Home 'अरे इन दोहुन राह न पाई' से कबीर का क्या आशय है और वे किस राह की बात कर रहे हैं? Question 'अरे इन दोहुन राह न पाई' से कबीर का क्या आशय है और वे किस राह की बात कर रहे हैं? Open in App Solution कबीर जी इस पंक्ति में हिन्दुओं और मुस्लमानों के लिए बोल रहे हैं। उनका अर्थ है कि ये दोनों धर्म आंडबरों में उलझे हुए हैं। इन्हें सच्ची भक्ति का अर्थ नहीं मालूम है। धार्मिक आंडबरों को धर्म मानकर चलते हैं। कबीर के अनुसार ये दोनों भटके हुए हैं। Suggest Corrections 35 Same exercise questions Q. 'दोपहर का भोजन' शीर्षक किन दृष्टियों से पूर्णतया सार्थक है? Q. उनका दांपत्य जीवन किस प्रकार आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है? Q. 'मोम के बंधन' और 'तितलियों के पर' का प्रयोग कवयित्री ने किस संदर्भ में किया है और क्यों? Q. कविता में 'अमरता-सुत' का संबोधन किसके लिए और क्यों आया है? Q. कवि चेतन से फिर जड़ होने की बात क्यों कहता है? View More |