रामचरित मानस के उत्तरकांड में श्रीराम के अयोध्या आगमन पर भव्य स्वागत का उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। जब प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटे तो सभी शहरवासी उनके आगमन के लिए उमड़ पड़े। भगवान श्रीराम अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद पुन: लौट आए थे। आओ जानते हैं कि वे दीपावली के दिन ही पहुंचे थे या कि और किसी दिन? Show 1. श्रीराम के अयोध्या लौटने की तिथि पर इतिहासकारों में मतभेद हैं, लेकिन परंपरा के अनुसार कार्तिक अमावस्या अर्थात दीपावली को भगवान श्रीराम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। 2. रावण का वध करने के बाद लंका से अयोध्या लौटते समय राम, लक्ष्मण, सीता एवं हनुमानजी पुष्पक विमान से अयोध्या के पास नंदीग्राम नामक स्थान पर उतरे थे, जहां पर राम की खड़ाऊं रखकर राजा भरत अपना राजपाट चलाते थे। कहते हैं कि नंदीग्राम में एक दिन रुकने के बाद वे दूसरे दिन अयोध्या पहुंचे थे। 3. यह भी उल्लेख मिलता है कि रावण वध यदि दशमी के दिन हुआ था तो उसके दूसरे दिन सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरने के बाद अर्थात उन्हें अग्निदेव से वापस मांगने के बाद श्रीराम अयोध्या लौटे थे। मतलब यह कि वे एकादशी के दिन अयोध्या की ओर चले थे और रास्ते में वह निषादराज गुह केवट के यहां रुके भी थे। 4. वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि श्रीराम का नंदीग्राम में भव्य स्वागत किया गया था। उस दौरान अयोध्या के सभी आठों मंत्री और राजा दशरथ की तीनों रानियां हाथियों पर सवार होकर नंदीग्रम पहुंचे। उनके साथ अयोध्या के सभी नागरिक भी नंदीग्रम पहुंचे। 5. वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड सर्ग 127 के अनुसार सभी नागरिकों, मंत्रियों और रानियों ने देखा की श्रीराम पुष्पक विमान से धरती पर उतरे। सभी ने विमान पर विराजमान श्रीराम के दर्शन किए और वे उन्हें लेकर अयोध्या गए। 6.श्रीराम का जन्म इंडियन गर्वनमेंट के साइंस मिनिस्ट्री से मान्यता प्राप्त 'इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेदाज' (आईसर्व) के शोधानुसार श्रीराम का जन्म इस शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व हुआ था। आईसर्व डायरेक्टर सरोज बाला के शोध अनुसार श्रीराम ने रावण का वध 4 दिसंबर 5076 ईसा पूर्व किया था। फिर वे अलग अलग जगहों पर रुकते हुए 29वें दिन 2 जनवरी 5075 ईसा पूर्व वापस अयोध्या लौटे थे। अयोध्या लौटने के खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाई थी। रुकने के दिनों को छोड़कर इस सफर में उन्हें करीब 24 दिन लगे। इस दौरान वे 8 से 9 जगहों पर रुके। यह निष्कर्ष वाल्मीकि रामायण में लिखे उस दौर के ग्रहों, नक्षत्रों, तारामंडलों की स्थिति के आधार पर नासा के वेद स्पेशल 'प्लेटिनम गोल्ड' सॉफ्टवेयर से निकाला गया। 7.श्रीरामजी की खड़ाऊ ले
जाते समय भरतजी ने कहा था कि चर्तुर्दशे ही संपूर्ण वर्षेदद्व निरघुतम। नद्रक्ष्यामि यदि त्वां तु प्रवेक्ष्यामि हुताशन।। अर्थात: हे रघुकुल श्रेष्ठ। जिस दिन चौदह वर्ष पूरे होंगे उस दिन यदि आपको अयोध्या में नहीं देखूंगा तो अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा। भरत के मुख से ऐसे प्रतिज्ञापूर्ण शब्द सुनकर रामजी ने भरत को आश्वस्त करते हुए कहा था- तथेति प्रतिज्ञाय- अर्थात ऐसा ही होगा। 