20 सूत्री कार्यक्रम कब चालू किया गया? - 20 sootree kaaryakram kab chaaloo kiya gaya?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की है. यह उनके चुनावी वादों को पूरा करने की दिशा में पहला कदम है. वह चाहते हैं कि एक सुनियोजित और समयबद्ध तरीके से काम किया जाए और प्रशासन की पूरी क्षमता से इस्तेमाल किया जाएगा.

इसके साथ ही वह सभी को एक संदेश देना चाहते हैं कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर है और सभी विभागों में तालमेल के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने नौकरशाही में आत्मविश्‍वास बढ़ाने की भी बात कही है, जो इस समय निराश और हताश है. उसका मनोबल गिरा हुआ है क्योंकि 2जी तथा कोयला घोटाले में कई अफसरों पर गाज गिरी. यह एक बड़ा कदम है क्योंकि नौकरशाही को साधकर उसे अपने साथ ले चलने में बहुत फायदे होते हैं. इस एजेंडे में पारदर्शिता पर भी बल दिया गया है और इसके लिए ई ऑक्शन को बढ़ावा देने की भी बात कही गई है. इस बात में बहुत दम है क्योंकि पारदर्शिता के अभाव में ही घोटाले होते हैं और भ्रष्टाचार पनपता है.

देश में इस समय पारदर्शिता की बहुत जरूरत है और यह एक ऐसा मंत्र है जो भ्रष्टाचार पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगा सकता है. प्रधानमंत्री ने देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने की भी इसमें बात कही है. लेकिन उससे भी बड़ी बात है कि इसमें नीतियों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की है. पिछली सरकार के कार्यकाल में हमने देखा कि समयबद्ध कार्यक्रमों के अभाव में सरकार पंगु हो गई थी, उसमें जड़ता आ गई थी और वह ज्यादातर परियोजनाओं को अंजाम देने में विफल रही थी.

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के ये कार्यक्रम संभव दिखते हैं और उनके पूरा होने की संभावना दिखती है. पुराने लोगों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का 1975 में दिया गया 20 सूत्री कार्यक्रम याद होगा जो देखने-सुनने में बहुत लुभावना था. गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे देश के लिए वह एक महायज्ञ की तरह था. उसे सभी के उत्थान और विकास के लिए बनाया गया था. समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए उसमें कुछ न कुछ जरूर था. यह कार्यक्रम आज भी चल रहा है और उसके क्रियान्वयन के लिए हजारों करोड़ रुपये लगा दिए गए लेकिन यह अपने मकसद में कारगर नहीं रहा.

नई सरकार इस बात से भी सबक लेगी और ऐसे कदम उठाएगी जिससे उसका 10 सूत्री एजेंडा पूरा हो जाए और वह भी भ्रष्टाचार की चपेट में आए बिना. मोदी सरकार के 10 सूत्री एजेंडे और इंदिरा गांधी के 20 सूत्री कार्यक्रम में सबसे बड़ा अंतर यह दिखता है कि यह लोगों को लुभाने के लिए नहीं बनाया गया है. यह काम करने और उसे गति देने के इरादे से बनाया गया है. यह कुशल ढंग से प्रशासन चलाने के बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित है और इसका प्रचार से कोई लेना देना नहीं है.

बहरहाल नरेंद्र मोदी ने इस 10 सूत्री एजेंडे के जरिए एक बढ़िया संकेत देने की कोशिश की है. उन्होंने बड़ी उम्मीदें जगाने की बजाए प्रशासन को असरदार बनाने की नीति पर काम किया है.

जयपुर: 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गरीबी उन्मूलन के लिए 20 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसके बाद के वर्षों में इस कार्यक्रम को रिवाइज किया गया।
लेकिन इंदिरा गांधी की इस योजना को लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार कितनी गंभीर है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार के अपने कार्यकाल के 46 महीने गुजर जाने के बाद बीस सूत्री कार्यक्रम को लेकर प्रदेश स्तरीय कमेटी का गठन किया। गर्वनेंस के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस 20 सूत्रीय कार्यक्रम में सरकार ने कमेटी का अध्यक्ष डॉ चंद्रभान को बनाया है। चंद्रभान राजस्थान सरकार के 38 महीने पूरे होने के बाद इलके उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं जिला स्तर की बात की जाए तो अब भी सिर्फ 10 जिलों में ही कमेटी बनाई गई है। जबकि 23 जिलों में अब भी कमेटी बनना बाकी है।




राजस्थान की सरकार बीसूका को लेकर गंभीर नहीं
बीस सूत्री कार्यक्रम यानी बीसूका को लेकर राजस्थान में सरकार गंभीर नहीं रही है। गहलोत के शासन में आने के बाद भी यही स्थिति बनीं हुई है। इससे पहले बीजेपी शासन में भी सिर्फ इस कार्यक्रम को लेकर औपचारिकता का माहौल देखने को मिला। इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि प्रदेश में अब डॉ. चंद्रभान के उपाध्यक्ष बनने के बाद यानी 10 साल बाद बीसूका की स्टेट लेवल कमेटी की बैठक हुई है। पिछली बीजेपी सरकार में दिगम्बर सिंह के उपाध्यक्ष रहते कमेटियां सिर्फ नाम की ही थी। वहीं इससे पहले कांग्रेस सरकार में कर्ण सिंह के उपाध्यक्ष रहते पूरे कार्यकाल में स्टेट लेवल कमेटियां ही नहीं बनाई गई। इस साल भी अबतक कमेटियां पूरी तरह नहीं बनी है।

