14 मार्च 1931 का भारतीय सिनेमा के इतिहास में क्या महत्व है - 14 maarch 1931 ka bhaarateey sinema ke itihaas mein kya mahatv hai

14 मार्च 1931 का भारतीय सिनेमा के इतिहास में क्या महत्व है - 14 maarch 1931 ka bhaarateey sinema ke itihaas mein kya mahatv hai

| 14 मार्च, 1931 का भारतीय सिनेमा के इतिहास में क्या महत्त्व है?

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14 मार्च, 1931 के दिन ही भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली सवाक् फिल्म का प्रदर्शन हुआ| भारतीय सिनेमा में एक नए युग की शुरुआत हुई| इस प्रकार यह ऐतिहासिक दिन था| इस दिन 'आलम आरा' फिल्म सर्वप्रथम मुंबई के सिनेमाघर 'मैजेस्टिक' में प्रदर्शित की गई| लोगों के लिए यह नया अनुभव था|

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14 मार्च 1931 को भारतीय सिनेमा के इतिहास में क्या महत्व है?

14 मार्च 1931 भारतीय सिनेमा के इतिहास में ख़ास जगह रखती है। ये वो तारीख़ है, जब भारतीय सिनेमा ने बोलना शुरू किया था। मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हाल में इसी दिन पहली बोलती फ़िल्म 'आलम आरा' रिलीज़ हुई थी। 124 मिनट लंबी हिंदी फ़िल्म को अर्देशिर ईरानी ने निर्देशित किया था।

भारतीय सिनेमा का इतिहास क्या है?

भारत में सिनेमा का इतिहास फिल्म युग की शुरुआत तक फैला हुआ है । 1896 में लंदन में लुमियर और रॉबर्ट पॉल की चलती-फिरती तस्वीरों की स्क्रीनिंग के बाद, व्यावसायिक छायांकन एक विश्वव्यापी सनसनी बन गया, और 1896 के मध्य तक, लुमियर और रॉबर्ट पॉल दोनों की फिल्में बॉम्बे में दिखाई जाने लगीं।

भारत में सिनेमा की शुरुआत कब हुई?

इन्हीं लूमियर ब्रदर्श ने 7 जुलाई 1896 को बंबई के वाटसन होटल में फिल्म का पहला शो भी दिखाया था। एक रुपया प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क देकर बंबई के संभ्रात वर्ग ने वाह-वाह और करतल ध्वनि के साथ इसका स्वागत किया। उसी दिन भारतीय सिनेमा का जन्म हुआ था।

सिनेमा की क्या विशेषता है?

वह लोकप्रिय कला, सार्वभौमिक अपील, परंपरागत कलाओं का एकत्रीकरण, विश्व सभ्यता का बहुमूल्य खजाना, यथार्थ और यथार्थ से परे लेकर जाने के लिए जादू की छड़ी, समय और समय के प्रतिबिंब को अंकीत करने का साधन, अपनी दुनिया का प्रदर्शन करने का तरीका, सबके लिए उपलब्ध सार्वजनिक कला, दुनिया को चौकानेवाली चमत्कारिक कला और बीसवीं सदी की ...