आयरन की गोली कितने महीने तक खाना चाहिए? - aayaran kee golee kitane maheene tak khaana chaahie?

शरीर में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नाम का एक प्रोटीन होता है जो शरीर के सभी अंगों और ऊत्तकों तक ऑक्सीजन को पहुंचाने में मदद करता है। आयरन एक ऐसा खनिज है जो इस हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए जरूरी होता है। जब शरीर में आयरन की कमी हो जाती है तो इसकी वजह से आयरन डिफिशिएंसी यानी आयरन की कमी के कारण होने वाली एनीमिया की समस्या हो जाती है और यह दुनियाभर में होने वाली सबसे कॉमन पोषण से जुड़ी बीमारी है। आयरन की कमी होने पर शरीर के विभिन्न अंगों और ऊत्तकों तक ऑक्सीजन का फ्लो भी कम हो जाता है। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था में खून की कमी)

अगर गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी के कारण होने वाली एनीमिया की समस्या का समय पर इलाज न किया जाए तो प्रेगनेंसी से जुड़ी जटिलताएं जैसे- समय से पहले प्रसव और डिलिवरी, जन्म के समय बच्चे का कम वजन और पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है। एक स्टडी की मानें तो आयरन सप्लिमेंट्स का सेवन करने से न सिर्फ मैटरनल एनीमिया का खतरा कम हो जाता है बल्कि जन्म के समय बच्चे का औसत वजन 41.2 ग्राम अधिक हो जाता है और लो बर्थवेट की समस्या 19 प्रतिशत तक कम हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान कई और फैक्टर्स भी हैं जो आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया का कारण बन सकते हैं:

  • गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे का होना
  • अगर 2 प्रेगनेंसी के बीच अंतर बेहद कम हो
  • मॉर्निंग सिकनेस की समस्या निरंतर बनी रहती हो 

चूंकि हमारा शरीर आयरन का निर्माण नहीं कर सकता है, इसलिए खाद्य पदार्थों और सप्लिमेंट्स के जरिए ही इसे हासिल करना पड़ता है। आयरन की कमी के कारण होने वाली एनीमिया की समस्या को मैनेज करने के लिए रोजाना आयरन सप्लिमेंट्स का सेवन करना भी जरूरी हो जाता है। सामान्य लोगों को आयरन की जितनी जरूर होती है गर्भवती महिलाओं में आयरन की जरूरत और ज्यादा बढ़ जाती है। चूंकि गर्भवती महिला का शरीर, गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए अधिक मात्रा में खून का निर्माण करने लगता है ऐसे में अतिरिक्त आयरन की जरूरत भी बढ़ जाती है।

(और पढ़ें - शरीर में आयरन की अधिकता)

ऐसे में अगर खाने-पीने की चीजों और डाइट से आपको और आपके बच्चे को पर्याप्त मात्रा में आयरन नहीं मिल पा रहा है तो डॉक्टर आपको सप्लिमेंट्स यानी आयरन की गोली लेने की सलाह दे सकते हैं ताकि शरीर में अतिरिक्त खून का फ्लो बढ़ जाए। प्रेगनेंसी में आयरन की गोली लेने के क्या फायदे, नुकसान हैं, आयरन की गोली कब लेनी चाहिए, कितनी मात्रा में लेनी चाहिए, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

Today latest news in hindi के लिए लिए हमे फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम में फॉलो करे | Get all Breaking News in Hindi related to live update of politics News in hindi , sports hindi news , Bollywood Hindi News , technology and education etc.

बच्चों में आयरन की कमी को दूर करने के लिए सरकारी अभियान चलाया जा रहा है, ताकि एनीमिया की समस्या पर काबू पाया जा सके। इसका लाभ कैसे उठाएं, क्या सावधानी बरतें, बता रही हैं क्षमा शर्मा देश में इन दिनों...

आयरन की गोली कितने महीने तक खाना चाहिए? - aayaran kee golee kitane maheene tak khaana chaahie?

लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 24 Jul 2013 12:18 PM

हमें फॉलो करें

ऐप पर पढ़ें

बच्चों में आयरन की कमी को दूर करने के लिए सरकारी अभियान चलाया जा रहा है, ताकि एनीमिया की समस्या पर काबू पाया जा सके। इसका लाभ कैसे उठाएं, क्या सावधानी बरतें, बता रही हैं क्षमा शर्मा

देश में इन दिनों मां-बच्चों की सुरक्षा के लिए आयरन और नीली गोली का अभियान चलाया जा रहा है। इसमें बच्चों के स्कूलों को भी शामिल किया गया है। हर हफ्ते बच्चों को एक गोली खानी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण में पता चला है कि यहां बच्चे बहुत अधिक आयरन की कमी से पीडित हैं। देश भर में 30 फीसदी किशोरियां और 56 फीसदी किशोर आयरन की कमी से पीडित हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर दो लड़कियों में से एक लड़की और हर तीन लड़कों में से एक लड़के को एनीमिया है।

क्या होता है एनीमिया से
एनिमिक होने के कारण इन बच्चों को तमाम तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों को झेलना पड़ता है। उनकी याददाश्त, शारीरिक विकास, थकान और सांस फूलने के कारण वे छोटे-छोटे काम भी नहीं कर पाते, जबकि भारत में किशोरों की संख्या दुनियाभर के किशोरों की तुलना में ज्यादा है। यह संख्या 243 मिलियन है। भारत में आज भी बड़ी संख्या में छोटी उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है। अगर वे पहले से एनिमिक हैं और गर्भवती भी हो गईं हैं तो उन्हें काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। यही नहीं, उनकी संतानों को भी एनिमिक होने का खतरा रहता है।

एनीमिया है क्या
आखिर एनीमिया क्या है। खून के लाल सैल को हीमोग्लोबिन कहते हैं। ये लाल रक्त कण फेफड़ों तथा शरीर के अन्य भागों में ऑक्सीजन पहुंचाते हैं। शरीर में हीमोग्लोबिन ठीक रहे, इसके लिए शरीर में आयरन, फॉलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन और विटामिन बी 12 की मात्रा ठीक होनी चाहिए। ये शरीर के जरूरी तत्व हैं और इनमें से किसी को भी शरीर खुद नहीं बना सकता। अगर भोजन में इनमें से किसी भी तत्व की कमी हो तो शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और शरीर में पीलापन आ जाता है। जब किसी के शरीर में उसकी आयु के मुताबिक कम हीमोग्लोबिन होता है तो उसे एनिमिक कहा जाता है। हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। सांस फूलने लगती है। थकान और चिड़चिड़ापन बना रहता है। आयरन की कमी के कारण सबसे अधिक एनीमिया होता है। आंखें, जीभ, त्वचा, होंठ पीले पड़ जाते हैं। चेहरे और पांवों में सूजन आ जाती है। 50 प्रतिशत से ज्यादा एनीमिया आयरन की कमी के कारण होता है। ऐसे में छोटे से छोटा काम करने पर भारी थकावट महसूस होती है। इससे बच्चों का पढ़ाई में भी मन नहीं लगता। वे मैथ्स में अच्छा नहीं कर पाते और कमजोरी के कारण अक्सर स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं। किशोरावस्था के दौरान ही बच्चे बढ़वार में पड़ते हैं, लड़कियों को मासिक धर्म शुरू होता है, जिससे उनमें एनिमिक होने का खतरा बढ़ जाता है। एनिमिक लड़कियों के बच्चे अक्‍सर एनिमिक होते हैं, इसलिए जरूरी है कि किशोरावस्था में ही हीमोग्लोबिन की कमी को दूर किया जाए, जिससे किशोर-किशोरियां स्वस्थ नागरिक बन सकें। इसके लिए ऐसे भोजन की जरूरत है, जिसमें आयरन भरपूर मात्रा में हो। इसीलिए स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल रूरल हैल्थ मिशन, युनिसैफ व तमाम समाजसेवी संस्थाओं ने मिल कर तय किया कि आयरन की कमी को दूर करने के अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाए। एनीमिया तीन तरह का हो सकता है- माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। हीमोग्लोबिन का प्रतिशत यदि सात से कम हो तो सीवियर एनीमिया कहलाता है, जो एक गम्भीर स्थिति है।

हाल ही में हरियाणा सरकार, नेशनल रूरल हैल्थ मिशन और युनिसैफ ने मिल कर एक सेमिनार का आयोजित किया था, जिसमें बच्चों को नियमित रूप से आयरन और फॉलिक एसिड लेने पर जोर दिया गया था।
किशोरों की मदद क्यों?

