उसी छाती को दबाए हुए था। प्रश्न 8.
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर पूस की रात लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. हल्क का चरित्र-चित्रण कीजिए। प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. पूस की रात अति लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. पूस की रात वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग, या घ) लिखें। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें। पूस की रात लेखक परिचय – प्रेमचंद (1880-1936) प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, सन् 1880 ई. को वाराणसी जिले के लमही नामक ग्राम में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय था। आरम्भ में वे नवाबराय के नाम से उर्दू में लिखते थे। युग के प्रभाव ने उनको हिन्दी की ओर आकृष्ट किया। प्रेमचंदजी ने कुछ पत्रों का सम्पादन भी किया। उन्होंने सरस्वती प्रेम के नाम से अपनी प्रकाश संस्था भी स्थापित की। प्रेमचंद हिन्दी साहित्य के प्रथम कथाकार हैं जिन्होंने साहित्य का नाता जन-जीवन से जोड़ा। उन्होंने अपने कथा-साहित्य को जन-जीवन के चित्रण द्वारा सजीव बना दिया है। वे जीवन भर आर्थिक अभाव की विषम चक्की में पिसते रहे। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त आर्थिक एवं सामाजिक वैषम्य को बड़ी निकटता से देखा था। यही कारण है कि जीवन की यथार्थ अभिव्यक्ति का सजीव चिंत्रण उनके उपन्यासों एवं कहानियों में उपलब्ध होता है। जीवन में निरन्तर विकट परिस्थितियों का सामना करने के कारण प्रेमचंदजी का शरीर जर्जर हो रहा था। देशभक्ति के पथ पर चलने के कारण उनके ऊपर सरकार का आतंक भी छाया रहता था, पर प्रेमचंदजी एक साहसी सैनिक के समान अपने पथ पर बढ़ते रहे। उन्होंने वही लिखा जो उनकी आत्मा ने कहा। वे बम्बई (मुम्बई) में पटकथा लेखक के रूप में अधिक समय तक कार्य नहीं कर सके, क्योंकि वहाँ उन्हें फिल्म निर्माताओं के निर्देश के अनुसार लिखना पड़ता था। उन्हें स्वतन्त्र लेखन ही रुचिकर था। निरन्तर साहित्य साधना करते हुए 2 अक्टूबर, 1936 को उनका स्वर्गवास हो गया। साहित्यिक विशेषताएं-प्रेमचंदजी प्रमुख रूप से कथाकार थे। उन्होंने जो कुछ भी लिखा वह जन-जीवन का मुँह बोलता चित्र है। वे आदर्शोन्मुखी-यथार्थवादी कलाकार थे। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को अपनी रचनाओं का विषय बनाया पर निर्धन, पीड़ित एवं पिछड़े हुए वर्ग के प्रति उनकी विशेष सहानुभूति थी। उन्होंने शोषक एवं शोषित दोनों वर्गों का बड़ा विशद् चित्रण किया है। ग्राम्य-जीवन के चित्रण में तो प्रेमचंदजी ने कमाल ही कर दिया है। उनकी कपन, गोदान, पूस की रात आदि रचनाएँ शोषण के विरुद्ध मूक विद्रोह की आवाज उठाती है। उपन्यास-वरदान, सेवा सदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, काया कल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान एवं मंगल सूत्र (अपूर्ण)। कहानी संग्रह-प्रेमचंदजी ने लगभग 400 कहानियों की रचना की। उनकी प्रसिद्ध कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं।
भाषा-प्रेमचंदजी का सम्पूर्ण साहित्य समाज-सुधार एवं राष्ट्रीय भावना से प्रेरित है। उनकी भाषा सरल एवं मुहावरेदार है। उर्दू शब्दों की स्वच्छता तथा सस्कृत की भावमयी स्निग्ध पदावली ने भाषा को आकर्षक, सरल एवं प्रभावशाली बना दिया है। यही कारण है कि आम जनता और रुचि-सम्पन्न साहित्यकारों-दोनों ने उनके साहित्य का स्वागत किया। पूस की रात पाठ का सारांश सहना हल्कू से अपने उधार के पैसे माँगने आया है। हल्कू अपनी पत्नी से रुपये देने के लिए कहता है। उनकी पत्नी यह कहकर मना करती है, घर में केवल तीन रुपये हैं, उनका कम्बल खरीदना है। ठंड की रात में बिना कंबल के खेतों की रखवाली कैसे होगी। वह कहने लगा उसकों पैसा देकर पीछा छुड़ाओं, कंबल के लिए कोई और इंतजार कर लेंगे। मुन्नी (उसकी पत्नी) कहती है कि कहाँ से इंतजाम करोगे, क्या कोई तुम्हे दान देकर जाएगा, हल्कू उसके पैसे देकर अपना पिंड छुड़ाना चाहता है। मुन्नी ने पैसे लाकर हल्कू को दे दिया और कहा कि छोड़ दो ये खेती, मजदूरी करके अपना गुजार कर लेंगे; किस की धौंस तो नहीं सहनी पड़ेगी। हल्कू ने एक-एक पैसा करके इकट्ठे किए गए रुपये लाकर उसे दे दिया, उसे ऐसा लगा मानो अपना हृदय निकालकर दे दिया हो। पूस की रात में हल्कू अपने खेत पर ईख के पत्तों की छाटी-सी झोपड़ी बनाकर उसमें एक खटोला डालकर, रखवाली कर रहा था। सर्दी के कारण उसको नींद नहीं आ रही थी। उसका कुत्ता जबरा भी वहीं लेटा सर्दी के कारण कूँ-कूँ कर रहा था। हल्कू अपने सिर को घुटनों में दिए अपने कुत्ते से कहता कि क्या तुझे जाड़ा लग रहा है? तू घर में पुआल पर लेटा रहता, तू ही तो यहाँ आया था, अब ले, ले मजा। कुत्ता कुँ-कुँ करके फिर लेट गया कहीं मालिक को मेरे कारण नींद नहीं आ रही हो। हल्कू एक-एक कर आठ चिलम पी चुका परंतु उसकों नींद नहीं आ रही थी। वह सोच रहा था कि मेहनत हम करते हैं, मजा दूसरे लोग लूटते हैं। वे अपने घरों में आराम से गरम-गरम गद्दों पर सोते हैं। हल्कू अपने कुत्ते से बातें करता रहा। कुत्ता मानो कूँ-कू करके हल्कू की बात का जवाब दे रहा हो। जबरा ने अपने पंजे हल्कू के घुटनों के पास रखे, तो उसके उसे गरम-गरम साँस का अनुभव हुआ। चिलम पीकर हल्कू फिर सोने का प्रयत्न करने लगा परंतु नींद आने का नाम ही न लेती थी। हल्कू