8. इसी प्राकार महर्षि वशिष्ठजी ने महाराजा दशरथ से राम के राज्याभिषेक के संदर्भ में कहा था- चैत्र:श्रीमानय मास:पुण्य पुष्पितकानन:। यौव राज्याय रामस्य सर्व मेवोयकल्प्यताम्।। अर्थात: जिसमें वन पुष्पित हो गए। ऐसी शोभा कांति से युक्त यह पवित्र चैत्र मास है। रामजी का राज्याभिषेक पुष्प नक्षत्र चैत्र शुक्ल पक्ष में करने का विचार निश्चित किया गया है। षष्ठी तिथि को पुष्य नक्षत्र था। रामजी लंका विजय के पश्चात अपने 14 वर्ष पूर्ण करके पंचमी तिथि को भारद्वाज ऋषि के आश्रम में उपस्थित हुए। वहां एक दिन ठहरे और अगले दिन उन्होंने अयोध्या के लिए प्रस्थान किया उससे पहले उन्होंने अपने भाई भरत से पंचमी के दिन हनुमानजी के द्वारा कहलवाया- अविघ्न पुष्यो गेन श्वों राम दृष्टिमर्हसि। अर्थात: हे भरत! कल पुष्य नक्षत्र में आप राम को यहां देखेंगे। इस प्रकार राम चैत्र के माह में षष्ठी के दिन ही ठीक समय पर अयोध्या में पुन: लौटकर आए। 9. वाल्मीकि रामायण के अनुसार सीताजी का हरण बसंत ऋतु में हुआ था। अपहरण के पश्चात रावण ने उन्हें बारह मास का समय देते हुए कहा कि हे सीते! यदि इस अवधि के भीतर तुमने मुझे स्वीकार नहीं किया तो मेरे याचक तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे। 10. यह बाद हनुमानजी ने जब श्रीराम से कही तो उन्होंने भली प्रकार चिंतन करके सुग्रीव को आदेश दिया कि उत्तरा फाल्गुनी हयघ श्वस्तु हस्तेन योक्ष्यते। अभिप्रयास सुग्रिव सर्वानीक समावृता:।। अर्थात आज उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र है। कल हस्त नक्षत्र से इसका योग होगा। हे सुग्रीव इस समय पर सेना लेकर लंका पर चढ़ाई कर दो। इस प्रकार फाल्गुन मास में श्री लंका पर चढ़ाई का आदेश श्री राम ने दिया। यह जानकर रावण ने भी अपने मंत्री से सलाह लेकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को युद्धारंभ करके अमावस्या के दिन सेना से युक्त होकर विजय के लिए निकला और चैत्र मास की अमावस्या को रावण मारा गया। तब रावण की अंत्येष्टि क्रिया तथा विभीषण के राजतिलक के पश्चात रामचंद्र यथाशीघ्र अयोध्या के लिए निकल पड़े। तब यह सिद्ध होता है कि रामजी चैत्र के माह में ही अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में लोगों ने अपने अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया। These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक are prepared by our highly skilled subject experts. Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 12 पाठाधारित प्रश्न अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. मूल्यपरक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. अभ्यास प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्न 1. विभीषण की क्या इच्छा थी? दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1. राम के राज्याभिषेक का वर्णन कीजिए। Bal Ram Katha Class 6 Chapter 12 Summary लंका विजय के बाद विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में आराम करें। इससे उन्हें राम का सान्निध्य भी मिल जाएगा और रीति-नीति सीखने का मौका भी। वनवास के अब चौदह वर्ष पूरे हो गए थे। उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। वे तत्काल अयोध्या लौट जाना चाहते थे। उन्होंने कहा भरत मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। अगर जाने में देर हो गई तो वे प्राण त्याग देंगे। वे प्रतिज्ञा से बँधे हैं। अब विभीषण ने प्रस्ताव किया कि वे राज्याभिषेक में शामिल होना चाहते हैं। राम ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। राम ने सुग्रीव को भी आमंत्रित किया। विभीषण का पुष्पक विमान उन्हें ले जाने को तैयार था। विमान लंका से अयोध्या नगरी की ओर चला। राम-सीता को मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थान बताते जा रहे थे। सीता के आग्रह पर विमान किष्किधा