अयोध्या लौटते समय राम ने सीता को कौन कौन से स्थान दिखाएं? - ayodhya lautate samay raam ne seeta ko kaun kaun se sthaan dikhaen?

रामचरित मानस के उत्तरकांड में श्रीराम के अयोध्या आगमन पर भव्य स्वागत का उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। जब प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटे तो सभी शहरवासी उनके आगमन के लिए उमड़ पड़े। भगवान श्रीराम अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद पुन: लौट आए थे। आओ जानते हैं कि वे दीपावली के दिन ही पहुंचे थे या कि और किसी दिन?


1. श्रीराम के अयोध्या लौटने की तिथि पर इतिहासकारों में मतभेद हैं, लेकिन परंपरा के अनुसार कार्तिक अमावस्या अर्थात दीपावली को भगवान श्रीराम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे।

2. रावण का वध करने के बाद लंका से अयोध्या लौटते समय राम, लक्ष्मण, सीता एवं हनुमानजी पुष्पक विमान से अयोध्या के पास नंदीग्राम नामक स्थान पर उतरे थे, जहां पर राम की खड़ाऊं रखकर राजा भरत अपना राजपाट चलाते थे। कहते हैं कि नंदीग्राम में एक दिन रुकने के बाद वे दूसरे दिन अयोध्या पहुंचे थे।

3. यह भी उल्लेख मिलता है कि रावण वध यदि दशमी के दिन हुआ था तो उसके दूसरे दिन सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरने के बाद अर्थात उन्हें अग्निदेव से वापस मांगने के बाद श्रीराम अयोध्या लौटे थे। मतलब यह कि वे एकादशी के दिन अयोध्‍या की ओर चले थे और रास्ते में वह निषादराज गुह केवट के यहां रुके भी थे।


4. वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि श्रीराम का नंदीग्राम में भव्य स्वागत किया गया था। उस दौरान अयोध्या के सभी आठों मंत्री और राजा दशरथ की तीनों रानियां हाथियों पर सवार होकर नंदीग्रम पहुंचे। उनके साथ अयोध्या के सभी नागरिक भी नंदीग्रम पहुंचे।

5. वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड सर्ग 127 के अनुसार सभी नागरिकों, मंत्रियों और रानियों ने देखा की श्रीराम पुष्पक विमान से धरती पर उतरे। सभी ने विमान पर विराजमान श्रीराम के दर्शन किए और वे उन्हें लेकर अयोध्या गए।

6.श्रीराम का जन्म इंडियन गर्वनमेंट के साइंस मिनिस्ट्री से मान्यता प्राप्त 'इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेदाज' (आईसर्व) के शोधानुसार श्रीराम का जन्म इस शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व हुआ था। आईसर्व डायरेक्टर सरोज बाला के शोध अनुसार श्रीराम ने रावण का वध 4 दिसंबर 5076 ईसा पूर्व किया था। फिर वे अलग अलग जगहों पर रुकते हुए 29वें दिन 2 जनवरी 5075 ईसा पूर्व वापस अयोध्या लौटे थे। अयोध्या लौटने के खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाई थी। रुकने के दिनों को छोड़कर इस सफर में उन्हें करीब 24 दिन लगे। इस दौरान वे 8 से 9 जगहों पर रुके। यह निष्कर्ष वाल्मीकि रामायण में लिखे उस दौर के ग्रहों, नक्षत्रों, तारामंडलों की स्‍थिति के आधार पर नासा के वेद स्पेशल 'प्लेटिनम गोल्ड' सॉफ्टवेयर से निकाला गया।

7.श्रीरामजी की खड़ाऊ ले जाते समय भरतजी ने कहा था कि

चर्तुर्दशे ही संपूर्ण वर्षेदद्व निरघुतम।

नद्रक्ष्यामि यदि त्वां तु प्रवेक्ष्यामि हुताशन।।

अर्थात: हे रघुकुल श्रेष्ठ। जिस दिन चौदह वर्ष पूरे होंगे उस दिन यदि आपको अयोध्या में नहीं देखूंगा तो अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा। भरत के मुख से ऐसे प्रतिज्ञापूर्ण शब्द सुनकर रामजी ने भरत को आश्वस्त करते हुए कहा था- तथेति प्रतिज्ञाय- अर्थात ऐसा ही होगा।