ने जबरा का सिर उठाकर अपनी गोद में रख लिया और थपकी देकर उसे सुलाने लगा। हल्कू को इस प्रकार करते एक सुख का अनुभव हो रहा था। जबरा शायद इस सुख को स्वर्ग से भी बढ़कर समझ रहा था। हल्कू की आत्मा में कुत्ते के प्रति कोई घृण का भाव नहीं था। वह इतना तल्लीन होकर शायद अपने आत्मीय को भी गले न लगाता जिस प्रकार उसने जबरा को गले गला रखा था। हल्कू की आत्मा मानो अंदर से प्रकाशित हो गई हो। तभी जबरा को किसी जानवर की आहट मालूम पड़ी। जबरा बाहर आकर भौंकने लगा। ह के बुलाने पर भी वह नहीं आया। उसका कर्तव्य उसको भौंकन के लिए प्रेरित कर रहा १ाफी रात गुजर जाने के बाद हवा और तेज हो गई, अब तो ऐसा लगता था कि सर्दी मानों हो ले लेगी। हल्कू ने आकाश की ओर देखकर रात कितनी बाकी है यह अंदाज लगाया। हल्कू के खेत से थोड़ी दूर पर आमों का एक बाग है। पतझड़ शुरू होने के कारण पेड़ों रोचे काफी पत्ते पड़े हुए थे। हल्कू एक साथ में सुलगता हुआ उपला लेकर अरहर के पौधों। झाडू बनाकर पेड़ के नीचे से आम के पत्तों को इकट्ठा करने लगा। उसने थोड़ी देर में ही ..का ढेर लगा दिया। जबरा जमीन पर पड़ी किसी हड्डी को चिचोड़ने लगा। पत्तियाँ इकट्ठी करके हल्कू ने अलाव जला दिया। वह आज सर्दी को जलाकर भस्म कर देना चाहता था। हल्कू अलाव के सामने ही बैठकर तापने लगा फिर उसने अपनी टाँगें फैला लीं। गोल्डेन सीरिज पासपोट वह सोचने लगा इतना इंतजाम पहले कर लेते तो ठंड में तो न मरना पड़ता। अलाव शांत हो चुका था परंतु उसमें गरमी बाकी थी। हल्कू चादर ओढ़कर गरम राख के पास बैठकर गीत गुनगुनाने लगा। उसको आलस्य ने घेर लिया। जबरा भौंकता हुआ खेत की ओर दौड़ा। हल्कू को ऐसा लगा जैसे खेत में जानवरों का झुंड आया हो, उनकी आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी, शायद यह नील गायों का झुंड था। हल्कू को उनके खेत चरने की आवाज भी सुनाई दे रही थी, उसने अपने दिल को तसल्ली दी कि जबरा के होते हुए कोई जानवर खेत में नहीं आ सकता। मुझे भ्रम हो रहा है, वह अपने आपको झूठी तसल्ली देने लगा। हल्कू को ऐसा लगा कि यह भ्रम नहीं है क्योकि खेत चरने की आवाज स्पष्ट आ रही थी और जबरा भी जोर-जोर से भौक रहा था परंतु हल्कू को अकर्मण्यता ने घेर लिया था, वह लेट गया। सबेरे उसी नींद तब खुली जब धूप चारों ओर खिल गई थी। उसकी पत्नी ने आकर उसको जगाया कि तुम्हारी रखवाली का क्या फायदा हुआ, खेत तो सारी चौपट हो गई। हल्कू ने बहाना बनाया तुम्हें खेत की पड़ी है। मै दर्द के कारण मरते-मरते बचा हूँ। वे दोनों अपने खेत के पास आए, देखा नील गायों ने खेत को पूरी तरह चर लिया था। यह देखकर मुन्नी उदास हो गई। रंतु हल्कू प्रसन्न था कि मजदूरी करके अपना गुजारा कर लेंगे, यहाँ ठंड में खेत की रखवाली हो नहीं करनी पड़ेगी। पूस की रात कठिन शब्दों का अर्थ घुड़कियाँ-फटकार, धमकियाँ। स्फूर्ति-फुर्ती। मजूरी-मजदूरी। अकर्मण्य-काम न करने वाला, आलसी। खैरात-मुफ्त। दंदाया-गरमाया। तत्परता- शीघ्रता। कम्मल-कंबल। अरमान-अभिलाषा। हार-खेत-बधार। धधकाना-भड़काना। भारी-भरकम-वजनदार। टाँठे-करारा, दृढ़। डील-आकार। अलाव-जहाँ आग तापी जाती है। पछुआ-पश्चिमी हवा जो जाड़ों में बहुत ठण्डी होती है। मालगुजारी-उपज पर दिया जाने वाला कर। भीषण-भयानक। दोहर-दुहरी चादर। दीर्घ-बड़ा। असूझ-बेवकूफी। श्वान-कुत्ता। मडैया-झोपड़ी। महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या 1. यह खेती का मजा है और एक-एक भाग्यवान ऐसे पड़े हैं, जिनके पास जाड़ा जाय तो गर्मी से घबराकर भागे ! मोटे-मोटे गद्दे, लिहाफ। मजाल है कि जाड़े की गुजर हो जाय। तकदीर की खूबी है। मजूरी हम करें, मजा दूसरे लूटे! “उत्तम खेती मध्यम बान। निसिद्ध चाकरी. भीख निदान ॥” किन्तु बात बिल्कुल उलटी है। खेत में अन्न पैदा करने वाला जो कंगाल बना रहता है जबकि वाणिज्य तथा चाकरी करने वाले मौज में रहते हैं। उन्हें जाड़ों में
मोटे गद्दों, लिहाफ, कम्बल आदि की कोई कमी नहीं रहती। उनके पास गर्मी इतनी रहती है कि जाड़ा डर से ही भागता रहता है। किसान और मजदूर उत्पादन करते और उसका उपयोग धनी वर्ग करता है। अपना-अपना भाग्य 2. वह अपनी दीनता से आहत न था, जिसने आज उसे इस दशा में पहुँचा दिया ! नहीं, इस अनोखी मैत्री ने जैसे उसकी आत्मा के सब द्वार खोल दिये थे और उसका एक-एक अणु प्रकाश से चमक रहा था। वह कुत्ते को गोद मैं चिपकाए सो जाने की कोशिश करता है। हल्कू की गरीबी आज यहाँ तक पहुँच गयी है कि वह जानवर के साथ जानवर की तरह लेटने में भी सुख का अनुभव करता है। वही हल्कू है जो पेट काट-काट कर कम्बल के लिए जमा किए गए पैसे सहना के बकाये देने को मजबूर हो जाता है। उसकी पूँजी खेत में लगी फसल है, जिसकी वह निगरानी नहीं कर पाता। इस प्रकार हम देखते हैं कि मनुष्य के अत्याचार से हारा हुआ मनुष्य प्रकृति से भी हार मान लेता है। 3. उस अस्थिर प्रकाश में बगीचे के विशाल वृक्ष ऐसे मालूम होते थे मानो उस अथाह
अन्धकार को अपने सिरों पर संभाले हुए हों। अन्धकार के उस अनन्त सागर में यह प्रकाश एक नौका के समान हिलता मचलता हुआ जान पड़ता था। इसे एक प्रतीक के रूप में लिया जाय तो लगेगा कि यह अंधकार गरीबी का प्रतीक है और अलाव की आग हल्कू का। हल्कू अकेले अलाव की रोशनी की भाँति विशाल अन्धकार से संघर्ष करता है और जिस तरह अलाव अन्ततः बुझ जाता है उसी तरह वह भी पराजित होता है। वह अपनी गरीबी से परेशान होकर थक जाता है। 4. “न जाने कितनी
