1971 के युद्ध में भारत के कितने सैनिक शहीद हुए? - 1971 ke yuddh mein bhaarat ke kitane sainik shaheed hue?

Almora Updated Sun, 16 Dec 2012 05:30 AM IST

रानीखेत। भारत पाक युद्ध के दौरान वर्ष 1971 मेें भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे। युद्ध में भारत के 2998 जवान शहीद हुए जबकि 7986 घायल हुए। पाकिस्तान के हताहतों की संख्या 12455 और घायलों की संख्या 20347 थी। युद्ध में कुमाऊं गढ़वाल की सभी बटालियनों ने भागीदारी की थी, लेकिन इस युद्ध में अकेले चार कुमाऊं रेजीमेंट के 20 जवानों ने अपनी कुर्बानी दी।

भारत पाक संघर्ष पहले ही शुरू हो चुका था। युद्ध की घोषणा भारत ने तीन दिसंबर 1971 को की थी। 16 दिसंबर 1971 को भारत ने विजयश्री प्राप्त कर ली थी। चार कुमाऊं रेजीमेंट ने 30 नवंबर से दो दिसंबर के बीच भीषण संघर्ष के जरिए पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान बांग्लादेश में स्थित शमशेर नगर तथा उसके हवाई अड्डे को कब्जे में ले लिया था। 1971 के भारत पाक युद्ध में भाग ले चुके सेवानिवृत ले. जनरल मोहन चंद्र भंडारी के अनुसार पूर्वी पाकिस्तान की आजादी के लिए मुक्तिवाहिनी लड़ रही थी। उसे भारतीय सेना मदद कर रही थी। 25 मार्च से दो दिसंबर 1971 तक पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमले किए। तीन दिसंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने युद्ध की घोषणा की। 14 दिनों तक चले इस युद्ध में बांग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र का उदय हुआ। 16 दिसंबर को पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारत के फील्ड मार्शल मानिक शॉ के सम्मुख आत्मसमर्पण किया। 17 दिसंबर की शाम आठ बजे सरकार ने युद्ध विराम की घोषणा की। इस लड़ाई में भारत की सैन्य और कूटनीतिक विजय हुई।

अकेले चार कुमाऊं के 20 जवान हो गए थे शहीद
रानीखेत। भारत पाक युद्ध में चार कुमाऊं के 20 जवान शहीद हुए जबकि 48 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। 30 नवंबर 1971 को शमशेर नगर में भीषण संघर्ष हुआ जिसमें हवलदार हरी शंकर, हवलदार मोहन सिंह, लांस हवालदार मान सिंह, सिपाही रघुवीर सिंह, लांस नायक रामनाथ सिंह, लांस नायक इंद्र सिंह, लांस नायक मेहर चंद्र, सिपाही गोबर्द्धन, सिपाही विश्राम सिंह, सिपाही जीतम सिंह, सिपाही किशन राम, सिपाही मंगतू राम, सिपाही दयानंद, सिपाही विश्राम सिंह, सिपाही रामेश्वर दयाल शहीद हुए जबकि सिपाही शेर सिंह, सिपाही उमेद सिंह, सिपाही ठाकुर सिंह, सिपाही जगत चंद्र, लांसनायक भीम सिंह दो दिसंबर के संघर्ष में शहीद हुए। इनके अलावा ले. जसबीर सिंह, ले. वाईएस बिष्ट सहित 48 सैन्य अधिकारी घायल हो गए थे। ले. जसबीर को बहादुरी के लिए सेना मेडल मिला। एक हफ्ते के बाद चार कुमाऊं की प्लाटून दुबारा वहां गई और शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

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  • 1971 वॉर: 2000 पाकिस्तानी सैनिकों पर भारी पड़े थे 120 भारतीय जवान

नई दिल्ली। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ी जंग में राजस्थान के लोंगेवाला पोस्ट पर हुआ संघर्ष एक टर्निंग प्वाइंट माना जाता है। भारत ने पाकिस्तान को यहां ऐसी धूल चटाई, जिसका दूरगामी असर उसके मनोबल पर पड़ा था। राजस्थान के थार के रेगिस्तान में भारत और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच यह संघर्ष 4-5 दिसंबर को हुआ। लोंगेवाला पोस्ट आज 'इंडो-पाक पिलर 638' के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान ने यहां से घुसने की कोशिश तो की, लेकिन कामयाब नहीं हो सका। इस जंग में भारतीय पक्ष से दो जवान शहीद हुए, जबकि पाकिस्तान को अपने 200 सैनिक गंवाने पड़े। इसके अलावा, उसके 34 टैंक और 500 से ज्यादा हथियारबंद वाहन बर्बाद हो गए।

2000 सैनिकों के साथ पाक ने की थी चढ़ाई

2 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक 'लोंगेवाला में नाश्ता, रामगढ़ में लंच और जोधपुर में डिनर' का सपना लिए आधी रात को भारतीय सीमाओं की ओर बढ़े थे। हालांकि, सुबह भारतीय एयरफोर्स की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर हो गया था। पंजाब रेजीमेंट के 120 जवानों के अलावा बीएसएफ के कुछ सुरक्षाकर्मियों ने 2 हजार से ज्यादा पाकिस्तानियों को खदेड़ दिया।

चमत्कार से कम नहीं थी जीत

इस पोस्ट पर भारत को मिली जीत किसी चमत्कार से कम नहीं थी। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी यहां पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन के साथ जमे हुए थे। पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ तो उन्होंने हेडक्वॉर्टर से बैकअप मांगा, लेकिन सुबह से पहले मदद आने की कोई उम्मीद नहीं थी। ऐसे में एक बटालियन ने पूरी की पूरी पाकिस्तानी सेना को रात भर रोके रखा।

दिखाया अद्भुत साहस

मेजर चांदपुरी के सामने दो विकल्प थे। या तो वह पोजिशन पर बने रहते या कंपनी के साथ पीछे हट जाते। उन्होंने रुकने का फैसला किया। वह एक बंकर से दूसरे बंकर तक जाकर अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाते रहे। मेजर चांदपुरी ने हवाई सपोर्ट मांगा था, लेकिन उस वक्त फाइटर जेट रात में उड़ने की क्षमता वाले नहीं थे। सुबह एयरफोर्स के विमानों ने वहां पहुंचकर पाकिस्तानी पक्ष में भारी तबाही मचा दी।

हल्के हथियारों से लिया टैंक से मोर्चा

पाकिस्तानी सैनिकों के पास 50 से ज्यादा टैंक थे। वहीं, भारतीय पक्ष के पास हल्की क्षमता वाले सीमित हथियार थे। इसके बावजूद, उन्होंने पाकिस्तानी सेना को 6 घंटे तक सीमा पर रोके रखा, जब तक कि मदद के लिए भारतीय एयरफोर्स के विमान नहीं पहुंचे। इसके बाद, पाकिस्तानी सैनिकों को जान बचाकर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।

आगे की स्लाइड्स में देखें लोंगेवाला पोस्ट के और फोटोज...

1971 युद्ध में भारत के कितने सैनिक शहीद हुए थे?

1971 के युद्ध में भारतीय सेना के 3,843 जवान शहीद हुए थे. इन्हीं शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति जलाने का फैसला हुआ.

1965 के युद्ध में भारत के कितने सैनिक मारे गए?

भारत के 2,735 और पाकिस्तान के 5,988 सैनिक मारे गए