Author: Dhyanendra SinghPublish Date: Sat, 06 Jul 2019 08:31 PM (IST)Updated Date: Sun, 07 Jul 2019 01:24 AM (IST) गुलेरी जी पालि प्राकृत संस्कृत हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं के जानकार थे। उसने कहा था हीरे का हीरा बुद्धू का कांटा और सुखमय जीवन जैसी कहानियां भी उन्होंने ही लिखी हैं। शिमला, नवनीत शर्मा। आम तौर पर संवाद की खूबी यह होती है कि जो कहा जाए, वह सुन लिया जाए। कुछ विरले लोग होते हैं जो वह भी सुन लेते हैं जो कहा नहीं गया होता। 105 साल पुरानी अमर कहानी 'उसने कहा था' का मुख्य पात्र लहना सिंह हो या रेशम से कढ़े पल्लू वाली अमृतसर के बाजार में उसे मिली लड़की जो कालांतर में सूबेदारनी बन कर फिर कुछ कहती है। दोनों ने एक दूसरे को बिना कहे भी बहुत कुछ कहा, और कहे हुए के अलावा वह सब भी ठीक से सुना गया जो कहा नहीं गया था। आज इस कहानी के लेखक पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती है। गुलेरी जी पालि, प्राकृत, संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं के जानकार थे। हीरे का हीरा, बुद्धू का कांटा और सुखमय जीवन जैसी कहानियां भी उन्होंने ही लिखी हैं, कई निबंध लिखे हैं, समालोचना में अनुकरणीय कार्य किया है लेकिन जब जिक्र 'उसने कहा था' का आता है तो और कुछ कहने को बचता नहीं। बेशक गुलेरी जी 1883 में पैदा होकर 1922 में ही 39 वर्ष की आयु में शरीर छोड़ गए थे लेकिन जयपुर राजघराने से लेकर वाराणसी और प्रयागराज के बौद्धिक और शैक्षणिक जगत के बीच रोशनी देता रहा यह दीपक मूल रूप से गुलेर का था। गुलेर रियासत... जहां से कांगड़ा कलम का उद्भव हुआ। जहां सेऊ पंडित के बेटों नैनसुख और मानकू ने ऐसे गाढ़े रंग जमाए कि उतरना तो दूर, विदेश तक और पक्के हो रहे हैं। जब हम 'उसने कहा था' का पाठ कर रहे होते हैं तो कभी अपने अंदर के लहना सिंह से मिल रहे होते हैं, कभी हम सूबेदारनी हो जाते हैं, कभी वजीरा सिंह, कभी बोधा सिंह और कभी अमृतसर। हम प्रेम के साथ उसके असल रूप में मुखातिब हो रहे होते हैं जो अब दिल के लाल निशानों से अटे संदेशों में गुम दिखता है। जो वैलेंटाइन दिवस से एक सप्ताह पहले एक पूरी नस्ल को हरियाली के बुखार से ग्रस्त कर देता है। जाहिर है, आदर्श प्रेम की कथा है। कहानी ने एक विधा के तौर पर कई सोपान तय किए हैं। कोई जादुई यथार्थवाद, कोई सरल कहानी कोई ऐसी कहानी, कोई वैसी कहानी लेकिन इस कहानी में ऐसा क्या है कि यह हर बार नई लगती है? जाहिर है इसके पास सबकुछ है। शीर्षक, कथानक, पृष्ठभूमि, संवाद सब एक से बढ़ कर एक। इसके अलावा फ्लैशबैक का इस्तेमाल। अमृतसर के बाजार में लड़की से इन्कार सुनने के बाद जब वह परेशान होकर घर पहुंचता है उसके बाद प्रथम विश्व युद्ध की खंदकों का दृश्य खुलता है। जो लोग आंचलिकता का अर्थ केवल फणीश्वर नाथ रेणु तक सीमित रखते हैं उनके लिए भी यह कहानी शोध का विषय है कि कैसे ग्रेटर पंजाब से पहले के संयुक्त पंजाब या रियासती क्षेत्र की भाषा इस कहानी में ठूंसी नहीं गई है बल्कि सजाई गई है। यह चंद्रधर शर्मा गुलेरी का कमाल ही था कि इस अविस्मरणीय प्रेम कहानी में प्रेम शब्द कहीं इस्तेमाल नहीं हुआ। लहना बचपन में मिली लड़की की कुड़माई पर पागल क्यों हो गया था, लहना ने बाद में उसके पति और बेटे की जान बचा कर स्वयं को शहीद क्यों किया? इस सबको देखते हुए क्या प्रेम शब्द लिखा जाना जरूरी था? नहीं। इसीलिए लहना ने वह सुना जो सूबेदारनी ने नहीं भी कहा था। चंद्रधर शर्मा गुलेरी
Edited By: Dhyanendra Singh
उसने कहा था कहानी के प्रमुख पात्र कौन कौन है?'उसने कहा था' कहानी का मुख्य पात्र ' लहना सिंह' है । वह पाठक के ह्रदय पटल पर सदैव के लिए अंकित हो जाता है । सूबेदार हजारा सिंह, बोधा सिंह, वजीरा सिंह, आदि उल्लेखनीय पात्र हैं । लहना सिंह में प्रेम, त्याग, बलिदान, विनोद वृत्ति, बुद्धिमत्ता एवं सतर्कता आदि विविध गुण मिलते हैं ।
मुख्य पात्र कौन है?जिन पात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है उन्हें 'मुख्य पात्र' और जिनकी भूमिका ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है उन्हें 'गौण पात्र' कहते हैं।
उसने कहा था कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की 'उसने कहा था' हिंदी की पहली सर्वोत्तम कहानी मानी जाती है. यह कहानी बहुत ही मार्मिक है इस कहानी की मूल संवेदना यह है की इस संसार में कुछ ऐसे महान निस्वार्थ व्यक्ति होते हैं जो किसी के कहें' को पूरा करने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर देते हैं. इस कहानी का पात्र लहना सिंह ऐसा ही व्यक्ति है.
उसने कहा था कहानी में किसने किसने क्या कहा था?उत्तर: 'उसने कहा था' कहानी में 12 वर्ष का वह लड़का कथानायक लहना सिंह था ।
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