बाकी है जो किसी तरह चुकने ही नहीं आती। मैं कहती हूँ तुम क्यों नहीं खेती छोड़ देते? मर-मर कर काम करो उपज हो तो बाकी दे दो चलो छुट्टी हुयी।” इसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिए। Bihar Board Class 9 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 1 Chapter 1 भौगोलिक खोजें Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes. BSEB Bihar Board Class 9 Social Science History Solutions Chapter 1 भौगोलिक खोजेंBihar Board Class 9 History भौगोलिक खोजें Text Book Questions and Answersवस्तुनिष्ठ प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्न : निर्देश : नीचे दिये गये प्रश्न में चार संकेत चिह्न हैं जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त हैं । प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हों। भौगोलिक खोजें Bihar Board Class 9 History प्रश्न 1. Bihar Board Class 9 History Book Solution
प्रश्न 2. Bhogolik Khoj 9th Class Bihar Board प्रश्न 3. Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 4. Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 5. Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 6. सही और गलत Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 1. Bihar Board Class 9 History Chapter 1 प्रश्न 2. Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 3. Bihar Board Solution Class 9 प्रश्न 4. Bihar Board Class 9 History Solution प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. भौगोलिक खोजों के कारण विश्व की दूरियाँ कम हो गई। इस घटना ने पहली बार लोगों को संसार के वृहत भूखण्ड से परिचित कराया और विश्व के देश एक-दूसरे के सम्पर्क में आये। एशिया और यूरोप की विभिन्न सभ्यताओं का जो पहले से अलग थी, परस्पर संपर्क स्थापित हुआ। यूरोप वालों ने अपनी सभ्यता-संस्कृति, धर्म एवं साहित्य का प्रचार-प्रसार किया । इसके कारण लोगों में आपसी भेद-मतभेद दोनों तरह की भावनाओं का विकास हुआ; फलत: इसी प्रकार की दूरियाँ कम हुईं। प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
भौगोलिक खोजों से पूर्व यदि मैं यूरोप में होता तो वही मा: जिस कोलम्बस ने अपनाया था, चलकर जहाज द्वारा भारत आता । प्रश्न 4. अंधकार युग से बाहर आने में भौगोलिक खोजों का महत्वपूर्ण स्थान है । भौगोलिक खोजों के कारण आपसी जानकारी मिली, लोग एक दूसरे के निकट आए । एशिया और यूरोप की सभ्यताओं का मेल हुआ और एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति से परिचय हुआ। ईसाई धर्म का प्रचार अफ्रिका, एशिया तथा अमेरिका में किया गया । इस धर्म के व्यापक प्रचार ने चर्च की प्रभुसत्ता को कम किया । भौगोलिक खोजों के कारण हुई ज्ञान में वृद्धि से धर्म पर भी प्रभाव पड़ा कितने ही स्थलों पर अंधविश्वासों का खंडन हुआ। इस प्रकार लोग अंधकार युग से बाहर आए। प्रश्न 5.
Students who are in search of Class 12 English Answers can use Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 3 A Pinch of Snuff Pdf. First check in which chapter you are lagging and then Download Bihar Board Solutions for Class 12 English Chapter Wise. Students can build self confidence by solving the solutions with the help of Bihar State Board Class 12 Solutions. English is the scoring subject if you improve your grammar skills. Because most of the students will lose marks by writing grammar mistakes. So, we suggest you to Download Bihar State Board Class 12 English Solutions according to the chapters. Rainbow English Book Class 12 Solutions Chapter 3 A Pinch of SnuffCheck out the topics covered in Chapter before you start your preparation. Improve your grammar skills with the help of Bihar Board Class 12 English Chapter 3 A Pinch of Snuff pdf links. The solutions for Bihar State Board Class 12 English Textbook are prepared by the English experts. So, if you follow Bihar Board Class 12 English Textbook Solutions you can cover all the topics in Chapter 3 A Pinch of Snuff. This helps to improve your communication skills. Bihar Board Class 12 English A Pinch of Snuff Text Book Questions and AnswersBihar Board Class 12 English Book Textual Questions and Answers A. Answer the following questions orally (Answer to these questions may vary from person to person) A Pinch Of Snuff Question Answer Bihar Board Class 12 Question 1. A Pinch Of Snuff Ka Question Answer Bihar Board Class 12 Question 2. Pinch Of Snuff Question Answer Bihar Board Class 12 Question 3. B. 1.1. Complete the following sentences on the basis of what you have studied B. 1.2. Answer the following questions briefly Question Answer Of A Pinch Of Snuff Bihar Board Class 12 Question 2. Question 3. B. 2. 1. Write T for True and ‘F’ for False statements B. 2.2. Answer the following questions briefly Question 2. Question 3. Question 4. Question 5. Question 6. Question 7. B.3. Answer the following questions briefly Question 2. Question 3. Question 4. Question 5.