8. इसी प्राकार महर्षि वशिष्ठजी ने महाराजा दशरथ से राम के राज्याभिषेक के संदर्भ में कहा था-

चैत्र:श्रीमानय मास:पुण्य पुष्पितकानन:।

यौव राज्याय रामस्य सर्व मेवोयकल्प्यताम्।।

अर्थात: जिसमें वन पुष्पित हो गए। ऐसी शोभा कांति से युक्त यह पवित्र चैत्र मास है। रामजी का राज्याभिषेक पुष्प नक्षत्र चैत्र शुक्ल पक्ष में करने का विचार निश्चित किया गया है। षष्ठी तिथि को पुष्य नक्षत्र था। रामजी लंका विजय के पश्चात अपने 14 वर्ष पूर्ण करके पंचमी तिथि को भारद्वाज ऋषि के आश्रम में उपस्थित हुए। वहां एक दिन ठहरे और अगले दिन उन्होंने अयोध्या के लिए प्रस्थान किया उससे पहले उन्होंने अपने भाई भरत से पंचमी के दिन हनुमानजी के द्वारा कहलवाया-

अविघ्न पुष्यो गेन श्वों राम दृष्टिमर्हसि।

अर्थात: हे भरत! कल पुष्य नक्षत्र में आप राम को यहां देखेंगे। इस प्रकार राम चैत्र के माह में षष्ठी के दिन ही ठीक समय पर अयोध्या में पुन: लौटकर आए।

9. वाल्मीकि रामायण के अनुसार सीताजी का हरण बसंत ऋतु में हुआ था। अपहरण के पश्चात रावण ने उन्हें बारह मास का समय देते हुए कहा कि हे सीते! यदि इस अवधि के भीतर तुमने मुझे स्वीकार नहीं किया तो मेरे याचक तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे।

10. यह बाद हनुमानजी ने जब श्रीराम से कही तो उन्होंने भली प्रकार चिंतन करके सुग्रीव को आदेश दिया कि

उत्तरा फाल्गुनी हयघ श्वस्तु हस्तेन योक्ष्यते।

अभिप्रयास सुग्रिव सर्वानीक समावृता:।।

अर्थात आज उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र है। कल हस्त नक्षत्र से इसका योग होगा। हे सुग्रीव इस समय पर सेना लेकर लंका पर चढ़ाई कर दो। इस प्रकार फाल्गुन मास में श्री लंका पर चढ़ाई का आदेश श्री राम ने दिया। यह जानकर रावण ने भी अपने मंत्री से सलाह लेकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को युद्धारंभ करके अमावस्या के दिन सेना से युक्त होकर विजय के लिए निकला और चैत्र मास की अमावस्या को रावण मारा गया। तब रावण की अंत्येष्टि क्रिया तथा विभीषण के राजतिलक के पश्चात रामचंद्र यथाशीघ्र अयोध्या के लिए निकल पड़े। तब यह सिद्ध होता है कि रामजी चैत्र के माह में ही अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में लोगों ने अपने अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया।

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Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 12

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभीषण की क्या इच्छा थी?
उत्तर:
विभीषण की इच्छा थी कि राम कुछ दिन लंका में रुक जाते।

प्रश्न 2.
राम को अयोध्या वापस लौटने की जल्दी क्यों थी?
उत्तर:
क्योंकि भरत ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि चौदह वर्ष पूरे होते ही यदि राम नहीं लौटे तो वे प्राण दे देंगे। यही कारण था कि राम को वापस लौटने की जल्दी थी।

प्रश्न 3.
विभीषण ने राम से क्या प्रार्थना की?
उत्तर:
विभीषण ने राम से प्रार्थना की कि उन्हें अपने साथ ले जाएँ ताकि वे उनका राज्याभिषेक देख सकें।

प्रश्न 4.
ऋषि भारद्वाज ने राम से क्या अनुरोध किया?
उत्तर:
ऋषि भारद्वाज ने राम से अनुरोध किया कि वे आश्रम में ही रात बिता लें।

