9mm पिस्टल में कितनी गोलियां होती है? - 9mm pistal mein kitanee goliyaan hotee hai?

क्या अंतर है पिस्टल, रिवॉल्वर, माउजर और कट्टे में... जानिए कौन कितनी घातक?

9mm पिस्टल में कितनी गोलियां होती है? - 9mm pistal mein kitanee goliyaan hotee hai?

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अक्सर खबरों में देखने को मिलता है कि पिस्टल से गोली मार दी गई. लेकिन तस्वीर लगी होती है रिवॉल्वर की. कोई बुरी बात नहीं है अगर किसी को नहीं इनका अंतर नहीं पता. आज जानते हैं कि पिस्टल, रिवॉल्वर, माउज़र और कट्टे में क्या अंतर होता है. कट्टे का नाम आपने अक्सर अखबारों में या चैनलों पर सुना होगा. फिल्मों और वेबसीरीज में देखा भी होगा. इनमें से कौन सी कितनी घातक होती है, या उसका रेंज कितना होगा, वह तय करती है हथियार की नली यानी बैरल की लंबाई... (फोटोः स्टीव वुड्स/अन्स्प्लैश)
 

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पिस्टल (Pistol)

पिस्टल एक हैंडगन है. इसकी रेंज 50 से 100 मीटर तक होती है. बैरल छोटा होता है. अधिकतम 10 इंच. इसका उपयोग सेनाएं, अर्धसैनिक बल, पुलिस, आतंकी, विद्रोही गुट, नक्सली और अपराधी करते हैं. यह दो तरह की होती हैं- फुली ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक. इनमें गोलियां मैगजीन के जरिए भरी जाती हैं. यानी पिस्टल की ग्रिप के अंदर गोलियों का चैंबर होता है. इसमें अधिकतम 20 गोलियां तक भरी जा सकती हैं. मैगजीन के ऊपर हैमर और स्प्रिंग होता है जो हर फायर के बाद मैगजीन से दूसरी गोली को ऊपर पहुंचा देता है. यानी लोड करने में समय नहीं जाता. (फोटोः थॉमस डेफ/अन्स्प्लैश)

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इनके तीन प्रकार होते हैं, सिंगल शॉट. हालांकि अब इसका उपयोग नहीं होता. दूसरा ऑटोमैटिक और तीसरा मशीन पिस्टल. मशीन पिस्टल की मैगजीन बहुत बड़ी होती है. यह छोटी मशीनगन जैसी होती है. दूसरी होती है मल्टी-बैरल. यानी दो या तीन नलियों वाली पिस्टल. हालांकि इसका उपयोग भी बंद हो चुका है. छोटे हथियारों के चार साल पुराने सर्वे के मुताबिक दुनिया में 85.7 करोड़ से ज्यादा हैंडगन्स यानी पिस्टल, रिवॉल्वर, माउज़र लोगों के पास मौजूद है. (फोटोः टिमोथी डाइक्स/अन्स्प्लैश)

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रिवॉल्वर (Revolver)

रिवॉल्वर लंबी नली यानी बैरल वाली हैंडगन होती है. जिसमें छह ही गोलियां आती है. ये गोलियां गोलाकर चैंबर यानी चकरी में भरी जाती हैं. चैंबर रोटेट होकर अपनी गोलियों को सीधे बैरल यानी रिवॉल्वर की नली के सामने लाती है. जिसके पीछे की तरफ स्प्रिंग से टाइट बंधी हुई हथौड़ी (Hammer) होती है. अब रिवॉल्वर की नली यानी बैरल, चैंबर के गोल खांचे में पड़ी गोली और उसके पीछे की हथौड़ी एक सीध में है. ट्रिगर जैसे ही खिंचता है, हथैड़ी भी खिंचने लगती है. लेकिन एक लिमिट तक आने के बाद ट्रिगर तो पीछे ही जाता है, लेकिन स्प्रिंग से जुड़ी हथौड़ी छूट जाती है... और चैंबर के खांचे में पड़ी कारतूस के बीचों-बीच बने प्राइमर पर हिट करती है. (फोटोः थॉमस डेफ/अन्स्प्लैश)