में उतरा, सुग्रीव की रानियों तारा और रूपा को लाने के लिए। उसके आगे ऋष्यमूक पर्वत पड़ा। इस पर्वत पर पर्णकुटी अब भी बनी हुई थी। जहाँ वे रहते थे। आगे गंगा-यमुना के संगम पर ऋषि भारद्वाज के आश्रम पर विमान उतरा। सबने रात वहीं बिताई। यहीं से राम ने अपने जाने की सूचना देने के लिए हनुमान को अयोध्या भेजा। वे हनुमान द्वारा अयोध्या का समाचार जानना चाहते थे। उनका सोचना था कि यदि उनके अयोध्या लौटने पर भरत को प्रसन्नता नहीं होगी तो वे अयोध्या नहीं जाएँगे। यदि भरत मेरे अयोध्या जाने से खुश होंगे तभी मैं अयोध्या जाऊँगा। हनुमान वायु-वेग से उड़ चले। हनुमान से राम के आगमन की सूचना पाकर भरत की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। वे यह शुभ समाचार देने के लिए बार-बार उनका धन्यवाद दे रहे थे। हनुमान उनसे विदा लेकर आश्रम में राम के पास लौट आए। अगली सुबह विमान प्रयाग से शृंगवेरपुर होते हुए सरयू नदी के ऊपर पहुँच गया। उधर अयोध्या में राम के आगमन में पूरी तैयारियाँ होने लगीं। शत्रुघ्न राज्याभिषेक की व्यवस्था में जुट गए। महल से तीनों रानियाँ नंदीग्राम के लिए चल पड़ीं। राम का नंदीग्राम में भव्य स्वागत हुआ। राम ने विमान से उतरकर भरत को गले लगाया और माताओं को प्रणाम किया। भरत ने राम की खड़ाऊँ लाकर अपने हाथों से उन्हें पहनाईं। राम-लक्ष्मण ने नंदीग्राम में तपस्वी बाना उतार दिया। दोनों को राजसी वस्त्र पहनाए गए। जन-समूह उनकी जयजयकार करते हुए अयोध्या की ओर चल दिया। पुष्पक विमान कुबेर का था जिसे रावण ने उनसे बलात् छीन लिया था। अब उस विमान को कुबेर के पास भेज दिया गया। अयोध्या में सर्वत्र प्रसन्नता का वातावरण था। सजी-धजी अयोध्या नगरी राम दर्शन के लिए बेचैन थी। माताएँ एवं मुनिगण खुश थे। पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। अगले दिन मुनि वशिष्ट ने राम का राजतिलक किया। राम-सीता सोने के सिंहासन पर बैठे। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे। माताओं ने आरती उतारी। शुभ-गीत गाए गए। सीता ने अपने गले का हार उतारकर हनुमान को उपहार में दिया। कुछ दिनों बाद विभीषण लंका लौट गए। सुग्रीव किष्किंधा चले गए। ऋषि-मुनि अपने-अपने आश्रम लौट गए। हनुमान राम के दरबार में ही रह गए। राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर शासन किया। राम न्यायप्रिय थे। उनका राज्य रामराज्य था। शब्दार्थ: पृष्ठ संख्या 80 पृष्ठ संख्या 81 पृष्ठ संख्या 83 पृष्ठ संख्या 84 अयोध्या वापस लौट के समय राम ने सीता जी को कौन कौन से स्थान दिखाएँ?विभीषण लंका लौटे । सुग्रीव ने किष्किंधा की ओर प्रयाण किया। 2020-21 ऋषि-मुनि अपने आश्रम चले गए।
वनवास के समय श्रीराम कहाँ जाकर रहे थे *?अगस्त्य मुनि के आश्रम में राम
श्रीराम दंडकारण्य के बाद पंचवटी यानि कि नासिक पहुंचे। वहां उन्होंने ऋषि अगस्त्य के आश्रम कुछ समय बिताया। इसी दौरान ऋषि ने उन्हें अग्निशाला में बनाए गए शस्त्र भेंट किए। इस स्थान के साथ कई सारी कथाएं जुड़ी हैं।
श्रीराम ने वन में कहाँ निवास किया था?अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद श्रीराम ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय स्थल बनाया। यह जंगल क्षेत्र था दंडकारण्य। 'अत्रि-आश्रम' से 'दंडकारण्य' आरंभ हो जाता है।
राम को अयोध्या वापस लौटने की जल्दी क्यों थी?भरत जब भी अयोध्या लौटने की बात करते, नाना उन्हें रोक लेते। भरत को अयोध्या की घटनाओं की सूचना नहीं थी। उन्हें अपने पिता के निर्णय के संबंध में नहीं पता था। यह जानकारी भी नहीं थी कि अगले दिन राम का राज्याभिषेक होने वाला है।
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