22 वर्षा ऋतु में प्रकृति में कौन कौन से परिवर्तन होते हैं ?`? - 22 varsha rtu mein prakrti mein kaun kaun se parivartan hote hain ?`?

इस लेख मे बारिश का महीना: वर्षा ऋतु पर निबंध Rainy Season Essay in Hindi हिन्दी मे लिखा गया है। इसमे आप बारिश के महीने का महत्व, उत्साह, सौन्दर्य और मनुष्य के जीवन मे वर्षा ऋतु के महत्व, लाभ-हानी के विषय मे बताया गया है।

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आईए वर्षा ऋतु पर निबंध को शुरू करते हैं –

प्रस्तावना Introduction (वर्षा ऋतु पर निबंध हिन्दी में)

Contents

  • 1 प्रस्तावना Introduction (वर्षा ऋतु पर निबंध हिन्दी में)
    • 1.1 वर्ष ऋतु क्या होता है?
    • 1.2 वर्षा ऋतु: प्रकृति परिवर्तन का प्रतीक
    • 1.3 वर्षा ऋतु सुख-दुख के चक्र को दर्शाती है
    • 1.4 वर्षा ऋतु का अनुपम सौंदर्य
    • 1.5 वर्षा ऋतु का महत्व
    • 1.6 वर्षा ऋतु के लाभ
    • 1.7 वर्षा ऋतु का साहित्य में उल्लेख
    • 1.8 वर्षा ऋतु से हानियां
    • 1.9 वर्षा ऋतु का विनाशकारी रूप
    • 1.10 वर्षा ऋतु में होने वाले त्यौहार और व्रत
    • 1.11 क्या होगा यदि वर्षा ऋतु ना आये?
  • 2 उपसंहार

वर्ष ऋतु क्या होता है?

वर्षा ऋतु एक ऐसी ऋतु है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। साधारण भाषा में इसे “पानी बरसने वाला मौसम” भी कहा जाता है। इसे “मॉनसून” के नाम से भी जाना जाता है। भारत में वर्षा ऋतु 3 महीने चलती है- जुलाई, अगस्त और सितंबर।

तारीख के अनुसार 15 जून से 15 सितंबर तक का समय वर्षा ऋतु कहलाता है। भारत में मानसून अरब सागर से उठता है और सबसे पहले केरला राज्य में प्रवेश करता है। फिर यह धीरे-धीरे उत्तरी भारत में पहुंचता है और वर्षा के लिए उत्तरदायी होता है।

भारत के लिए वर्षा ऋतु का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि भारत एक गर्म जलवायु वाला देश है। यहाँ मार्च, अप्रैल, मई, जून के महीने में काफी गर्मी होती है। मनुष्य से लेकर पशु पक्षी और दूसरे जीव जंतु गर्मी से बेहाल रहते हैं।

सभी वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा करते हैं और जैसे ही वर्षा शुरू होती है सभी को आराम मिलता है। गर्मी से राहत मिलती है। किसानों के लिए वर्षा ऋतु किसी वरदान से कम नहीं होती है। इस लेख में हम आपके लिए वर्षा ऋतु पर एक अच्छा निबंध प्रस्तुत करेंगे।

Video – वर्षा ऋतु पर निबंध (बारिश का महीना) Rainy Season Essay in Hindi

वर्षा ऋतु: प्रकृति परिवर्तन का प्रतीक

परिवर्तन प्रकृति का विशेष नियम है। वर्षा ऋतु भी परिवर्तन को दर्शाती है। जिस तरह वसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है, उसी तरह ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। फिर शीत ऋतु आती है। प्रकृति (कुदरत) कभी किसी एक जगह स्थिर नहीं रहती है। यह हमेशा बदलती रहती है। वर्षा ऋतु समय को भी प्रदर्शित करती है। जिस तरह समय हमेशा बदलता रहता है उस तरह मौसम और ऋतुये भी हमेशा बदलती रहती हैं।