प्रश्न 5.
लंका से अयोध्या तक सभी कैसे पहुँचे?
उत्तर:
लंका से अयोध्या तक सभी विभीषण के पुष्पक विमान से पहुँचे।

प्रश्न 6.
सीता के आग्रह पर बीच में विमान कहाँ उतरा?
उत्तर:
सीता के आग्रह पर विमान किष्किंधा में उतरा।

प्रश्न 7.
राम ने हनुमान को अपने पहुंचने से पहले अयोध्या क्यों भेजा?
उत्तर:
राम ने हनुमान को अपने पहुँचने से पहले अयोध्या इसलिए भेजा ताकि उन्हें भरत की नीयत का पता चल जाए कि राम के आने से वे प्रसन्न हैं या नहीं।

प्रश्न 8.
गंगा-यमुना के संगम पर किसका आश्रम था?
उत्तर:
गंगा-यमुना के संगम पर ऋषि भारद्वाज का आश्रम था।

प्रश्न 9.
राम के आगमन के समाचार पर भरत ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की?
उत्तर:
राम के आगमन के समाचार से भरत की खुशी का ठिकाना न रहा। वे बार-बार हनुमान को धन्यवाद देने लगे।

प्रश्न 10.
नंदीग्राम पहुँचने से पहले राम ने क्या किया?
उत्तर:
नंदीग्राम पहुँचने से पहले राम ने पुष्पक विमान को कुबेर के पास भिजवा दिया क्योंकि यह विमान कुबेर का ही था। जिसे रावण ने बलपूर्वक छीन लिया था।

प्रश्न 11.
राम का राज्याभिषेक किसने किया?
उत्तर:
राम का राज्याभिषेक मुनि वशिष्ठ ने किया।

प्रश्न 12.
राज्याभिषेक के अवसर पर राम ने सीता को क्या उपहार दिया?
उत्तर:
राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभीषण राम को लंका में रुकने का आग्रह क्यों कर रहे थे?
उत्तर:
विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिनों के लिए लंका में रुक जाएँ, और थोड़ा विश्राम कर लें। उनकी थकान भी उतर जाएगी और वह नगर का भ्रमण भी कर लेंगे। इसके अलावा विभीषण की यह भी इच्छा थी कि राम के सान्निध्य से उन्हें उनसे रीति-नीति सीखने का मौका मिलेगा।

प्रश्न 2.
विभीषण ने कहाँ जाने का आग्रह राम से किया?
उत्तर:
विभीषण राम के सान्निध्य में रहना चाहते थे। उन्होंने राम से यह अनुरोध किया कि वे उनके राज्याभिषेक में शामिल होना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने राम के साथ अयोध्या चलने की अनुमति माँगी। राम ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया। इसके लिए यात्रा व्यवस्था विभीषण पर छोड़ी गई। विभीषण का पुष्पक विमान राम-लक्ष्मण और सीता के साथ सुग्रीव, हनुमान तथा विभीषण को अयोध्या ले जाने के लिए तैयार था।

प्रश्न 3.
राम ने लंका में रुकने के लिए विभीषण का आग्रह स्वीकार क्यों नहीं किया?
उत्तर:
विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिनों के लिए लंका में रुक जाएँ, पर राम ने इसे स्वीकार करने में असमर्थता प्रकट की। राम के वनवास के चौदह वर्ष पूरे हो चुके थे। भरत द्वारा प्रतीक्षा किए जाने के कारण वे तुरंत लौट जाना चाहते थे। चौदह वर्ष की अवधि से अधिक देर होने पर भरत अपने प्राण दे सकते थे। इसलिए राम ने लंका में रुकने का आग्रह अस्वीकार कर दिया।

प्रश्न 4.
नंदीग्राम में राम का स्वागत कैसे हुआ?
उत्तर:
नंदीग्राम में राम का भव्य स्वागत हुआ। आकाश राम की जयघोष से गूंज उठा। राम ने विमान से उतर कर भरत को गले लगाया और माताओं को प्रणाम किया। भरत आश्रम के अंदर से राम की खड़ाऊँ ले आए तथा उन्होंने खड़ाऊँ को स्वयं राम के पैरों में पहनाया। चारों तरफ खुशी का वातावरण था तथा सभी के आँखों में खुशी के आँसू थे।