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क्यों जरूरी है बीसूका?
दरअसल बीस सूत्री कार्यक्रम गर्वनेंस के अनुसार बेहद जरूरी ईकाई है। इसका काम केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं का एग्जीक्यूशन और समीक्षा करना होता है। गरीबी की समस्या से देश को उभारने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंजिरा गांधी ने इस योजना की शुरुआत करवाई थी। राजस्थान में अब यह योजना सिर्फ औपचारिकता ही बन कर रह गई है। इस साल मार्च में वर्तमान उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने बैठक ली। जबकि नियमानुसार हर साल इसकी 2 बैठकें होनी चाहिए। इन 10 वर्षों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकारें रही मगर दोनों ही सरकारें इसे लेकर निष्क्रिय नजर आई है।

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निधि शर्मा, नई दिल्ली

स्वच्छ भारत मिशन और सभी के लिए घर जैसी पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाएं अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में शुरू किए गए बीस सूत्रीय कार्यक्रम की जगह लेंगी। इंदिरा गांधी ने गरीबी दूर करने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसे बाद की कांग्रेसी सरकारों ने भी अपनाया।

बीस सूत्री कार्यक्रम के तहत अलग-अलग राज्यों में निश्चित मानकों पर गरीबी उन्मूलन का जायजा लिया जाता है। अब इन मानकों को हटाकर इस पर मोदी सरकार अपने तरीके से काम करेगी। इंदिरा गांधी ने 1975 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी और 1982, 1986 और 2006 में इसका पुनर्गठन किया गया और नए मानक पेश किए गए। हालांकि, अब सरकार इसे पूरी तरह बदलने की तैयारी में है।

फिलहाल बीस सूत्री कार्यक्रम के तहत रोजगार सृजन, सात सूत्री चार्टर के तहत शहरी गरीब परिवारों की सहायता, फूड सिक्यॉरिटी, गरीब तबके के लोगों के लिए बनाए गए मकानों, गांवों में विद्युतीकरण, सड़कों के निर्माण आदि स्कीमों के आधार पर हर राज्य की प्रगति का जायजा लिया जाता है।

सरकार अब पौधे लगाए जाने और फूड सिक्यॉरिटी जैसे मानकों के बदले स्वच्छ भारत मिशन और सभी के लिए घर जैसे मानक पेश करेगी। सूत्रों ने बताया कि सरकार बीस सूत्री कार्यक्रम के मानकों के तहत टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को भी शामिल करेगी। नए मानकों में भूख की समस्या का खात्मा, साफ पानी का इंतजाम, स्वास्थ्य सुविधाएं और सस्ती और क्लीन एनर्जी शामिल हैं।

इन नए मानकों को अंतिम रूप देने के लिए केंद्रीय सांख्यिकी ऑफिस के डायरेक्टर-जनरल की अगुवाई में अंतर-मंत्रिस्तरीय ग्रुप का गठन किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, ग्रुप को 30 सितंबर तक पीएमओ को अपनी सिफारिशें सौंपनी थीं। हालांकि, इसकी तारीख थोड़ी सी बढ़ा दी गई है और अब ग्रुप टिकाऊ विकास के लक्ष्यों पर भारत का रुख जानना चाहता है। संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री के भाषण के बाद सरकार ने अब नए मानकों पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।

सूत्रों के मुताबिक, अंतर-मंत्रिस्तरीय ग्रुप ने स्कीम के नए नाम को अंतिम रूप नहीं दिया है। इस कार्यक्रम में पांच नामों का प्रस्ताव देने की खबर है, जिनमें एक नाम राजा राम मोहन राय जन कल्याण प्रतिवेदन लक्ष्य है।

बाकी चार विकल्पों में दीन दयाल उपाध्याय सामाजिक विकास लक्ष्य, वीर सावरकर सामाजिक विकास लक्ष्य, डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक उत्थान लक्ष्य और सरदार पटेल नेशनल स्टैटिस्टिकल रिपोर्टिंग मेकनिजम शामिल हैं।

20 सूत्री कार्यक्रम कब शुरू किया गया था?

भारत में पहले बीस सूत्री आर्थिक कार्यक्रम की घोषणा 1975 में की गई थी। बीस सूत्री कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी। इस कार्यक्रम को पहली बार 1982 में और फिर 1986 में संशोधित किया गया। बीस सूत्री कार्यक्रम - 1986 के कार्यान्वयन में गुजरात देश में अग्रणी राज्यों में से एक रहा है।

10 सूत्री कार्यक्रम कब लागू किया गया?

सही उत्तर f और h है। दस सूत्री कार्यक्रम: जून 1967 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की बैठक में इंदिरा गांधी द्वारा दस सूत्रीय कार्यक्रम जारी किया गया था।

20 सूत्री क्या है?

इसके अन्तर्गत गरीबी हटाओ जनशक्ति, किसान मित्र, श्रमिक कल्याण, खाद्य सुरक्षा, सबके लिए आवास, शुद्ध पेयजल, जन-जन का स्वास्थ्य, सबके लिए शिक्षा, अनुसूचित जाति, जनजाति अल्पसंख्यक एवं अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण, महिला कल्याण, बाल कल्याण, युवा विकास, बस्ती सुधार, पर्यावरण संरक्षण एवं वन वृद्धि सामाजिक सुरक्षा, ग्रामीण सड़क, ...