ताकि कक्षा में ध्यान केन्द्रित कर सकें।
दिनभर ऊर्जावान महसूस करें।
खेलने में परेशानी न हो।
अच्छी तरह से पढ़ सकें।

आयरन की गोली खाते वक्त इन बातों का ध्यान रखें

कभी खाली पेट न खाएं।
गोली को चबा कर न खाएं
गोली खाने के साथ एक गिलास पानी जरूर पिएं।
बीमार होने पर खाना बंद न करें।
कोई दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।

जंक फूड से हो सकते हैं एनीमिया के शिकार
ऑल इंडिया मेडिकल साइंस, नई दिल्ली में हुई एक रिसर्च के अनुसार जो बच्चे कुपोषित नहीं हैं और ठीक से खाते-पीते हैं, वे भी एनीमिया का शिकार हो सकते हैं। दिल्ली में मोटापे के शिकार 5 से 11 साल के बच्चों में 31 प्रतिशत एनीमिया के शिकार हैं। जंक फूड अधिक खाने और किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी न करने से ऐसा होता है।

क्या खाने से आयरन बढ़ सकता है

पालक, बथुआ, मेथी, सोया, चुकंदर, गाजर, टमाटर, आंवला, सेब, खजूर, मांस, मछली, अंडा, बाजरा

इस भोजन के साथ फोलिक एसिड और छह महीने में एक बार पेट के कीड़े मारने वाली दवा जरूर लेनी चाहिए, जिससे आयरन शरीर में अच्छी तरह से खप सके। खाने से दो घंटे पहले और दो घंटे बाद तक चाय-कॉफी नहीं लेनी चाहिए। खाने के साथ अमरूद, बेर, संतरा, नींबू और आंवले का प्रयोग भी करना चाहिए।

आयरन की गोली सप्ताह में एक बार लेने से शरीर में आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। इसीलिए इसे जादुई गोली भी कहा जाता है।

हाल ही में हरियाणा में शुरू हुए इस अभियान में 16 लाख स्कूली बच्चों और तीस हजार स्कूल से बाहर के बच्चों को इस दवा की खुराक देने में शामिल किया गया है। जल्दी ही देश के करोड़ों बच्चे इसका लाभ उठा सकेंगे।

गांव के जिन स्कूलों में डॉक्टर जाते हैं, वहां बच्चों में भरोसा पैदा करने के लिए पहले वह गोली खाकर दिखाते हैं। शुरू में इसे खाने से उल्टी या पेट दर्द की शिकायत हो सकती है, मगर इससे न घबराएं। लगातार इस गोली को खाने से साइड इफेक्ट कम हो जाते हैं। हमेशा आयरन की गोली खाना खाने के बाद खाएं।

कितना हो हीमोग्लोबिन

उम्र                      हीमोग्लोबिन
6 माह से 5 वर्ष 11.00
5 से  11 वर्ष  11.50
12 से 14 वर्ष  12.00
किशोरियां  12.00
गर्भवती स्त्रियां  11.00
किशोर और पुरुष 13.00

अगला लेख पढ़ें

चीन में कोरोना की तबाही, भारत में वैक्सीन की चौथी डोज की जरूरत? WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट ने दिया जवाब

आयरन की गोली कितने समय तक लेनी चाहिए?

​कब लेनी चाहिए आयरन की गोली ज्‍यादातर डॉक्‍टर प्रेग्‍नेंसी के पहले 12 हफ्तों के बाद आयरन सप्‍लीमेंट लेने की सलाह देते हैं। प्रेग्‍नेंसी की शुरुआत में इसे पचाना मुश्किल भी होगा और पहली तिमाही में इसकी जरूरत भी नहीं होती है। खाना खाने के एक से दो घंटे बाद आयरन की गोली लेने की सलाह दी जाती है।

क्या आयरन की गोली रोज खा सकते हैं?

आयरन सप्लीमेंट्स को खाने के साथ कभी भी सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप आयरन सप्लीमेंट्स लेना चाहते हैं तो खाने के एक घंटे पहले या बाद में ही इसका सेवन करें। एक निश्चित समय पर ही कैल्शियम सप्लीमेंट को लेना चाहिए। वहीं, गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्शियम की गोली कभी भी खाली पेट खाने की सलाह नहीं दी जाती है।

आयरन की गोली रोज खाने से क्या होता है?

आयरन से आपकी स्किन ग्लो करने लगती है. ... .
आयरन की भरपूर मात्रा शरीर में होने पर किसी भी तरह की चोट जल्दी ठीक हो जाती है. ... .
आयरन से शरीर में ऑक्सीजन को सही तरह से पहुंचाने में मदद मिलती है. ... .
आयरन से बालों के झड़ने की समस्या को दूर किया जा सकता है. ... .
आयरन से शारीरिक और मानसिक दोनों रूप में एनर्जी मिलती है..

आयरन की गोली खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?

Health Tips: आयरन की कमी से शरीर में खून कम बनता है. जिससे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आयरन की गोलियों के साथ ना खाएं नींबू- अगर आप आयरन की गोलियां खाते हैं तो इसके साथ कभी भी नींबू का सेवन ना करें.