प्रश्न 5.
हनुमान और भरत के भेंट का वर्णन करें।
उत्तर:
हनुमान वायु वेग से उड़कर नंदीग्राम पहुँचे। वहाँ उन्होंने भरत को बताया कि राम का वनवास पूरा हो गया है। वे प्रयाग पहुँच चुके हैं। वे उन्हीं की आज्ञा से यहाँ आपके पास पहुंचे हैं। यह सुनकर भरत की खुशी का ठिकाना न रहा। उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे। इस शुभ सूचना के लिए वह हनुमान को धन्यवाद दे रहे थे। उनके चेहरे पर केवल प्रसन्नता का भाव था। हनुमान उनसे विदा लेकर राम के पास लौट आए।

प्रश्न 6.
राम के राज्याभिषेक का वर्णन करें।
उत्तर:
राम के राज्याभिषेक पर पूरी अयोध्या नगरी दीपमालाओं से जगमगा रही थी। पूरा नगर सजाया गया था। फूलों की सुगंध चारों तरफ फैल रही थी। वाद्ययंत्रों की झंकार सुनाई दे रही थी। राम का राजतिलक मुनि वशिष्ठ ने किया। माताओं ने आरती उतारी, मंगलाचरण गाया गया। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे थे। इस प्रकार चारों ओर खुशी का वातावरण था। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया। सीता ने अपने गले का हार उतारकर सेवक हनुमान को भेंट कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लंका से अयोध्या जाते हुए राम ने मार्ग में सीता को कौन-कौन से स्थानों का परिचय कराया?
उत्तर:
लंका से अयोध्या जाते समय मार्ग में पहले युद्धभूमि पड़ती थी। राम, सीता, लक्ष्मण, सुग्रीव हनुमान तथा विभीषण को लेकर विमान लंका से चला। पहले रणभूमि दिखी, फिर नल और नील द्वारा बनाया गया सेतुबंध। फिर पुष्पक विमान किष्किंधा में उतरा। उसके आगे राम ने सीता को ऋष्यमूक पर्वत और फिर पंपा सरोवर से परिचय कराया। सीता को गोदावरी नदी भी दिखाई। राम ने बताया कि इसी नदी के तट पर पंचवटी थी जहाँ उनकी पर्णकुटी थी। वह पर्णकुटी अभी भी बनी हुई थी। इसके बाद राम ने सीता को गंगा-यमुना के संगम पर बने ऋषि भारद्वाज के आश्रम का परिचय कराया, जहाँ पुष्पक विमान उतरा। यहाँ सबने रात बिताई। अगले सुबह प्रयाग से श्रृंगवेरपुर होते हुए राम का विमान अयोध्या पहुँच गया।

प्रश्न 2.
राम के आगमन के बाद अयोध्या की घटनाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
सजी-धजी अयोध्या नगरी राम के आगमन के लिए बेचैन थी। माताएँ एवं मुनिगण खुश थे। पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। नगरवासी राम को वापस देखकर प्रसन्न थे। भरत अयोध्या का राज्य राम को नंदीग्राम में ही लौटा चुके थे। राजमहल में मुनि वशिष्ट ने कहा कि अगले दिन राज्याभिषेक किया जाएगा। इसकी तैयारी शत्रुघ्न पहले ही कर चुके थे। अगले दिन राम का राज तिलक हुआ। राम और सीता रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे। राजतिलक मुनि वशिष्ट ने किया। माताओं ने आरती उतारी, मंगला चरण गाया गया। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया। सीता ने हनुमान की भक्ति तथा पराक्रम के लिए यह हार उन्हें भेंट कर दिया। राम राज्य का कार्यकाल लंबे समय के लिए हुआ। इनके काल में प्रजा काफ़ी खुश थी।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
युद्ध से बचने के लिए रावण को किन-किन लोगों ने क्या-क्या समझाया? अगर रावण किसी की सलाह मान लेता तो क्या होता?
उत्तर:
युद्ध से बचने के लिए रावण को हनुमान, विभीषण तथा अंगद ने सलाह दी। उन्होंने समझाया कि सीता को सम्मानपूर्वक वापस कर दो। इसी में सभी का कल्याण है। नहीं तो सभी का विनाश निश्चित हो जाएगा लेकिन रावण ने किसी की बात नहीं मानी। रावण यदि इन तीनों में से किसी एक की बात मान लेता युद्ध न होता।