Question 6. Question 7. C. 1. Bihar Board Class 12 English Book Long Answer Questions Question 1. Question 2. Question 3 Question 4. Question 5. Question 6. Question 7. Question 8. They return back being disappointed as the meeting could not be meterilised. Again on the persuation of Nanukaka they go to Sohanlal Rati Ram, the party Boss in Delhi. Nanukaka cleverly manages to hold a long talk with him. He also gives Sohanlal false assurances about his son’s posting in Balance Ministery through the ambassdor Hazrat Barkat Ali. They return back in happy mood. The next morning again Nanukaka insists him to meet welfare minister. A prineely otlandish luxary car is being arranged from a show-room furnishing false information to them. At minister’s bunglow, Nanukaka plays a trick showing himself “Hereditary Astrologer to the Maharaja of Ninnore”. Being highly impresseed with this introduction, the welfare inister rushes to Nanukka, at narrator’s, residence. After fulfiling his mission Nanukaka returns back from Delhi leaving the narrator peaceful. He (the narrator) is also being astonished to see the witty and clever act of nanukaka. The main idea of this short story depicts the fradulant act of Nanukaka, who does not hesitate to tell a lie for his selfish ends and to achieve his mission. Due to his falsehood he could meet the minister very soon. The writer becomes surprised to see nanukaka’s ability in deceiving people by manipulation. But the writer’s motive is not to glorify nanukaka’s undesirable and nefarious acts. He also intends to disclose the affairs of the modem society and warn people to become careful against such activities. This story also delivers message that cunning and crafty people like Nanukaka become successful in their wrong and immoral acts, befooling others. Simple, pious and morally high people have to suffer much because of their goodness. The accuracy and the profound comedy of malgaokar’s narrative has built up reader’s excitement. “A pinch of Snuff’ means snuff to be taken in small quantity. The story has the sense of humour just like Nanukaka’s pinch of snuff and it revolves around him. The title of the story itself signify the very meaing therein and many things to learn by us as well. C. 3. Compositon Write a paragraph of about 100 words on each of the following Questions 2. D. Word Study Ex. 1. Correct the spelling of the following words : D. 2. Word-formation Read the
following sentences carefully D. 3. Word-meaning Ex. 1. Find from the lesson words the meanings of which have been given on the left hand side. The last part of each word is given on the right hand side in a friendly manner and without argument …………………ably. Answer: D. 4. Phrases Ex. 1. Read the lesson carefully and find out the sentences in which the following phrases have been used, use these phrases in sentences of your own
at daggers drawn, drop in, as soon as, turn out, of course, try out. E. Grammar Ex. 1. Read the following sentences carefully You’ve got a close-collar Jadhpur coat, haven’t you ? The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 3 A Pinch of Snuff English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay. Students who are in search of Class 12 English Answers can use Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 2 Bharat is My Home Pdf. First check in which chapter you are lagging and then Download Bihar Board Solutions for Class 12 English Chapter Wise. Students can build self confidence by solving the solutions with the help of Bihar State Board Class 12 Solutions. English is the scoring subject if you improve your grammar skills. Because most of the students will lose marks by writing grammar mistakes. So, we suggest you to Download Bihar State Board Class 12 English Solutions according to the chapters. Rainbow English Book Class 12 Solutions Chapter 2 Bharat is My HomeCheck out the topics covered in Chapter 1 before you start your preparation. Improve your grammar skills with the help of Bihar Board Class 12 English Chapter 2 Bharat is My Home pdf links. The solutions for Bihar State Board Class 12 English Textbook are prepared by the English experts. So, if you follow Bihar Board Class 12 English Textbook Solutions you can cover all the topics in Chapter 2 Bharat is My Home. This helps to improve your communication skills. Bihar Board Class 12 English Bharat is My Home Text Book Questions and AnswersBihar Board Class 12 English Book Objective Type Questions and Answers 1. Name the author of the prose piece “Bharat is my Home” [Sample Paper 2009 (A)] 2. “Bharat is my Home” is the description [Sample Paper 2009 (A)] 3. Dr.Zakir Hussain took the oath as [Sample Paper 2009 (A)] 4. Name the author of the following prose piece [Sample Paper 2009 (A)] Bihar Board Class 12 English Very Short Type Questions and Answer Bharat Is My Home Question Answer Bihar Board Class 12 Question 1. Bharat Is My Home Questions And Answers Bihar Board Class 12 Question 2. Bharat Is My Home All Question Answer Bihar Board Class 12 Question 3. Bharat Is My Home Full Chapter Bihar Board Class 12 Question 4. Bharat Is My Home Ka Question Answer Bihar Board Class 12 Question 5. Bharat Is My Home Objective Question Answer Question 6. Bharat Is My Home Pdf Bihar Board Class 12 Question 7. Bharat Is My Home Objective Bihar Board Class 12 Question 8. Bharat
Is My Home Question And Answer Bihar Board Class 12 Question 9. Bharat Is My Home Objective Questions Pdf Bihar Board Class 12 Question 10. Bharat Is My Home Summary
In Hindi Bihar Board Class 12 Question 11. Bharat Is My Home Ka Hindi Bihar Board Class 12 Question 12. Question 13. Bihar Board Class 12 English Book Textual Questions and Answers Write ‘True’ or ‘False’ Question 2. A. Work in small groups and discuss the following Question 2. Question 3. B. 1.1. Complete the following sentences on the basis of the lesson: B. 1.2. Answer the following questions briefly Question 2. Question
3. Question 4. Question
5. Question 6. Question 7. Question 8. Question 9. Question 10. C. 1. Bihar Board Class 12 English Long Answer Questions Question 1. Question 2. Question 3. Question 4. Question 5. Question 6. C. 3. Composition Write a paragraph in about 100 words on each of the following: (b)Write a short essay in about 150 words on ‘Unity in diversity’. (c) Write a speech to be delivered on Teachers’ Day justifying the celebration of Dr Radhakrishnan’s birthday as Teacher’s Day. (d) You have been elected as the President of your school’s Student Council.
