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अब नहीं जाएगी आंखों की रोशनी, वैज्ञानिकों ने तैयार किया ऐसा अजूबा 'आई-ड्रॉप'
संक्रमण के कारण आंखों की रोशनी जाने के खतरे से अब बचा जा सकता है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी दवा विकसित की है जो आंखों की रोशनी बनाए रखने में मदद कर सकती है.
लंदन: संक्रमण के कारण आंखों की रोशनी जाने के खतरे से अब बचा जा सकता है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी दवा विकसित की है जो आंखों की रोशनी बनाए रखने में मदद कर सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दवा फ्लुइड जेल जैसा पदार्थ है जो ठोस से तरल अवस्था में बदल सकता है. मतलब यह खुद आंख की पटल पर फैल जाता है और उस पर बना रहता है, जिससे धीरे-धीरे आंखों का धुंधलापन समाप्त हो जाता है.
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दरअसल आंख की कॉर्निया पारदर्शी होती है, इसलिए इसे श्वेत पटल भी कहते हैं. लेकिन किसी प्रकार का संक्रमण होने या चोट लगने से इस पर दाग या धब्बा पड़ जाने से यह पारदर्शी नहीं रह जाती है, जिससे आंखों की रोशनी प्रभावित होती है. कभी-कभी अंधा होने का भी खतरा बना रहता है. वैज्ञानिकों ने एक आई-ड्रॉप तैयार की है. इसमें फ्लुइड जेल के साथ-साथ जख्म को भरने वाला प्रोटीन डेकोरीन है. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह फ्लुइड जेल आंख की पटल की सुरक्षा करने में कारगर है. अनुसंधान में बताया गया है कि आई-ड्रॉप लेने के कुछ दिनों में इसका असर दिखने लगता है.
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धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है आंखों का धुंधलापन
बर्मिघम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता लियाम ग्रोवर ने कहा कि फ्लुइड जेल एक नया पदार्थ है जो ठोस से तरल अवस्था में बदल सकता है. मतलब यह खुद आंख की पटल पर फैल जाता है और उस पर बना रहता है, जिससे धीरे-धीरे आंखों का धुंधलापन समाप्त हो जाता है. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एन. लोगान ने कहा कि आई ड्रॉप में यह नया फ्लुइड जेल आंखों की पटल पर डेकोरीन प्राप्त करने के लिए बनाया गया है.
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ये ड्रॉप पढ़ने के लिए चश्मा इस्तेमाल करने वालों का चश्मा भी उतरवा सकता है. (सांकेतिक तस्वीर)
अमेरिका (United States News) में आंखों के लिए ऐसा ड्रॉप (Eye Drop For Weak Eye Sight) बनाया गया है, जो कमज़ोर नज़र वालों के लिए वरदान साबित होगा. ये ड्रॉप पढ़ने के लिए चश्मा इस्तेमाल करने वालों का चश्मा भी उतरवा सकता है.
- News18Hindi
- Last Updated : January 03, 2022, 07:30 IST
जिन लोगों की नज़र कमज़ोर (Weak Eye Sight) है, लेकिन उन्हें हर बार पढ़ने के लिए आंखों पर चश्मा चढ़ाना अच्छा नहीं लगता, उनके लिए मेडिकल साइंस ने एक चमत्कारी आई ड्रॉप (magical eye drop could replace reading glasses ) बनाया है. इस आई ड्रॉप को आंखों में डालने के बाद नज़र तेज़ हो जाएगी और चश्मा लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
सबसे अच्छी बात ये है कि वैज्ञानिकों (Scientists Invented Eye Drop to replace Glasses) को आंखों में डाले जाने वाले इस ड्रॉप से काफी फायदा भी हुआ है. वुइटी (Vuity Eye Drop) नाम के इस आईड्रॉप का शुरुआती ट्रायल भी 750 मरीज़ों पर किया गया है, जिसके नतीजे काफी असरदार रहे हैं. अमेरिका की ड्रग रेग्युलेटर एफडीए ने भी आम लोगों को इसके इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.
चमत्कारी है वुइटी Eye Drop
इस आई ड्रॉप को आयरलैंड की फार्मा कंपनी एलरजन ने तैयार किया है. इसके ट्रायल में लीडिंग रोल में रहे नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जॉर्ज ओ. वॉरिंग ने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ लोगों में प्रेसबायोपिया होने लगता है,
जिससे उनकी नजर कमजोर होने लगती है. ऐसा होने पर उन्हें चीजों को बेहद करीब से देखना पड़ता है. वुइटी आई ड्रॉप इस परिस्थिति में काफी कारगर है. ये आई ड्रॉप 15 मिनट में अपना असर दिखाती है और इसे डालने के कुछ घटों तक इसका असर रहता है. आंखों में वुइटी आई ड्रॉप की एक बूंद डालने से 6 से 10 घंटे तक नजर पहले की अपेक्षा तेज़ हो जाती है. पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट डॉ. स्टीफन ऑरलिन का कहना है, यह आई ड्रॉप पुतली के आकार को छोटा करती है. ऐसा होने पर मरीज को पास की चीज साफ दिखने लगती है.
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6000 रुपये होगी ड्रॉप की कीमत
कंपनी के मुताबिक, एक महीने के लिए इस दवा के डोज का खर्च करीब 6 हजार रुपए आएगा. रोचेस्टर यूनिवर्सिटी की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. स्कॉट एम मैकरेने के मुताबिक चश्मे का बोझ
नहीं उठा पाने वालों के लिए ये ड्रॉप अच्छा विकल्प है. ट्रायल के परिणाम कहते हैं, ऐसे मरीजों के लिए यह नई आई ड्रॉप गेमचेंजर साबित हो सकती है. वुइटी आई ड्रॉप पहली ऐसी दवा है जिसका इस्तेमाल प्रेसबायोपिया का इलाज करने में किया जा रहा है. ये सामान्य रोशनी में दूर की नजर को प्रभावित नहीं करती और आसानी से आंखें नज़दीक और दूर की चीज़ों को फोकस कर सकती हैं.
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Tags: Good news, Latest Medical news, Science news
FIRST PUBLISHED : January 03, 2022, 07:30 IST