प्रश्न 2.
अपने शहर या नगर के किसी समारोह का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. विभीषण की क्या इच्छा थी?
2. विभीषण राम को कुछ दिन लंका में क्यों रोकना चाहते थे?
3. राम तत्काल अयोध्या क्यों जाना चाहते थे?
4. विभीषण ने राम से क्या प्रार्थना की?
5. गंगा-यमुना के संगम पर किसका आश्रम था?
6. भरत आश्रम से क्या उठा लाए?
7. हनुमान और भरत की भेंट का वर्णन करें।
8. नंदीग्राम में राम का स्वागत किस प्रकार हुआ?
9. हनुमान को अयोध्या भेजते हुए राम ने उनसे क्या कहा?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. राम के राज्याभिषेक का वर्णन कीजिए।
2. लंका से अयोध्या जाते हुए राम ने सीता को कौन-कौन से स्थानों से परिचित कराया?
3. राम के आगमन के बाद अयोध्या की घटनाओं का वर्णन करें।

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 12 Summary

लंका विजय के बाद विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में आराम करें। इससे उन्हें राम का सान्निध्य भी मिल जाएगा और रीति-नीति सीखने का मौका भी। वनवास के अब चौदह वर्ष पूरे हो गए थे। उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। वे तत्काल अयोध्या लौट जाना चाहते थे। उन्होंने कहा भरत मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। अगर जाने में देर हो गई तो वे प्राण त्याग देंगे। वे प्रतिज्ञा से बँधे हैं। अब विभीषण ने प्रस्ताव किया कि वे राज्याभिषेक में शामिल होना चाहते हैं। राम ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। राम ने सुग्रीव को भी आमंत्रित किया। विभीषण का पुष्पक विमान उन्हें ले जाने को तैयार था। विमान लंका से अयोध्या नगरी की ओर चला। राम-सीता को मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थान बताते जा रहे थे। सीता के आग्रह पर विमान किष्किधा में उतरा, सुग्रीव की रानियों तारा और रूपा को लाने के लिए। उसके आगे ऋष्यमूक पर्वत पड़ा। इस पर्वत पर पर्णकुटी अब भी बनी हुई थी। जहाँ वे रहते थे। आगे गंगा-यमुना के संगम पर ऋषि भारद्वाज के आश्रम पर विमान उतरा। सबने रात वहीं बिताई। यहीं से राम ने अपने जाने की सूचना देने के लिए हनुमान को अयोध्या भेजा। वे हनुमान द्वारा अयोध्या का समाचार जानना चाहते थे। उनका सोचना था कि यदि उनके अयोध्या लौटने पर भरत को प्रसन्नता नहीं होगी तो वे अयोध्या नहीं जाएँगे। यदि भरत मेरे अयोध्या जाने से खुश होंगे तभी मैं अयोध्या जाऊँगा।

हनुमान वायु-वेग से उड़ चले। हनुमान से राम के आगमन की सूचना पाकर भरत की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। वे यह शुभ समाचार देने के लिए बार-बार उनका धन्यवाद दे रहे थे। हनुमान उनसे विदा लेकर आश्रम में राम के पास लौट आए। अगली सुबह विमान प्रयाग से शृंगवेरपुर होते हुए सरयू नदी के ऊपर पहुँच गया। उधर अयोध्या में राम के आगमन में पूरी तैयारियाँ होने लगीं। शत्रुघ्न राज्याभिषेक की व्यवस्था में जुट गए। महल से तीनों रानियाँ नंदीग्राम के लिए चल पड़ीं। राम का नंदीग्राम में भव्य स्वागत हुआ। राम ने विमान से उतरकर भरत को गले लगाया और माताओं को प्रणाम किया। भरत ने राम की खड़ाऊँ लाकर अपने हाथों से उन्हें पहनाईं। राम-लक्ष्मण ने नंदीग्राम में तपस्वी बाना उतार दिया। दोनों को राजसी वस्त्र पहनाए गए। जन-समूह उनकी जयजयकार करते हुए अयोध्या की ओर चल दिया। पुष्पक विमान कुबेर का था जिसे रावण ने उनसे बलात् छीन लिया था। अब उस विमान को कुबेर के पास भेज दिया गया।