पढ़ें: भारत के 6 ऋतु पर जानकारी

वर्षा ऋतु सुख-दुख के चक्र को दर्शाती है

जिस तरह जीवन में सुख और दुख का चक्र निरंतर चलता रहता है, उसी तरह प्रकृति भी मनुष्य को भिन्न-भिन्न रूपों में सुख और दुख का एहसास कराती रहती है। ग्रीष्म ऋतु आने पर सभी जगह पानी की कमी हो जाती है। गर्मी बढ़ने से लोगों को कहीं भी चैन नहीं मिलता है। वह हमेशा परेशान दिखते हैं। सब लोग बार बार यही कहते हैं कि “गर्मी बहुत है” मनुष्य के साथ पशु पक्षी, गाय, भैंस, बकरियां और दूसरे जीव भी बेहाल हो जाते हैं।

मनुष्य तो किसी तरह पानी खोज कर अपनी प्यास बुझा लेता है, बेजुबान पशु अपनी समस्या किसी को नहीं बता सकते। बस पानी की तलाश में यहां से वहां घूमते रहते हैं। लेकिन जैसे ही वर्षा ऋतु शुरू होती है सभी को भरपूर मात्रा में पानी पीने को मिल जाता है।

हरी घास मैदानों में उग जाती है। इसे खाकर पशु अपनी भूख मिटाते हैं। इस तरह यदि प्रकृति एक तरफ समस्या उत्पन्न करती है तो दूसरी तरफ उसका समाधान भी खुद ही प्रस्तुत करती है।

वर्षा ऋतु का अनुपम सौंदर्य

वर्षा ऋतु का सौंदर्य देखते ही बनता है। जैसे ही वर्षा शुरू होती है चारों ओर हरियाली छा जाती है, जो आँखों को सुकून पहुँचाती है। हरियाली देखकर पशु पक्षी के साथ मनुष्य भी प्रसन्न हो जाता है। मोर वनों में पंख फैलाकर नृत्य करते हैं। और अपनी खुशी दिखाते हैं।

नदियाँ, तालाब, झील पानी से भर जाते है। किसान खेती में लग जाते है। खेतों में धान मक्का गन्ना जैसी फसलें लहलहा उठती हैं। गर्मी से राहत मिलती है। जब मौसम अनुकूल होता है तो काम करना भी आसान हो जाता है।

आम, अमरूद और दूसरे फलों की मिठास बढ़ जाती है। पेड़ पौधों पर नई पत्तियां और फूल आ जाते हैं। जो पेड़ पौधे सूख रहे होते हैं उनमें नई जान आ जाती है। बच्चे छतों पर जाकर नहाते हैं और वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। वर्षा ऋतु आने पर हाथी जोर जोर से चिघाड़ते हैं।

वे भी वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। विभिन्न प्रकार की चिड़िया चहचहाने लग जाती हैं। पपीहे पी पी और कोयल कू कू की ध्वनि कर आनंदित होते है।

वर्षा ऋतु का महत्व

भारत के लिए वर्षा ऋतु का महत्व बहुत अधिक है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की 80% आबादी गांव में निवास करती है, जो कृषि करके अपना जीवन यापन करती है। किसानों को वर्षा ऋतु का विशेष रूप से इंतजार रहता है। भारत की कृषि वर्षा पर आश्रित है। देश में कृत्रिम साधनों द्वारा सिंचाई की बहुत कमी है। इसलिए किसान वर्षा ऋतु में अपनी फसल की बुआई करते हैं।

जिस साल अच्छी वर्षा हो होती है, फसल भी अच्छी होती है। परंतु कई बार सूखा पड़ जाता है जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। वर्षा ऋतु से पृथ्वी का भूजल स्तर भी बढ़ जाता है। जिन स्थानों पर सूखे की समस्या होती है, वहां पर भी पानी उपलब्ध हो जाता है। कुएं भी पानी से भर जाते हैं।

