विस्तारMagh Purnima 2022: हिंदू धर्म में माघ के महीने का विशेष महत्व होता है। माघ का महीना स्नान, ध्यान, जप, तप और दान करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। बुधवार,16 फरवरी को माह मास की अंतिम पूर्णिमा है फिर इसके बाद फाल्गुन का महीना आरंभ हो जाएगा। इस पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी तिथि पर संत रविदास का जन्म हुआ था इस कारण से माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माघी पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने की परंपरा है। इस दिन जो लोग किसी कारण से गंगा स्नान करने में अमसर्थ है वे लोग नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। Show माघी पूर्णिमा के ही दिन संत रविदासजी की जयंती मनाई जाती है। इस तिथि पर संत रविदास जी की पूजा अर्चना, शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं और भजन कीर्तन कर संत रविदास को याद किया जाता है। रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। संत रविदास का ' मन चंगा तो कठौती में गंगा' बहुत ही लोकप्रिय कहावत है। इसका अर्थ है अगर मन अच्छा और सकारात्मक है तो कठौती में ही गंगा जी अवतरित हो जाती है। संत रविदास जी हमेशा लोगों के उत्थान और भलाई के लिए संदेश देते रहे। माघी पूर्णिमा पर क्या करें 16 फरवरी को किसकी जयंती मनाई जाती है?माघ पूर्णिमा 2022: 16 फरवरी को माघी पूर्णिमा, इसी तिथि पर संत रविदास जयंती, जानिए स्नान और दान-पुण्य का महत्व
संत रविदास जयंती क्यों मनाया जाता है?वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे। इस दिन, उनके अनुयायी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। फिर, वे अपने जीवन से जुड़ी महान घटनाओं और चमत्कारों को याद करके अपने गुरु रविदास जी से प्रेरणा लेते हैं। उनके भक्त उनके जन्म स्थान पर जाते हैं और रविदास जयंती पर उनका जन्मदिन मनाते हैं।
संत रविदास जयंती कब मनाया जाता है?इस प्रकार, 16 फरवरी को संत रविदास जयंती है। हालांकि, संत रविदास की जन्म तिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। कई इतिहासकारों का कहना है कि संत रविदास का जन्म सन 1398 ईं में हुआ है। वहीं, कुछ जानकारों का कहना है कि उनका जन्म सन 1482 में हुआ है।
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