अयोध्या में सर्वत्र प्रसन्नता का वातावरण था। सजी-धजी अयोध्या नगरी राम दर्शन के लिए बेचैन थी। माताएँ एवं मुनिगण खुश थे। पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। अगले दिन मुनि वशिष्ट ने राम का राजतिलक किया। राम-सीता सोने के सिंहासन पर बैठे। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे। माताओं ने आरती उतारी। शुभ-गीत गाए गए। सीता ने अपने गले का हार उतारकर हनुमान को उपहार में दिया।

कुछ दिनों बाद विभीषण लंका लौट गए। सुग्रीव किष्किंधा चले गए। ऋषि-मुनि अपने-अपने आश्रम लौट गए। हनुमान राम के दरबार में ही रह गए। राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर शासन किया। राम न्यायप्रिय थे। उनका राज्य रामराज्य था।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 80
विश्राम – आराम। सान्निध्य – निकटता। तत्काल – तुरंत। प्रतीक्षा – इंतजार। विलंब – देरी। आग्रह – अनुरोध, प्रार्थना। कोषागार – खजाना। अस्वीकार – इनकार।

पृष्ठ संख्या 81
पर्वत – पहाड़। अद्भुत – विचित्र। आगमन – आने की खबर। पूर्व – पहले। संशय – संदेह। अवधि – समय। सत्ता – गद्दी। आपत्ति – विरोध। वेग – गति। मार्ग – रास्ता।

पृष्ठ संख्या 83
भव्य स्वागत – शानदार स्वागत। जयघोष – नारा। व्यवस्था – इंतजाम। बलात – ज़बरदस्ती, बलपूर्वक। विरत – अलग। उपहार – भेंट।

पृष्ठ संख्या 84
अतिथि – मेहमान। प्रयाण – प्रस्थान, जाना। भेदभाव – अंतर। स्मृति – याद। पराक्रम – ताकत।

अयोध्या वापस लौट के समय राम ने सीता जी को कौन कौन से स्थान दिखाएँ?

विभीषण लंका लौटे । सुग्रीव ने किष्किंधा की ओर प्रयाण किया। 2020-21 ऋषि-मुनि अपने आश्रम चले गए।

वनवास के समय श्रीराम कहाँ जाकर रहे थे *?

अगस्‍त्‍य मुनि के आश्रम में राम श्रीराम दंडकारण्‍य के बाद पंचवटी यानि कि नासिक पहुंचे। वहां उन्‍होंने ऋषि अगस्‍त्‍य के आश्रम कुछ समय बिताया। इसी दौरान ऋषि ने उन्‍हें अग्निशाला में बनाए गए शस्‍त्र भेंट किए। इस स्‍थान के साथ कई सारी कथाएं जुड़ी हैं।

श्रीराम ने वन में कहाँ निवास किया था?

अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद श्रीराम ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय स्थल बनाया। यह जंगल क्षेत्र था दंडकारण्य। 'अत्रि-आश्रम' से 'दंडकारण्य' आरंभ हो जाता है।

राम को अयोध्या वापस लौटने की जल्दी क्यों थी?

भरत जब भी अयोध्या लौटने की बात करते, नाना उन्हें रोक लेते। भरत को अयोध्या की घटनाओं की सूचना नहीं थी। उन्हें अपने पिता के निर्णय के संबंध में नहीं पता था। यह जानकारी भी नहीं थी कि अगले दिन राम का राज्याभिषेक होने वाला है।