Make a diary entry about changes you propose to introduce for the betterment of your school. 3rd April, 20. Dear Diary, Today I am happy. I have been elected President of Students’Council. I plan to make the school better. There are no proper arrangements for drinking water. I’ll to have a few freshwater containers placed in different places. So it will be easier for students to get water and there be no crowding. There is no canteen in our school. Students go outside to buy eatables from hawkers in the recess. I will have a canteen in the school. ! Our library has very few newspapers and magazines. I will introduce a few more magazines. Our school organizes very few debates/quiz contests. I will have more inter-house contests. The toilets in the school are very dirty. Til see they are regularly cleaned. D. WORD STUDY Ex. 1. Correct the spelling of the following words Ex. 2. Lookup a dictionary and write two meanings of the following words—the one in which it is used in the lesson and the other which is more common. D.2. Word-formation Read carefully the following sentences taken from the lesson…………the word ‘renewal’ is derived from the adjective ‘new* by adding a suffix ‘-al’ and a prefix ‘re-‘ to it Point out which words the following are
derived from: D. 3. Word-meaning Ex. 1. Match the words given in column A with their meanings given in column B : Ex. 2. Fill in the blanks with suitable adjectives: new special dual long prayerful D. 4. Phrases Ex. 1. Read the lesson carefully and find out the sentences in which the following phrases have been used. Then use these phrases in sentences of your own. E. Grammar Read the following sentences from the lesson carefully Mark the use of modal auxiliaries * ‘must’ and ‘can’ – in the sentences given above. Ex. 1. Find out other modal
auxiliaries used in the lesson and tell the specific meaning in which these modal auxiliaries have been used. The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 2 Bharat is My Home English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay. Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 2 उसने कहा थाउसने कहा था वस्तुनिष्ठ प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ Usne Kaha Tha Question And Answer Bihar Board प्रश्न 1. उसने कहा था’ कहानी के प्रश्न उत्तर Pdf Bihar Board प्रश्न 2. उसने कहा था कहानी के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3. Usne Kaha Tha Question Answer Bihar Board प्रश्न 4. Usne Kaha Tha Class 12th Hindi Bihar Board प्रश्न
5. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें उसने कहा था’ कहानी के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1. Usne Kaha Tha Question And Answer Pdf Bihar Board प्रश्न 2. लहना
सिंह कौन था Class 12 Bihar Board प्रश्न 3. Usne Kaha Tha Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 4. उसने कहा था पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 5. उसने कहा था अति लघु उत्तरीय प्रश्न Usne Kaha Tha Question And Answer In Hindi Bihar Board प्रश्न 1. Usne Kaha Tha Kahani Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 2. Usne Kaha Tha Class 12 Bihar Board प्रश्न 3. Usne Kaha
Tha Story Question And Answer Bihar Board प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. उसने कहा था पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. लहनासिंह (नायक), सूबेदारनी, सूबेदार हजारासिंह, बोधासिंह (सूबेदार का बेटा), अतरसिंह (लड़की का मामा), महासिंह (सिपाही), वजीरासिंह (सिपाही), लपटन साहब आदि। प्रश्न 3.
प्रश्न 4. बचपन का संवाद– इतने में दूकानदार………….लड़के ने मुस्कुराकर पूछा–”तेरी कुड़माई हो गई?” इस पर लड़की कुछ आँखें चढ़ाकर ‘धत्’ कहकर दौड़ गई। …………लड़के ने फिर पूछा–”तेरी कुड़माई हो गई?” और उत्तर में वही ‘धत्’ मिला। एक दिन जब फिर लड़के ने वैसे ही हँसी में चिढ़ाने के लिए पूछा तब लड़की, लड़के की संभावना के विरुद्ध बोली–”हाँ, हो गई।” “कब?” “तेरी कुड़माई हो गई? ‘धत्’–कल हो गई–देखते नहीं रेशमी बूटोंवाला सालू–अमृतसर में–”सूबेदारनी कह रही है–”मैंने तेरे को आते ही पहचान लिया। ………तुम्हारे आगे मैं आँचल पसारती हूँ।” प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. इन पंक्तियों का अभिप्राय यह है कि मृत्यु के पहले व्यक्ति के मानस की स्मृति में जीवन भर की भोगी हुई घटनाएँ एक–एक कर सामने आने लगती हैं जिसमें किसान जीवन का यथार्थ, लहनासिंह का सपना, गाँव–भर की याद, सूबेदारनी का वचन इत्यादि शामिल है। मृत्यु शाश्वत सत्य है। मृत्यु हरेक व्यक्ति को वरण करती है। कहा भी गया है–’मौत से किसको रूस्तगारी हैं, आज मेरी तो कल तेरी बारी है।’ जीवन के अन्तिम क्षण में मानस पटल के साफ–धवल आईने पर स्मृतियों की रेखाएँ पूर्वानुभावों से सिक्त होकर एक बार फिर सजीव और स्पन्दित हो जाती हैं और यादाश्त की कई परतें अपने आप खुलने लगती हैं। मृत्यु एक ऐसा पड़ाव है जहाँ अतीत का मोह और आगे जाने की चाह दोनों के समाहार से द्वन्द्व की स्थिति पैदा होती है। यही कारण है कि जब लहनासिंह घायल होता है, मृत्यु शय्या पर पड़ा रहता है तो मोहवश पुरानी स्मृतियाँ यानि उसका इतिहास अपने आगोश में उसे पुनः बाँधती हैं और उसी अतीत के सुखद क्षणों में पुनः जी लेने के लिए उसे उत्तेजित करती हैं। हर आदमी अकेला है और अन्ततः मृत्यु को प्राप्त होता है। इस सच्चाई को बहुत समय तक झुठलाया नहीं जा सकता। यही कारण है कि मानव–मस्तिष्क के ऊपर संदर्भ में कोहरा छाया रहता है, लेकिन जब यह सच्चाई अपने यथार्थ में सच्चाई को एकबारगी प्रकट कर देने को तैयार हो जाती है और मौत बिल्कुल स्पष्ट रूप में सामने आ जाती है तो मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है। जन्म भर की घटनाएँ एक–एक करके सामने आने लगती है। सारे उद्देश्यों के रंग साफ होते हैं समय की धुंध उस पर से बिल्कुल छट जाती है। प्रश्न 11. लहनासिंह स्वप्नवादी व्यक्ति है। ग्राम्य संस्कृति में जन्म लेने की वजह से उसका स्वप्न कल्पतरु की भाँति पुष्पित तथा पल्लवित हुआ है। किसानी संस्कृति जिस तरह से उन्मुक्त वातावरण का द्योतक होती है ठीक उसी तरह से वह वहाँ के जन–जीवन में जान फूंक देने के लिए मानव–मस्तिष्क के अन्दर स्वच्छन्द तथा उन्मुक्त आकाश को विस्तार देता है। आत्मीयता के बोध से लवरेज लहनासिंह का स्वप्न एक बार फिर स्मृतियों में कौंधने लगता है जब वह जीवन की आखिरी छोर पर खड़ा है। सुखद स्वप्न का साकार न होना हृदयगत भावनाओं को जहाँ ठेस पहुँचाती है वहीं दूसरी ओर स्मृतियों की रेखाओं में दग्ध बिजली की आग भी पैदा करता है। लहनासिंह जिस वर्ष आम रोपता है उसी वर्ष उसका भतीजा जन्म लेता है। मधुस्मृतियों का महज यह संयोग ही है जो स्वप्न भविष्य में साकार होकर लहनासिंह को दोहरा आनन्द प्रदान करने वाला है।” लेकिन ऐसा जब नहीं होता है तो किसानों तथा फौजदारी के परितः चुना हुआ उसका हृदयगत भाव एक बार फिर उमड़ता है और स्मृतियों में सुखद स्वप्न को ठेस पहुंचाता है। (ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी का है, इन पंक्तियों में उस समय का वर्णन है जब लहनासिंह मरणासन्न स्थिति में है, शत्रुओं की गोलियाँ शरीर में लगी है। उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। बीते हुए दिन की स्मृतियाँ उसे झकझोर रही है। ऐसी स्थिति में वह वजीरा से कहता है कि वह (वजीरा) जब घर जाएगा तो उस (सुबेदारनी) को कह देगा कि लहना सिंह को उसने जो कहा था, उसने (लहना) वह पूरा कर दिया अर्थात् उसने सूबेदार हजारा सिंह एवं उसके पुत्र बोधासिंह के प्राणों की रक्षा अपने जीवन का बलिदान कर की है। उसने अपने वचन का पालन किया है। इस प्रकार विद्वान लेखक ने यहाँ पर लहना सिंह के उदार चरित्र का वर्णन किया है। लहना सिंह ने उच्च जीवन सिद्धान्तों के पालन का आदर्श प्रस्तुत किया है। उसका जीवन कर्तव्य परायणता, निष्ठा, उच्च नैतिक मूल्य तथा अपने वचन का पालन करने का एक अनुकरणीय उदाहरण है। प्रश्न 12. “उसने कहा था” शीर्षक किसी घटना विशेष की ओर संकेत करती है एवं जिज्ञासा का : सृजन करता है। जाने की उत्सुकता बनी रहती है। एक सटीक तथा उपयुक्त शीर्षक के लिए उसकी कहानी की विषयवस्तु का सम्यक् एवं सजीव परिचय देना है। उसकी सार्थकता पाठक में उत्सुकता की सृष्टि करने पर भी निर्भर करती है। इस कहानी में वातावरण की सृष्टि करने में लेखक को अपूर्व सफलता प्राप्त हुई है। आरम्भ से ही एक कौतूहल पाठक को अपने प्रभाव में बाँध लेता है और कहानी के उत्कर्ष बिन्दु पर पहुँचकर विराम लेता है। इसके अतिरिक्त कहानी का प्रभाव मन में गूंजता रहता है। लहना सिंह अपनी किशोरावस्था में एक अनजान लड़की के प्रति आसक्त हुआ था किन्तु वह उससे प्रणय–सूत्र में नहीं बँध सका। कालान्तर में उस लड़की का विवाह सेना में कार्यरत एक सूबेदार से हो गया। लहना सिंह भी सेना में भरती हो गया। अचानक अनेक वर्षों बाद उसे ज्ञात हुआ कि सूबेदारनी (सूबेदार की पत्नी) ही वह लड़की है जिससे उसने कभी प्रेम किया था। सूबेदारनी ने उससे निवेदन किया कि वह उसके पति तथा सेना में भर्ती एकमात्र पुत्र बोधा सिंह की रक्षा करेगा। लहना सिंह ने कहा था कि वह इस वचन को निभाएगा और अपने प्राणों का बलिदान कर उसने अपनी प्रतिज्ञा का पालन किया। अत: इस शीर्षक से अधिक उपयुक्त कोई अन्य शीर्षक नहीं हो सकता। यह सबसे सटीक शीर्षक है। अत: मेरे विचार में कोई भी अन्य शीर्षक इतना सार्थक नहीं होगा। मेरे द्वारा अन्य शीर्षक देना सर्वथा अनुपयुक्त होगा। प्रश्न 13. कहानी एक और स्तर पर अपने को व्यक्त करती है। प्रथम विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर यह एक अर्थ में युद्ध–विरोधी कहानी भी है। क्योंकि लहनासिंह के बलिदान का उचित सम्मान किया जाना चाहिए था परन्तु उसका बलिदान व्यर्थ हो जाता है और लहनासिंह का करूण अंत युद्ध के विरुद्ध में खड़ा हो जाता है। लहनासिंह का कोई सपना पूरा नहीं होता। उसने कहा था भाषा की बात। प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4.