वर्षा ऋतु के लाभ

वर्षा ऋतु के बहुत से लाभ है। पेड़-पौधों और वनों के लिए वर्षा ऋतु बहुत लाभदायक होती है। पेड़ों पर नई पत्तियां और फूल आ जाते हैं। उनकी पत्तियां धुल जाती हैं। जो पेड़ पौधे ग्रीष्म ऋतु में पानी की कमी से सूखने वाले थे अब उनमें फिर से नई जान आ जाती है।

वर्षा ऋतु का समय खेती करने के लिए उपयुक्त होता है क्योंकि खेतों को पानी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है। वर्षा ऋतु में गर्मी से राहत मिलती है। मौसम अनुकूल हो जाता है, जिससे सभी लोगों की कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है। वर्षा ऋतु में झीलें तालाब और नदियां पानी से भर जाती हैं जिससे बिजली अधिक मात्रा में बनने लगती है।

वर्षा ऋतु का साहित्य में उल्लेख

वर्षा ऋतु एक सुहावनी ऋतु है। इसका उल्लेख साहित्य में अनेक कवियों और लेखकों ने किया है। कालिदास द्वारा रचित गीतिकाव्य “मेघदूत” में यक्ष उमड़ते हुए बादलों को अपना दूत बनाकर अपना संदेश अपनी प्रेमिका को भेजना चाहता है। रामचरितमानस में तुलसीदास ने वर्षा का वर्णन करते हुए लिखा है –

वर्षा काल मेघ नभ छाये ।
गर्जत लागत परम सुहाये ।।
दामिनी दमक रही घन माहीं ।
खल की प्रीति यथा थिर नाहीं ।।

अर्थ: काले मेघा बादलों को देखकर बहुत अच्छा लगता है। कौंधती हुई बिजली चांदी की तरह चमकती है। बादल प्यासे वृक्षों की प्यास बुझाते हैं। यदि वर्षा नहीं होगी तो सब तरफ त्राही त्राही मच जाएगी।

कवियों ने वर्षा ऋतु पर अनेक कविताएं लिखी हैं। फिल्मों और टीवी सीरियल्स में बारिश के मौसम में नायक और नायिका के रोमांस को विशेष रूप से दिखाया जाता है। भारतीय फिल्मों में बारिश पर हजारों लाखों गाने (गीत) बने हैं जिन्हें हमेशा ही पसंद किया गया है।

वर्षा ऋतु से हानियां

एक और जहां वर्षा ऋतु के कई फायदे हैं, वहीं कुछ हानियां भी हैं। वर्षा ऋतु में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। मच्छर बारिश के रुके हुए पानी में अंडे देते हैं और अपनी संख्या बढ़ाते हैं। मच्छरों के बढ़ने से डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे रोग उत्पन्न होते हैं। वर्षा ऋतु में कीड़े मकोड़े सक्रिय हो जाते हैं। सांप, बिच्छू, कीट, पतंगे अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और मनुष्य के लिए खतरा पैदा कर देते हैं।

वर्षा ऋतु में नदी, नाले उपर तक बहने लगते हैं, जिसके चारों ओर गंदगी फैलती है। इतना ही नहीं लगातार पानी बरसने से सड़के बार बार गीली हो जाती हैं, जिससे दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है। गंदगी बढ़ती है। लोगों को आने जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

वर्षा ऋतु का विनाशकारी रूप

एक तरफ जहां वर्षा ऋतु सभी के लिए बहुत लाभदायक होती है, वहीं दूसरी तरफ यदि आवश्यकता से अधिक वर्षा हो जाये है तो बाढ़ आ जाती है। बड़े-बड़े क्षेत्र बाढ़ के पानी में डूब जाते हैं। भारत में बिहार राज्य में हर साल बाढ़ आती है जिसमें लोगों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

