बाबर और मुग़ल वंश की स्थापना – जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर ( Zahir ud-Din Mohammad Babur ) का जन्म 14 फरवरी 1483 ईo को ट्रांस ऑक्सिन के फरगना में हुआ था। इसकी माता का नाम कुतलुग निगार खानम और पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था। पितृ पक्ष की ओर से बाबर तैमूर का 5
वां वंशज था। बाबर 11 वर्ष की आयु में 1494 में फरगना की गद्दी पर बैठा। प्रारंभ में उसका उद्देश्य पंजाब पर कब्ज़ा करना था न कि संपूर्ण भारत पर। 1519ईo में उसने भीरा के किले पर कब्ज़ा कर लिया। यहीं पर तोपखाने का सर्वप्रथम प्रयोग किया। 1525 ईo में बाबर को दौलत खां लोदी का निमंत्रण प्राप्त हुआ। वस्तुतः इब्राहम लोदी ने दौलत खां के बेटे दिलाबर खां को दरबार में बुलाकर अपमानित किया था। पानीपत का प्रथम युद्ध ( 21 अप्रैल 1526 ) :-पानीपत का मैदान हरियाणा में स्थित है। पानीपत की प्रथम लड़ाई बाबर और दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच हुयी। बाबर ने इस युद्ध में तुलगमा पद्यति का प्रयोग किया। इस युद्ध में बाबर ने तोपों को सजाने की उस्मानी/रूमी पद्यति का प्रयोग किया। इस पद्यति में दो गाड़ियों के बीच जगह छोड़कर उसमें तोप रखकर चलाई जाती है। इसके तोपखाने का नेतृत्व उस्ताद अली और मुस्तफा खां नामक दो योग्य अधिकारीयों ने किया। इस युद्ध में इब्राहिम का साथ ग्वालियर नरेश विक्रमजीत ने दिया और और उसके साथ ही युद्ध भूमि में मारा गया। इस युद्ध में लोदी की हार का कारण अकुशल नेतृत्व, एकता की कमी व अफगान सरदारों की उससे क्षुब्धता था। युद्ध भूमि में मरने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान इब्राहिम लोदी ही था। इस विजय के बाद बाबर के मुँह से निकला “काबुल की गरीबी अब हमारे लिए फिर नहीं’। खानवा का युद्ध ( 16 मार्च 1527 ) :-खानवा का युद्ध चित्तौड़ नरेश राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ। खानवा युद्ध का प्रमुख कारण बाबर का भारत में रहने का निश्चय करना था। इस युद्ध में बाबर ने पूर्ण शराबबंदी के साथ जेहाद का नारा दिया। मुसलमानो से लिए जाने वाले तमगा कर अथवा व्यापारिक कर को समाप्त कर दिया। राणा सांग को लगा था की अन्य आक्रमणकारियों की भांति बाबर भी देश को लूटकर इस युद्ध के बाद बापस लौट जाएगा। शायद इसी वजह से सांगा ने इब्राहिम के विरुद्ध उसे सहायता देने का आश्वासन दिया था। इस युद्ध में राणा सांग की हार हुयी। इस युद्ध को जीतने के उपलक्ष्य में बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की। चन्देरी का युद्ध ( 29 जनवरी 1528 ) :-यह युद्ध बाबर और चन्देरी के शासक मेदनी राय के मध्य हुआ। इसी युद्ध में शेरशाह सूरी बाबर की और से लड़ा था। बाबर ने शमसाबाद के बदले मेदनीराय से चन्देरी की मांग की। मेदनीराय ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया। फलस्वरूप यह युद्ध हुआ जिसमे मेदनीराय पराजित हुआ और राजपूत स्त्रोतों ने जौहर कर लिया। इस युद्ध को भी बाबर ने जेहाद की संज्ञा दी। इस विजय के प्रतीक के रूप में उसने राजपूतों के सरों का एक स्तंभ निर्मित कराया। घाघरा का युद्ध ( 6 मई 1929 ) :-यह युद्ध बाबर और अफगान संघ के मध्य हुआ। इस संघ में महमूद लोदी, शेरशाह सूरी व नुसरत शाह शामिल थे। बाबर ने अफगानो से ही सत्ता छीनी थी इसलिए उनका विरोध स्वाभाविक था। यह मध्यकालीन इतिहास का पहला युद्ध था जो जल व थल दोनों पर लड़ा गया। हालाँकि बाबर फिर इस युद्ध में जीत गया। परन्तु वह अफगान समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं निकाल सका। उसने अफगानों से समझौता कर बिहार के अनेक क्षेत्र अफगानों पे ही रहने दिए। बाबर की मृत्यु :-बाबर भारत पर मात्र चार वर्ष ही शासन कर पाया। 26 दिसंबर 1530 ईo को इसकी आगरा में मृत्यु हो गयी। मृत्यु के बाद इसके शव को आगरा के नूर अफगान ( आधुनिक आरामबाग ) में रखा गया। यह बाग़ ज्यामिति विधि पर बाबर द्वारा ली लगवाया गया था। परंतु उसकी अंतिम इच्छा के अनुसार उसका शव काबुल ले जाकर दफनाया गया। वहीं पर उसका मकबरा स्थित है। कुछ इतिहासकार बाबर की मृत्यु का कारण इब्राहिम लोदी की माँ द्वारा दिए गए विष को मानते हैं। बाबर से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :-
बाबर कितने उम्र में गद्दी पर बैठा था?सन् 1494 में 12वर्ष की आयु में ही उसे फ़रगना घाटी के शासक का पद सौंपा गया। उसके चाचाओं ने इस स्थिति का फ़ायदा उठाया और बाबर को गद्दी से हटा दिया। कई सालों तक उसने निर्वासन में जीवन बिताया जब उसके साथ कुछ किसान और उसके सम्बंधी ही थे। 1496 में उसने उज़्बेक शहर समरकंद पर आक्रमण किया और 7 महीनों के बाद उसे जीत भी लिया।
सबसे अधिक उम्र में बादशाह कौन बना?सबसे ज्यादा उम्र में बादशाह बनने वाला मुगल शासक ओरंगजेब का पुत्र बहादुर शाह था जो 62 साल की उम्र में सन 1707में गद्दी पर बैठा कुल पांच साल में ही चल बसा 1712 तक ही शाशन कर सका।
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