उसने कहा था लेखक परिचय चन्द्रधर शर्मा गुलेरी (1883–1922) जीवन–परिचय : हिन्दी गद्य साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाले चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 7 जुलाई, सन् 1883 ई. के दिन जयपुर, राजस्थान में हुआ था। लेकिन इनका मूल निवास स्थान कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश का गुलेर नामक गाँव था। इनके पिता का नाम पं. शिवराम था। इन्होंने बचपन से ही संस्कृत में शिक्षा प्राप्त की। 1899 में इलाहाबाद तथा कोलकाता विश्वविद्यालयों से क्रमश: एंट्रेंस तथा मैट्रिक पास की। सन् 1901 में कोलकाता विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट करने के उपरान्त सन् 1903 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी. ए. किया। गुलेरी जी सन् 1904 में जयपुर दरबार की ओर से खेतड़ी के नाबालिग राजा जयसिंह के अभिभावक बनकर मेयो कॉलेज, अजमेर में आ गए। इसके बाद इन्हें जयपुर भवन छात्रावास के अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। सन् 1916 में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष बनाए गए। अपने अन्तिम दिनों में मदन मोहन मालवीय के निमन्त्रण पर इन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राच्य विभाग के कार्यवाहक प्राचार्य तथा मनीन्द्र चन्द्र नंदी पीठ में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। साहित्य के इस पुरोधा का निधन 12 सितम्बर, 1922 के दिन हुआ। रचनाएँ : निबन्ध– इसके अतिरिक्त प्राच्यविद्या, इतिहास, पुरातत्व, भाषा विज्ञान और समसामयिक विषयों पर निबन्ध लेखन। अंग्रेजी निबन्ध–ए पोयम बाय भास, ए कमेंटरी ऑन वात्सयायंस कामसूत्र, दि लिटरेरी क्रिटिसिज्म आदि। टिप्पणियाँ–अनुवादों की बाढ़, खोज की खाज, क्रियाहीन हिन्दी, वैदिक भाषा में प्राकृतपन आदि। संपादन–समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका। इसके अतिरिक्त इन्होंने देशप्रेम को लेकर कुछ महत्त्वपूर्ण कविताएँ भी लिखी हैं। साहित्यिक
विशेषताएँ : उसने कहा था पाठ के सारांश। कहानी का प्रारम्भ अमृतसर नगर के चौक बाजार में एक आठ वर्षीय सिख बालिका तथा एक बारह वर्षीय सिख बालक के बीच छोटे से वार्तालाप से होता है। दोनों ही बालक–बालिका अपने–अपने मामा के यहाँ आए हुए हैं। बालिका व बालक दोनों सामान खरीदने बाजार आए थे कि बालक मुस्कुराकर बालिका से पूछता है, “क्या तेरी कुड़माई (सगाई) हो गई?” इस पर बालिका कुछ आँखें चढ़ाकर.”धत्” कहकर दौड़ गई और लड़का मुँह देखता रह गया। ये दोनों …… बालक–बालिका दूसरे–तीसरे दिन एक–दूसरे से कभी किसी दूकान पर कभी कहीं टकरा जाते और वही प्रश्न और वही उत्तर। एक दिन ऐसा हुआ कि बालक ने वही प्रश्न पूछा और बालिका ने उसका उत्तर लड़के की संभावना के विरुद्ध दिया और बोली–हाँ हो गई।’ इस अप्रत्याशित उत्तर को सुनकर लड़का चौंक पड़ता है और पूछता है कब? जिसके प्रत्युत्तर में लड़की कहती है “कल,?. देखते नहीं यह रेशम से कढ़ा हुआ सालू।” और यह कह कर वह भाग जाती है। परन्तु लड़के के ऊपर मानों वज्रपात होता है और वह किसी को नाली में धकेलता है, किसी छाबड़ी वाले की छाबड़ी गिरा देता है, किसी कुत्ते को पत्थर मारता है किसी सब्जी वाले के ठेले में दूध उड़ेल देता है और किसी सामने आती हुई वैष्णवी से टक्कर मार देता है और गाली खाता है। कहानी का पहला भाग यही नाटकीय ढंग से समाप्त हो जाता है। इस बालक का नाम था लहना सिंह और यही बालिका बाद में सूबेदारनी के रूप में हमारे सामने आती है। . इस घटना के पच्चीस वर्ष बाद कहानी का दूसरा भाग शुरू होता है। लहना सिंह युवा हो गया और जर्मनी के विरुद्ध लड़ाई में लड़ने वाले सैनिकों में भर्ती हो गया और अब वह नम्बर 77 राइफल्स में जमादार है। एक बार वह सात दिन की छुट्टी लेकर अपनी जमीन के किसी मुकदमे की पैरवी करने घर आया था। वहीं उसे अपने रेजीमेंट के अफसर की चिट्ठी मिलती है कि फौज को लाम (युद्ध) परं जाना है, फौरन चले आओ। इसी के साथ सेना के सूबेदार हजारा सिंह को भी चिट्ठी मिलती है कि उसे और उसके बेटे बोधासिंह दोनों को लाम (युद्ध) पर जाना है अतः साथ ही चलेंगे। सूबेदार का गाँव रास्ते में पड़ता था और वह लहनासिंह को चाहता भी बहुत था। लहनासिंह सूबेदार के घर पहुंच गया। जब तीनों चलने लगे तब अचानक सूबेदार लहनासिंह को आश्चर्य होता है कि सेना के क्वार्टरों में तो वह कभी रहा नहीं। पर जब अन्दर मिलने जाता है तब सूबेदारनी उसे ‘कुड़माई हो गई’ वाला वाक्य दोहरा कर 25 वर्ष पहले की घटना का स्मरण दिलाती है और कहती है किं जिस तरह उस समय उसने एक बार घोड़े की लातों से उसकी रक्षा की थी उसी प्रकार उसके पति और एकमात्र पुत्र की भी वह रक्षा करे। वह उसके आगे अपना आँचल पसार कर भिक्षा माँगती है। यह बात लहना सिंह के मर्म को छू जाती है। युद्ध भूमि पर उसने सूबेदारनी के बेटे बोधासिंह को अपने प्राणों की चिन्ता न करके जान बचाई। पर इस कोशिश में वह स्वयं घातक रूप से घायल हो गया। उसने अपने घाव पर बिना किसी को बताये कसकर पट्टी बाँध ली और इसी अवस्था में जर्मन सैनिकों का मुकाबला करता रहा। शत्रुपक्ष की पराजय के बाद उसने सूबेदारनी के पति सूबेदार हजारा सिंह और उसके पुत्र बोधासिंह को गाड़ी में सकुशल बैठा दिया और चलते हुए कहा “सुनिए तो सूबेदारनी होरों को चिट्ठी लिखो तो मेरा मत्था टेकना लिख देना और जब घर जाओ. तो कह देना कि मुझसे जो उन्होंने कहा था वह मैंने कर दिया…….” सूबेदार पूछता ही रह गया उसने क्या कहा था कि गाड़ी चल दी। बाद में उसने वजीरा , से पानी माँगा और कमरबन्द खोलने को कहा क्योंकि वह खून से तर था। मृत्यु सन्निकट होने पर जीवन की सारी घटनाएँ चलचित्र के समान घूम गई और अन्तिम वाक्य जो उसके मुँह से निकला वह था “उसने कहा था।” इसके बाद अखबारों में छपा कि “फ्रांस और बेल्जियम–68 सूची मैदान में घावों से भरा नं. 