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प्राइमर विस्फोट के साथ फटता है, इससे गोली के अंदर मौजूद बारूद में आग लगती है. अब यह बात तो सबको पता है कि आग, हवा, पानी को फैलने के लिए जगह चाहिए होती है. चूंकि बैरल यानी रिवॉल्वर की नली तीन तरफ से बंद और एक तरफ से खुली होती है, तो आग और विस्फोट का दबाव गोली को उसी तरफ तेजी से निकालता है. आपने कभी ध्यान दिया हो तो रिवॉल्वर, पिस्टल और ज्यादातर असॉल्ट राइफल्स की बैरल्स में अंदर घुमावदार धारियां बनी होती हैं. ये धारियां आग के दबाव से गोलियों को जोर से एक दिशा में धुमाना शुरु कर देती हैं. ज्यादा लंबी बैरल यानी गोली का ज्यादा घुमाव, ज्यादा गति और ज्यादा रेंज. इसलिए आप देखेंगे कि रिवॉल्वर-पिस्टल की रेंज अमूमन 50 से 100 मीटर होती है. (फोटोः पिक्साबे)

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माउज़र (Mauser)

माउजर एक जर्मन हैंडगन कंपनी है. यह बोल्ट एक्शन राइफल तथा सेमी-ओटोमैटिक हैंडगन्स बनाती है. बीच में यह कुछ समय के लिए बंद हो गई थी. इसके हथियार हाई क्वालिटी के होते हैं. यह 1870 से हैंडगन्स और राइफल्स बना रही है. इस कंपनी की 1896 में आई 9 मिमी की C96 लूगर हैंडगन काफी प्रसिद्ध हुई थी. 1940 में आई माउजर HSc सेल्फ लोडिंग हैंडगन भी काफी बिकी. इसने सिर्फ हैंडगन या राइफल्स ही नहीं बनाए. बल्कि तोप भी बनाए. स्नाइपर राइफल्स भी बनाएं हैं. (फोटोः विकिपीडिया)

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कट्टा (Katta)

यह भी हैंडगन है. लेकिन देसी तरीके से बनाई गई. भारत के कई राज्यों में इसे कट्टा, तमंचा आदि के नाम से जाना जाता है. फिल्मों और वेबसीरीज में इसका उपयोग देखने को अक्सर मिल जाता है. अगर फिल्म यूपी, एमपी या बिहार के बैकग्राउंड पर बनी हैं तो. असल में यह एक अवैध हथियार है. इसका बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार होता है. इसमें एक बार में एक ही गोली भरी और चलाई जा सकती है. कट्टे के बैरल यानी नली के अनुसार ही गोलियां तय की जाती हैं. इसकी रेंज काफी नजदीक की होती है. लेकिन इसकी विश्वसनीयता नहीं होती. इसकी नली फट भी जाती है. लोगों को घायल कर देती है. 

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इनमें से सबसे घातक कौन?

ज्यादा लंबी बैरल यानी गोली का ज्यादा घुमाव, ज्यादा गति और ज्यादा रेंज. इसलिए आप देखेंगे कि रिवॉल्वर-पिस्टल की रेंज अमूमन 50 से 100 मीटर होती है. असॉल्ट राइफल्स की 100 से 400 मीटर तक और स्नाइपर राइफल की 2-3 किलोमीटर तक. क्योंकि यहां पर बैरल की लंबाई बढ़ती चली जाती है. इससे रेंज पता चलती है. इन सबमें पिस्टल सबसे घातक और भरोसेमंद मानी जाती है लेकिन खतरनाक सभी हैं. (फोटोः स्वेतस्लाव रिस्टोव/अन्स्प्लैश) 

9mm पिस्तौल में कितनी गोलियां होती हैं?

इससे इसकी मारक क्षमता बढ़ जाती थी। इस कुन्दे को जब चाहे अलग करने से पिस्तौल छोटी हो जाती थी। इसकी दूसरी विशेषता यह थी कि इसके चैम्बर में 6, 10 और 20 गोलियों वाली छोटी या बड़ी कोई भी मैगजीन फिट हो जाती थी।

पिस्टल में कितनी गोली लगती है?

पिस्टल में गोलियां इसके मैगजीन में भरी जाती हैं. पिस्टल के ग्रिप के पास लगी मैगजीन में 8 गोलियां भरी जा सकती हैं. हालांकि ज्यादा गोलियों वाली भी पिस्टल आने लगी हैं. इससें एक के बाद एक लगातार फायरिंग की जा सकती है.

9mm पिस्टल का पूरा नाम क्या है?

जैसे की हम जानते है की 9 mm पिस्टल (9mm pistol browning FN) शोर्ट रेकोइल (Short recoil ke principal pe kam karta hai)की सिधान्त पर काम करने वाला हथियार है , इसलिए और सब जानकारियो के साथ साथ एक फायरर को 9 mm पिस्टल के चाल के बारे में भी मालूमात होनी चाहिए जिससे की ओ फायरिंग के दौरान पड़ने वाले किसी भी रोक के कारन को जान ...