पिछले साल (सन 2018 में) केरला में भीषण बाढ़ आई थी जिसमें 350 से अधिक लोग मारे गए और 20000 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ। इस तरह वर्षा ऋतु का भयावह और अप्रिय चेहरा भी देखने को मिलता है।

वर्षा ऋतु में होने वाले त्यौहार और व्रत

भारत में वर्षा ऋतु का आध्यात्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। वर्षा ऋतु में अनेक त्यौहार और व्रत मनाए जाते हैं- शिवरात्रि, आषाढ़ अमावस्या, जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा, देवशयनी एकादशी, चतुर्मास व्रत नियम, गुरु पूर्णिमा, सावन सोमवार व्रत, नाग पंचमी, रक्षाबंधन, कजरीतीज। श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी जैसे त्यौहार मनाये जाते है।

क्या होगा यदि वर्षा ऋतु ना आये?

दोस्तों, क्या आपने सोचा है कि क्या होगा यदि वर्षा ही ना आये। तब पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य सभी प्यास से व्याकुल हो जाएंगे। एक एक बूंद को सभी जीव तरस जायेंगे। बहुत जीव तो काल के गाल में समा जाएंगे। खेती-किसानी चौपट हो जाएगी।

पानी न बरसने से अनाज का एक दाना भी खेतों में नही निकलेगा, तो मनुष्य क्या खाएगा? यह सब सोचकर ही मन में भय उत्पन्न हो जाता है। इसलिए प्रकृति ने वर्षा ऋतु का वरदान समस्त जीवो को दिया है। वर्षा ऋतु को “जन्म” और “पुनर्जन्म” का समय भी कहा जाता है। सभी जीवो के लिए यह ऋतु  अत्यंत आवश्यक है।

उपसंहार

वर्षा ऋतु सभी जीवो के लिए एक अनमोल वरदान है. हम सभी को इस मौसम का स्वागत पूरे हर्षोल्लास से करना चाहिए. वर्षा ऋतु आने पर ना सिर्फ गर्मी से राहत मिलती है, बल्कि यह चारों ओर हरियाली लेकर भी आती है. यह मौसम मन को प्रसन्नता प्रदान करता है. इसलिए हमें ईश्वर का धन्यवाद देना चाहिए कि उसने वर्षा ऋतु का उपहार हमें दिया है. 

वर्षा ऋतु में प्रकृति में कौन कौन से परिवर्तन होते हैं?

1 Answer.
वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन-वर्षा को जीवनदायिनी ऋतु कहा जाता है। ... .
ग्रीष्म ऋतु में तवे सी जलने वाली धरती शीतल हो जाती है।.
धरती पर सूखती दूब और मुरझाए से पेड़-पौधे हरे हो जाते हैं।.
पेड़-पौधे नहाए-धोए तरोताज़ा-सा प्रतीत होते हैं।.
प्रकृति हरी-भरी हो जाती हैं तथा फ़सलें लहलहा उठती हैं।.

बारिश के आने पर प्रकृति में क्या बदलाव आता है?

वर्षा के आने पर वातावरण में ठंड बढ़ जाती है तथा गर्मी कम होने लगाती है। सड़क किनारो तथा गड्ढो में पानी भर जाता है। अत्याधीक पानी जमा होने कारण वह पानी सड़को पर आने लगता है। जिससे लोग को आने जाने में असुविधा होने लगती है।

2 इस ऋतु में प्रकृति में क्या परिवर्तन होते हैं ?`?

इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं I अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है और इसे ऋतुराज कहा गया है।

पावस ऋतु में प्रकृति में कौन कौन से परिवर्तन आते हैं Class 10?

पावस ऋतु में प्रकृति में बहुत-से मनोहारी परिवर्तन आते हैं। पर्वत, पहाड़, ताल, झरने आदि भी मनुष्यों की ही भाँति भावनाओं से ओत-प्रोत दिखाई देते हैं। पर्वत ताल के जल में अपना महाकार देखकर हैरान-से दिखाई देते हैं। पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते हैं