77 सिक्ख राइफल्स जमादार लहना सिंह। इस प्रकार अपनी बचपन की छोटी–सी मुलाकात में हुए परिचय के कारण उसके मन में सूबेदारनी के प्रति जो प्रेम। उदित हुआ था उसके कारण ही उसने सूबेदारनी के द्वारा कहे गये वाक्यों को स्मरण रख उसके पति व पुत्र की रक्षा करने में अपनी जान दे दी क्योंकि यह उसने कहा था। : Students who are in search of Class 12 English Answers can use Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 1 Indian Civilization and Culture Pdf. First check in which chapter you are lagging and then Download Bihar Board Solutions for Class 12 English Chapter Wise. Students can build self confidence by solving the solutions with the help of Bihar State Board Class 12 Solutions. English is the scoring subject if you improve your grammar skills. Because most of the students will lose marks by writing grammar mistakes. So, we suggest you to Download Bihar State Board Class 12 English Solutions according to the chapters. Rainbow English Book Class 12 Solutions Chapter 1 Indian Civilization and CultureCheck out the topics covered in Chapter 1 before you start your preparation. Improve your grammar skills with the help of Bihar Board Class 12 English Chapter 1 Indian Civilization and Culture pdf links. The solutions for Bihar State Board Class 12 English Textbook are prepared by the English experts. So, if you follow Bihar Board Class 12 English Textbook Solutions you can cover all the topics in Chapter 1 Indian Civilization and Culture. This helps to improve your communication skills. Bihar Board Class 12 English Indian Civilization Text Book Questions and AnswersBihar Board Class 12 English Book Objective Type Questions and Answer Indian Civilization And Culture Question Answer Bihar Board Class 12 Question 1. Indian Civilization
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by her sheet anchor in the face of a storm. Through this metaphor Gandhiji has forcefully conveyed to us that it is only our civilization that can help us to survive and face all sorts of misfortunes and troubles. Question 3. Question 4. Today we see that more and more people are coming to cities. There is overcrowding. People get no water to drink, and no proper houses to live in. Slums are coming up very fast. People live in inhuman conditions. All the evils and vices that Gandhiji mentioned are there. The people are coming to cities on account of two things. Firstly, there are fewer opportunities in villages. People do not get employment. Traditional | occupations are no longer helpful. Secondly, it is the glamour of city life that brings people there. They are soon disillusioned but they cannot go back to their villagers. Even today, we need to correct it. We should develop villages so that people can earn a respectable living. Then people will not think of flocking to cities. Question 5. Question 6. elevate the mind and the spirit. But western civilization ignored this aspect altogether. They found comforts and luxuries. Naturally, our civilization is superior because there is no limit to physical comforts. Rather, after a certain stage, they are more burdensome than enjoyable. The more comforts and luxuries we have, the more we crave for. We found no happiness. But by a voluntary restrain on indulgence in passions, we can find true happiness. Question 7. C. 2. Group Discussion Discuss the following in groups or pairs; Question 2. C. 3. Composition Write a
paragraph in about 100 words on each of the following : (b) The crown and glory of life is character. D. WORD STUDY D.1. Dictionary
use Ex. 2. Lookup a dictionary and write two meanings of the following D. 2. Word-formation Read
carefully the following sentence taken from the lesson. convert – conversion Sentance – D. 3. Word-meaning Ex. 1. Find from the lesson words the meanings of which have been given in column A. The last part of each word is given in column B. Ex. 2. Fill in the blanks with suitable
words (gerunds) from the given list living thinking writing bartering maddening D. 4. Phrases Ex. 1. Read the lesson carefully and find out
the sentences in which the following phrases have been used. Then use these phrases in sentences of your own: E. Grammar Ex. 1. Complete the sentences given below by using the appropriate forms of the verbs given in brackets : Ex. 2 Study the following sentence from the lesson
F. Activity Students may do it themselves. The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 1 Indian Civilization and Culture English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay. भगजोगनी का सौंदर्य क्यों नहीं खुल सका?चिंता, तनाव, भूख, अभाव और गरीबी के बीच उसका सौंदर्य कैसे खिलता। इसलिए इन सब अभावों और गरीबी के कारण भगजोगनी का सौंदर्य ना खिल सका।
भगजोगनी का दूसरा पति का नाम क्या है?भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक पति उसका ही सौतेला बेटा है। यह घटना समाज की किस बुराई की ओर संकेत करती है और क्यों? भगजोगनी की शादी वृद्ध से हुई थी जो उसके तरूणाई आते मर गया।
भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक पति उसका सौतेला बेटा है यह घटना समाज की किस बुराई की ओर संकेत करती है और क्यों?भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक प्रदेश का हिस्सा तेरा बीटा है यह घटना समाज की किस बुराइयों की और संकेत करता है और क्यों?... Bhagjogni Ka Doosra Vartaman Navayuvak Pradesh Ka Hissa Tera Beta Hai Yah Ghatna Samaj Ki Kis Buraiyon Ki Aur Sanket Karta Hai Aur Kyon.
भगजोगनी नाम ही क्यों रखा?इसे सुनेंरोकेंलेखक ने उसका नाम 'भगजोगिनी' इसलिये रखा क्योंकि ये कहानी किसी सच्ची घटना पर आधारित थी जो कि लेखक के जीवन में उसके आसपास ही घटित हुई थी और लेखक इस घटना को कहानी की रूप देते समय उसके पात्रों विशेषकर महिला पात्र के नाम को उजागर नही करना चाहता था इसलिये लेखक कहानी को आगे बढ़ाने के लिये उसके महिला पात्र का एक ...
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